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is where yesterday's fight does not stop today's communication.
आज के संचार को रोकता नहीं है
Last Update: 2024-09-01
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be like the moon ,even alone it, doesn't stop shining
चाँद अकेला है लेकिन फिर भी चमकता है
Last Update: 2024-04-03
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things change and friends leave life doesn't stop for a nybody
दोस्त चले जाते हैं जिंदगी रुकती नही
Last Update: 2021-10-10
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vishay doesn't stop immediately for mahatmas but it becomes insipid it becomes insipid on its own
महात्माओं का विषय एकदम से तो बंद नहीं हो जाता लेकिन फीका पड़ जाता है अपने आप फीका पड़ जाता है और फिर धीरे-धीरे-धीरे उसमें से उनकी रुचि खत्म होती जाती है और पूरा कर देते हैं। शादीशुदा साथ में होने के बावजूद भी घर में ब्रह्मचारी जैसा साधु-साध्वी जैसा उनका जीवन व्यतीत करते हैं। कईं कपल्स ऐसे हैं यंग कपल्स जो ब्रह्मचर्य व्रत ले लेते हैं। क्या? मोक्ष की क़ीमत समझ में आती है। आत्मा के आनंद की, सुख की क़ीमत समझ में आती है। सैद्धांतिक तौर पर ज़बरदस्ती नहीं लेकिन अंदर की समझ से ऐसा करते हैं। इसलिए तो हमने यह दादाजी की ब्रह्मचर्य की पुस्तक का नाम ही समझ से प्राप्त ब्रह्मचर्य रखा है। दमन करके, दबाकर या फोर्स से नहीं उसका तो अर्थ ही नहीं है वह तो फिर रिबाउन्स होगा ही लेकिन समझकर। जितनी समझ आती जाएगी उतना-उतना हल निकलता जाएगा। नासमझी से विषय पैठ गए हैं और समझ से निकल जाएँगे। कौन सी नासमझी से विषय पैठ गया है तो कहें सुख है ऐसी मान्यता विषय में सुख है ऐसी मान्यता इतनी घर कर गई है कि वह उसी के आधार पर अनंतकाल से टिका हुआ है। क्या? जानवरों में विषय संज्ञा के रूप से होता है लेकिन उनका साहजिक, स्वाभाविक होता है। क्या? विषय वास्तव में जानवरों को विषयी नहीं कहते संज्ञा के रूप से विषय होता है। आहार, भय, मैथुन और निद्रा जानवरों में भी होते हैं और मनुष्यों में भी होते हैं। लेकिन मनुष्यों में यह सब एक्सेस हो गया है। विकृत हो गया है क्योंकि उन्हें बुद्धि मिली न! बुद्धि और अहंकार से उसने यह सब एक्सेस कर दिया विकृत कर दिया। सीज़नल के बजाय ओहोहो! अनलिमिटेड कर डाला। उसकी कोई लिमिट ही नहीं नियम भी नहीं, कुछ भी नहीं। मतलब यह विषय बाधकरूप नहीं होता लेकिन यह विषय में विकृति बाधकरूप होती है। साहजिक सहज अवस्था में हो न तो कुछ भी नहीं होता। और हज़बेन्ड-वाइफ के बीच क्लेश कलह होने का मूल कारण ही यह विषय है। एक-दूसरे के लिए आसक्ति।
Last Update: 2019-07-06
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c/hey brother get out of the well .... frog! will it stop? huh? i don’t think so brother! today it will stop brother since five days we’re here still it didn’t stop how will it stop today? i’ll bet you. bet? wait! shit its gone.... alas! this station is unlucky! which shanpur? where are you going? shanpur its called! this is called as pareshanpur! friends and viewers i’m the village shanpur! people here made me an annoying place pareshanpur! yes naughty people of this colourful vil
ग/अरे भाई कुएं से बाहर निकलो.... मेंढ़क! क्या यह रुक जाएगा? ना? मुझे ऐसा नहीं लगता भाई! आज यह बंद हो जाएगा भाई पांच दिन से हम यहां हैं फिर भी नहीं रुका आज कैसे रुकेगा? मैं शर्त लगाऊंगा। मत? ज़रा रुको! बकवास यह चला गया .... हाय! यह स्टेशन अशुभ है! कौन सा शानपुर? आप कहाँ जा रहे हैं? शानपुर इसे कहा जाता है! इसे परेशनपुर कहा जाता है! दोस्तों और दर्शकों मैं गांव शानपुर हूँ! यहां के लोगों ने मुझे एक कष्टप्रद जगह बना दिया परेशनपुर! हाँ इस रंगीन विल के शरारती लोग
Last Update: 2024-10-07
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