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how long are you here
aap kab tak ho yahan
Last Update: 2017-04-07
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how are you
Last Update: 2024-04-02
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how are you?
kya hal ha ao ka
Last Update: 2023-07-09
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how long are you coming?
आप कब आ रहे हैं?
Last Update: 2023-05-10
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how long are you in dubai?
ap dubai kab gai
Last Update: 2024-04-18
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how long are you in the office?
aap office me kitne time tak ho
Last Update: 2023-05-18
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how long are you going to stay here?
आप यहां कब तक रहने वाले हैं?
Last Update: 2017-10-12
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how long are the capable ones?
kb tk available
Last Update: 2024-02-07
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- how long are we to meet on the sly?
as soon as i get a job. and well make a home for ourselves.!
Last Update: 2019-07-06
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how long are waiting lists for essential operations ?
आवश्यक ऑपरेशनों के लिए प्रतीक्षा सूची कितनी लंबी हैं ?
Last Update: 2020-05-24
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"come to visit the children? how long are you staying?" well actually, i hope for a while longer yet.
"बच्चों से मिलने आयी हैं?" "कितने दिन रुकेंगी?" असल में, मैं काफ़ी दिन और रुकना चाहती हूँ। मैं खाडी में रह रही हूँ और पढा रही हूँ करीब पिछले तीस साल से भी ज्यादा से। (ठहाका) और इतने समय में, मैनें बहुत सारे बदलाव देखे हैं। और इसकी संख्या काफ़ी चौंकाने वाली है। और आज मैं आपसे बात करना चाहती हूँ भाषाओं के खोने के बारे में और इंग्लिश के सारी दुनिया में फ़ैलने के बारे में। मैं आपको अपने एक दोस्त के बारे में बताना चाहती हूँ जो कि अबु धाबी में व्यस्कों को इंग्लिश पढाते हैं। और एक दिन, उन्होंने सोचा कि उन सब को बगीचे में ले जा कर प्राकृतिक वस्तुओं के नाम आदि सिखायेंगी। मगर असल में उन्हें ही सीखने को मिले तमाम अरब शब्द उन सब स्थानीय पौधों के, और उनके इस्तेमाल भी -- दवाई के रूप में, सौंदर्य प्रसाधन के रूप में, खाने में, आदि। इन विद्यार्थियों को ये जानकारी कहाँ से मिली थी? ज़ाहिर है, अपने दादा-दादी, नाना-नानी से और परदादा, परनाना से भी। अलग से ये बताना ज़रूरी नहीं कि कितना महत्वपूर्ण है कि हम बातचीते करें पीढियों के बीच। मगर दुखद है कि, आज, भाषाओं मर रही हैं बहुत तेज़ दर से। हर १४ दिन में एक भाषा लुप्त हो जाती है। और ठीक वहीं, इंग्लिश विश्व-भाषा बन कर उभर रही है। क्या ये बातें संबंधित हैं? मुझे नहीं पता। मगर मैं ये जानती हूँ कि मैनें बहुत सारे बदलाव देखे हैं। जब मैं पहली बार खाडी में आई, तो मैं कुवैत गयी उन दिनों में जब वहाँ जाना कठिन था। असल में, उतनी पुरानी बात नहीं है। थोडा ही पहले की बात है। मगर फ़िर भी, मुझे ब्रिटिश काउंसिल ने नौकरी दी थी २५ और अध्यापकों के साथ। और हम पहले गैर-इस्लामी लोग थे जिन्होने कुवैत के सरकारी स्कूलों में पढाया। हमें इंग्लिश पढाने के लिये लाया गया था क्योंकि सरकार देश को आधुनिक बनाना चाहती थी और नागरिको को क्षमता देना चाहती थी, शिक्षा के ज़रिये। और बिलकुल ही, यू.के. ने फ़ायदा उठाया तमाम सारे तेल के संसाधनों का। ओके। और जो बदलाव मैने देखा है वो ये है कि- कैसे इंगलिश पढाना बदला है दोनो ओर को फ़ायदे देने वाली क्रिया से इतने बडे वैश्विक व्यापार में, जो आज वो है। वो सिर्फ़ स्कूल के कोर्स में पढायी जाने वाली विदेशी भाषा नहीं रह गयी है। न ही वो बपौती रह गयी है इंग्लैण्ड की। वो ऐसी पार्टी बन गयी है जिसमें इंग्लिश बोलने वाले हर राष्ट्र को शामिल होना ही है। और क्यों न हो? आखिरकार, सबसे बढिया शिक्षा -- विश्व के विद्यालयों की लिस्ट के हिसाब से --- उन विश्वविद्यालयों में -- जो कि यू.के. और यू.एस. में हैं। तो हर कोई इंग्लिश की पढाई करना चाहता है, ज़ाहिर तौर पर। मगर यदि आप इंगलिश के मूल-वक्ता नहीं हैं, तो आपको एक परीक्षा देनी होती है। क्या यह सही हो सकता है कि कि किसी विद्यार्थी को इसलिये दाखिला न मिले कि उसकी भाषा पर पकड ठीक नही है? शायद कोई ऐसा कम्प्यूटर वैज्ञानिक हो जो जीनियास हो। क्या उसे भाषा-कौशल की उतनी ही ज़रूरत पडेगी, जितनी कि, एक वकील को? देखिये, मुझे तो ऐसा नहीं लगता। हम इंग्लिश के अध्यापक अक्सर ऐसे लोगों को हटा देते हैं। उनके सामने रुको का साइन-बोर्ड लगा कर, और उन्हें हम उनके रास्ते में ही रोक देते हैं। वो अपने सपनों को साकार नहीं कर सकते, जब तक कि वो इंग्लिश न सीख लें। चलिये, दूसरी तरह से कहती हूँ, अगर मुझे सिर्फ़ एक भाषा बोलने वाल डच व्यक्ति मिले, जिसके पास कैंसर का इलाज है, तो क्या मैं उसे ब्रिटिश विश्वविद्यालय में आने से रोकूँगी? मैं तो बिलकुल भी नहीं रोकूँगी। मगर सच मे, हम बिलकुल यही कर रहे हैं। हम इंग्लिश अध्यापक वो चौकीदर हैं। और पहली आपको हमें संतुष्ट करना होगा कि आपकी अंग्रेजी ठीक-ठाक है। ये बहुत खतरनाक हो सकता है कि हम बहुत ज्यादा ताकत दे दें समाज के एक छोटे से हिस्से को। शायद ये रुकावट सारे विश्व में फ़ैल जाये। है न? मगर, आप कहेंगे, कि "शोध के बारे में मेरी क्या राय है? वो तो पूरा ही अंग्रेजी में है।" तो सारी किताबें इंग्लिश में हैं, सारे जर्नल इंग्लिश में हैं, मगर ये खुद को ही स्थापित करते जाने वाली बात है। ये तर्क और भी ज्यादा अंग्रेजी जानने को बढावा देता है। और ये इसी तरह बढता जाता है। मैं आपसे पूछती हूँ, अनुवाद का क्या हुआ? अगर आप इस्लाम के स्वर्ण काल के बारे में सोचें, तो आप पायेंगे कि तब बहुत अनुवाद होता था। वो लेटिन और ग्रीक से अनुवाद करते थे, अरबी मे, फ़ारसी में, और फ़िर वहाँ से आगे, यूरोप की जर्मन मूल की भाषाओं मे, और रोमन भाषाओं में। और इस तरह से ही यूरोप का अँधकार-युग ख्त्म हुआ। देखिये, मुझे गलत मत समझिये; मैं इंग्लिश पठन-पाठन के ख़िलाफ़ नहीं हूँ, अँग्रेज़ी अध्यापक ध्यान दें। मुझे ये बात बहुत अच्छी लगती है हमारे पास एक वैश्विक भाषा है। आज हमें ऐसी वैश्विक भाषा की ज़रूरत है। मगर मैं उसके रुकावट के रूप में विकसित होने के ख़िलाफ़ हूँ। क्या हम सच में चाहते हैं कि केवल ६०० भाषाएँ हों और मुख्य भाषा इंग्लिश हो, या चीनी हो? हमें उस से ज्यादा चाहिये। हम कहाँ पर लाइन खींचें? आज का सिस्टम बुद्धिमत्ता को इंगलिश की जानकारी से कनफ़्यूज़ करता है, जो कि बिल्कुल ही गलत है। (अभिवादन) और मैं आपको याद दिलाना चाहती हूँ कि उन महान हस्तियों को, जिनके कंधों पर आज के ज्ञान और बुद्धि टिकी है, इंगलिश नहीं पढनी पडती थी, न हि उन्हें इंग्लिश की कोई परीक्षा पास करनी होती थी। मिसाल के तौर पर, आइंस्टाइन। और उन्हें तो स्कूल में बुद्धू समझा जाता था क्योंकि असल में, वो डिस्लेक्सिक थे। मगर ये संसार का सौभाग्य ही था, कि उन्हें अँग्रेज़ी की परीक्षा नहीं देनी पडी। क्योंकि सन १९६४ तक टोफ़ेल (toefl) परीक्षा की शुरुवात ही नहीं हुई थी, जो कि अमरीकी परीक्षा है अंग्रेज़ी की। और अब तो उसके बिना कुछ होता ही न। इंग्लिश-कौशल मापने के आज तमाम तरीके हैं और कई लाख विद्यार्थी उनमें शरीक हो रहे है, साल दर साल। और आपको और मुझे लग सकता है, कि उनमें लगने वाली फ़ीस, ठीक ही है, बहुत महँगी नहीं,. मगर वो रुकावट पैदा करती है करोंडों गरीब लोगों की राह में। तो इसलिये, उन्हें तो हम बिना परीक्षा के ही भगा दे रहे हैं। (अभिवादन) मुझे एक खबर याद आ रही है, हाल ही की: शिक्षा: विभाजन का ज़रिया अब मुझे समझ आया है। मैं समझती हूँ कि क्यों लोग इंग्लिश पर इतना ध्यान देते हैं वो अपने बच्चों को सफ़लता प्राप्त करने लायक बनाना चाहते हैं। और वो करने के लिये, उन्हें पाशचात्य शिक्षा की आवश्यकता है। क्योंकि, ज़ाहिर है, सबसे अच्छी नौकरियाँ उन्हीं को मिलती हैं जो पश्चिमी विश्वविद्यालयॊं में पढ्ते है, जैसा मैने पहले कहा था। ये एक घुमावदार मृग-मरीचिका है । ठीक है? चलिये मैं आपको दो वैज्ञानिकों की कहानी सुनाती हूँ, दो इंग्लिश वैज्ञानिकों की।\ वो एक प्रयोग कर रहे थे जैनेटिक्स पर, जानवरो के अगले पाँवों और पिछले पाँवो पर आधारित। मगर उन्हें वो निष्कर्श नहीं मिल रहे थे जो वो चाहते थे। उन्हें समझ ही नहीं आ रहा था कि वो आखिर क्या करें, जब तक कि एक जर्मन साइंसदान नही आया, जिसने ये देखा कि वो लोग दो अलग अलग शब्दों से अगले और पिछले पाँवो के बारे में बात कर रह थे. जबकि जैनेटिक्स को पाँवो के अगले या पिछले होने से फ़र्क नहीं पडता, और न ही जर्मन भाषा को। बस धडाके से समस्या हल हो गयी। यदि आप कोई विचार सोच नहीं पायेंगे, तो आप अटक जायेंगे। मगर यदि दूसरी भाषा वो विचार सोच सके, तो साझेदारी से बहुत कुछ पाया जा सकता है, और सीखा जा सकता है। मेरी बेटी, इंगलैंड से कुवैत यी थी। उसने विज्ञान और गणित अरबी भाषा में सीखा है। एक अरबी विद्यालय में। और उसे उस ज्ञान को अंग्रेजी में अनुवादित करना पडा अपने व्याकरण विद्यालय में। और वो कक्षा में अव्वल थी इन विषयों में। जिस से ये पता चलता है कि जब विद्यार्थी विदेश से हमारे पास आता है, हम शायद उनके ज्ञान को यथोचित सम्मान नहीं दे रहे है, और उन्हें ज्ञान अपनी भाषा में होता है। जब एक भाषा की मृत्यु होती है, हमें नहीं पता चलता है कि उस भाषा के साथ हम क्या खो रहे हैं। पता नहीं आपने सी.एन.एन पर देखा या नहीं -- वो हीरो पुरस्कार देते हैं- एक कीन्या के चरवाहे लडके को जो कि अपने गाँव में रात को पढ नही पाता था, क्यों तमाम और बच्चों की तरह ही उसका मिट्टी तेल का दिया, धुँआ करता था, और आँखें खराब करता थी। और ऐसे भी, उस के पास पर्याप्त तेल नहीं होता थी, क्योंकि एक डालर प्रतिदिन में आप क्या क्या खरीद सकते हैं? तो उसने अविष्कार किया एक मुफ़्त सौर-लालटेन का। और अब, उसके गाँव के बच्चे, वही नंबर लाते है, जो कि वो बच्चे जिनके घरों में बिजली है। (अभिवादन) जब उसे वो पुरस्कार मिला, उसने ये प्यारे शब्द कहे: "बच्चे अफ़्रीक को बदल सकते हैं - एक अंधकार-युक्त महाद्वीप से, एक रोशनी भरे महाद्वीप में" एक छोटा सा आयडिया, मगर उसके कितने बडा असर हो सकता है। जिन लोगों के पास रोशनी नहीं है, चाहे दिये की या फ़िर ज्ञान की, वो हमारे अंग्रेजी की परीक्षाओं को पास नहीं कर सकते हैं, और हमें कभी पता नहीं लगेगा कि उनके पास क्या ज्ञान है। आइये उन्हें और स्वयं को अँधकार से निकालें। विविधता का सम्मान करें। अपनी जुबान पर काबू करें। उसे महान विचारों को फ़ैलाने में इस्तेमाल करें। (अभिवादन) धन्यवाद। (अभिवादन)
Last Update: 2019-07-06
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and joshua said unto the children of israel, how long are ye slack to go to possess the land, which the lord god of your fathers hath given you?
तब यहोशू ने इस्राएलियों से कहा, जो देश तुम्हारे पूर्वजों के परमेश्वर यहोवा ने तुम्हें दिया है, उसे अपने अधिकार में कर लेने में तुम कब तक ढिलाई करते रहोगे?
Last Update: 2019-08-09
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