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oh, wow, that's great.
अरे, वाह, महान है.
Last Update: 2017-10-12
Usage Frequency: 1
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wow, that's great.
वाह, यह बहुत अच्छा है.
Last Update: 2017-10-12
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wow! that's so amzaiy
वाह! वह तो कमाल है!
Last Update: 2021-10-21
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wow that's nice so what do you do
वाह अच्छी बात है
Last Update: 2021-11-02
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wow that was a thief
वह एक चोर था
Last Update: 2021-12-09
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wow, that is a good grip!
वाह, यह एक अच्छी पकड़ है!
Last Update: 2017-10-12
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wow that is very beautiful pic
वाह सुंदर तस्वीर
Last Update: 2022-09-21
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oh wow, of course you will be able
अरे वाह, बेशक आप तब तक बोल पाएंगे।
Last Update: 2020-09-19
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wow, that is headed paper all right.
पेपर बहुत अच्छे से हेडेड है।
Last Update: 2017-10-12
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wow thats nice
wow thats
Last Update: 2021-12-20
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wow, that is very good and i hope your job does not stress you?
अपनी पिक्चर भेजो
Last Update: 2022-05-07
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wow thats a perfect gentleman pic
एक आदर्श सज्जन तस्वीर है
Last Update: 2020-05-01
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"oh, wow. now suddenly we're a new form of homo sapiens, and look at these fascinating cultures, and look at these curious rituals that everybody's doing around this technology. they're clicking on things and staring at screens."
"अरे वाह, हम तो एकाएक होमो सेपियंस की नई प्रजाति बन गए हैं!" आप इन आश्चर्यचकित करनेवाली संसकृतियों का अवलोकन करें. और इनकी रोचक प्रथाओं को देखिए जो सारे व्यक्ति इस टैक्नोलॉजी के इर्द-गिर्द कर रहे हैं. स्क्रीन पर देखते हुए वे सभी चीजों पर क्लिक कर रहे हैं. मैं इसका अध्ययन पारंपरिक मानवशास्त्र के विपरीत कर रही हूं, इसके पीछे कुछ कारण हैं. और वह कारण यह है कि प्रारंभ से लेकर हजारों साल तक साधनों का उपयोग हमारे आत्म के भौतिक रूपांतरण के रूप में होता आया है. इसने हमारी भौतिक परिसीमाओं का विस्तार किया है, हमें फुर्तीला और कठोर बनाया है, पर इसकी भी कई सीमाएं हैं. परंतु अब हम जो कुछ देख रहे हैं वह हमारी भौतिक परिसीमाओं का विस्तार नहीं है, बल्कि हमारे मानसिक आत्म का विस्तार है. और इसके कारण हम तेज सफ़र कर सकते हैं, और विभिन्न प्रकार से संवाद कर सकते हैं. दूसरी चीज़ जो हो रही है वह यह है कि हम सभी अपने साथ छोटी मेरी पौपिंस टैक्नोलौजी लेकर घूम रहे हैं. हम इसके भीतर जो चाहे वह डाल सकते हैं पर इसका वजन नहीं बढ़ता, और फिर हम इसमें से चीज़ें निकाल भी सकते हैं. हमारे भीतर का कम्प्युटर कैसा दिखता है? यदि आप इसे प्रिंट कर सकें तो हज़ारों पौंड्स की सामग्री जैसा दिखेगा जिसे हम अपने साथ हर समय लेकर चल रहे हैं. और यदि हम यह सूचनाएँ खो दें तो इसका अर्थ यह होगा कि हम इसे अपने मन के भीतर खो बैठे, और तब एकाएक यह लगेगा कि हमने कुछ खो दिया है, फर्क सिर्फ यह होगा कि हम इसे देख नहीं पायेंगे, यह सब बहुत अजीब मनोभाव होंगे. दूसरी बात जो हमारे साथ होती है वह यह है कि हमारा एक दूसरा आत्म बन जाता है. चाहे आप इसे पसंद करें या नहीं, आप ऑनलाइन दिखने लगते हैं, और लोग आपके दूसरे आत्म के साथ वार्तालाप करने लगते हैं, जब आप वहां नहीं होते. और आपको सावधान रहना पड़ता है कि आप अपनी फ्रंट लाइन खुली न रखें, जो कि मूलतः आपकी फेसबुक वाल है, ताकि लोग इसपर आधी रात को ही कुछ लिखने न लग जाएँ -- क्योंकि यह उसके समतुल्य ही है. और अचानक ही हमें हमारे दूसरे आत्म को बनाए रखना पड़ता है. हमें अपने डिजिटल जीवन को उसी तरह से प्रस्तुत करना पड़ता है जैसे हम अपने अनालौग जीवन को करते हैं. तो जिस तरह हम जागते हैं, नहाते हैं, और कपडे बदलते हैं, हमें यही सब अपने डिजिटल जीवन में भी करना सीखना पड़ता है. अब समस्या यह है कि बहुत से लोग, विशेषकर किशोरवय के लोगों को दो किशोरावस्था से गुज़रना पड़ रहा है. वे अपने प्राथमिक किशोरावस्था से गुज़रते हैं जो पहले से ही अजीब है, और फिर वे अपने दूसरे आत्म की किशोरावस्था में कदम रखते हैं. लेकिन यह पहले वाली से भी अधिक अजीब है क्योंकि यहाँ हमारी ऑनलाइन गतिविधियों का पूरा इतिहास दिखाई देता है. इस समय जो कोई भी तकनीक के संपर्क में पहली बार आ रहा है, वह कोई ऑनलाइन किशोर ही है. इसलिए यह बहुत अजीब है, और उनके लिए यह सब करना बहुत कठिन होता है. जब मैं छोटी थी तब मेरे पिता मुझे रात में पास बिठाकर कहते,
Last Update: 2019-07-06
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they would click on a button, and they would be connected as a to b immediately. and i thought, "oh, wow. i found it.
a और b तत्काल ही एक-दूसरे से जुड़ पा रहे थे. और मैंने सोचा, "वाह! मैंने खोज लिया! ये शानदार है!" तो समय बीतने के साथ ही टाइम और स्पेस इसके कारण संकुचित हो गए हैं. आप दुनिया के एक कोने में खड़े होकर फुसफुसाते हैं और इसे दूसरे कोने में सुना जा सकता है. एक और विचार जो सामने आता है वह ये कि हर वह डिवाइस जो हम इस्तेमाल में लाते हैं उसका समय अलग प्रकार का होता है. ब्राउज़र की हर टैब का समय अलग तरह का होता है. और इस सबके कारम हम अपनी बाहरी यादों को टटोलने लगते हैं कि हमने उन्हें कहाँ छोड़ दिया? तो अब हम सभी जीवाश्म वैज्ञानिकों की तरह उन चीज़ों को खोदकर निकाल रहे हैं जिन्हें हमने अपने बाह्य मष्तिष्क में गुम कर दिया था और जो अब हमारी जेब में हमारे साथ घूम रही हैं. लेकिन यह एक भूलभुलैया में ले आता है. अरे, वह चीज़ कहाँ चली गयी? हम सभी लुसिल बाल की तरह सूचनाओं की विशाल असेम्बली लाइन पर हैं, और इससे निकल नहीं पा रहे हैं. फिर यह होता है कि जब हम यह सब सोशल स्पेस पर ले आते हैं, तो हम हर समय अपने फोन चैक करके देखने लगते हैं. हम इसे व्यापक अंतरंगता कहते हैं. ऐसा नहीं है कि हम हर समय एक दूसरे से कनेक्टेड हैं, पर किसी भी समय हम जिससे भी चाहें उससे कनेक्ट हो सकते हैं. अब आप यदि अपने सैल्फों में मौजूद हर व्यक्ति को प्रिंट कर पायें, तो कमरे में जगह नहीं बचेगी. सरल अर्थों में आप इन सभी व्यक्तियों से संपर्क साध सकते हैं -- ये सभी व्यक्ति जिनमें आपके परिजन और मित्र शामिल हैं जिनसे आप कनेक्ट हो सकते हैं. इस सबके कारण हमारे ऊपर कुछ मनोविज्ञानिक प्रभाव पड़ते हैं. जिस प्रभाव के कारण मैं चिंतित हूँ वह यह है कि लोगों मानसिक चिंतन के लिए समय नहीं निकाल रहे हैं, और यह भी कि वे थम नहीं रहे, रुक नहीं रहे, और कमरे में मौजूद लोगों के साथ हर समय मौजूद रहकर ध्यान आकर्षित करने के लिए एक ही समय में इंटरफेस, जीवश्मिकी, या भूलभुलैया के बीच प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं. वे वहां आराम से बैठे हुए नहीं हैं. और वास्तव में जब आप पर कोई बाह्य इनपुट नहीं होता, तब उस समय निज-आत्म की रचना होती है, तब आप दूरगामी योजनायें बना सकते हैं, आप स्वयं के भीतर झांककर देख सकते हैं कि आप कौन हैं. और जब आप यह करते हैं तब आप यह देख सकते हैं कि आप बिना किसी हड़बड़ी के
Last Update: 2019-07-06
Usage Frequency: 4
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