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आपकी पढाई का क्या
what about your studies
Last Update: 2016-01-12
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आपकी पढाई कैसे चल रही है
आपकी पढाई कैसी चल रही है
Last Update: 2019-11-08
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आपकी पढ़ाई क्या है
what ut your studies
Last Update: 2023-09-22
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आपकी पढ़ाई कैसी है?
how's your studies?
Last Update: 2018-06-06
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आपकी पढ़ाई कैसी चल रही है
how is your studiesgoing on
Last Update: 2020-01-21
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जो आपकी पढ़ाई हिंदी में आपकी मदद करते हैं
who help you your studies hindi
Last Update: 2024-07-19
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"क्या आपने लाटरी जीती?" और वो सब आपसे कहें, "हाँ, हमने लाटरी जीते ली।" और फ़िर आप निषकर्ष निकाल लें कि लाटरी जीतने की संभावना है पूरी सौ प्रतिशत। आप ने तो कभी जा कर हारने वालों से ये पूछने की ज़हमत ही नहीं उठायी, जिन्होंने जतन से लाटरी खरीदी थी और कभी कुछ नहीं जीते। हर एक सत्तावादी आर्थिक सफ़ल सरकार के उदाहरण के लिये, पूर्वी एशिया में, भीषण असफ़लता का कम से कम एक उदाहरण मौजूद है। कोरिया सफ़ल हुआ। उत्तरी कोरिया नहीं हुआ। ताइवान सफ़ल हुआ, माओ जेडोंग शासित चीन नहीं हुआ बर्मा सफ़ल नहीं है। फ़िलिपींस सफ़ल नहीं हो सका। सारे विश्व के सांख्यिकीय आँकडे आपको दिखा देंगे, कि इस विचार का कोई प्रमाण नहीं है कि सत्तावादी ताकतवर सरकारों के पास प्रजातांत्रिक सरकारों के मुकाबले कोई श्रेष्ठता होती है, आर्थिक विकास के मसले में। लिहाज़ा पूर्व एशियाई मॉडल में ये तगडा पक्षपात दिखता है, क्योंकि आप पूरी कहानी पर नज़र ही नहीं डालते -- और हम हमेशा अपने विद्यार्थियों से इस गल्ती से बचने की हिदायत देते हैं। लेकिन फ़िर चीन की इतनी ज़बर्दस्त तरक्की हुई क्यों? चलिये मैं आपको सांस्कृतिक-क्रांति के दौर में ले चलता हूँ, जब चीन पागल हो गया था, और उसकी अर्थ-व्यवस्था की भारत से तुलना करता हूँ, इंदिरा गाँधी के समय के भारत से। अब सवाल ये है: कौन सा देश बेहतर प्रदर्शन कर रहा था, चीन या भारत? चीन बेहतर था, सांस्कृतिक क्रांति के दौरान। उस समय भी ऐसा ही हुआ कि चीन ने भारत से बेहतर विकास किया जीडीपी विकास के हिसाब से करीब प्रति वर्ष २.२ .प्रतिशत ज्यादा तेजी से प्रति व्यक्ति जीडीपी के हिसाब से। और ये तब जब कि सारा चीन पगला गया था। पूरा देश ही उथल-पुथल में था। इस का मतलब है कि चीन में कुछ ऐसा है जो कि आर्थिक विकास को इतना पोषण देता है कि विकास को रोकने वाली चीजों को निष्क्रिय कर देता है जैसे कि सांस्कृतिक क्रांति। और चीन के पास जो सबसे बडी ताकत थी, तो थी मानव-संसाधन की पूँजी -- और कुछ नहीं - केवल मानव-संसाधन-पूँजी। ये आँकडे हैं विश्व विकास सूचक के ९० के दशक के पूर्वार्ध के। और उस से पुराने आँकडॆ मुझे मिले ही नहीं। चीन में व्यस्क साक्षरता दर है ७७ प्रतिशत भारत के ४८ प्रतिशत के मुकाबले। साक्षरता दर में विरोधाभास खासतौर पर ज़ोरदार है चीनी और भारतीय महिलाओं के बीच। मैनें आपको साक्षरता की परिभाषा तो बताई ही नहीं। चीन में, साक्षर उसे मानते हैं जो लिख और पढ सके कम से कम १५०० चीनी चिन्ह। भारत में, साक्षरता की परिभाषा, जो कि गिनती के लिये इस्तेमाल होती है, है काबलियत, मतलब मोटे तौर पर काबलियत, अपना नाम लिख सकने की जो भी आपकी मातृभाषा हो, उसमें। इन दो देशों की साक्षरता दरों में फ़र्क उस से भी गहरा है जितना कि ये आँकडे यहाँ दिखा रहे हैं। यदि आप दूसरे आँकडे देखें जैसे कि मानव विकास सूचकांक, इन आंकडों की कडी, जो कि ७० के दशक के शुरुवात तक जाती है, आप ठीक यही विरोधाभास देखेंगे। चीन के पास बहुत बडा फ़ायदा था मानव संसाधन की गुणवत्ता का, भारत की तुलना में। नागरिकों की आयु:
"have you won the lottery?" and they all tell you, "yes, we have won the lottery." and then you draw the conclusion the odds of winning the lottery are 100 percent.
Last Update: 2019-07-06
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