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e poi ho incollato poster giganti ovunque nei quartieri bene di parigi indicando nome, età, persino il numero civico di questi ragazzi.
और फिर मैंने उनके बड़े बड़े पोस्टर हर जगह लगाए पैरिस के मध्यवर्गी इलाकों में उनके नाम, उम्र, बिल्डिंग नंबर तक के साथ हर व्यक्ति के.
sotto le finestre di una parigi distrutta dal dolore, milioni di persone in lutto si uniscono al corteo funebre per testimoniare il loro immenso dolore nel sentirsi orfani.
छोड़ गई paris में एक दुख की लहर, और रोने वालों की एक भीड़ उनकी मैयत के रास्ते पर कतारें
che cosa ha detto il mio uomo, quando la mia anima betossed non lo assiste, ci ha guidato? credo che mi ha detto che parigi avrebbe dovuto sposare giulietta:
mercutio स्वजन, महान काउंटी पेरिस - मेरा आदमी है, जब मेरे betossed आत्मा उसे उपस्थित नहीं है के रूप में हम सवार क्या क्या कहा? मुझे लगता है कि उसने मुझे बताया कि पेरिस जूलियट शादी होना चाहिए: वह नहीं ऐसा कहा? या मैं इसे इतना सपना था? या मैं पागल हूँ, उसे सुनवाई जूलियट की बात करते हैं, लगता है कि यह इतना था? हे, मुझे तेरा हाथ दे, एक खट्टा है दुर्भाग्य पुस्तक में मेरे साथ रिट! मैं तुमको एक विजयी कब्र में दफनाने हूँ; एक कब्र? ओ, नहीं, एक लालटेन, यहाँ के लिए slaught'red युवा, जूलियट निहित है, और उसकी सुंदरता बनाता है यह एक feasting प्रकाश से भरा उपस्थिति वॉल्ट. मौत, तू वहाँ एक मरे हुए आदमी interr'd द्वारा झूठ.
un anno dopo, la mostra fu esposta davanti al municipio di parigi. e si passa da immagini fatte, rubate e distorte dai media, all'orgoglio per la propria immagine.
एक साल बाद, वो प्रदर्शनी पैरिस के सिटी हॉल के ठीक सामने लगाई गयी. और हम उन तस्वीरों से आगे बढ़ते हैं, जिन्हें मीडिया ने चुरा कर उनका रूप विकृत कर दिया है, और पाते हैं कि वो लोग अब गर्व से अपनी तस्वीरों के अधिकारी बन रहे हैं. उस वक़्त मैंने समझा कागज़ और गोंद का महत्व.
"cosa ci fai qui? perché sei qui? il sistema educativo dell'india ti permette di pensare a parigi, nuova delhi, zurigo; cosa ci fai in questo villaggio?
"तब यहाँ क्या कर रहे हो? यहाँ क्यों आये हो? भारत की शिक्षा व्यवस्था तो आपको पेरिस और नई-दिल्ली और ज़ुरिख़ के ख़्वाब दिखाती है; तुम इस गाँव में क्या कर रहे हो? तुम कुछ तो ज़रूर छिपा रहे हो हमसे?" मैने कहा, "नहीं, मैं तो एक कॉलेज खोलने आया हूँ, केवल गरीबों के लिये। गरीब लोगों को जो ज़रूरी लगता है, वही इस कॉलेज में होगा।" तो बुज़ुर्गों नें मुझे बहुत नेक और सार्थक सलाह दी। उन्होंने कहा, "कृपा करके, किसी भी डिग्री-होल्डर या मान्यता-प्राप्त प्रशिक्षित व्यक्ति को अपने कॉलेज में मत लाना।" लिहाज़ा, ये भारत का इकलौता कॉलेज है जहाँ, यदि आप पी.एच.डी. या मास्टर हैं, तो आपको नाकारा माना जायेगा। आपको या तो पढाई-छोड, या भगोडा, या निलंबित होना होगा हमारे कॉलेज में आने के लिये। आपको अपने हाथों से काम करना होगा। आप को मेहनत की इज़्जत सीखनी होगी। आपको ये दिखाना होगा कि आपके पास ऐसा हुनर है जिस से कि लोगों का भला हो सकता है और आप समाज को कोई सेवा प्रदान कर सकते हैं। तो हमने बेयरफ़ुट कॉलेज की स्थापना की, और हमने पेशेवर होने की नई परिभाषा गढी। आख़िर पेशेवर किसको कहा जाये? एक पेशेवर व्यक्ति वो है जिसके पास हुनर हो, आत्म-विश्वास हो, और भरोसा हो। ज़मीन-तले पानी का पता लगाने वाला पेशेवर है। एक पारंपरिक दाई एक पेशेवर है। एक कढाई गढने वाला पेशेवर है। सारी दुनिया में ऐसे पेशेवर भरे पडे हैं। ये आपको दुनिया के किसी भी दूर-दराज़ गाँव में मिल जायेंगे। और हमें लगा कि इन लोगों को मुख्यधारा में आना चाहिये और दिखाना चाहिये कि इनका ज्ञान और इनकी दक्षता विश्व-स्तर की है। इसका इस्तेमाल किया जाना ज़रूरी है, और इसे बाहरी दुनिया के सामने लाना ज़रूरी है -- कि ये ज्ञान और कारीगरी आज भी काम की है। तो कॉलेज में महात्मा गाँधी की जीवन-शैली और काम के तरीके का पालन होता है। आप ज़मीन पर खाते हैं, ज़मीन पर सोते हैं, ज़मीन पर ही चलते हैं। कोई समझौता, लिखित दस्तावेज़ नहीं है। आप मेरे साथ २० साल रह सकते है, और कल जा भी सकते हैं। और किसी को भी $१०० महीने से ज्यादा नहीं मिलता है। यदि आप पैसा चाहते हैं, आप बेयरफ़ुट कॉलेज मत आइये। आप काम और चुनौती के लिये आना चाहते हैं, आप बेयरफ़ुट आ सकते हैं। यहाँ हम चाहते हैं कि आप आयें और अपने आइडिया पर काम करें। चाहे जो भी आपका आइडिया हो, आ कर उस पर काम कीजिये। कोई फ़र्क नहीं पडता यदि आप फ़ेल हो गये तो। गिर कर, चोट खा कर, आप फ़िर शुरुवात कीजिये। ये शायद अकेला ऐसा कॉलेज हैं जहाँ गुरु शिष्य है और शिष्य गुरु है। और अकेला ऐसा कॉलेज जहाँ हम सर्टिफ़िकेट नहीं देते हैं। जिस समुदाय की आप सेवा करते हैं, वो ही आपको मान्यता देता है। आपको दीवार पर काग़ज़ का टुकडा लटकाने की ज़रूरत नहीं है, ये दिखाने के लिये कि आप इंजीनियर हैं। तो जब मैंने ये सब कहा, तो उन्होंने पूछा, "ठीक है, बताओ क्या संभव है. तुम क्या कर रहे हो? ये सिर्फ़ बतकही है जब तक तुम कुछ कर के नहीं दिखाते।" तो हमने पहला बेयरफ़ुट कॉलेज बनाया सन १९८६ में। इसे १२ बेयरफ़ुट आर्किटेक्टों ने बनाया था, जो कि अनपढ थे, $1.5 प्रति वर्ग फ़ुट की कीमत में। १५० लोग यहाँ रहते थे, और काम करते थे। उन्हें २००२ में आर्किटेक्चर का आगा ख़ान पुरस्कार मिला। पर उन्हें लगता था, कि इस के पीछे किसे मान्यता प्राप्त आर्किटेक्ट का हाथ ज़रूर होगा। मैने कहा, "हाँ, उन्होंने नक्शे बनाये थे, मगर बेयरफ़ुट आर्किटेक्टों ने असल में कॉलेज का निर्माण किया।" शायद हम ही ऐसे लोग होंगे जिन्होंने $50,000 का पुरस्कार लौटा दिया, क्योंकि उन्हें हम पर विश्वास नहीं हुआ, और हमें लगा जैसे वो लोग कलंक लगा रहे हैं, तिलोनिया के बेयरफ़ुट आर्किटेक्टों के नाम पर। मैनें एक जंगल-अफ़सर से पूछा -- मान्यता प्राप्त, पढे-लिखे अफ़सर से -- मैने कहा, "इस जगह पर क्या बनाया जा सकता है? उसने मिट्टी पर एक नज़र डाली और कहा, "यहाँ कुछ नहीं हो सकता। जगह इस लायक नहीं है। न पानी है, मिट्टी पथरीली है।" मैं कठिन परिस्थिति में था। और मैने कहा, "ठीक है, मैं गाँव के बूढे के पास जा कर पूछूँगा कि, 'यहाँ क्या उगाना चाहिये?'" उसने मेरी ओर देखा और कहा,