プロの翻訳者、企業、ウェブページから自由に利用できる翻訳レポジトリまで。
ब्लू फि
બ્લુ ફાઇ
最終更新: 2024-05-25
使用頻度: 1
品質:
ब्लू फिल्मसेक्सी
બ્લુ ફિલ્મસેકસિ
最終更新: 2020-08-16
使用頻度: 1
品質:
参照:
ब्लू पिक्चर वbal
વાદળી ચિત્ર અને બાલ
最終更新: 2019-12-02
使用頻度: 1
品質:
参照:
ब्लू फिल्म गुजराती
બ્લુ ફિલ્મ ગુજરાતી
最終更新: 2024-04-20
使用頻度: 6
品質:
参照:
q ** ब्लू फिल्म हिंदी
ક્યૂ ** બ્લુ ફિલ્મ હિન્દી
最終更新: 2024-05-20
使用頻度: 15
品質:
参照:
ब्लू स्नोबालobject name (optional)
મૂળભૂત વાદળીobject name (optional)
最終更新: 2018-12-24
使用頻度: 2
品質:
参照:
ब्लू तस्वीर वीडियो ब्लू तस्वीर
blue picture video blu picture
最終更新: 2018-04-11
使用頻度: 1
品質:
参照:
ब्लू फिल्म वीडियो अंग्रेजी की डिग्री
બ્લુ ફિલ્મ વિડિઓ ઇંગલિશ ડિગ્રી
最終更新: 2021-01-07
使用頻度: 1
品質:
参照:
ब्लू रिवरcity name (optional, probably does not need a translation)
રીવર નાઇલcity name (optional, probably does not need a translation)
最終更新: 2018-12-24
使用頻度: 2
品質:
参照:
प्रार्थना का अर्थ यह नहीं है कि आप कर्म छोड़कर मंदिर में बैठे आरती करते रहें , घंटी बजाते रहें और आपकी जगह भगवान परीक्षा भवन में जाकर परीक्षा दे आएंगे या आपके दूसरे कार्य संपन्न कर देंगे। प्रार्थना व्यक्ति को आंतरिक संबल प्रदान करती है , उसे कर्म की ओर उद्यत करने हेतु आंतरिक बल , उत्साह और आशा प्रदान करती है। प्रार्थना व्यक्ति के विचारों एवं इच्छाओं को सकारात्मक बनाकर निराशा एवं नकारात्मक भावों को नष्ट करती है। प्रार्थना करने से मनुष्य भाग्यवादी कभी नहीं बनता। यदि ऐसा होता तो सभी धर्मों के लोग प्रार्थना करना बंद कर देते या सभी धर्म प्रार्थना के महत्व को नकार देते। कर्म का स्थान प्रार्थना नहीं ले सकती , प्रार्थना का स्थान कर्म नहीं ले सकता। यदि ऐसा होता तो डॉक्टर ऑपरेशन से पूर्व प्रार्थना से ही काम चला लेता कि जाओ हो गया ऑपरेशन। प्रार्थना के मूल में यही भाव है कि कर्म तो व्यक्ति को करना ही होगा , किंतु उसके द्वारा किया गया कर्म कभी निष्फल नहीं जाएगा , उसे यथेष्ट फल मिलेगा ही। उस कर्म हेतु प्रेरणा एवं उत्साह उसे प्रार्थना से मिलेगा। गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने प्रार्थना के इसी महत्व का प्रतिपादन किया है- कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। अर्थात तेरा कर्म में ही विश्वास हो , फल की इच्छा में नहीं। क्योंकि तेरे द्वारा जो भी कर्म किया जाएगा , उसका फल तुझे अवश्य मिलेगा। अत: तेरी कर्म में ही प्रीति हो , फल में नहीं। यहां कहने का आशय यही है कि व्यक्ति अपना समय , अपनी ऊर्जा , अपनी एकाग्रता और अपनी अर्जित शक्ति को एकत्रित कर निर्धारित कर्म हेतु उद्योगरत रहे , फल की कामना रहने से अपने मन को कुंठित एवं व्यग्र न करे। ऐसा करने से किया गया कर्म फलदायी होता है। मानस में भी गोस्वामी जी ने कर्म की ही महत्ता को स्पष्ट करते हुए कहा है- सकल पदारथ यही जग माहीं। कर्महीन नर पावत नाहीं।। भारतीय संस्कृति मानव को ईश्वर की ओर उन्मुख होने का संदेश देती है , किंतु उसे कर्महीन अथवा भाग्यवादी नहीं बनाती। यहां तक कि ज्योतिष शास्त्र का भी यही कथन है- ' कर्म से भाग्य बदलता है। ' भृगु संहिता के अनुसार हमारी भाग्य रेखाएं एक समय के पश्चात स्वयमेव बदलने लगती हैं। उन रेखाओं के बदलने के पीछे कर्म का हाथ होता है। प्रार्थना का शाब्दिक अर्थ है विशेष अनुग्रह की चाह। प्रार्थना के समय व्यक्ति अपने इष्ट के सम्मुख जब आर्त्तनाद करता है अथवा निवेदन करता है , तो व्यक्ति का मन निर्मल होता है। नित्य की जाने वाली प्रार्थना से हमारा मस्तिष्क स्वच्छ विचारों को धारण कर स्वस्थ बनता है तथा हमारे मनोविकार नष्ट होते हैं। वास्तव में प्रार्थना हमें विनम्र और विनयी बनाती है , जो कि हर व्यक्ति के स्वभाव की आवश्यकता है। आज समाज में इनकी बहुत आवश्यकता है। अत: प्रार्थना की सार्थकता वर्तमान समय में बहुत अधिक है। प्रार्थना हमें अपने मन-मस्तिष्क को एकाग्र करने का अभ्यास कराती है , जिससे आप अपनी मंजिल पा सकें , आपने जो चुनौती स्वीकार की है , कार्य हेतु जो संकल्प किया है उसमें आप सफल हो सकें। सच्ची भावना से की गई प्रार्थना एवं निष्ठापूर्वक किया गया कर्म सफलता की गारंटी है। महात्मा गांधी कहते थे - ' प्रार्थना धर्म का निचोड़ है। प्रार्थना याचना नहीं है , यह तो आत्मा की पुकार है। यह आत्मशुद्धि का आह्वान है। प्रार्थना हमारे भीतर विनम्रता को निमंत्रण देती है। ' यदि मनुष्य के व्यक्तित्व के आभूषण शांति , विनम्रता और सहनशीलता हैं तो उनका मूल प्रार्थना में छिपा है। यदि मनुष्य के व्यक्तित्व के अनिवार्य तत्व कर्मठता , लगन और परिश्रम हैं तो वे उसकी सफलता के मूलाधार हैं। दोनों का अपना-अपना महत्व है। आपको अपनी आवश्यकतानुसार चुनाव करना है कि आपके लिए क्या आवश्यक है। अविरत कर्मयोग करते-करते ईश्वर से प्रार्थना करना वस्तुत: किए जाने वाले कर्म को ईश्वर का कर्म मानने की स्वीकारोक्ति है। प्रार्थना के साथ किया जाने वाला कर्म साधक/उद्यमी द्वारा अपने कर्म को भगवान के चरणों में समर्पित करने का दूसरा रूप है। इससे कर्ता के मन में अहंकार नहीं आ पाता। विभिन्न धर्मों की पूजा विधियाँ भले ही अलग हों , किंतु प्रार्थना के अंतरस्वर एक ही होते हैं। विश्व के जितने भी महान व्यक्ति हुए हैं , सभी ने कहीं न कहीं ईश्वर से प्रार्थना द्वारा आंतरिक बल प्राप्त किया है। प्रार्थना ईश्वर और मानव के प्रति एकत्व का माध्यम है।
પ્રથ ન ની મહેતવ
最終更新: 2017-12-05
使用頻度: 1
品質:
参照: