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केस सेंसिटिव
case sensitive
最終更新: 2018-12-24
使用頻度: 8
品質:
केस सेंसिटिव खोज
case sensitive searches
最終更新: 2020-05-24
使用頻度: 4
品質:
केस सेंसिटिव (s)
case sensitive
最終更新: 2018-12-24
使用頻度: 5
品質:
केस सेंसिटिव तुलना करें (सही/ गलत)
compare case-sensitive (true/ false)
最終更新: 2018-12-24
使用頻度: 3
品質:
क्यों अजित सिंह इतने सेंसिटिव सिंगर हैं
why ajith singh is so sensetative singer
最終更新: 2020-05-25
使用頻度: 1
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सेट करता है कि क्या ढूंढा जाना केस - सेंसिटिव होगा
sets whether the search is case sensitive
最終更新: 2020-05-24
使用頻度: 4
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यदि आपकी खोज केस सेंसिटिव है तो इस विकल्प को सक्षम करें .
enable this option if your search is case sensitive .
最終更新: 2020-05-24
使用頻度: 4
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केस सेंसिटिव खोज@ item: inlist all matches should be found
case sensitive searches
最終更新: 2018-12-24
使用頻度: 1
品質:
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यदि सक्षम किया जाता है, पैटर्न जोड़ मिलाना केस सेंसिटिव होगा, अन्यथा नहीं.
if enabled, the pattern matching will be case sensitive, otherwise not.
最終更新: 2018-12-24
使用頻度: 3
品質:
参照:
यदि इस विकल्प को सक्षम किया जाता है , तो ढूंढने का कार्य केस सेंसिटिव होगा .
if this option is enabled , backups for local files will be created when saving .
最終更新: 2020-05-24
使用頻度: 1
品質:
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यदि इस विकल्प को सक्षम किया जाता है (डिफ़ॉल्ट से), तो ढूंढने का कार्य केस सेंसिटिव होगा.
if this option is enabled, backups for local files will be created when saving.
最終更新: 2018-12-24
使用頻度: 3
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इरिटेट कहाँ-कहाँ हो जाते हैं (पयुर्षण-2000) यह एक-एक एक-एक सत्संग एक-एक सामायिक एक-एक आपको कितनी ज़बरदस्त प्रगति करवा दे ऐसा है। इस पर से अब आप जितना अब जब भी यह हो तब यह वस्तु आपको यह इरिटेशन की बात आते ही तुरंत आपको हाज़िर हो ही जाए। और तुरंत ही भीतर अंदर की जागृति उत्पन्न हो जाए कि अरे! यह क्या हुआ? इसलिए यह सब कहते रहना है। अलग रख-रखकर कि भाई यह इरिटेशन हो रहा है या नेगेटिव दिखता है या ऐसा होता है। यह सब कहते रहने का कारण क्या? तब कहे कि ऐसा सब होता ही रहता है उसका पता चलना चाहिए। स्पेशियली एक-एक को अलग रखकर कहें न उपयोग सेट होता जाता है क्या? भीतर घुसेगा अंदर कि ओहो! ऐसा होता है ऐसा होता है ऐसा होता है। इस उपयोग को इस तरह सेट करते जाएँगे तो उसमें से आप छूटते जाओगे क्या? छूटते जाओगे। इरिटेशन कहाँ पर नहीं होता इसकी जाँच करो उतनी आपकी सेफ-साइड। बाकी तो यह जगत भी ऐसा है और आप भी ऐसे सेन्सिटिव हो कि हर एक बात बात पर इरिटेशन होता ही रहता है, क्या? इसमें अपना ही बिगड़ता है, क्या? इसलिए सब खुद अपने को टटोलकर देखना कि कहाँ-कहाँ इरिटेशन होता है। सुबह उठते हे तबसे ... सुबह उठते ही किसी ने यों ही अभी कहा न कि कोई ज़रा सी आवाज़ करे तो तभी से इरिटेशन चालू मेरी नींद बिगाड़ दी। इन नीरू बहन का तो ऐसा था पहले की प्रकृति आप से भी ज़्यादा जोरदार थी नींद में यदि कोई ज़रा सा भी आवाज़ करे न तो भयंकर गुस्सा आ जाता कोई डिस्टर्ब करे तो दिमाग फट जाता इतना ज़्यादा ऐसा था। फिर धीरे-धीरे लगा कि अरे यह तो अपनी ही कमज़ोरी है ये सब तो उपकारी ही हैं हमें इतनी नींद करने की कहाँ ज़रूरत हैं। ऐसा बहुत कुछ एइसा सब तब यह गया। ज्ञान से तो बहुत आसानी से चला जाता है। लेकिन अंदर यह स्ट्राइक हुआ कि अपनी ही भूल है। जब अपनी भूल है ऐसा दिखेगा तब वह जाएगा। और ये सामनेवाला मुझे इरिटेट करता है ये ही ऐसा है ये ही वैसा है तो फिर अपना चलता ही रहेगा और बढ़ेगा लेकिन घटेगा नहीं। और यदि इरिटेशन होता है वह मेरी ही कमज़ोरी है मेरी ही विकनेस है और ऐसा होता है उसमें से मुझे छूटना ही है निकलना ही है। ज्ञान द्वारा निकलना है और उसमें तन्मयाकार हुए बगैर निकलना है तो फिर सभी में से निकल सकते हैं ऐसा है, क्या? और मोक्ष का सही ज़रूरतमंद कौन होता है कि एक बार जिसे दिखे रियलाइज़ हो कि ओहो! यह मेरी ऐसी भूल हो रही है। ओहो! यह तो मुझे छोड़ेगी ही नहीं मोक्ष में नहीं जाने देगी। पकड़ रखे ऐसा पकड़ रखे कि उसे छोड़े ही नहीं। असल ज़रूरतमंद वैसा होता है और मोक्ष का असल चाहक भी वही होता है। ऐसा-वैसा थोड़ा ढीला-ढाला नहीं हो जाता क्या? वह पकड़ लेता है मतलब पकड़ लेता है वापस फिर से ऐसी भूल होने ही नहीं देता, क्या? ऐसी जागृति में आ जाए तब समझ लेना कि यह आपको छूटने के लिए बहुत आसान रास्ता है और आपके लिए असल पुरुषार्थ आया है क्या? असल पुरुषार्थ यानी एक बार उसे अनुभव हो जाए तो फिर वह जागृति को पकड़ ही लेता है जागृति को वह छोड़ता ही नहीं, क्या? जागृति में ही होता है अपनी भूल की बार -बार रिपीट भी नहीं होती, क्या? जागृति में होती ही है। जब भी भूल हो तो उसकी जागृति तुरंत ही हाज़िर हो जाती है। यह जागृति सबसे बड़ी है। प्रज्ञा खुद की भूल दिखाती है भूल कौन दिखाता है प्रज्ञा दिखाती है। वह झिलमिलाति है उस झिलमिलाने में भूल दिख जाती है। फिर प्रज्ञा कोई ओल द टाइम हाज़िर नहीं होती लेकिन फिर जागृति उसे पकड़ लेती है, क्या? यह भूल हुई उसे जागृति पकड़ लेती है क्या? जागृति पकड़ ले और फिर उसे छोड़े नहीं तो सामने वह खुद हमेशा तैयार ही रहता है और जब भूल हो जाए तब उसमें एकाकार नहीं हो जाता। उससे छूटने लगता है क्या? यानी जागृति को पकड़ लेना है क्या? वह जागृति से ही जाए ऐसा है। तमाम प्रकार के दोषों से आत्मा की जागृति होने के बाद छूट सकते हैं। यह हमारा अनुभव है और दादा के इस अक्रम विज्ञान से इन सभी में से पार उतरा जाए ऐसा है। जो-जो एक-एक बात करते हैं जो-जो एक-एक सामायिक करवाते हैं उन सभी का परिणाम आपको छुड़वाने के लिए ही है। आप सभी से मुक्त हो सकें ऐसा है, क्या? इतना अच्छा अक्रम विज्ञान है उसका उपयोग करना है। और उसका रिझल्ट तो रोकड़ा आए ऐसा है। यह रिझल्ट दे ऐसा ज्ञान है। क्रियाकारी ज्ञान है, क्या? सिर्फ समझने की ज़रूरत है। समझ लो और उसे देखो कि आपको कहाँ-कहाँ ऐसा होता है। तो वहीं पर आप चोखे हो जाओगे, क्या? मतलब लाभ उठा लेना है। और एक बार यहाँ देखने के बाद भी वापस घर जाकर जब भी फुरसत मिले तब प्रकृति के एक-एक दोष को देखते रहना। वापस रिवाइज़ करते रहना। उसे फ्रेश का फ्रेश ही रखना है, क्या? तो जागृति फ्रेश की फ्रेश रहेगी। सुन लिया और फिर रख दिया ऊपर सज्जे पर ऐसा नहीं होता, क्या? उसे फिर से रिपीट करके देखना है। ऐसी भूले कहाँ-कहाँ होती है, क्या? यानी सभी के साथ बच्चों के साथ हज़बन्ड के साथ नौकरों के साथ अड़ोसी-पड़ोसी के साथ धंधे में ऑफिस में काम करते हैं वहाँ सगे-समबन्धियों में चाहे कहीं भी आपको कहाँ-कहाँ आपको इरिटेशन होता है। इरिटेशन होता है। वह अपनी ही भूल है अपनी ही कमज़ोरी है और उसमें आपको संपूर्ण जागृत रहकर उसमें से छूट जाना है। यह आपको मौका मिला है इरिटेशन का आज की सामायिक में देखने का, क्या? कईयों को तो इतना ज़्यादा इरिटेशन अंदर भर जाता है भर जाता है कि रात को दो बजे उठकर शोर मचाने लगते हैं। ठूँस-ठूँसकर भरा होता है तो फिर सोने नहीं देता सोने नहीं देता और अंदर इतनी ज़्यादा अकुलाहट करवाता है इतनी ज़्यादा अकुलाहट करवाता है कि जब तक शोर नहीं मचाए तब तक उसे चैन नहीं आता मतलब खुद अकुलाकर शोर मचाकर सभी को अकुलाहट करवा देता है। मतलब इतना ज्यादा फोर्स आ जाता है। वह फोर्स इतना ज़्यादा बढ़ेगा नहीं यदि आप ज्ञान से देखो न तो वहीं का वहीं समाप्त हो जाएगा। लंबे समय के लिए नहीं चलेगा क्या? उसे ठूँस-ठूँसकर भरने के बजाय भरने के पहले ही उखाड़कर फेंक दो बाहर तो आप उसमें से मुक्त रह सको ऐसा है, क्या? मतलब यह सब आप अपने आप को देखो कि कहाँ-कहाँ किन लोगों के बारे में सब बातें की और घर में हज़बेन्ड से या वाइफ से या बच्चों से कौन-कौन सी बातों से आपको इरिटेशन होता है। अमुक-अमुक किसी की आदत होती है। तो उससे भी आप इरिटेट होते रहते हो। अऱे उसकी आदत है प्रकृति है वह किस तरह जाएगी और आपके इरिटेट होने से यदि वह सुधरता हो तो ठीक है चलो न आप और इरिटेट हो जाओ लेकिन कुछ सुधरता-वुधरता नहीं और बल्कि वह ज़्यादा उलझन में पड़ता है उसे अंदर लगता है कि मुझे तो ऐसा कुछ भी नहीं है मेरा तो ज़रा भी ऐसा आशय नहीं है लेकिन फिर भी इनको क्यों ऐसा लगता है। पता ही नहीं चलता सामनेवाले को इसिलए उसे खुद की ऐसी भूल कहाँ होती है और क्या होती है वह पता ही नहीं चलता और जो इरिटेट होता है उसे बात-बात में उसकी भूल हो रही है ऐसा दिखता है। अब इसका कभी भी एन्ड ही नहीं आता, क्या? अब इसका एन्ड कब आएगा कि जो इरिटेट होनेवाला है उसे खुद रियलाइज़ हो कि मैं इरिटेट हो जाता हूँ वह मेरी ही कमज़ोरी है। मुझे इसमें से निकलना है तो मैं इन सब प्रकृति की पकड़ों में से प्रकृति की रुकावटों में से निकल सकूँगा नहीं तो यह आपका यह जन्म तो बिगाड़ेगी फिर अगले जन्म तक यह सब केरी-फोरवर्ड होगा यह प्रकृति छोड़ेगी नहीं। यह ज्ञान से ही छूटे ऐसा है यह समझ में आ जाना चाहिए क्या? समझ में आए वहीं से निकल सकते हैं सामायिक करने का अब अपना टाइम हो गया है क्या? सामायिक में सम-अप करना है खुद की प्रकृति काहँ-कहाँ इरिटेट होती है उसे देखना है। देखो जानों और उससे अलग रहो। अब सामायिक में वह तो सुना लेकिन असल प्रेक्टिकल इसका आपको दिखेगा। अभी समुह में देखेगा फिर घर जाकर देखने-विखनेवाला नहीं है, क्या? इसलिए उतनी ही अगत्य की यह सामायिक है। बोलो हे दादा भगवान हे श्री सीमंधर स्वामी प्रभु मुझे शुद्ध उपयोगपूर्वक पूरी ज़िंदगी में जहाँ-जहाँ इरिटेशन हो जाता है। जहाँ-जहाँ मेरे से कोई इरिटेट हो जाता है उसे सामायिक में देखने की शक्ति दीजिए। जय सच्चिदानंद
where does irrltatlon occur each and every one of these... each of these satsangs, each of these samayiks,
最終更新: 2019-07-06
使用頻度: 4
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