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natürlich sagten einige: vielleicht tanzen sie besser als sie spielen. (gelächter)
बेशक बहुत लोगो ने कहा कि जितना अच्छा खेलते हैं उससे कहीं अच्छा नाचते हैं. हँसी लेकिन ये सब ठीक था . इसने एक और काम किया , हमारा क्रिकेट को देखने का नजरिया बदल दिया . इन सब के साथ , अगर आपको एक युवा क्रिकेटर चाहिए आप अपने मोहल्ले कि गलियों से चुन सकते हैं. अपने शहर से, और आप को गर्व महसूस होता है उस प्रणाली पे जो ऐसे क्रिकेटर पैदा करती है अब अचानक अगर आपके पास एक गेंदबाज़ कम है उदहारण के लिए अगर मुंबई के दल को एक गेंदबाज़ की जरूरत है, उन्हें कालबादेवी जाने कि जरूरत नहीं है या शिवाजी पार्क या कही और , उसे ढूँढने के लिए . वो त्रिनिदाद जा सकते हैं . ये एक नया भारत था , था न ? यह एक नयी दुनिया थी . जहाँ आप कही से भी कुछ भी खरीद सकते हैं, जब तक आप को बेहतर कीमत पर बेहतर चीज़ मिल रही हो . और एकाएक भारतीय क्रिकेट को इस सच्चाई का पता चल गया कि आप बेहतर कीमत पर बेहतर चीज़ पा सकते हैं . पूरी दुनिया में कहीं भी . इसलिए मुंबई इंडियंस ने ड्वायने ब्रावो को रातो रात त्रिनिदाद और टोवैगो से बुला लिया . और जब उन्हें वापस जाना था प्रतिनिधित्व करने वेस्ट इंडीज का , इन्होने पुछा ," आपको वहाँ कब पहुँचना है." उसने कहा ," मुझे वहाँ फलाने समय पे पहुँचना है . इसलिए मुझे आज यहाँ से निकलना होगा ." हमने कहा ," नहीं-नहीं. यह इसके बारे में नहीं है कि आपको कब जाना है ." महत्वपूर्ण यह है कि आपको वहाँ कब पहुँचना है . और तब उन्होंने कहा ," मुझे क्ष तारीख को वहाँ पहुँचना है. और इन्होने कहा ," ठीक है . आप x तारीख से एक दिन पहले तक यहाँ खेलिए . इसलिए ब्रावो ने हैदराबाद में खेला, खेल के बाद सीधे गए खेल के मैदान से हवाई अड्डे . एक निजी कॉर्पोरेट विमान में बैठे . पहली बार पुर्तगाल में ईंधन भरा गया दूसरी बार ब्राज़ील में और वो निश्चित समय पे वेस्ट इंडीज में थे . हँसी भारत ने इस पैमाने पे पहले कभी नहीं सोचा था . इससे पहले भारत ने कभी नहीं सोचा था ," मुझे एक खिलाडी चाहिए जो मेरे लिए एक मुकाबला खेले , और हम उसे एक कॉर्पोरेट विमान से उसे वापस किंग्स्टन , जमैका भेजेंगे . एक मुकाबले में खेलने के लिए . और मैंने अपने आप में सोचा वाह , हम दुनिया में कहीं तो पहुँच गए है , है न ? हमने कुछ हासिल किया है . हमारी सोच बेहतर हुई है . लेकिन इसने कुछ और भी किया और वो ये कि इसने शुरू किया भारतीय खेल में दो महत्वपूर्ण चीजों को जोड़ना . जो कि क्रिकेट और सिनेमा थी भारतीय मनोरंजन जगत में . क्रिकेट और सिनेमा और ये एक साथ आये क्योंकि जो लोग सिनेमा में थे उन्होंने क्लब खरीदना शुरु किया . और इसलिए लोगों ने क्रिकेट के मैदान में जाना शुरु किया प्रीति जिंटा को देखने के लिए . वो जाने लगे शाहरुख़ खान को देखने के लिए . और कुछ बहुत ही दिलचस्प हुआ . भारतीय क्रिकेट में हमे गीत और नृत्य देखने को मिला . और भारतीय क्रिकेट सिनेमा कि तरह प्रतीत होने लगा . और बेशक , अगर आप प्रीति जिंटा के दल में हैं जैसा कि आप देखेंगे अगले हिस्से में , अगर आप अच्छा करते हैं आपको प्रीति जिंटा के गले लगने का मौका मिलेगा . इसलिए यह एक बुनियादी कारण था अच्छा खेलने का . एक निगाह डालें. सभी प्रीति जिंटा कि ओर देख रहे हैं . संगीत
menschen tanzen und singen auf der strasse und haben einen tollen tag, und essen pilze? ... veganes essen ... himbeeren, tofu?
(यह एक बीज है) मूली? रास्पबेरी? टोफू? आप इन चीजों के विज्ञापन टीवी पर नहीं देखते हैं . इनके स्थान पर आप क्या देखते हैं? आओ थोडा मांस खा लो, पनीर खा लो! अपने मांस पर कुछ और पनीर लो! मांस, पनीर, डबल पनीर, अतिरिक्त पनीर, अपने गोश्त पर और थोडा पनीर ले लो? गाय का और दूध पी लो, कुछ अंडे और खा लो! इन विज्ञापनों के बीच मैं आप और क्या देख रहे हैं??? क्यों? क्या आप कुछ अच्छा नहीं महसूस कर रहे हैं? क्या कैंसर विशेषज्ञ या दिल के डॉक्टर से मिलना चाहते हैं? क्य lipitor, zocor, crestor, plavix की जरूरत है?? कुछ आहार गोलियों की जरूरत है? किसी उर्जा दायक पेय पदार्थ की आवशयकता है क्या आपको? पेपटो बिस्मोल .. आपको बेवकूफ बनाया जा रहा है. वे तुम्हें मार रहे हैं, वे जानवरों को मार रहे हैं, और वे इस ग्रह को मार रहे हैं. और आपकी आँखों पर कस कर पट्टी बंधी हुई है, पर आज आपसे बस यही प्रार्थना है की खुले दिमाग से मेरी बात सुनिए, मैं आपकी आँखों पर पड़ी पट्टी को हटा दूंगा! मेरा एक ही लक्ष्य है. मैं इंसानों को जानवरों के साथ फिर से जोड़ना चाहता हूँ. मैं उन भावनाओं और तर्कों को जाग्रत करना चाहता हूँ जिन्हें हमारे समाज ने जान बूझ कर दबाया या धरती के नीचे दफ़न कर दिया है. मैंने 'जोड़ना' शब्द इसलिए चुना है क्योंकि एक दिन ऐसा था जब इस कमरे में बैठा हर व्यक्ति पशु अधिकारों का समर्थक हुआ करता था, हम सब जानवरों से प्रेम करते थे और उनके सच्चे मित्र थे. बचपन मैं हम ऐसे ही थे. जब हम छोटे थे, बच्चे थे, यार हम जानवरों से प्रभावित रहते थे. जानवर हमें हंसाते थे, हम उनके साथ मुस्कुराते थे. वो हमें बहुत आनंद देते थे! और एक समय ऐसा था जब हम भी उन्हें खुश देखने के लिए कुछ भी करने को तैयार रहते थे. उन्हें क्रूरता से बचाने के लिए! या कम से कम उन पर होने वाले अत्याचार को हम स्वीकार करते थे, नकारते नहीं थे. मेरा मतलब है जब हम बच्चे थे अगर हमारे सामने कोई किसी जानवर को तंग करता था, तो हम चीखते या रोते थे. क्योंकि तब हम जानवरों के प्रति सही और गलत व्यव्हार के बीच का अंतर समझते थे. उसके बाद हमें कुछ और सिखाया गया. आप इस बात को मानिये की किसी ने आपको सिखाया होगा जानवरों की पीड़ा को अनदेखा करना चाहिए! उनका जीवन, दर्द और तकलीफ मजाक का विषय हैं. उनका अस्तित्व एक मजाक है. आज आप इस बात पर अपना ध्यान केन्द्रित कीजिये - आज, कल और भविष्य में...... हम इतना कैसे बदल गए बचपन से आज तक? हमें किसने सिखाया इतना नीच, बुरा और घृणास्पद होना? और जानवर जो हमारे दोस्त हुआ करते थे उनसे उदासीन कैसे हो गए हम? वो तो निर्दोष प्राणी हैं जिन्होंने हमारा कुछ भी नहीं बिगाड़ा है!! मुझे यकीन है की एक बात पर तो हम सब अभी सहमत हो सकते हैं ... घृणा, एक सीखा हुआ व्यवहार है. कोई अपने दिल मैं इसे ले कर पैदा नहीं होता. नस्लवाद. लींगवाद. समलैंगिकवाद. यहूदियों से नफरत, जाति से द्वेष ... ये सब हमें सिखाया जाता है! जब बच्चे दो, तीन, चार वर्ष के होते हैं, मैदान में खेल रहे होते हैं, तो उन्हें अपने मित्रों के धर्म या उनकी त्वचा के रंग से कोई मतलब नहीं होता मुझे इस बात में कोई संदेह नहीं है की नफ़रत करना हमें सिखाया जाता है प्रजाति वाद भी ऐसी ही चीज़ है. बहुत से लोगों के लिए ये एक नया शब्द है, यह यहाँ स्क्रीन पर शब्द "वीगन" से नीचे है, यहाँ " प्रजाति " शब्द के साथ " वाद " को जोड़ा गया है, और मैं इस शब्द का " अनैतिकता से सम्पूर्ण सोच " की परिभाषा के रूप मैं प्रयोग करूंगा , अनैतिक सोच के अनुसार मनुष्य को अन्य प्रजातियों की हत्या करने और उनका फायदा लेने का पूरा अधिकार है. और वो इसलिए की हम अपनी प्रजाति को बहुत ख़ास मानते हैं, मनुष्य अन्य प्रजातियों की तुलना मैं अपने को अत्यंत श्रेष्ट समझता है, और ये सोचता है की बस हम ही हैं जो किसी गिनती मैं आते हैं - " एको अहम् द्वितीयो नास्ति " . आप ही बताइए क्या मैं गलत कह रहा हूँ? इस प्रकार की सोच, भेदभाव के सभी रूपों का आधार है. एक गुट का यह कहना की वो सबसे बढ़ कर है या विशेष है, उसके उपरांत औरों का शोषण करना, उन पर अत्याचार करना और उनकी स्वंतन्त्रता को नष्ट करना. अक्सर उन्हें संपत्ति समझना और अपना गुलाम बना कर रखना, उनकी जान बूझ कर हत्या करना और इसके लिए कोई दंड नहीं भुगतना. भेदभाव के बारे में एक बात समझना आवश्यक है! किसी भी प्रकार का भेदभाव गलत है और ये सोचना ठीक नहीं की किस प्रकार के भेदभाव का विरोध करना चाहिए और किसका नहीं ..... और किस प्रकार का भेदभाव बुरा होता है - नस्लवाद? और किस प्रकार का भेदभाव सही है - प्रजाति वाद? भेदभाव की तो नींव ही या तो गलत है या फिर सही है. इसमें दो मत नहीं हो सकते हैं ... अब मैं आपसे सहानुभूति की प्रार्थना करता हूँ. और जब मैं सहानुभूति मांगता हूँ तो यह कहता हूँ: " आप अपने आप को जानवरों की जगह रख कर देखिये " ,
"ihr weißen geht in die kirche und sprecht über gott. wir tanzen im tempel und werden zu gott." und weil du besessen bist, wirst du von dem geist eingenommen.
"तुम गोरे लोग गिरिजाघर में जाकर भगवान के बारे में बात करते हो ।" हम मंदिर में नाचते हैं और भगवान बन जाते हैं । चूंकि आप आत्माग्रस्त होते हैं इसलिए आपको हानि कैसे पहुंच सकती है? तो आप ये अद्भुत प्रदर्शन देख सकते हैं । जादू-टोने के अनुचर को समाधि लेते हुए, जलते हुए कोयले के साथ सरलता से प्रयोग करते हुए, यह दिमाग की एक अद्भुत क्षमता का प्रदर्शन है जिससे प्रभावित होने वाले शरीर के अत्यधिक उत्तेजित होने के कारण उस पर प्रतिकूल स्थितियों का प्रभाव नहीं हो पाता है । अब तक मैं जितने भी लोगों के साथ रहा हूं उनमें से सर्वाधिक असाधारण लोग उत्तरी कोलंबिया के सिएरा नोवादा दे सांता मार्टा के कोगी होते हैं । प्राचीन कठोर सभ्यता के वंशज जो किसी समय आक्रमण के दृष्टिकोण से कोलंबिया के कैरेबियन तटीय समतल भूभागों में बसे हुए थे; ये लोग एक वीरान ज्वालामुखी पर्वत श्रृंखला में घुस गए जो कैरिबियन तटीय भूभाग के ऊपर दिखाई देती थी । खून खराबे से भरे इस महाद्वीप में, केवल यही लोग थे जिन पर स्पेन को कभी भी विजय प्राप्त नहीं हुई । आज तक भी एक पुरोहित ही उन पर शासन कर रहा है, परन्तु पुरोहित के लिए उनकी प्रशिक्षण विधि बहुत असाधारण है । धर्म के युवा अनुचरों को तीन या चार वर्ष ही आयु में ही उनके परिवार से अलग कर उन्हें 18 वर्षों तक बर्फीली चट्टानों में बने पत्थर के झोपड़ों में अंधकार में रखा जाता है । नौ महीनों की दो अवधियां जान-बूझकर चुनी जाती हैं क्योंकि ये गर्भधारण के नौ महीनों के समान दर्शायी जाती हैं । जिस दौरान वे नौ महीनों तक प्राकृतिक तौर पर मां के गर्भ में रहते हैं और अब वे एक तरह से महान धरती माता के गर्भ में रहते हैं । इस संपूर्ण अवधि में उनके भीतर जीवन के अच्छी बातें भरी जाती हैं, वे बातें जिनसे यह कथित होता है कि उनकी इन्हीं बातों पर ही यह संसार टिका हुआ है या हम यूं कहें कि पर्यावरण इन्हीं पर संतुलित हो रखा है । इस अद्भुत दीक्षा के बाद, अचानक एक दिन उन्हें बाहर निकाला जाता है और 18 वर्ष की आयु के पश्चात वे अपने जीवन को पहली बार सूर्योदय के दर्शन करते हैं और इस जागरूकता के स्वच्छ क्षणों में सूर्य की पहली किरण हैरान करने वाले खूबसूरत प्राकृतिक नजारों में ढालानों पर अपनी छटा बिखेरती है, उन्होंने अब तक जो कुछ भी शिक्षा ग्रहण की होती है, वह अचानक ही उन्हें चौका देती है । अब पुरोहित पीछे हटकर कहता है