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resolved conflicted state of %1.
% 1 के विरोधाभास स्थिति को ठीक किया.
마지막 업데이트: 2018-12-24
사용 빈도: 3
품질:
mark selected conflicted files as resolved
चिह्नित चयनित फ़ाइल जैसे
마지막 업데이트: 2020-05-24
사용 빈도: 9
품질:
skip the current conflicted commit and continue
वर्तमान फ़ाइल एक भिन्न नाम से सहेजें
마지막 업데이트: 2020-05-24
사용 빈도: 4
품질:
this extension failed to modify a network request because the modification conflicted with another extension .
यह एक्सटेंशन , नेटवर्क अनुरोध संशोधित करने में विफल रहा क्योंकि संशोधन का अन्य एक्सटेंशन के साथ विरोध हुआ .
마지막 업데이트: 2020-05-24
사용 빈도: 1
품질:
this extension failed to modify the request header “ % ” of a network request because the modification conflicted with another extension .
यह एक्सटेंशन किसी नेटवर्क अनुरोध के अनुरोध शीर्षलेख “ % ” को बदलने में विफल रहा क्योंकि बदलाव का एक अन्य एक्सटेंशन के साथ विरोध हुआ था .
마지막 업데이트: 2020-05-24
사용 빈도: 1
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harishchandra had trodden on the corns of quite a few people , especially those who blindly carried out the orders of the british officials , whether these orders suited national interests , or conflicted with the propagation of hindi .
हरिश्चन्द्र ने बहुत लोगों को नाराज किया था , खासकर ऐसे लोगों को जो अँग्रेज़ अधिकारियों के हुक्म का आँख मूंदकर पालन करते थे , चाहे वह हुक्म देशहित के या हिन्दी के प्रचार के विरुद्ध ही क्यों न हो ?
마지막 업데이트: 2024-04-24
사용 빈도: 1
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for instance [mahatmas] in the parking are not able to attend any of the satsangs, in many of the programs yet in those programs... despite that they also do a lot of penance and sometimes mahatmas get them all agitated regarding the car park they tell them, "we will park our car here and leave, what will you do?" hey help in the arrangements made... now they are conflicted the mahatmas have their own difficulties and the other mahatmas [in] parking seva have their difficulties so at what stage... which prakruti comes into conflict and the garbage arises [it could happen] while forming lines during meal times
"हम यहीं पार्क करके चले जाएँगे, आप क्या कर लेंगे? " अरे, भाई व्यवस्था में हेल्प कीजिये ना ! अब वे लोग बेचारे... महात्माओं की अपनी परेशानी होती है उन पार्किंगवाले लोगों को अपनी परेशानी होती है यानी किसी भी स्टेज पर प्रकृति टकरा जाती है और कचरे खड़े हो जाते हैं खाना खाने की लाइन में और दर्शन की लाइन में और कहाँ-कहाँ, कौन सी जगहों पर कचरा निकले उसका भरोसा नहीं है यानी क्या है कि बारिश होते ही निमित्त मिलते हैं और ये कचरे उग जाते हैं तो ऐसे सभी कचरों को आज आप चुन-चुनकर खोज निकालो और हम ऐसा तय करेंगे इसके दो भाग हैं सेवा करनेवालों को ऐसी भावना करनी है कि महात्माओं को कोई तकलीफ नहीं हो बहुत प्रेम से, सभी प्रकार से अपनेआप को बलिदान कर देंगे लेकिन उन लोगों को, दादा के महात्माओं को सभी सुविधाएँ देंगे सेवार्थियों को ऐसी भावना रखनी है और जो सेवा लेनेवाले हैं उन्हें ऐसी भावना रखनी है कि आप चाहे कैसे भी एडजस्टमेन्ट लेने के लिए कहेंगे, हम हर तरह से तैयार हैं आपको कोई परेशानी नहीं होने देंगे हमारी तरफ से कोई शिकायत होगी ही नहीं हम एडजस्ट कर लेंगे अगर कहे कि एक कमरे में 35 लोगों को रहना है तो येस, हम आ जाएँगे वे लोग ऐसे मूर्ख नहीं है कि 20 लोगों की जगह में 40 लोगों को डाल दें वे लोग हित का ही सोच रहे हैं फिर भी अगर मुश्किल पड़े तो वे लोग एडजस्टमेन्ट लेने को कहें तो हमें, सेवा लेनेवालों को स्वीकार कर लेना चाहिए सेवा करनेवालों को सभी तरह से ध्यान रखना है और सेवा लेनेवालों को हर तरह से एडजस्ट हो जाना है जैसे छोटा बच्चा हो, तो माँ हर तरह से उसका ध्यान रखना चाहती है लेकिन फिर भी अगर बच्चा एडजस्ट होता रहे तो कितनी अच्छी तरह से सब चलता रहता है वैसे ही सेवा लेनेवाले और सेवा देनेवालों के बीच हम ऐसी ही सुंदर अभेदता और प्रेम रखना चाहते हैं एक-दूसरे को कोई शिकायत ही नहीं हो और सालों से अच्छा इम्प्रूवमेन्ट, हर साल हो ही रहा है और वास्तव में बहुत अच्छा हो गया है फिर भी अगर 2-5 प्रतिशत बचा है तो आज हम देखेंगे(सामायिक में) कि हमारी सेवा लेनेवालों के तौर पर कुछ गलती हुई है सेवा देनेवालों के तौर पर कुछ गलती हो गई है तो उसे सुधार लेंगे और निश्चय करेंगे क्योंकि हम कर्मफल को समझते हैं व्यवहार खराब हो गया उसे कर्मफल मानते हैं उसमें किसी को भी दोषित नहीं मानते अंदर हमें भाव सुधारने हैं, समझ सुधारनी है अभिप्राय बदल डालो और जो दोष हो गए हैं उनके प्रतिक्रमण-प्रत्याख्यान करो कि ऐसे दोष फिर से नहीं होने देने हैं तो बहुत फर्क पड़ेगा और भविष्य में ज्ञान लेनेवाले हमें देखकर सीखेंगे तो उन पर हमारा ऐसा प्रभाव पड़ना चाहिए कि हमारे दादा का प्रभाव उन पर पड़ेगा जितना हम प्योरिटी कषाय रहित व्यवहार, शुद्ध प्रेमवाले, अभेदता, लघुत्तम भाव इन सभी का जगत् पर पड़ता ही है लोगों पर इम्प्रेशन पड़ता ही है और उससे हम देखते हैं कि कितनी ज़्यादा एक महीने में दस हज़ार, पंद्रह हज़ार, बीस हज़ार लोग ज्ञान ले रहे हैं हर साल ज्ञान प्राप्त करके महात्मा बढ़ रहे हैं इतना बड़ा प्रवाह आ रहा है हम सारे महात्मा तो होस्ट यानी अभी तो ये सब महात्मा सेवा ले रहे हैं लेकिन भविष्य में आप सभी का सेवा देने का वक्त आएगा और पूरी दुनिया के लोगों का सेवा लेने का समय आएगा ऐसा आपको तैयार हो जाना है और यह बढ़ रहा है, अनेकगुना बढ़ रहा है कितना बढ़कर, कहाँ तक पहुँचेगा, कुछ पता नहीं है ऐसा लग रहा है कि अगले साल पर्यूषण के लिए यह हॉल छोटा पड़ेगा इसलिए अब सोच रहे हैं कि क्या करना चाहिए सभी बड़े-बड़े प्रोग्रामों का आयोजन सब सोच रहे हैं कि बड़े प्रोग्राम का आयोजन किस तरह किया जाए लेकिन अगर हम एक-दूसरे को सहयोग देंगे तभी आनंद बढ़ेगा और सेवा करनेवाले सभी महात्माओं का भी आनंद बढ़ेगा उनका इंटरेस्ट बढ़ जाएगा कि कैसे ज़्यादा हेल्प की जाए और सेवा लेनेवाले भी इस तरह रहना कि एक-दूसरे के पूरक बनकर रहेंगे तो आज अभी विधि करेंगे और प्रतिक्रमण करेंगे दिल से, भाव से एक-एक दोष को चुन-चुन कर साफ करेंगे और अपनी अभेदता अभेद दृष्टि और लघुत्तम भाव, उसी ध्येय के साथ हमें इस फाउन्डेशन के महात्मा के तौर पर, हमें उसी स्वरूप बनना है उस ध्येय स्वरूप, ऐसी जागृति के साथ पूरी सामायिक करेंगे अभी विधि करेंगे और फिर सामायिक करेंगे मैं भी बैठनेवाला हूँ मुझे भी सामायिक करनी है यूँ तो चलता रहता है लेकिन यह ज्यादा करना है स्पेशल! सभी साथ में बैठेंगे बोलिए हे दादा भगवान हे सीमंधर स्वामी प्रभु हे नीरू माँ, आप यहाँ पधारिए हम सभी महात्माओं के हृदय में विराजमान हो जाइए
마지막 업데이트: 2019-07-06
사용 빈도: 4
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