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mithi leem
pad
마지막 업데이트: 2018-04-11
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vani app
वाणी ऐप
마지막 업데이트: 2022-05-28
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madhur vani
human contribution
마지막 업데이트: 2019-01-03
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yehe bahoot mithi hoti
गाजर सेहत के लिए अच्छी होती है
마지막 업데이트: 2021-08-30
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koyal ki awaz mithi haiko
koyal ki awaz mithi hai
마지막 업데이트: 2019-03-16
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pyari aur mithi purani yaaden
마지막 업데이트: 2021-03-05
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vani che mahtva
वाणी चे mahtva
마지막 업데이트: 2016-07-12
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kya koyal do baje se mithi ghit ga rahi hai
kya koyal do baje se mithi ghit ga rahi hai
마지막 업데이트: 2023-02-06
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vani aaj apne kaam kiya
vani aaj apne kaam kiya
마지막 업데이트: 2021-04-24
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my mother name is vani
my father name is shankar reddy
마지막 업데이트: 2022-07-21
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slogan in sanskrit on vani
वाणी पर संस्कृत में नारा
마지막 업데이트: 2016-04-28
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paragraph on meethi vani in hindi
हिंदी में मीठी वाणी पर पैरा
마지막 업데이트: 2016-07-27
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a detailed programme schedule is displayed on the mukta vidya vani web page .
मुक्त विद्या वाणी वेब पृष्ठ पर एक विस्तृत कार्यक्रम योजना दर्शाई गयी है ।
마지막 업데이트: 2020-05-24
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vani of a whimsical mind wonders about the unfortunate murder of adnan and writes:
ऐसी क्या वजहें होती है जो किशोरों को इंटरनेट पर अजनबियों से मिलने को ललचाती हैं?
마지막 업데이트: 2016-02-24
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three small rivers namely , dahisar , poisar and ohiwada run through the park whereas , the mithi river originates from the tulsi lake and takes in excess water from the vihar and powai lakes .
तीन छोटी नदियां दहिसर पोइसर एवं ओहिवाड़ा उद्यान के भीतर से निकलतीं हैं जबकि मीठी नदी तुलसी झील से निकलती है और विहार व पोवई झीलों का बढ़ा हुआ जल ले लेती है ।
마지막 업데이트: 2020-05-24
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let's do [samayik] on speech (vani). related to speech... all our speech, what kind of speech do we have [in interactions] with other individuals?
हम वाणी पर सामायिक करेंगे वाणी पर... वाणी सब कैसी बोलते हैं व्यक्तियों के साथ उसके पीछे हमारे क्या अभिप्राय हैं - उन्हें पकड़ो सुबह व्यक्ति के बारे में तो सामायिक की अब वाणी पर करेंगे कि गलत वाणी, नेगेटिव वाणी बोलते रहते हों तो नेगेटिव अभिप्राय है ही और अगर नेगेटिव अभिप्राय है तो हमारे अहंकार को ठेस लगी है हमारी बुद्धि नेगेटिव क्यों हो जाती है? अगर मैं अपनेआप को अच्छा मानता हूँ, और कोई मुझे अच्छा कहे तो मुझे नेगेटिव नहीं होगा - पॉज़िटिव होगा और अगर कहे कि आप खराब हो, तो उसके लिए नेगेटिव होता है यानी मेरे अहंकार की वजह से मुझे वह गलत दिखता है मेरे अहंकार को पोषण मिले तो वह अच्छा और अगर पोषण न मिले तो खराब यानी मैं सामनेवाले के लिए अभिप्राय कब दे देता हूँ, जब मेरे अहंकार को पोषण मिले तब यानी अंत में यह सब अहंकार को पहुँचता है अगर मान मिले तो पॉज़िटिव अभिप्राय, अपमान मिले तो नेगेटिव अभिप्राय यानी सामनेवाले के लिए जो अभिप्राय है - उसके मूल कारण हमारे खुद के ही है अगर मैं आत्मा हूँ तो मुझे मान की अपेक्षा नहीं रहनी चाहिए है और अपमान का दुःख भी नहीं रहना चाहिए यानी मैं उस पद में रहना चाहता हूँ कि चाहे दीपक पर कुछ भी आएँ, मुझे उसके निमित्त से किसी के लिए नेगेटिव या पॉज़िटिव अभिप्राय रखने की ज़रूरत नहीं है यह व्यक्ति मुझे समझ सकता है इसलिए वह मेरा अपना है और यह समझ नहीं सकता इसलिए वह पराया है मेरी बुद्धि ऐसा भेद कब करेगी? जब मैं अहंकार में ही रहूँगा तब यानी हम उस जागृति में रहना चाहते हैं और उसके आधार पर नेगेटिव अभिप्राय और बाद में वाणी भी नेगेटिव निकलती है फिर अगर उसके बारे में कोई बात चले न तो... वह इंसान? तुरंत भाव बिगड़ जाते हैं, या द्वेष हो जाता है या गलत शब्द निकल जाते हैं और गलत शब्द निकले न, तो इसका मतलब कि अभिप्राय कितने गाढ़ हो गए हैं हमें इसे साफ करना ही है किसी के भी लिए... दादा कहते हैं न कि स्याद्वाद वाणी, स्यादवाद वर्तन, स्याद्वाद मनन एक शब्द (ऐसा नहीं बोलना चाहिए), किसी का अहम् न दूभे एक शब्द, किसी भी धर्म का प्रमाण न दूभे किसी व्यक्ति की बिलीफ को दूभाना नहीं चाहिए वह उसकी मान्यता है, हम उसे दूभाना नहीं चाहते उसका व्यू पोइन्ट है, उसकी डिग्री पर से वह सत्य है अपनी डिग्री से वह सत्य नहीं है तो हमारी डिग्री हमारे पास, और उसकी डिग्री उसके पास विरोध करें और गलतियाँ निकालें, ऐसा हम नहीं करना चाहते लेकिन ऐसा कब होता है? अगर हम ज्ञान की जागृति में रहेंगे तो हमें उसका व्यवहार गलत नहीं लगेगा यानी हम ऐसी दृष्टि लाना चाहते हैं कि, किसी भी व्यक्ति के लिए अगर गलत वाणी बोलें तो उसे देखो हमारे मोह को पोषण दे, हमारे मान को पोषण दे, हमारी धारणा के अनुसार करे, हमारे लोभ को पोषण दे वहाँ सब पॉज़िटिव और पोषण न मिले तो नेगेटिव मूल में अगर अहंकार को पोषण मिले तो पॉज़िटिव और न मिले तो नेगेटिव हमारा मोह हो कि हमें ऐसा चाहिए और अगर मिल जाए तो अच्छे व्यक्ति है, अच्छे व्यक्ति है और अगर ना दे तो खराब व्यक्ति है, खराब व्यक्ति है लेकिन हमें खराब क्यों दिखता है? किसी भी प्रकार की नेगेटिव वाणी क्यों निकली? क्योंकि हमारे मोह को पोषण नहीं मिला अगर हम मोह का भागाकार कर देंगे तो व्यक्तियों के प्रति नेगेटिविटी खत्म हो जाएगी फिर गलत वाणी भी नहीं निकलेगी यानी वाणी पर से अभिप्राय पकड़ो अभिप्राय पर से अपनी बिलीफों को पकड़ो फिर बिलीफ पर से जागृति में आओ और इन बिलीफों का विलय करके निकाल करो यह "मैं" पने की बिलीफों के कारण बुद्धि उत्पन्न हुई है और बुद्धि से नेगेटिविटी उत्पन्न होती है और फिर गलत वाणी निकलती है यह तो हम पूरा ट्रेक बता रहे हैं, लेकिन आज हम बच्चों के लिए गलत वाणी पति के लिए गलत वाणी, सेवार्थियों के लिए गलत वाणी, पड़ोसियों के लिए गलत वाणी कहाँ-कहाँ उल्टा बोल देते हैं? और जब मैं अपनेआप को आई एम समथिंग ग्रेट मानूँ, ग्रेटर, ग्रेटेस्ट तो फिर दूसरों के बारे में गलत ही बोलता रहूँगा अगर मैं दूसरों के बारे में गलत बोलूँगा तभी श्रेष्ठ माना जाऊँगा न यह नेगेटिव वाणी का हेतु क्या है? इसके पीछे, मैं खुद को श्रेष्ठ मनवाना चाहता हूँ अगर उसे हीन मानूँगा तो ही मैं ऊपर उठ सकुँगा यानी यह एक प्रकार का मान है, और उस मान के कारण गलत वाणी निकलती ही रहती है इसलिए हमें ऐसी गलत वाणी... मन, वचन, काया से किसी जीव को दुःख ही ना हो ऐसी वाणी होनी चाहिए या फिर हमारी जागृति ऐसी होनी चाहिए कि उनकी बिलीफ न टूटे और कभी न कभी धीरे-धीरे इसे समझकर इसे हम कब पहचान सकेंगे कि हम जो वाणी बोले वह किसी को दुःखदायी हो ऐसी है?
마지막 업데이트: 2019-07-06
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