인적 번역의 예문에서 번역 방법 학습 시도.
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bisakah kamu beritahu aku?
क्या मुझे बता सकती हो?
마지막 업데이트: 2017-10-13
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tidak bisakah kamu bangun?
क्या तुम उठ नहीं सकते हो?
마지막 업데이트: 2017-10-13
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bisakah kamu menelepon lagi nanti?
can you call back later?
마지막 업데이트: 2020-02-12
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bisakah kamu menggunakan bahasa inggris
क्या आप अंग्रेजी का उपयोग कर सकते हैं
마지막 업데이트: 2024-06-14
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kau melepaskanku dan memberiku uang, akan kukejar dia.
लेकिन अगर आप मुझे जाने के लिए और मेरे शुल्क, भुगतान मैं अपने गधे नीचे शिकार होगा चलो.
마지막 업데이트: 2017-10-13
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memberi uang ?
आप एक शुल्क का भुगतान?
마지막 업데이트: 2017-10-13
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mereka senang sekali dan berjanji untuk memberikan uang kepadanya
वे आनन्दित हुए, और उसे रूपये देने का वचन दिया।
마지막 업데이트: 2019-08-09
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dan taatilah allah dan rasul, supaya kamu diberi rahmat.
और अल्लाह और रसूल के आज्ञाकारी बनो, ताकि तुमपर दया की जाए
마지막 업데이트: 2014-07-03
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yoyakhin tidak lagi memakai pakaian penjara dan biasanya makan di istana serta diberi uang untuk keperluan hidupnya
और उसके बन्दीगृह के वस्त्रा बदल दिए और उस ने जीवन भर नित्य राजा के सम्मुख भोजन किया।
마지막 업데이트: 2019-08-09
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apabila seseorang melarikan diri ke salah satu kota suaka, janganlah mengizinkan dia memberi uang supaya diperbolehkan pulang ke rumahnya sebelum imam agung meninggal
और जो किसी शरणस्थान में भागा हो उसके लिये भी इस मतलब से जुरमाना न लेना, कि वह याजक के मरने से पहिले फिर अपने देश मे रहने को लौटने पाएं।
마지막 업데이트: 2019-08-09
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dan dirikanlah sembahyang, tunaikanlah zakat, dan taatlah kepada rasul, supaya kamu diberi rahmat.
और (ऐ ईमानदारों) नमाज़ पाबन्दी से पढ़ा करो और ज़कात दिया करो और (दिल से) रसूल की इताअत करो ताकि तुम पर रहम किया जाए
마지막 업데이트: 2014-07-03
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"dapatkah kamu memberikan aku sedikit?" jadi pertanyaannya adalah: apa yang akan diberikan bayi kepadanya, apakah yang disukainya atau yang disukai bayi-bayi?
"थोडा सा मुझे भी दो ना!" तो सवाल ये था कि बच्चे उसे क्या देंगे, वो जो उसे पसंद है, या वो जो उसे नापसंद है? और ग़जब की बात ये है कि १८ महीने के बच्चे, जो ठीक से चल बोल भी नही पाते, उसे बिस्कुट देते थे, अगर उसे बिस्कुट पसंद थे, और गोभी देते थे अगर उसे गोभी पसंद थी। साथ ही, १५ महीने के बच्चे उस की तरफ़ देर तक टकटकी लगाये रहते थे अगर उसने गोभी पसंद करने की एक्टिंग की थी, जैसे उन्हें समझ नहीं आ रहा हो क्यों मगर थोडी देर तक एकटक देखने के बाद, वो उसे बिस्कुट ही देते थे, जो उन्हें लगता कि सबको पसंद होता होगा। इस प्रयोग में दो बातें बेहद ज़रूरी हैं। पहली ये कि इन छोटे छोटे १८ महीने के बच्चों ने समझ लिया है इंसानी प्रकृति के इस गूढ रहस्य को कि सब लोगों को एक ही चीज़ अच्छी नहीं लगती। खास बात ये है कि उन्हें लगा कि उन्हें वो ही करना चाहिये जो दूसरों को उनकी मनचाही चीज़ पाने में मदद करे। इस से भी खास बात है १५ महीने के बच्चों का ऐसा नहीं करना ये दिखाता है कि १८ महीने के बच्चों ने इतना गूढ, जटिल रहस्य केवल पिछ्ले तीन महीनों में सीखा था। तो बच्चे कहीं ज्यादा जानते और सीखते हैं हमारी आशा के मुकाबले। और पिछले बीस साल में हुये कई हज़ारों प्रयोगों ने इस बात को दर्शाया है। हाँ ये प्रश्न ज़रूर उठता है कि: बच्चे इतना क्यों सीखते हैं? और उनके लिये इतना सीखना संभव कैसे है, वो भी इतने कम समय में? मेरा मतलब है कि, अगर आप बच्चों को ऊपर-ऊपर से देखें तो वो किसी काम के लायक नहीं लगते। और असल में, वो उस से भी बदतर होते हैं क्योंके उल्टे उनमें इतना सारा समय और ताकत लगानी पडती है बस उन्हें जीवित भर रख पाने में। मगर यदि हम विकास के क्रम में इस पहेली का जवाब ढूँढें कि क्यों हम इतना समय इन बेकार बच्चों को पालने में लगाते हैं, तो उसका उत्तर मिलता है। यदि हम तमाम सारे जीवों पर नज़र दौडायें, न सिर्फ़ मानवो पर ही, मगर बाकी स्तनधारियों, चिडियों धानी प्राणियों पर (जो बच्चों को थैली में रखते हैं) जैसे कि कंगारू, एक संबंध दिखता है: इसमें कि एक जीव का बचपन कितना लंबा है और इसमें कि उनका दिमाग उनके शरीर की तुलना में कितना बडा है और वो कितने बुद्धिमान और लोचदार हैं। और सबसे आगे हैं पक्षी। एक तरफ तो ये न्यू कैलेडोनियन कौआ है। और कौए और उसके जैसे जीव, रेवन, रूक्स वगैरह बहुत ज्यादा बुद्धिमान होते हैं। कुछ मायनों में तो वो चिम्पान्ज़ी जितने बुद्धिमान होते हैं। और ये चिडिया जो साइंस के कवर पेज पर है, और जो औजार इस्तेमाल कर के भोजन पाना सीख चुकी है। दूसरी तरफ़, हमारा घरेलू चिकन है। और मुर्गे, बतख, और गीस और टर्की बहुत ज्यादा बेवकूफ़ जीव होते हैं। वो अनाज का दाना ढूँढने में माहिर होते हैं, लेकिन उस से ज्यादा कुछ कर नहीं पाते। और असल में कौओं के बच्चे, पूरी तरह नाकारा होते हैं। वो अपनी माँ पर पूरी तरह निर्भर होते है उनकी छोटी छोटी चोंचों में कीडे डालने के लिये लगभग जन्म के दो साल तक, जो कि एक चिडिया के जीवन में बहुत लम्बा समय है। जबकि मुर्गे बडे हो जाते हैं जन्म के कुछ ही महीनों में। तो बचपन की लंबाई ही कारण है कि कौए साइस के कवर पेज पर हैं और चिकन सूप के कटोरे में। लम्बे बचपन में कुछ तो है जो इसे जोडता है ज्ञान और सीखने की क्षमता से। अब इस को कैसे समझा जाये? कुछ जानवर जैसे कि चिकन, बहुत उपयुक्त हैं, सिर्फ़ एक काम को ढँग से करने में। तो चिकन पूरी तरह माहिर हैं किसी एक तरह के स्थितियों में अनाज ढूँढने में। दूसर जीव जैसे कि कौए, किसी भी काम को पूरी कुशलता से करना नहीं जानते, मगर वो बहुत अच्छे है नयी स्थितियों के नियम सीखने में। और हम मनुष्य तो कौओं वगैरह से बहुत आगे निकल आये हैं। हमारा दिमाग से हमारे शरीर का अनुपात बडा है किसी भी दूसरे जानवर के मुकाबले। हम ज्यादा बुद्धिमान है, हम ढलना जानते हैं, हम ज्यादा सीख सकते है, और हम ज्यादा तरह के पर्यावरणों में जीवित रह सकते है, हम सारी दुनिया में फ़ैले हुए हैं और अंतरिक्ष तक भी पहुँच गये हैं। लेकिन हमारे बच्चे हम पर ही निर्भर रहते हैं किसी भी दूसरे जीव के बच्चों से ज्यादा लम्बे समय तक। मेरा बेटा २३ साल का है। ठहाका और कम से कम जब तक वो २३ साल के नहीं हो जाते, हम कीडे पहुँचाते रहते हैं उनकी छोटी छोटी चोंचों में। तो, हमें ये संबंध क्यों दिखता है? एक आयडिया ये है कि युक्ति लगाना, और इसे सीखना इस दुनिया में जीने के लिये बहुत बहुत ज़रूरी है मगर उस का एक बडा नुकसान है। और वो नुकसान ये है कि जब तक आप सब कुछ सीख नहीं लेते, आप दूसरों पर निर्भर रहेंगे। तो आप नहीं चाहेंगे कि जब कोई हाथी आपको दौडा रहा हो, तो आप खुद से कह रहे हों,
마지막 업데이트: 2019-07-06
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