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would you please lend me 5000 rupees only

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Английский

would you please lend me your car

Хинди

could you please lend me your car

Последнее обновление: 2022-05-02
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would you please call me

Хинди

क्या आप कृपया मुझे कॉल करेंगे

Последнее обновление: 2021-06-24
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would you please listen to me

Хинди

कृपया मुझे अपनी पुस्तक अर्थ हिंदी में उधार दें

Последнее обновление: 2021-02-25
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would you please tell me your name?

Хинди

क्या तुम मुझे अपना नाम बताओगी?

Последнее обновление: 2023-11-29
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would you please give me your notebook

Хинди

क्या आप मुझे अपनी नोटबुक दे सकते हैं

Последнее обновление: 2022-08-20
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would you please share

Хинди

क्या आप कृपया साझा कर सकते हैं?

Последнее обновление: 2021-11-11
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would you please shut up?

Хинди

तुम चुप सकते हैं?

Последнее обновление: 2017-10-12
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would you please add me in whatsapp group

Хинди

कृपया मुझे समूह में जोड़ें

Последнее обновление: 2023-10-19
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would you please sing a song

Хинди

क्या आप कृपया एक गाना गाएंगे

Последнее обновление: 2024-02-06
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would you please explain the rules to me ?

Хинди

आप मुझे नियम समझा सकते हैं क्या ?

Последнее обновление: 2020-05-24
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can you please lend me your sunglasses?

Хинди

Последнее обновление: 2024-05-06
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please lend me none book

Хинди

कृपया मुझे कुछ किताब उधार दें

Последнее обновление: 2021-12-29
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please lend me some money

Хинди

कृपया मुझे कुछ पैसे उधार दें

Последнее обновление: 2021-12-30
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Английский

would you please call off our trip to hong kong ?

Хинди

हमारी हाँग काँग की ट्रिप को कैनसल कर दोगे क्या ?

Последнее обновление: 2020-05-24
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please lend me your book meaning in hindi

Хинди

please lend me your book meaning in hindi.

Последнее обновление: 2022-04-19
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would you live with ease, do what you ought, and not what you please

Хинди

हिंदी में विचारों के बारे में अनुशासन

Последнее обновление: 2015-02-04
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Английский

please lends me your book

Хинди

कृपया मुझे अपनी पुस्तक उधार दें

Последнее обновление: 2020-04-13
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my lord , if you care to fulfil my heart ' s desire , please lend me some of your bows and arrows .

Хинди

महाराज , यदि आप मेरी इच्छा पूरी करना चाहते हैं तो हमें अपने कुछ धनुष - बाण दीजिए ।

Последнее обновление: 2020-05-24
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q: sir, we would like to know as much as we can about you... before we start these dialogues. would you please tell us... where we are and who you are... and how you came to participate... with mr. krishnamurti in his teachings.

Хинди

प्रश्न: महोदय, इससे पहले कि यह चर्चा शुरू हो... हम आपके बारे में ज्यादा से ज्यादा जानना चाहेंगे... क्या आप हमें बताएँगे... कि हम इस वक्त कहाँ हैं और आप का परिचय क्या है? और कैसे आप यहाँ ... कृष्णमूर्ति की शिक्षाओं में सहभागी होने आए? बोह्म: हम यहाँ इंग्लॅण्ड में, हेम्पशायर के ब्रोकवूड पार्क में हैं... मै हूँ डेविड बोह्म, लंदन विश्वविद्यालय में सैद्धांतिक भौतिकी का प्राध्यापक... जहाँ तक मेरे यहाँ सम्मिलित होने का प्रश्न है... उसके लिए अपने कार्य के बारे में मुझे थोड़ा बताना होगा... मेरे सैद्धांतिक भौतिकी अध्ययन के दौरान... मैं हमेशा इस बात में रुचि रखता था... जिसे वह कहते हैं गूढ़ प्रश्न... समय, स्थान व पदार्थ का स्वरूप... कार्य कारणता, इस सब के पीछे क्या है, सर्वव्यापकता क्या है। सामान्यतः बहुत ही कम भौतिकशास्त्री... इन विषयों में रुचि रखते हैं ... जो भी हो, मैंने जितना हो सका इसे जानने की कोशिश की। जब हम ब्रिस्टोल पहुँचे 1957 में... वहाँ बहुत अच्छा सार्वजनिक पुस्तकालय था ... मैं और मेरी पत्नी वहाँ जाया करते थे... हमारी रुचि दर्शन शास्त्र और धर्म की पुस्तकों में जागी ... और हमने एक किताब उठाई, कृष्णमूर्ति की ... नाम था, फर्स्ट एंड लास्ट फ्रीडम, और मैंने वह पढ़ ली। मुझे वह अत्यंत दिलचस्प लगी ... खासकर इस लिए क्योंकि उसमे चर्चा थी दृष्टा एवं द्रश्य की। ये वह प्रश्न है जो सैद्धांतिक भौतिकी ... और क्वांटम-सिद्धांत में बहुत ही महत्वपूर्ण है... हेसनबर्ग ने इसे इस अर्थ में दर्शाया, कि पदार्थ के कण को जब देखा जाता है... तब द्रष्टा का उस पर क्या प्रभाव पड़ता है। साथ ही, कई अन्य सवाल भी वहां खड़े हो गए ... और मुझे यह सारी बात बहुत दिलचस्प लगी। मै कृष्णमूर्ति की जितनी भी किताबें मिल जाएं, सभी पढता हूँ, फिर, मैंने प्रकाशक को चिट्ठी लिखी कि वे कहाँ मिल सकते हैं .. आखिर मेरा संपर्क हुआ .. इंग्लॅण्ड में कृष्णमूर्ति संस्थान से ... और उन्होंने कहा कि वे आने वाले हैं... यह लगभग 1960 या '61 की बात है, ठीक से याद नहीं .. और मै उस समय वहाँ पहुँच गया। फिर,प्रवचनों को सुनने के दौरान... मैने संस्थान को एक और पत्र भेजा .. कि क्या मैं श्री कृष्णमूर्ति से... व्यक्तिशः मिल सकता हूँ .. और उन्होंने मुझे समय दिया। तब हम मिले और बातचीत हुई । मुझे लगता है उस वक्त मैंने उन्हें भौतिकी के विषय में मेरे विचार बताए .. जिसके उद्देश्य को उन्होंने सराहा । और फिर उसके बाद, हर बार, हर साल... जब भी कृष्णमूर्ति लन्दन आए तब हम मिले... एक बार या दो बार .. बाद में मैंने स्वित्ज़रलैंड में सानेन जाना शुरू किया .. और वहाँ हमारी ज्यादा मुलाकातें हुई। और अंत में, लगभग '66 या, '67 में एक योजना बनी .. एक विद्यालय कि स्थापना करनेकी ... जिसमें कृष्णमूर्ति ने मुझे सहभागी होने को कहा .. और धीरे धीरे यहाँ ब्रोकवूड पार्क में ... विद्यालय गठित हो गया... और मैं नियमित यहाँ आता हूँ। मैं संगठन का संरक्षक सदस्य हूँ .. जो कि विद्यालय के कामकाज के लिए जिम्मेदार है .. लोगों से चर्चा करने भी आता रहता हूँ .. और सम्मिलित होता रहता हूँ। हम चर्चा करते रहे हैं... उन प्रश्नों की जिन्हें आप उठते हुए देखेंगे इस चर्चा में । तो, दर असल इस तरह मैं यहाँ पहुँचा। प्रश्न : डॉ. शेनबर्ग। हम आपके बारे में जानना चाहेंगे। डॉ. शेनबर्ग: मैं मनोचिकित्सक हूँ न्यूयॉर्क शहर में। मैंने पहली बार कृष्णमूर्ति जी को पढ़ा और समझा... बहुत पहले 1949, '48, जब मैं ... लगभग 18 या 19 साल का था। कई घटनाओं की... श्रृंखला के प्रभाव से.. मेरे ख्याल में जिनमें मुख्यतः मेरे पिता थे... जो उस समय कृष्णमूर्ति को पढ़ा करते थे। एक बात यह भी थी कि मुझे बहुत रुचि थी... केरन होर्नी के मनोविश्लेषक सिद्धांतों में... और बादमें हेरॉल्ड केलमन के सिद्धांतों में... जिनका विकास लगभग समान दिशा में हो रहा था। उस समय... मुझे इस प्रश्न में... दिलचस्पी थी... कि दृष्टा ही दृश्य है। इसके अर्थ के या इसके भाव के बारेमें, मैं इतना ही कह सकता हूँ कि ... एक किस्म का अंदरूनी एहसास सा था ... कि यही वह दिशा प्रतीत होती है ... जिसमें मुझे आगे बढ़ना है। फिर मैं कॉलेज गया, चिकित्सा विद्यालय गया... मैने मनोचिकित्सा की शिक्षा ली, मैने तंत्रिकाविज्ञान की शिक्षा ली... मैने मनोविश्लेषण की शिक्षा ली। मुझे कई अलग अनुभव हुए । साथ ही साथ मैं श्री कृष्णमूर्ति को पढता रहा था... और चिंतन करता रहा था... फर्क समझने की कोशिश करता था... जो वे कह रहे थे और जो पश्चिमी मनोचिकित्साविज्ञान... या पश्चिमी मनोविज्ञान ने बताया था। मैं कहना चाहूँगा कि पिछले 5 या 6 सालों में... मुझे लगने लगा है कि ... यह समझने की शुरुआत हो गयी है कि कैसे अपने कार्य में मैं इसका उपयोग कर सकता हूँ ... और ज्यादातर प्रोत्साहन डॉ. बोह्म से मिलने के बाद मिला है जिन्होंने मेरे विचारों को इस दिशा में गतिशील किया है ... और मुझे महसूस होने लगा कि खास कर ... मनोचिकित्साविज्ञान में अब तक हम जिस तरह से सोचते आए हैं... यानी भीतरी विखंडन, बिखराव ... और उन खंडों के बीच जो रिश्ता है उसके बारे में हमारी जो अवधारणाएं रही हैं उनमें से... ज़्यादातर में... समग्र कर्म या समग्रता कि कोई समझ नहीं है... और इसी वजह से यह बिखराव पैदा होता है। इस कारण अक्सर मुझे ऐसा लगता था और लगता है, कि हमारी ज्यादातर अवधारणाएं ... टुकड़े कर के देखने से सम्बंधित है ... ऐसी ही समस्याएँ ... हमारे मरीज़ ले कर आते हैं। साथ ही, मुझे भी वही लगता है जैसे कि डॉ. बोह्म ने कहा... कि हम कभी सच्चे अर्थ में मनोचिकित्साविज्ञान के अंदर गहरे उतरे ही नहीं... श्री कृष्णमूर्ति के कार्यों ने... मुझे, समझने में मदद की है... कि दृष्टा और दृश्य के बीच का संबंध... चिकित्सक-मरीज़ के बीच कि स्थिती में बहुत अर्थपूर्ण है... हमारी जो अवधारणाएं हैं ... वे ही समस्याका एक भाग है... जैसे अंतरद्वंद्व से पीड़ित लोग हम हैं... वैसी ही द्वंद्व से भरी हमारी अवधारणाएं हैं... फिर हम इसका इलाज ढूंढ़ते हैं। यहाँ मुख्य बात जो मुझे लगता है .. इस बातचीत में निकलकर सामने आएगी...

Последнее обновление: 2019-07-06
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"all right," said jones with a stare and a snigger. "well, would you please, sir, march upstairs, where we can get a cab to carry your highness to the police-station?"

Хинди

"ठीक है" एक ताक और एक अल्पहास के साथ जोन्स ने कहा. "ठीक है, आप कृपया, श्रीमान होगा, मार्च ऊपर है, जहां हम एक टैक्सी ले जाने के लिए मिल सकता है

Последнее обновление: 2019-07-06
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