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wracamy.

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yakul है, चलो चलें!

Последнее обновление: 2017-10-13
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wracamy!

Хинди

हम वापस आ रहे हैं. शास्त्रीय.

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- wracamy?

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वह यहाँ है!

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/ -wracamy.

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- घर?

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wracamy w

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गुड शाम.

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wracamy do domu.

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हम घर जा रहे हैं.

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wracamy głowę!

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शांति में रहो!

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wracamy do środka.

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ऊपर, चलो! , हम घर में जा रहे हैं आओ.

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wracamy do gry, tom.

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वापस खेल में टॉम,.

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nie wracamy bez jej danych.

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हम उसके डाटा के बिना नहीं जा सकते .

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ludu macedonii, wracamy do domu.

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macedon के पुरुष...

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wracamy, analizujemy, robimy sprawozdanie.

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हम वापस आके विश्लेषण करेंगे और उसके बारे में चर्चा करेंगे .

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wracamy na miejsce wypadku, może coś zostawili.

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की दुर्घटना स्थल के लिए वापस जाओ! वे पीछे छोड़ दिया है क्या बाहर की जाँच करें.

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wracamy do geografii i rzeczy, które wie my.

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वापस भूगोल और हम जानते हैं कि बातें करने के लिए.

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mówimy "walić to, wracamy", a ja zatrzymuję kasę?

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हम कहते हैं, यह बकवास है, "" हम खुश गधे घर ड्राइव और मैं पैसे वैसे भी रहते हैं.

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specjalnie dla kanału siódmego mówił john szymczak, a teraz wracamy do studia.

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चैनल 7 न्यूज के लिए रिपोर्टिंग. मैं जॉन simchak, वापस स्टूडियो को अब हूँ.

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pitagorejski filozof platon, zagadkowo napomknął, że istnieje złoty klucz który unifikuje wszystkie tajemnice wszechświata. to jest ten złoty klucz, do którego wracamy raz za razem podczas naszej eksploracji. złoty klucz jest inteligencją logosu źródłem pierwotnego om.

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पाइथागोरियन दार्शनिक प्‍लेटो ने रहस्यमय ढंग से संकेत दिया कि एक ऐसी स्‍वर्ण कुंजी है जिससे ब्रह्माण्‍ड के सभी रहस्‍य खोजे जा सकते हैं । यह वही स्‍वर्ण कुंजी है जिसके पास हम अपने अन्वेषण के दौरान बारंबार लौट आएँगे। स्‍वर्ण कुंजी 'लोगो़' की बुद्धिमत्‍ता है, प्रारंभिक ओम् के स्रोत को पहचानना । कोई कह सकता है कि यह ईश्‍वर का स्‍मरण है । अपनी सीमित चेतनाओं से हम केवल आत्‍म-अनुरूपता की प्रच्छन्न प्रक्रिया के बाहरी प्रकटीकरण को देख रहे हैं । इस दिव्‍य प्रतिसाम्‍य का स्रोत हमारे अस्तित्‍व का महानतम रहस्‍य है । पाइथागोरस, केपलर, लियोनार्डो द विंसी तथा आईंस्‍टाइन जैसे इतिहास के कई अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण चिंतक रहस्य की इस दहलीज तक पहुँचे। आईंस्‍टाइन ने कहा कि "अत्‍यधिक सुंदर वस्‍तु जिसे हम अनुभव कर सकते हैं वह रहस्‍यपूर्ण है । यह सभी सत्‍य कला एवं विज्ञान का स्रोत है । वह जिसके लिए यह भावना अपरिचित है, जो आश्‍चर्यचकित होकर ठहर नहीं जाता और विस्‍मय में सम्‍मोहित नहीं हो जाता है, वह मृतक समान है । उसके नेत्र बंद हैं ।" हमारी स्थिति उस छोटे बच्‍चे की है जो अनेक भाषाओं की पुस्‍तकों के बड़े पुस्‍तकालय में प्रवेश कर रहा है । बच्‍चा जानता है कि किसी ने इन पुस्‍तकों को लिखा होगा वह यह नहीं जानता कि कैसे । 23 00:01:42,433 --> 00:01:46,567 वह उन भाषाओं को भी नहीं जानता जिसमें इन्‍हें लिखा गया है । बच्‍चा पुस्‍तकों की व्‍यवस्‍था के रहस्‍यपूर्ण क्रम पर थोड़ा आशंकित होता है लेकिन जानता नहीं कि यह सब है क्‍या मुझे लगता है कि यही प्रवृति अत्‍यधिक बुद्धिमान मनुष्‍य को ईश्‍वर की ओर ले जाती है । हम देखते हैं कि यह ब्रह्माण्‍ड आश्‍चर्यजनक रूप से व्‍यवस्थित है और कुछेक नियमों का पालन कर रहा है । हमारे सीमित मस्तिष्‍क उस रहस्‍यपूर्ण शक्ति को समझ नहीं सकते, जो नक्षत्रों को संचालित करता है । प्रत्‍येक वैज्ञानिक जो गहराई से ब्रह्माण्‍ड को देखता है और प्रत्‍येक रहस्‍यवादी जो गहराई से स्‍वयं के भीतर झांकता है, अंततोगत्‍वा एक ही चीज के समक्ष आ खड़ा हो जाता है। आदिम सर्पिल गति । पाषाण युग में प्राचीन वेधशला के सृजन के हजारों वर्ष पूर्व सर्पिल पृथ्‍वी पर प्रमुख प्रतीक था । प्राचीन सर्पिल विश्‍व के सभी भागों में पाए जा सकते हैं । इस प्रकार के हजारों प्राचीन सर्पिल यूरोप, उत्‍तरी अमरीका, न्‍यू मैक्सिको, ऊटा, आस्‍ट्रेलिया, चीन, रूस में पाए जा सकते हैं । वास्‍तविक रूप में पृथ्‍वी पर प्रत्‍येक देशी संस्‍कृति में । प्राचीन सर्पिल सूर्य तथा स्‍वर्ग में सम्मिलित विकास, विस्‍तार तथा अंतरिक्षीय ऊर्जा का प्रतीक है । सर्पिल रूप खुले ब्रह्माण्‍ड के विश्‍व का प्रतिरूप प्रस्‍तुत कर रहे हैं । देशीय परंपराओं में, सर्पिल ऊर्जाशील स्रोत आदिम जननी थी । न्‍यूग्रेंगे, आयरलैंड में पांच हजार वर्ष पीछे नियोलिथिक सर्पिल । वे गिज़ा में बड़े पिरामिड से पांच सौ वर्ष पुराने हैं और वे आधुनिक प्रेक्षकों की तरह पेचीदा हैं । सर्पिल इतिहास में उस समय से हैं जब मानव, पृथ्‍वी से - चक्रों व प्रकृति के सर्पिल से अधिक संबद्ध था । ऐसा समय जब मानव विचारों से कम परिचित था । सर्पिल जैसा कि हम समझते हैं, ब्रह्माण्‍ड के गुंथे हुए रुपहले तारों की कंठी है । प्राण या सृजनात्‍मक शक्ति आकाश को ठोस रूपों के सातत्‍य में घुमाती है । सर्पिल तारामंडल से मौसम प्रणालियों तक ब्रह्माण्‍ड और लघु ब्रह्माण्‍ड के बीच सभी स्‍तरों पर उपलब्‍ध आपके स्नानागार में जल तक, आपके डीएनए तक, आपकी अपनी ऊर्जा के प्रत्‍यक्ष अनुभव तक जाता है । आदिम सर्पिल एक विचार नहीं, बल्कि वह जो सभी संभव स्थितियों व विचारों का निर्माण करता है । विभिन्‍न प्रकार के सर्पिल और सर्पिलज समग्र प्राकृतिक संसार में पाए जाते हैं । घोंघें, समुद्री मुंगे, मकड़ी के जाले, जीवाश्‍म । समुद्री घोड़े की पूंछ और शंख । प्रकृति में दिखाई देने वाले अनेक सर्पिल लघु गणकीय सर्पिल या वृद्धिशील सर्पिल के रूप में प्रेक्षणीय हैं । जैसे ही आप केन्‍द्र से बाहर आते हैं, सर्पिल खंड घातीय रूप से बड़ा हो जाता है । इन्‍द्र के रत्‍नजाल की तरह लघु गणकीय सर्पिल स्‍वयं के समान या स्‍वलिखित हो जाते हैं, जिससे प्रत्‍येक भाग की विशेषताएं संपूर्णता में प्रतिबिंबित होने लगती हैं । प्राचीन ग्रीस में 2400 वर्ष पूर्व, प्‍लेटो ने सतत ज्‍यामितिक समानुपात को अत्‍यधिक दो दुर्बोध ब्रह्मांडीय बंध होने पर विचार किया । स्‍वर्ण अनुपात या दिव्‍य समानुपात प्रकृति का महानतम रहस्‍य था । स्‍वर्ण अनुपात को ए+बी से ए के अनुपात के रूप में अभिव्‍यक्‍त किया जा सकता है, जो ए से बी के अनुपात के समान है । प्‍लेटो के अनुसार विश्‍व की आत्‍मा एक अनुकूल प्रतिध्‍वनि में एक साथ बांधी जा सकती है । इसी प्रकार की पंचभुजीय पद्धति जो तारामीन या भिंडी के भाग में है, उसे आठ वर्ष की अवधि में रात्रि आकाश में शुक्रग्रह के मार्ग में देखा जा सकता है । ऊपर ज्‍यामितिक अनुरूपता के इस सिद्धांत के माध्‍यम से रूपों का बोधगम्‍य संसार और नीचे भौतिक वस्‍तुओं का दृश्‍यात्‍मक संसार है । रोमेनेस्‍को फूलगोभी के स्‍व-अनुरूप सर्पिल पद्धतियों से लेकर तारामंडल तक लघुगणितीय सर्पिल सर्वव्‍यापी और आद्यरूप पद्धतियां हैं । हमारी अपनी आकाशगंगा तारामंडल की कई सर्पिल हैं जो लगभग 12 डिग्रियों के पिच वाली लघु गणितीय सर्पिल है । सर्पिल की पिच जितनी अधिक है, घुमाव उतना ही कड़ा है । जब आप समय-अंतराल वीडियो में बढ़ते पौधों को देखते हैं तो आप जीवंत सर्पिल नृत्‍य को देखते हैं । स्‍वर्णिम सर्पिल एक लघु गणितीय सर्पिल है जो स्‍वर्ण अनुपात के घटक से बाहरी ओर बढ़ता है । स्‍वर्ण अनुपात एक विशेष गणितीय संबंध है जो प्रकृति में अत्‍यधिक महत्‍वपूर्ण है । इस पद्धति को फाइबोनेक्‍की शृंखला या फाइबोनेक्‍की अनुक्रम कहा जाता है । फाइबोनेक्‍की शृंखला इस तरह खुलती है कि प्रत्‍येक संख्‍या पूर्ववर्ती दो संख्‍याओं का जोड़ होती है । जर्मन गणितज्ञ और खगोलज्ञ केपलर ने खोजा कि स्‍व-अनुरुप सर्पिल पद्धतियां उसी तरह प्रेक्षणीय हैं जैसे जर्मन गणितज्ञ और खगोलज्ञ केपलर ने खोजा कि स्‍व-अनुरुप सर्पिल पद्धतियां उसी तरह प्रेक्षणीय हैं जैसे पत्‍तों को पौधों के तनों पर व्‍यवस्थित किया गया है या फूलों की पुष्‍पक और पंखुड़ी व्‍यवस्‍थाओं में है । लियोनार्डो द विंसी ने पाया कि पत्‍तों का अंतराल प्राय: सर्पिल पद्धतियों में है । इन पद्धतियों को 'पर्ण विन्‍यास' पद्धतियां या पत्‍ता व्‍यवस्‍था पद्धतियां कहा जाता है । पूर्ण विन्‍यास व्‍यवस्‍थाएं स्‍व संगठित डीएनए न्‍यूक्‍लोटाइड्स में देखी जा सकती हैं और संतानोत्पत्ति करने वाले नागफनी से लेकर हिमकण तक और डॉयटम जैसे सामान्‍य जीवों में देखे जा सकते हैं । डॉयटम अति सामान्‍य प्रकार के फाईटोपलेंक्‍टन, एक कोशीय जीवों में से एक है जो संपूर्ण खाद्य प्रणाली से अगणित जीवों को भोजन उपलब्‍ध करवाते हैं । सूर्यमुखी या मधुमक्‍खी बनने के लिए आपको गणित की कितनी ज़रूरत होगी? प्रकृति फूलगोभी उगाने के लिए भौतिक विभाग से परामर्श नहीं करती । प्रकृति में संरचना स्‍वत: घटित होती है । नैनोतकनीक के क्षेत्र में वैज्ञानिक डीएनए के निर्माण के आरंभिक षड्भुजाकार चरण जैसी जटिलताओं को वर्णित करने के लिए स्व-संयोजन शब्‍द का प्रयोग करते हैं । नैनोतकनीक इंजीनियरिंग में कार्बन नैनोटयूब एकसमान व्‍यवस्‍था में समाविष्‍ट किया जाता है । प्रकृति इस प्रकार की ज्‍यामिती को बारंबार, सहजता से करती है। स्वचालित रूप से। बिना संगणक के। प्रकृति सूक्ष्‍म और अत्‍यंत कुशल है । प्रसिद्ध वास्‍तुकार एवं लेखक बकमिंस्‍टर फुलर के अनुसार ये पद्धतियां समय अंतराल के कार्यकलाप हैं । बुलबुले के गोल होने का जो कारण है, वही कारण डीएनए और मधुमक्खी के छत्‍ते की आकृति से जुड़ा है । अपेक्षाकृत कम ऊर्जा वाली यह अत्‍यंत कुशल आकृति है । अंतरिक्ष का अपना आकार है और पदार्थ के लिए केवल कुछेक संरूपण की अनुमति है और हमेशा व्यतिक्रम से केवल सर्वाधिक कुशल ही उपलब्ध कराती है । ये प्रतिकृतियां अल्पांतरीय गुंबद जैसी वास्‍तु शिल्‍पीय ढांचों के निर्माण के लिए सुदृढ़ एवं कुशल पद्धति है । लघुगणकीय सर्पिल प्रतिकृतियां परागण हेतु पौधों को कीटों के प्रति अधिकतम अनावरण, सूर्य की रोशनी एवं वर्षा की अधिकतम पहुंच अनुमत करती हैं तथा उनकी जड़ों के लिए कुशल रूप से सर्पिल जल उपलब्‍ध होता है । शिकारी पक्षी अपने अगले भोजन का लुकछिप कर शिकार करने के लिए लघुगणितीय सर्पिल पद्धति अपनाते हैं । सर्पिल रूप में उड़ना शिकार का सबसे कुशल तरीका है । भौतिक रूप में सर्पिल जीवन आकाश को नृत्‍य करते हुए देखने की किसी की क्षमता प्रकृति में सुन्‍दरता एवं समनुरूपता को देखने की क्षमता से संबद्ध है । कवि विलियम ब्‍लेक ने कहा है, "वानस्पतिक ब्रह्माण्‍ड" पृथ्‍वी के केन्‍द्र से फूल की तरह खुलता है जिसमें शाश्‍वतत्‍व है । यह सितारों से ऐहिक सीप तक विस्तृत होता है और दोबारा भीतर और बाहर, दोनों जगह शाश्‍वतत्‍व से जा मिलता है । प्रकृति में प्रतिकृतियों का अध्‍ययन कुछ ऐसा नहीं है जिससे पश्चिम अधिक परिचित हो, लेकिन प्राचीन चीन में, यह विज्ञान 'ली' के रूप में जाना जाता था ।

Последнее обновление: 2019-07-06
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