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'mon monde' nous dit pourquoi le soleil se lève, pourquoi nous sommes nés. chaque culture essaie de comprendre,
'मेरा संसार' बताता है कि सूरज क्यों उग रहा है, हम क्यों पैदा हुए । हर संस्कृति स्वयं को ही समझने की कोशिश कर रही है,
j'ai demandé à chacun d'eux d'élever leur invité spécial en observant les techniques ancestrales propres à leur culture respective.
मैंने हरेक किसान से कहा कि वे इस खास मेहमान का पालन-पोषण उनकी संस्कृति के प्रचलित पारम्परिक तकनीकों से करें।
dès qu'il tourne le dos, il parcourt la terre pour y semer le désordre et saccager culture et bétail. et allah n'aime pas le désordre!
और जब वह लौटता है, तो धरती में इसलिए दौड़-धूप करता है कि इसमें बिगाड़ पैदा करे और खेती और नस्ल को तबाह करे, जबकि अल्लाह बिगाड़ को पसन्द नहीं करता
ils feront descendre cette génisse vers un torrent qui jamais ne tarisse et où il n`y ait ni culture ni semence; et là, ils briseront la nuque à la génisse, dans le torrent.
तब उस नगर के सियाने लोग उस कलोर को एक बारहमासी नदी की ऐसी तराई में जो न जोती और न बोई गई हो ले जाएं, और उसी तराई में उस कलोर का गला तोड़ दें।
"pourquoi existons-nous?" et chaque culture propose sa propre compréhension de la vie, sa propre version personnalisée de la mythologie. la culture est une réaction à la nature, et cette compréhension de nos ancêtres est transmise de génération en génération sous forme de contes, de symboles et de rituels, qui n'ont jamais de rapport avec le rationnel.
"हम अस्तित्व का कारण क्या है ?" और हर संस्कृति ने अपने अपने जवाब ढूँढे हैं, अपनी समझ के अनुरूप पौराणिक गाथाओं के रूप में । संस्कृति प्रकृति के प्रति हमारी प्रतिक्रिया है, और इस प्रतिक्रिया की समझ, हमारी पूर्वजों के अनुसार पीढी दर पीढी चलती आ रही है कथाओं, प्रतीकों और अनुष्ठानों के रूप में, जिन्हें तर्क, कारण और विश्लेषणॊं से कोई मतलब नहीं है । और जब आप इसमें गहरे उतरेंगे, तो आपको पता चलेगा कि दुनिया के अलग अलग लोग दुनिया को अपने अलग ढँग से समझते हैं । अलग अलग लोग एक ही चीज़ को : अलग अलग दृष्टिकोणों से देखते हैं । एक हुई मेरी दुनिया और एक हुई आपकी दुनिया, और मेरी दुनिया हमेशा मुझे आपकी दुनिया से बेहतर लगती है, क्योंकि देखिये, मेरी दुनिया तर्कसंगत है और आपकी अंधविश्वास पर आधारित, आपकी मात्र विश्वास पर चलती है तर्क पर आधारित नहीं है । यही सभ्यताओं के संघर्ष की जड़ है । 326 ईसा पूर्व में भी यह बहस एक बार हुई थी । सिंधु नदी के तट पर, जो कि अब पाकिस्तान में है । इस नदी से ही इण्डिया को उसका नाम मिला है । सिन्धु - हिन्दु - इन्दु - इन्डिया । सिकंदर, युवा मकदूनियन, वहाँ ऐसे व्यक्ति से मिला जिसे उसने 'जिमनोसोफ़िस्ट' कहा है, जिसका अर्थ है 'नंगा फ़कीर' हम नहीं जानते कि वह कौन था । शायद कोई जैन साधु रहा हो, जैसे कि बाहुबली, यहीं पास में ही, गोमतेश्वर बाहुबली, मैसूर से ज्यादा दूर नहीं है उनकी छवि । या फ़िर शायद वो कोई योगी रहा हो, चट्टान पर बैठा, आसमान को ताकता, और सूरज और चाँद को निहारता । सिकंदर ने पूछा, "आप क्या कर रहे हैं?" और नंगे फ़कीर ने जवाब दिया,