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(rires) il y a un dicton qui affirme que, pour toute vérité que vous pouvez dire sur l'inde, le contraire est également vrai.
(ठहाका) कहा जाता है कि आप भारत के बारे में जो भी तथ्य कहें, उसका विपरीत भी उतना ही सच है. तात्पर्य ये, कि हम ये कभी ना भूलें कि चाहे टेड में, या कहीं और, आपकी या आपकी सुनी हुई किसी भी ज़बरदस्त सोच की बिल्कुल विपरीत सोच भी उतनी ही वैध हो सकती है. विदा, इस अवसर के लिए धन्यवाद.
en y repensant plus tard, j'ai trouvé un dicton, qui est: "je collectionne les mauvais vins." parce que si le vin est prêt et que la personne est là, je l'ouvre.
--- "मैं बेकार शराब इकट्ठा करता हूँ" क्योंकि अगर वाइन है, और वो व्यक्ति भी है, तो उसे मत बचाओ। अब मैं जीवन में कुछ भी बाद के लिये नहीं टालना चाहता हूँ। और ये जल्दबाजी, और कुछ करने की ललक, इसने मेरा जीवन बदल दिया है। दूसरी बात जो मैने उस दिन सीखी -- और ये तब सीखी जब हम जार्ज़ वाशिंगटन पुल के ऊपर थे, कुछ खास ऊपर नही --- मैने सोचा , वाह! मुझे असल में केवल एक ही दुःख है। मैनें अच्छा जीवन जिया है। और अपनी इंसानी गल्तियों के बीच भी, मैनें हर काम को बेहतर करने की कोशिस की है। लेकिन अपने इंसान होने में, मैने अपने दंभ को भी बीच में आने दिया है। और मुझे पछतावा हुआ उस सब समय के लिये जो मैने बरबाद किया उन चीजों पर, जिनका कोई महत्व नही है, उन लोगों के साथ, जो वाकई महत्वपूर्ण थे। और मैनें अपनी पत्नी के साथे अपने रिश्ते के बारे में सोचा, अपने दोस्तों के साथ रिश्तों के बारे मे, लोगों के साथ रिश्तों के बारे में। और उस के बाद, जब मैने ये सब सोचा, मैने फ़ैसला किया कि मैं अपनी जीवन से नकारात्मकता को निकाल फ़ेंकूँगा। मेरा जीवन बिल्कुल आदर्श तो नहीं, लेकिन बेहतर ज़रूर है। पिछले दो सालों मे मेरा अपनी पत्नी से एक बार भी झगडा नहीं हुआ। ये बहुत बढिया लगता है। मैं बहस नहीं करता हूँ; हमेशा सही सिद्ध होना नहीं चाहता हूँ। मैं सिर्फ़ खुश रहना चाहता हूँ। तीसरी बात जो मैने सीखी -- और ये तब जब मेरे दिमाग में उलटी गिनती चलने लगी थी १५, १५, १३, और पानी ऊपर आता दिख रहा था। मै कह रहा था, "विस्फ़ोट ही हो जाये।" मैं नहीं चाहता कि ये जहाज़ २० टुकडों में बँट जाये जैसा कि तमाम डाक्यूमेंट्रियों में दिखता है। और जैसे जैसे हम नीचे आ रहे थे, मुझे लगा कि, अरे! मरना डरावना नहीं होता। ऐसा लग रहा था जैसे कि हम सारी ज़िंदगी इस के लिये ही तैयारी कर रहे थे। मगर वो बहुत दुख भरा था। मुझे अपना जीवन प्रिय था। मैं उसे ख्त्म नहीं होने देना चाहता था। और ये दुख सिर्फ़ एक ही विचार के रूप में उभरा कि मुझे बस एक ही इच्छा है मैं सिर्फ़ ये चाहता था कि मैं अपने बच्चों को बडा होते देखूँ। करीब एक महीने बाद, मैं अपनी बेटी को स्टेज पर देख रहा था --- पहले दर्ज़े में है, और कुछ खास कलात्मक भी नहीं है --- फ़िर भी।\ (हँसी) और मैं बिल्कुल रो रहा था, एक छोटे से बच्चे की तरह रो रहा था। और मुझे वो सब करना बिल्कुल ही ठीक लग रहा था। और तब मैने जाना इन दो बिंदुओं को मिला कर, कि मेरे जीवन में बस एक ही चीज़ महत्वपूर्ण है अच्छा पिता बन पाना। हर चीज़ से ऊपर, सबसे ऊपर मेरे जीवन का एक ही उद्देश्य है कि मैं एक अच्छा पिता बनूँ। मुझे एक चमत्कारिक देन मिली, उस दिन मैं बच गया। मुझे एक और देन मिली, जो कि भविष्य में जाकर वापस लौट पाने की देन भी, और अलग तरह से जी पाने की देन। मैं उन सब लोगों से कहता हूँ जो आज उड रहे हैं, कि आप अपने जहाज के साथ ये होता हुआ सोनिये, भगवान न करे --- मगर सोचिये --- कि आप को वो कैसे बदल देगा? आप वो क्या चीजे करेंगे जो आप अभी तक टालते आये है< क्योंकि आप सोचते हैं कि आप तो अमर हैं? आप अपने रिश्ते कैसे बदलेंगे और उन्हें कैसे सकारात्मक बनायेंगे? और सबसे बडी बात, क्या आप सबसे अच्छे अभिभावक बनने रहे हैं? धन्यवाद। अभिवादन