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1857 in words
शब्दों में 1857
Letzte Aktualisierung: 2024-01-12
Nutzungshäufigkeit: 3
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thank you in words
Letzte Aktualisierung: 2023-08-24
Nutzungshäufigkeit: 1
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i can't tell in words
मैं आपको नहीं बता सकता
Letzte Aktualisierung: 2024-01-01
Nutzungshäufigkeit: 2
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i am not telling in words
Letzte Aktualisierung: 2024-04-27
Nutzungshäufigkeit: 1
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i can't explain in words
शब्दों में नहीं समझा सकता
Letzte Aktualisierung: 2020-04-05
Nutzungshäufigkeit: 1
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the word "shabd" in "words"
samanarthi shabd of shant in hindi words va
Letzte Aktualisierung: 2018-11-01
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90 hajar ko english in words
90 हाजर को अंग्रेजी शब्दों में
Letzte Aktualisierung: 2021-12-02
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i can't describe you in words
शब्द आपका वर्णन नहीं कर सकते हैं
Letzte Aktualisierung: 2022-04-28
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i wish i could explain in words
काश मैं समझा पाता
Letzte Aktualisierung: 2021-10-28
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i believe in actions not in words
मुझे विश्वास है कि शब्दों में नहीं
Letzte Aktualisierung: 2021-04-02
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1857 in wordsof hindi
1857 में wordof हिंदी
Letzte Aktualisierung: 2020-09-24
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they think in words rather than pictures .
ये चित्रों की बजाय शब्दों में सोचते हैं ।
Letzte Aktualisierung: 2020-05-24
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i can't explain my feelings in words
मैं अपनी भावनाओं को शब्दों में व्यक्त नहीं कर सकता
Letzte Aktualisierung: 2022-01-11
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it is impossible to describe this joy in words .
ऐसे आनंद का वर्णन शब्दों द्वारा किया जाना संभव ही नहीं है ।
Letzte Aktualisierung: 2020-05-24
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i can't express my love in words for you
मैं अपनी भावना व्यक्त नहीं कर सकता
Letzte Aktualisierung: 2021-07-14
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i can't describe in words how much i love you
मैं कितना मैं तुमसे प्यार करता हूँ शब्दों में बयान नहीं कर सकता
Letzte Aktualisierung: 2017-01-02
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i can't explain in words how much i miss you all
मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकता कि मैं तुम्हें कितना याद करता हूं
Letzte Aktualisierung: 2021-12-31
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1949 in word
शब्द में 1 9 4 9
Letzte Aktualisierung: 2024-01-22
Nutzungshäufigkeit: 3
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i'm bad in words i hope you're good in reading eyes
मैं शब्दों में बुरा हूँ, मुझे आशा है कि आप हैं
Letzte Aktualisierung: 2023-10-12
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osho osho talks: silence shared in words osho international foundation presents
ओशो ओशो प्रवचन : शब्दों में मुखर मौन ओशो इंटरनेशनल फ़ौंडेशन प्रस्तुत करते हैं ओशो : संवाद इतना मुश्किल क्यों है - खासतौर पर प्रेमियों में ? ये प्रवचन ध्यान की नीव है मेरे साथ इन प्रवचनों में बैठना और कुछ नहीं -आपके अन्दर ध्यान को जगाना है. मैं कुछ सिखाने के लिए नहीं बोल रहा- मैं बोल रहा हूँ कुछ पैदा करने के लिए ये भाषण नहीं -ये मेरा तरीका है आपके अन्दर शांति जगाने का - ओशो संवाद इतना मुश्किल क्यों है? खासतौर पर प्रेमियों में? प्रेमदा ! संवाद अपने आप में मुश्किल है और प्रेमियों में तो और भी मुश्किल. परन्तु पहले आपको समझना होगा संवाद की साधारण मुश्किलों को. हर मन पहले से अलग-अलग माताओं -पिताओं . अलग-अलग शिक्षकों पंडितों और राजनीतिकों के विचारों से संस्कारित है. ये अपने आप में अलग दुनिया है. और जब दो मन संवाद की कोशिश करते हैं, रोज़मर्रा की चीजों के बारे में कुछ कहने में कोई दिक्कत नहीं होती पर जैसे ही बातों का रुख चीज़ों से आगे बढ़ कर विचारों तक पहुंचता है संवाद मुश्किल होता जाता है उदहारण के लिए गौतम बुद्ध के दर्शनशास्त्र में कोई भगवान नहीं है ईश्वर के मामले में वे फ्रेडरिक नीत्से से भी ज्यादा मुक्त हैं कम से कम फ्रेडरिक नीत्से कहते हैं कि ईश्वर मर चुका है मतलब साफ़ है कभी वह जीवित था, अब मर चुका है गौतम बुद्ध तो ईश्वर की बात ही नहीं करते उनके लिए यह विषय इतना अप्रासंगिक है कि वे इसका जिक्र तक नहीं करते अब एक ईसाई, हिन्दू या मुस्लिम के लिए तो ईश्वर के बिना धर्म कि कल्पना करना ही मुश्किल है ज्यादातर धर्मों का केंद्र ईश्वर है केवल तीन धर्म ईश्वर से मुक्त हैं एक गौतम बुद्ध का, दूसरा महावीर का, तीसरा लाओत्से का जब सबसे पहले ईसाई मिशनरी के लोगों ने बौद्ध धर्मग्रंथों को पढ़ा तो उन्हें विश्वास ही नहीं हुआ कि ईश्वर के बिना भी किसी धर्म कि संभावना हो सकती है आखिर वह धर्म कैसा होगा -जिसमें ईश्वर ही न हो तुम प्रार्थना कैसे करोगे? किसकी करोगे? कौन भेजेगा अपने दूत और मसीहा ? कौन करेगा तुम्हारा उद्धार ? कौन तय करेगा कि तुम्हें स्वर्ग भेजा जाए या नरक ? ईश्वर हटेगा तो स्वर्ग और नरक भी हट जायेंगे ईश्वर हटेगा- तो दंड और पुरस्कार भी हट जायेंगे ईश्वर हटेगा- जाँच और निर्णय की बात ही ख़त्म हो जायेगी तब न कुछ पाप होगा न पुण्य. और ये सब तय कौन करेगा? ये जान कर उन्हें और आश्चर्य हुआ कि गौतम बुद्ध को भी उनके अनुयाई, और जो उनके अनुयाई नहीं हैं वो भी भगवान् गौतम बुद्ध कहते हैं . अब 'भगवान्' का अर्थ है ईश्वर. ये तो बड़ा अजीब हुआ गौतम बुद्ध 'भगवान्' को नहीं मानते थे आखिर उन्होंने अपने अनुयाइयों को अनुमति कैसे दी उनको 'भगवान' बुलाने की? जैन धर्म का भी यही हाल है वे तो और भी सख्त हैं भगवान् की अनुपस्थिति के बारे में. गौतम बुद्ध तो इस विषय को ही अनदेखा कर देते हैं जैसे इसके जिक्र की भी जरूरत नहीं. जैन धर्म इसको यूँ ही नहीं छोड़ता क्योंकि इसमें ख़तरा है क़ि यह मामला फिर उठ सकता है- महावीर के जाने के बाद. वे यह बात बिलकुल साफ़ कर देना चाहते हैं - कि ईश्वर नहीं है, और कभी कोई ईश्वर नहीं था, कहीं कोई रचना नहीं है- क्योंकि इनका कोई रचयिता नहीं है. सृष्टि एक प्रक्रिया है - जैसा कि चार्ल्स डार्विन ने पाया दो हज़ार साल बाद- यह महावीर को पहले से पता था- कि यह दुनिया किसी ने रची नहीं सृष्टि एक विकासशील प्रक्रिया है. ये हमेशा से ऐसी ही रही है और ऐसे ही चलती रहेगी. रचना और रचने वाले विधाता कि परिकल्पना, एकदम मूर्खतापूर्ण है. ये एक लम्बे 'ओशो टॉक' का प्रीव्यू है जो अब अनुवाद के लिए उपलब्ध है ओशो टॉक विडियो अनुवाद योजना के तहत- www.oshotalks.info पर. sub-titling और अनुवाद का काम पूर्ण होने के बाद पूरा विडियो उपलब्ध होगा. योजना में शामिल हों और इस टॉक के लिए sign up करें. dotsub और ओशो इंटरनेशनल फ़ौंडेशन की संयुक्त योजना ©सर्वाधिकार सुरक्षित ओशो इंटरनेशनल फ़ौंडेशन, स्विटजरलैंड - 'ओशो' ओशो इंटरनेशनल फ़ौंडेशन का रजिस्ट्रीकृत ट्रेडमार्क है.
Letzte Aktualisierung: 2019-07-06
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