Sie suchten nach: eds (Englisch - Hindi)

Computer-Übersetzung

Versucht aus den Beispielen menschlicher Übersetzungen das Übersetzen zu lernen.

English

Hindi

Info

English

eds

Hindi

 

von: Maschinelle Übersetzung
Bessere Übersetzung vorschlagen
Qualität:

Menschliche Beiträge

Von professionellen Übersetzern, Unternehmen, Websites und kostenlos verfügbaren Übersetzungsdatenbanken.

Übersetzung hinzufügen

Englisch

Hindi

Info

Englisch

this routine may go over great with the co-eds, but i'm here on business.

Hindi

तुम्हें पता है, इस दिनचर्या कॉलेजों के साथ greate पर बना .. लेकिन, मैं व्यापार पर यहाँ हूँ.

Letzte Aktualisierung: 2017-10-12
Nutzungshäufigkeit: 1
Qualität:

Englisch

i want to start with a story, a la seth godin, from when i was 12 years old. my uncle ed gave me a beautiful blue sweater -- at least i thought it was beautiful. and it had fuzzy zebras walking across the stomach, and mount kilimanjaro and mount meru were kind of right across the chest, that were also fuzzy.

Hindi

मैं एक कहानी से शुरुवात करना चाहती हूँ, सेठ गोदिन की तरह, उन दिनों की कहानी जब मैं १२ साल की थी । मेरे अंकल एड ने मुझे एक खूबसूरत नीला स्वेटर दिया था -- कम से कम मुझे तो वो सुंदर ही लगता था। और उसमें पेट वाले हिस्से पर चलते हुए ज़ेबराओं का धुँधला डिज़ाइन बना था, और किलिमंज़ारो पर्वत और मेरु पर्वत सीने के आसपास थे, मगर वो भी धुंधले से। और मैं उसे पहनने को आतुर रहती थी, मुझे अपनी सारी चीज़ों में वो सबसे कमाल का लगता था। नवीं कक्षा के उस दिन तक, जब मैं बहुत सारे फ़ुट्बाल खिलाडियों के साथ खडी थी। और ज़ाहिर है कि मेरा शरीर बदल रहा था, और मैट मुसोलिना, जिस से हाई-स्कूल में मेरी हमेशा स्पर्धा रहती थी, ने गूँजती हुई आवाज़ में कहा कि अब हमें स्किंग के लिये दूर जाने की ज़रूरत नहीं पडेगी, क्योंकि हम सब नोवाग्रात्ज़ पर्वत पर स्कींग कर सकेंगे। (हँसी) और मुझे इतना अपमान और शर्मिंदगी महसूस हुई कि मैं सीधे भाग कर अपनी माँ के पास गयी और उनसे झगडा किया कि उन्होनें मुझे ये घटिया स्वेटर क्यों पहनने दिया। हम गुड्विल गये और हमने उस स्वेटर को फ़ेंक दिया काफ़ी आयोजित से तरीके से, मैने सोचा था कि अब मुझे ना तो उस स्वेटर के बारे में कभी सोचना है न ही उसे कभी देखना है। ठीक ग्यारह साल बाद, मैं २५ साल की हो चुकी थी। मैं किगाली, रवांडा में काम कर रही थी, और ढलान पर दौडते हुए मैने देखा कि मुझसे सिर्फ़ दस फ़ीट की दूरी पर, एक छोटा सा ११ साल का लडका -- मेरी तरफ़ भाग रहा था, मेरा ही स्वेटर पहने हुए। और मैने सोचा, नहीं, ये तो हो ही नहीं सकता। पर उत्सुक्तावश, मैं उस लडके के पास गयी - और बिल्कुल उस बेचारे बच्चे के होश उडाते हुए - उसका कॉलर पकड कर उलट कर देखा, और वहाँ मेरा नाम था उस स्वेटर के कॉलर पर लिखा हुआ। मैं ये कहानी हमेशा बताती हूँ, क्योंकि इसने हमेशा ही मुझे एक उदाहरण दिया है इस बात का कि हम किस हद तक जुडे हुए हैं अपनी धरती पर रहने वाले सब लोगों से। हम अक्सर नज़रअंदाज़ करते है कि हमारे शामिल होने, और हमारी तटस्थता से उन लोगों पर क्या असर पडेगा जिन्हें हमें लगता है कि हम कभी नहीं देखेंगे, न जानेंगे। मैं इस कहानी को इसलिये भी कहती हूँ क्योंकि ये एक बडी संदर्भीय कहानी है इस बात की, कि अनुदान आखिर क्या है, और क्या हो सकता है। कि कैसे ये स्वेटर वर्जिनिया के गुड्विल तक पहुँचा, और वहाँ से और बडी इकाई में, जो कि उस समय दसियों लाख टन पुराने कपडे अफ़्रीका और एशिया में पहुँचा रही थी। जो कि एक बहुत ही सार्थक काम था, सस्ते वस्त्र उपलब्ध करवाना। और ठीक उसी समय, रवांडा में तो निश्चय ही, उसने स्थानीय कपडा बाज़ार का क्रिया-कर्म कर डाला। मैं ये नहीं कह रही कि कपडे नहीं बँटने चाहिये थे, मगर ये कि हमें उन प्रश्नों के बेहतर उत्तर देने होंगे जो कि उस समय उठते हैं जब हम सोचते हैं निष्कर्शों और प्रतिक्रियाओं के बारे में। तो, मैं रवांडा में बिताये अपने १९८५ और १९८६ साल पर ही रहूँगी, जहाँ कि मैं दो काम कर रही थी। मैनें २० अविवाहित माओं के साथ मिल कर एक बेकरी शुरु की थी। हमें "बेड न्यूज़ बियर्स" कहा जाता था, और हमारा ध्येय थी कि हम किगाली के चाट-पकोडे के धंधे के उस्ताद बन जायें, जो कि इतना कठिन नहीं था क्योंकि हम से पहले कोई बाज़ार में था ही नहीं । और क्योंकि हम एक अच्छी योजना पर काम कर रहे थे, हम उस्ताद हो भी गये, और मैनें, छोटे स्तर पर ही सही, इन औरतों का रूपांतरण होते देखा। पर उसी समय, मैने एक लखु-वित्त बैंक (micro-finance bank) भी शुरु किया था, और कल इकबाल क़ादिर "ग्रामीण" के बारे में बात करेंगे, जो कि सारे लघु-वित्त बैंको के पिता हैं, जो कि अब एक अखल विश्व में होती क्रांति है - हर गली कूचे में - मगर तब ये एक नयी चीज़ थी, ख़ासकर ऐसी वित्त-व्यवस्था में जो कि वस्तु-विनिमय से व्यवसाय की ओर बढना ही शुरु कर रही थी। हम बहुत सी चीज़ें सही कर पा रहे थे। हमने एक विधिवत व्यवसाय योजना पर ध्यान केंद्रित किया, और जान की बाज़ी लगा कर काम किया। औरतें ही ये तय करती थीं कि अंततः उन्हें कैसे इस ऋण की सुविधा का इस्तेमाल करना है अपना व्यापार बढाने में, और अपनी कमाई बढाने में जिससे कि वो अपने परिवारों का बेहतर ख्याल रख सकें। हमें जो समझ नहीं आया, और जो हमारे आसपास हो रहा था, जाति-आधारित विवादों, फ़ैलते डर के माहौल और अनुदान के खेल की मिलीभगत को, अगर आप ध्यान से देखें, जो कि धीरे-धीरे फ़ैल रही थी= ज्यादातर अदृश्य रूप में मगर निश्चय ही रवांडा में वास्तविक रूप में, और ये कि उस समय, रवांडा के पूरे बजट का ३० प्रतिशत विदेशी अनुदान था। रवांडा में नरसंहार १९९४ में हुआ, उस पल के सात साल बाद जब ये औरतें एकजुट हुईं इस सपने को पूरा करने के लिये। और बढिया ख़बर ये है कि हमारी संस्था, हमारा बैंक, उसके बाद भी जीवित रह सका। और तो और, वो बहाली के लिये ऋण देने वाला रवांडा का सबसे बडा संस्थान बना। हाँ, बेकरी ज़रूर जड से ख्त्म हो गयी थी, पर मैनें उस से सीखा कि जवाबदेही काम करती है -- मुझे जमीन पर लोगों के साथ मिल कर कुछ बनाने का मौका मिला, व्यावासायिक योजनाओं के चलते, जहाँ, जैसा कि स्टीवन लेविट कहेंगे,

Letzte Aktualisierung: 2019-07-06
Nutzungshäufigkeit: 4
Qualität:

Warnung: Enthält unsichtbare HTML-Formatierung

Eine bessere Übersetzung mit
7,787,392,760 menschlichen Beiträgen

Benutzer bitten jetzt um Hilfe:



Wir verwenden Cookies zur Verbesserung Ihrer Erfahrung. Wenn Sie den Besuch dieser Website fortsetzen, erklären Sie sich mit der Verwendung von Cookies einverstanden. Erfahren Sie mehr. OK