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अंजू
on this occasion, the sfi state secretary manoj kumar, anju, district secretary of the committee, state joint-secretary of the youth council vinod deshwal, sumit, anju, rakesh kumari, geeta, sonu, rajesh kumar, sangeeta, meena, veena malik, sangeeta, hawa singh and ajit were present.
Letzte Aktualisierung: 2020-12-21
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अंजू यादव
anshika yadav
Letzte Aktualisierung: 2023-04-23
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अंजू कुमारी
piyush bharti
Letzte Aktualisierung: 2020-07-16
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अंजू बॉबी जॉर्ज
anju bobby george
Letzte Aktualisierung: 2020-05-24
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अंजू की संडी विचेद
anju ki sandi vichhed
Letzte Aktualisierung: 2023-09-22
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और क्या अंजू के बारे में
and what about anju
Letzte Aktualisierung: 2016-05-11
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जन्मदिन मुबारक हो अंजू भाभी
wish you a very happy birthaday bhabhi
Letzte Aktualisierung: 2021-06-30
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आपको जन्मदिन की शुभकामनाएं अंजू भाभी
wish you a happy birthday to bhabhi ji.
Letzte Aktualisierung: 2020-09-29
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मैं अपनी अंजू के साथ सब्जी लाने जाता हूं
i go to take vegetables with my anju
Letzte Aktualisierung: 2021-10-22
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मैं तुमसे सच में प्यार करता हूँ अंजू मैं तुम्हारे विश्वास के बिना नहीं रह सकता, कृपया मुझे एक मौका दें 🙏❤️😭
i really love you anju i can't live without you trust me,give me one chance please 🙏❤️😭
Letzte Aktualisierung: 2021-06-25
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धर्म, धर्म गुरुओं या धर्म भक्तों के प्रति की हुई विराधना के दोष (पारायण - 2010) किसी भी धर्म की विराधना हम से जाने-अन्जाने हो गई हो धर्म वालोकी, धर्म की, धर्म के गुरु धर्म के भगवंत धर्म के देव-देवी या धर्म के भक्त या फॉलोअर्स के प्रति किसी भी प्रकार का कई बार अखबार में आता है कई बार मित्र-मंडली में चर्चा होती है कि फलाँ संत ने ऐसा किया फिर उन्होंने लफड़े किए हों पैसों की गड़बड़ी हो विषय के लफड़े हों अथवा तो फिर ज़मीन-ज़ायदाद के लिए या लक्ष्मी के लिए या ऐसी तरह-तरह की बातें आपके पास आती हों तो फिर आप उत्तेजित हो जाते हैं कितना विराधक भाव कर डालते हैं फिर सारे संत ऐसे हैं भक्त ऐसे हैं सभी के लिए कुछ भी बोल देते हैं मनुष्य ऐसा सब अपने अहंकार से किसी के लिए उल्टा बोल देता है आपने भी कभी बोल दिया होगा यदि कोई ऐसी बात करता हो तो आप हाँ में हाँ मिला देते हैं तो ऐसे सभी दोषों को याद करके आपके जीवन में भी ऐसा कुछ हो गया हो उसके खास तौर से प्रतिक्रमण करेंगे और यदि हम किसी एक धर्म का पालन करते हों तो अन्य धर्मवाले का कई बार बहनों के साथ ऐसा हो जाता है कि हमारे मायकेवाले इस धर्म के हैं ससुराल में इस धर्म में आ गए अब मुझे मायकेवाला धर्म छोड़ना अच्छा नहीं लगता और ससुरालवाले मुझ पर दबाव डाल रहे हैं यानी फिर बहुत क्लेश होता रहता है और कलह होते रहते हैं और फिर इतना उल्टा चित्रण करते हैं कि ये लोग इतना धर्म करते हैं फिर भी सुधर नहीं रहे मुझ से यह धर्म छुड़वा रहे हैं और मुझे ऐसा कर रहे हैं लेकिन ब्याह किया तो अब एडजस्टमेन्ट तो लेना ही पड़ेगा लेकिन राग-द्वेष बहुत बढ़ जाते हैं कई बार, बेटे की बहू आती है तो आपको ऐसा लगता है कि हमारा धर्म माने उसे अपना धर्म छोड़ना नहीं है क्लेश होता रहता है यानी यह कुदरती तौर पर आस-पास के व्यक्तिओं के बारे में भी आपको ऐसा धर्म का आपने किसी एक कुल में जन्म लिया है तो आप उस धर्म की आराधना ऐसा आपको लगता है अन्य कुल के लिए आपको अन्य धर्म के लिए आपको राग-द्वेष हो जाता है अब नियम क्या है कि इस जन्म में आपने एक कुल में जन्म लिया है और ऐसे द्वेष करने से दूसरे जन्म में आपको उस कुल में जन्म लेना पड़ेगा उनके बारे में बहुत उल्टा बोलें बहुत विराधना करें न, तो फिर उन्हीं की आराधना उस धर्मवाले के यहाँ जन्म लेकर फिर आराधना करनी पड़ती है। ऐसे सभी जन्म, हर एक जन्म में एक जन्म में किसी धर्म में जन्म लिया होता है दूसरे जन्म में किसी और धर्म में जन्म लेते हैं ये किसके जैसी एक जन्म में किसी धर्म के लिए उल्टा बोलकर गड्ढा खोदता है और दूसरे जन्म में फिर उसी धर्म का गड्ढा भरता है फिर से अन्य धर्म का उल्टा बोलकर गड्ढा खोदता है ऐसी कोई न कोई गलती अनंत जन्मों से की ही होती हैं इसलिए दादा ने तो एक जगह पर ऐसा लिखा है कि इस जन्म में किसी एक धर्म का कुछ याद आए तो पाँच-दस मिनट के लिए देखकर उसे निपटा दो फिर यह जन्म, पूर्वजन्म संख्यात जन्म, असंख्यात जन्म में धर्म के लिए या साधु-साध्वी या धर्म गुरुओं के प्रति या भक्तों के प्रति जाने-अन्जाने कोई भी अपराध, अविनय, अशात के दोष हुए हैं सभी की हृदयपूर्वक बहुत माफी माँगता हूँ मुझे क्षमा करो ऐसी भूलें फिर कभी न करूँ ऐसी शक्ति दो फिर दूसरे धर्म का तीसरे धर्म का अंत में यदि आपको ऐसा लगे कि सभी किसी धर्म के बारे में ज्य़ादा ऐसा कुछ किया नहीं है ज्य़ादा दोष नहीं किए हैं तो हर एक धर्म का याद करके यह जन्म, पूर्व जन्म संख्यात जन्म असंख्यात जन्म में जाने-अंजाने जो भी अविनय, अपराध, अशातना, अवर्णवाद, दोष, अभक्ति दोष के जितने भी शब्द याद आएँ उन्हें याद करके माफी माँग लेना हम ठप्पा लगा देना चाहते हैं डाट लगा देना चाहते हैं जिससे किसी भी जगह पर लीकेज नहीं रहे ताकि फिर से संसार में आना नहीं पड़े अपना यात्रा का भी सब से बड़ा हेतु यही होता है कि पूर्वजन्म में जो भी विराधनाएँ की हैं उन्हें इस जन्म में आराधना करके धो देना चाहते हैं हम पुण्य कमाने नहीं जाते और हमारी यह भावना ऐसी है कि जन्मों-जन्म से धर्म के लिए एक धर्म के कुल में जन्म लिया हो तो दूसरे धर्म के प्रति अन्जाने भी विराधना या अपराध हो जाते हैं अतः ये बहुत प्रकार से अखबार में पढ़कर या इस कुल में जन्म लिया अथवा किसी के लिए आपकी आराधना से आपके करीब कोई रहने आया हो पड़ोस में कोई धर्मवाले आएँ हों और आप सामनेवाले घर में रहते हों तो उनके रीति-रिवाज से आप उकता जाते हो आपको द्वेष हो जाता है आपके खाना-खाने का टाइम अलग होता है उन लोगों का टाइम अलग होता है तो आपको लगता है कि ऐसा क्यों करते हैं ऐसा करके राग-द्वेष कर लेते हैं धर्म की क्रियाओं के लिए भी आपसे कई बार दोषारोपण होते रहते हैं कि ऐसी कैसी क्रियाएँ करवाते हैं कितना गलत है इन भाई को लगा न कि गलत उपदेश देते हैं और लोगों को चक्कर में डाल देते हैं इसलिए इनका विरोध करो यानी धर्म के बारे में ऐसी तरह-तरह की भूलें हो गई होती हैं या हो जाती हैं, कल्पनाएँ कर ली हों भले आपको नहीं लेकिन फॉरेनवाले तो ऐसा बहुत करते हैं हम फॉरेन जाते हैं न तो हमें कहते हैं आप लोग ऐसे हो, वैसे हो संत ऐसे, पैसे कमाते हैं और सत्संग में हमारे विरूद्ध जैसा-तैसा बोलते हैं लेकिन अब यदि कोई एक व्यक्ति खराब हो तो उसके कारण बहुत लोगों पर आक्षेप लगा देते हैं जाने-अन्जाने आपने भी ऐसा कुछ बोल दिया हो ये उनका दोष नहीं है लेकिन अब हमें इसमें नियम ऐसा है कि किसी पर पत्थर फेंकते हैं न जैसे सूरज पर धूल उड़ाएँ न तो सारी धूल आप पर ही उड़ेगी ऐसे ही किसी धर्म के लिए यदि उल्टा बोलेंगे न तो अपने ही आवरण बढ़ाएँगे किसी पर असर नहीं होगा इस जगत् में किसी और पर छींटे नहीं उड़ते खुद अपने पर ही डाल रहे हैं इसलिए अपना त्रिमंदिर का हेतु यही है कि धर्म की विराधनाएँ मिट जाएँ और आज यह बात निकली है तो हम अच्छी तरह से इस पर सामायिक करेंगे कि धर्म संबंधी धर्म की क्रियाएँ धर्म के गुरु धर्म के भक्त धर्म के फॉलोअर्स धर्म के मंदिर धर्म की कोई पुस्तकें हों धर्म की बातें हों धर्म में संतो-महंतो से आप कोई उपदेश सुनो और बाद में कोई उस बारे में बातें करे कि हमारे संत तो ऐसा कहते हैं आपके दादा क्या कहते हैं? तो आरग्युमेन्ट से आप उन लोगों का विरोध कर देते हो गलत बोल देते हो यानी धर्म संबंधी तरह-तरह के जो भी दोष हो गए हों उन्हें खास याद करना मिलेंगे और आपकी बुद्धि थोड़ी तेज हो या आपका अहंकार भारी हो और सच के आग्रही हों तो ऐसे दोष बहुत हो जाते हैं ज़रा सा भी झूठ नहीं चलाऊँगा निकाल देना चाहिए बाहर निकालो उन्हें ऐसे सब भाव किए होते हैं अपने गाँव में घुसने मत देना हम एक जगह पर गए थे तो कहने लगे कुछ धर्म कोई यदि किसी धर्म की बात कर रहा हो कि हमारे संत ने ऐसा कहा तो हम चूप करवा देते हैं कि गेट-आउट हमारे यहाँ किसी धर्म की बात नहीं चलेगी सिर्फ हमारे समाज को शांति मिले ऐसी बातें करो समाज के कल्याण की बातें करो धर्म की बात मत करना अब ये उनके व्यवहार के लिए ठीक है लेकिन ऐसे जाने-अन्जाने विराधना हो जाती है और उतने ही अंतराय भी आ सकते हैं आज किसी धर्म में, ये तो कैसा है अंतराय यानी कैसे कि यदि कोई कहे कि हम ये संत के पास जाते हैं झूठे के पास जाया जाता होगा? ऐसी जगह जाना ही नहीं चाहिए अब किसी के पास कोई खुद ही जा रहा है और आप उसे रोकते हो तो भविष्य में किसी ज्ञानी या संतो के पास जाने के अंतराय आपको भी पड़ेंगे यानी दोषों के ऐसे सब परिणाम आते हैं इसलिए हमें, और ये बहुत बड़ी बात है और आपने भी एक बात कही हो कि हमारे दादा-भगवान का तो बहुत टॉप कहलाता है और अन्य सभी का नहीं, डीवैल्यू करनी ही नहीं है क्योंकि यदि आप कॉलेज में आ गए हों तो बालमंदिर को खराब कहने का अधिकार नहीं है क्योंकि आप वहीं से होते हुए आज यहाँ तक आए हो इसलिए किसी को ज़रूरत है उसके लिए वह उत्तम है वह धीरे-धीरे यहाँ आएगा और हम थोड़े ही सभी बालमंदिरवालों को पढ़ानेवाले हैं कुछ डेवेलपमेन्ट किया हो ऐसे ही कुछ लोग यहाँ आते हैं इसलिए दुनिया में जितने भी स्टान्डर्स हैं, सभी योग्य हैं भले ही अशुभ हों या शुभ हों या अशुद्ध हों या उल्टे हों या सीधे हों कुदरती क्रम के अनुसार सब करेक्ट हैं और किसी के लिए उल्टा बोलने जैसा नहीं है सब अपनी-अपनी ज़िम्मेदारी पर कर रहे हैं और अपनी ज़िम्मेदारी का चार गतियों में दंड भुगत रहे हैं अच्छा करेंगे तो पुण्य बाँधेंगे खराब करेंगे तो दुःख ये कुदरत की बैंक से अगर कोई व्यक्ति दस लाख की लोन लेता है कोई दस लाख की डिपॉज़िट करता है तो लोन लेनेवाला या डिपॉज़िट करनेवाला हो हमें कोई फर्क ही नहीं पड़ता हमें जो लेना हो, दो-पाँच हज़ार का चेक विड्रॉ करके निकल जाओ वह लोन लेगा तो ब्याज भरेगा डिपॉज़िट करेगा तो ब्याज भोगेगा ऐसे ये कुदरत की बैंक में लोग अपनी तरह से आराधना करते हैं विराधना करते हैं अपराध करते हैं तो हम अपने हिस्से का चोखा कर लेना चाहते हैं ये गलतवाले हैं, ये फलाँवाले हैं इस तरह किसी के लिए किसी भी प्रकार का भाव-चित्रण करने जैसा नहीं है विराधक भाव करने जैसा नहीं है अपराध करने जैसा नहीं है या किसी के लिए भी कुछ उल्टा अवर्णवाद करने जैसा नहीं है किसी को किसी से विमुख करने जैसा भी नहीं है वह कहेगा, हम इस धर्म में मानते हैं तो कहना है भाई, तुझे पसंद है ना? अच्छा, आगे बढ़ो हम कुछ करवाना नहीं चाहते हमें अपनी कोई स्थापना नहीं करनी है उसका उत्थापन भी नहीं करवाना है हमें तो, हमें छूटना है और जिसे छूटना होगा उसे यदि अपने धर्
the disrespect or faults that have happened towards religions, religious leaders, or religious followers we may have knowingly or unknowingly been disrespectful (viradhna) towards any religion, religious sect, its religious beliefs, for its teachers (guru's), the gods of that religion the deities of that religion (dev-devio), or its followers. sometimes it comes in the newspapers or at a social gathering with friends there is gossip about how a certain saint did this or that, that he had illicit relations or fell into the pit of money or sensual pleasures, or for some land or property, or money.
Letzte Aktualisierung: 2019-07-06
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