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"अगर हम बूढे होने का इलाज निकाल लेते हैं, तो शायद ही कोई मरेगा, या कम से कम मरने वालॊं की संख्या बहुत कम होगी, सिर्फ़ यमराज से पंगा लेने पर. और इसकी वजह से हम ज्यादा बच्चे पैदा नहीं कर पाएंगे, और ज्यादातर लोगों के लिये बच्चे बहुत मायने रखते हैं." और यह सच है. और मालूम है, बहुत से लोग जान कर भी इस सवाल का गलत जवाब देते हैं, कुछ इस तरह से. मैं इन जवाबों से सहमत नहीं हूं. मेरे ख्याल से ये बुनियादी तौर से काम नहीं करते. मैं समझता हूं, हमें इस संबंध में दुविधा का सामना करना पडेगा. हमें यह तय करना हॊगा कि हमें जन्म दर कम चाहिये, या मर्त्यु दर ज्यादा. उच्च मर्त्यु दर, निसंदेह, केवल इन उपचारों को नकार के बहुत से बच्चे पैदा को स्वीकारने से ही हो जाएगा. और, मैं कहता हूं यह ठीक है -- मानवता के भविष्य को यह निर्णय लेने का हक है.™ लेकिन भविष्य की ओर से हमारे द्वारा यह तय करना ठीक नहीं है. अगर हम संकोच करेंगे या डोलेंगे, और दरअसल इन उपचारों का विकास नहीं करेंगे, तो हम लोगों की एक बडी संख्या कॊ सज़ा दे रहे हैं -- जो इन इलाज के तरीकों से फ़ायदा उठाने के लिये जवान और स्वस्थ होते लेकिन नहीं होंगे, क्योंकि हमने इन्हें संभावित तेज़ी से विकसित नहीं किया -- हम इन लोगों को अनिश्चित तौर से लम्बे जीवनकाल से वंचित रख रहे हैं, और मैं समझता हूं कि यह अनुचित है. अधिक जनसंख्या के सवाल का यह मेरा ज़वाब है. अच्छा. तो अगली चीज़ है, कि हमें इस पर थोडा और सक्रीय क्यों होना चाहिए? और बुनियादी ज़वाब यह है कि बुढापे के हित में लोगों का भ्रम इतना मूर्खतापूर्ण नहीं है जितना दिखता है. यह असल में बूढे होने का सामना करने का एक समझदारीपूर्ण तरीका है. उम्र का बढ्ना भयानाक किन्तु निश्चित है, इस लिए, हमें इसे अपने दिमाग से निकालने का कोई तरीका ढूंढना है, और एसा करने के लिए हमें जो भी करना पडे वह सही है. जैसे, उदाहरण के लिए, ये हास्यासपद तर्क देना कि क्यों उम्र का बढ्ना असल में अच्छी बात है. लेकिन यह तभी काम कर सकता है जब हमारे पास ये दोनों भाग हों. और जैसे ही अपरिहार्यता वाला भाग कुछ साफ़ होता है, और हम बढ्ती उम्र के बारे में कुछ करने की स्थिती में हो सकते हैं, यह समस्या का एक हिस्सा बन जाता है. बुढापे के हित में लोगों का भ्रम ही है जो हमें इन चीज़ों के बारे में आन्दोलन करने से रोकता है. और इसलिए हमें इस के बारे में काफ़ी चर्चा करनी है -- मैं तो यहां तक कहूंगा इसका प्रचार करना है -- जिस से हम लोगों का ध्यान आकर्शित कर सकें, और उन्हें यह आभास दिला सकें कि वे इस मामले में भ्रम में हैं. तो इसके बारे में मैं इतना ही कहूंगा. अब मैं बात करूगा व्यवहार्यता की और हमारे यह सोचने का कि उम्र का बढ्ना निश्चित है का बुनियादी कारण अभी मेरे द्वारा दिये जाने वाली उम्र के बढ्ने की परिभाशा मे संक्षिप्त है. एक बहुत ही सरल परिभाशा. उम्र का बढना जीवित होने का एक अतिरिक्त असर है, कहा जाए तो चयापचय, या हमारे शरीर के विभिन्न अंगों का अपना अपना काम करना. यह केवल शब्दॊं का खेल नहीं है; यह एक उचित कथन है. उम्र का बढ्ना एक ऐसी प्रक्रिया है जो गाडियों जैसी निर्जीव वस्तुओं के साथ होता है, और यह हमारे साथ भी होता है, बावज़ूद इसके कि हमारे शरीर के पास बहुत से चतुर तंत्र हैं जिन से वह स्वयं की मरम्म्त कर सकता है, क्योंकि ये तंत्र परीपूर्ण नहीं हैं. तो बुनियादी तौर पे चयापचय, जिसकी परिभाशा है हर चीज़ जो हमें दिन प्रतिदिन जीवित रखती है, के कुछ अतिरिक्त असर होते हैं. ये असर एकत्रित होते रहते हैं और अंततः बीमारी पैदा करते हैं. यह अच्छी परिभाशा है. तो हम इन शब्दों में कह सकते हैं: हम कह सकते हैं, ये घटनाओं की श्रृंखला है. और प्रायः दो मत हैं, अधिकतर लॊगॊं के, उम्र के बढ्ने को टालने को लेकर. ये हैं जिन्हें मैं ग्रेंटोलॊजी दृष्टिकोण और जेरिऎट्रिक्स या जराचिकित्सा दृष्टिकोण कहूंगा. जराचिकित्सक की बारी बाद में आएगी, जब बीमारी जाहिर हो रही होगी, और जराचिकित्सक वक्त के बढ्ते हुए कदमों को रोकने का प्रयास करेगा, और अतिरिक्त प्रभावों को इतनी जल्दी बीमारी पैदा करने से रोकने का. निसंदेह, यह एक अल्प-कालीन रणनीति है, एक हारी हुई लडाई, क्योंकि बीमारी पैदा करने वाले कारण वक्त के साथ अधिक होते जा रहे हैं. ऊपरी तौर पर ग्रेंटोलोज़ि का रास्ता अधिक आशाजनाक लगता है, क्योंकि, जैसा आप जानते हैं, बचाव उपचार से बेहतर है. दुर्भाग्यतापूर्ण बात यह है कि हम चयापचय को बहुत अच्छी तरह समझते नहीं हैं. बल्कि जीवों की कार्यशौली के बारे में हमारी समझ काफ़ी कमज़ोर है - कोशिकाओं के बारे में भी हम अभी बहुत अच्छे नहीं हैं. उदाहरण के तौर पे हमनें आर एन ए हस्तक्षेप जैसी चीज़ों के बारे में कुछ साल पहले ही जाना है, और ये तो कोशिकाऒं के काम काज का बुनियादी भाग है. अंतत:, ग्रेन्टोलोजी एक अच्छा रास्ता है, पर वह सामयिक नहीं है जब हम हस्तक्षेप के बारे में बात करते हैं. तो हमें इसके बारे में क्या करना चाहिए? मेरा मतलब है, यह तर्क अच्छा है, और काफ़ी पक्का है, है ना? किन्तु ऐसा नहीं है. इससे पहले कि मैं आपको बताऊं कि यह क्यों नहीं है, मै कुछ बात करूंगा उस बारे मे जिसको मैं दूसरा कदम कह रहा हूं. कल्पना करिये, जैसे कि-- आज, केवल उदाहरण के लिये -- हमें ३०साल अतिरिक्त सेहतमंद जीवन प्रदान करने की क्षमता मिल जाती है उन लोगॊं कॊ जॊ पहले ही अ्धेडावस्था में हैं, मसलन ५५ साल के. मैं उसे मजबूत मानव कायाकल्प कहुंगा. ठीक है. इसका असली मतलब क्या होगा आज विभिन्न आयु वाले लोग कितनी देर तक -- या यों कहें, विभिन्न आयु के उस समय जब ये उपचार उपलब्ध हो जाती हैं वास्तव में जियेंगे? इस सवाल का जवाब देने के लिए -- आप भले ही सोचें कि ये आसान है, किन्तु ये आसान नहीं है.. हम यह नहीं कह सकते, "अगर वे इन उपचारॊं का लाभ उठाने लायक उम्र में है, तो वे ३० साल अधिक जियेंगे." यह गलत जवाब है. और इसके गलत जवाब होने का कारण प्रगति है. दॊ तरह की तकनीकि प्रगति हैं इस मायने में. बुनियादी, बडी सफ़लताएं, और इन सफ़लताऒं का वृद्धिशील शोधन. और इन में काफ़ी अंतर है समय काल के अनुमान लगाए जाने कॊ लेकर. बुनियादी सफ़लताएं: अनुमान लगाना बहुत मुशकिल है कि कितना समय लगेगा बुनियादि सफ़लता पाने में. हमनें यह बहुत समय पहले तय कर लिया था कि उडने में मज़ा आयेगा, और हमें १९०३ तक का समय लगा पता लगाने के लिए कि यह कैसे किया जाए. लेकिन उसके बाद यह काफ़ी संतुलित और सामान्य हो गया. मैं समझता हूं कि यह उस घटनाक्रम का जायज़ ब्य़ॊरा है जो संचालित उडान की प्रगति में हुआ. यह भी सोचा जा सकता है कि इन में हर एक पिछले चरण के आविश्कारक की कल्पना के परे है. वृद्धिशील विकास का नतीजा इस तरह का है जो वृद्धिशील नहिं रहा. आप इस तरह की चिज़ किसी बुनियादी सफ़लता के बाद देख सकते हैं. आप इन्हें कई तरह की तकनीकों में देख सकते हैं. क्म्पयूटर के मामले में भी आप को सामान्तर समय रेखा देखने को मिलेगी, अपितु कुछ देर बाद. आप चिकित्सा संभाल को देख सकते हैं. मेरा मतलब है स्वच्छता, टीके, एंटीबायोटिक -- यानि कि, उसी तरह का समय सीमा इस लिये मै सोचता हूं, असल में दूसरा कदम, जिसे मैंने अभी अभी कदम बॊला था, कदम नहीं है. वॊ लॊग जिन की उम्र इतनी कम है कि वे इन चिकित्साऒं से लाभ उठा सकें जो यह थॊडा सा जीवन काल को बढा सकते हैं, यद्य्पि जब ये चिकित्साएं आएं तो वे अधेडावस्था में पहुंच चुके हों, एक तरह से बीच की स्थीति में होंगे. वे आम तौर पे उन्न्त उपचार पाने तक बच जाएंगे जो उन्हें ३०या५० साल और दे देगा. यानि कि वे इस खेल में आगे रहेंगे. चिकित्सा में इस गति से तेजी से सुधार हो जाएगा जिस गति से चिकित्सा में शेष खामियां उभर रही हैं. यह बहुत महत्वपुर्ण मुद्दा है जो मैं समझाना चाहता हूं.♫ क्यॊंकि अधिकतर लोग जब यह सुनते हैं कि मैं यह भविश्यवाणी करता हूं कि आज जीवित बहुत से लॊग १,००० साल या अधिक जियेंगे, वॊ सोचते हैं मैं कह रहा हुं कि हम अगले कुछ दशकॊं में उपचारों का आविश्कार करने जा रहे हैं जो उम्र के बढ्ने को पूरी तरह से समाप्त कर देंगे और ये उपचार हमें १,००० साल या अधिक जीवित रहने देंगे. मैं यह बिलकुल भी नहीं कह रहा हुं. मैं कह रहा हूं कि इन उपचारॊं में सुधार की दर पर्याप्त होगी. ये कभी भी परिपूर्ण नहीं हॊंगी, लेकिन हम उन चीज़ॊं को ठीक कर पाएंगे जिन से २०० साल के लॊग मरते हैं, इससे पहले कोई २०० साल के हों. और इसी तरह से ३००, ४०० और अधिक . मैंने इसे यह छोटा सा नाम दिया है,
"beh, se risolviamo questa cosa dell'invecchiamento, nessuno morirà più o comunque la mortalità sarà molto più bassa. si morirebbe solo attraversando l'incrocio di st. giles con poca attenzione. e dunque, non saremmo in grado di avere tanti bambini, e i bambini sono davvero importanti per la maggioranza delle persone"