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goedemorgen
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Letzte Aktualisierung: 2011-10-23
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goedemorgen.
सर।
Letzte Aktualisierung: 2017-10-13
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- goedemorgen.
- सुप्रभात.
Letzte Aktualisierung: 2017-10-13
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goedemorgen, hank.
गुड मॉर्निंग, हांक।
Letzte Aktualisierung: 2017-10-13
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goedemorgen, agent.
सुप्रभात, अधिकारी.
Letzte Aktualisierung: 2017-10-13
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vrouw: goedemorgen.
महिला: सुप्रभात.
Letzte Aktualisierung: 2019-07-06
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- goedemorgen, meneer.
- गुड मॉर्निंग, सर.
Letzte Aktualisierung: 2017-10-13
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don michele, goedemorgen.
हम क्या जो कुछ भी?
Letzte Aktualisierung: 2017-10-13
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goedemorgen, gebroeders becket.
सुप्रभात, बेकेट लड़कों!
Letzte Aktualisierung: 2017-10-13
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goedemorgen, kan ik u helpen, meneer?
सुप्रभात, मैं आपकी क्या मदद कर सकते हैं सर?
Letzte Aktualisierung: 2017-10-13
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goedemorgen. - wat wilde die vent van jou?
© इस cascino, जौहरी पर एक हमला है.
Letzte Aktualisierung: 2017-10-13
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goed zo. goedemorgen, mama. jongen in eigen taal: goedemorgen, mama. man in eigen taal:
बिल्कुल ठीक. सुप्रभात, मां. लड़का मातृभाषा में बोल रहा है: सुप्रभात, मां. पुरुष अपनी मातृभाषा में बोल रहा है: बढ़िया, अब अगरबत्ती बाहर रखो. अच्छा. लड़का मातृभाषा में बोल रहा है: सब कर दिया. मुझे थोड़ा पानी चाहिए.
Letzte Aktualisierung: 2019-07-06
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goedemorgen. ik wil jullie vertellen over een experiment dat een einde kan maken aan een bepaalde vorm van menselijk lijden. eigenlijk gaat het over dokter venkataswamy.
नमस्कार! आज मैं आपके साथ एक प्रयोग के बारे में बातचीत करने आया हूँ । कि कैसे हम मनुष्य की एक गहन समस्या को जड से ख़त्म कर सकते हैं । ये प्रयोग वास्तव में डॉ. वेनकटस्वामी की कहानी है । उनके लक्ष्य और उनके संदेश को आज हम अरविन्द आई केयर के अवतार में साक्षात देख सकते हैं । मेरे हिसाब से सबसे पहले दृष्टिविहीनता को सही मायनों में समझना ज़रूरी है । संगीत स्त्री: जहाँ भी मैं काम माँगने गयी, लोगों ने मना कर दिया, एक अंधी औरत हमारे किस काम की ? सूई में धागा डालने जैसे काम तो दूर की बात थी, मैं तो अपने बाल की जूँ तक नहीं देख सकती थी । अगर मेरे भात (चावल) में चींटी गिर जाती, तो भी मुझे पता नहीं चल सकता था । तुलसीराज रविल्ला: नहीं देख पाना तो एक भीषण समस्या है ही, लेकिन अंधापन व्यक्ति से उसका रोज़गार, और यहाँ तक कि उसका स्वाभिमान तक छीन लेता है, ना उसकी अपनी कोई आज़ादी बचती है और ना ही उसके परिवार में उसका कोई महत्व । तो आपने देखा कि ये स्त्री उन लाखों लोगों में से एक है जो देख नहीं सकते । और विडम्बना ये है कि इसे इस दुःख को झेलने की कतई ज़रूरत नहीं है । एक साधारण-सी, कई सालों से चली आ रही शल्य-क्रिया से लाखों लोगों की दृष्टि वापस आ सकती है । और उससे भी साधारण तरीका, एक चश्मा, जाने कितने ही और लोगों को देखने लायक बना सकता है । अगर यहाँ बैठे लोगों के स्तर पर बात की जाय जो कि चश्मे के कारण कार्य-कुशल है, तो लगभग हर पाँच में से एक भारतीय को नेत्र-चिकित्सा की आवश्यकता है, लगभग २० करोड लोगों को । मौजूदा स्थिति ये है कि हम इनमें से १० प्रतिशत तक भी नहीं पहुँच सके हैं । अरविन्द की कहानी का यही संदर्भ है करीब ३० साल पहले डॉ. वी ने रिटायरमेंट (अवकाश-प्राप्ति) के बाद एक बीडा उठाया । उन्होनें बिना किसी पूँजी के शुरुवात की । उन्हें अपने जीवन की सारी बचत, सारी संपत्ति गिरवी रखनी पडी थी तब जा कर बैंक से लोन मिल पाया था । और धीरे-धीरे, हम पाँच अस्पतालों के समूह में विकसित हो गये, ज्यादातर, तमिलनाडु और पुड्डुचेरी में, और फिर, हमने विज़न सेंटरों को विकसित करना शुरु किया उप-अस्पतालों के रूप में । और अब हमनें अस्पतालों का प्रबंधन करना भी शुरु किया है, देश के दूसरे भागों में और देश के बाहर भी हमने अस्पतालों की स्थापना शुरु की है पिछले तीन दशकों में हमने करीब ३५ लाख नेत्र ऑपरेशन किये हैं, उसमें से अधिकतर गरीब लोगों के लिये । आज हम हर साल लगभग ३ लाख ऑपरेशन करते हैं । किसी भी दिन औसतन हम लोग अरविन्द में एक हज़ार ऑपरेशन करते हैं । और लगभग ६ हज़ार मरीज़ देखते हैं, हम अपनी टीमों को गाँव-गाँव भेजते है, वहाँ से ज़रूरतमंद मरीज़ों को लाते हैं, कई बार दूर-संचार के माध्यम से भी इलाज करते हैं, और इस सब को कर पाने के लिये, बडे पैमाने पर प्रशिक्षण भी देते हैं । उन डाक्टरों और तकनीशियनों को, जो कि आगे चल कर अरविन्द के कार्यकर्ता बनते हैं । और फिर, हम यही काम दिन-रात, रात-दिन, बारम्बार करते जाते हैं, और बेहतर करते जाते हैं, इसके लिये बहुत तगडे मनोबल और कमरतोड मेहनत करने की ज़रूरत होती है मै ये मानता हूँ कि ये सब संभव है उस नींव की बदौलत जो डॉ. वी ने रखी कुछ अडिग मौलिक सिद्धान्त, एक सुचारु व्यवस्था-क्रम और कुछ नया करने की संस्कृति संगीत डॉ. वी: मैं गाँव-देश के आम लोगों के साथ बहुत उठा-बैठा हूँ क्योंकि मैं ख़ुद भी एक ग्रामीण ही हूँ और अचानक ऐसा लगता है जैसे आप इस व्यक्ति की अंतरात्मा से जुड रहे हों, आप उसके साथ मिल कर एक हो रहे हों। उस आम आदमी की आत्मा में विश्वास की सादगी भरी होती है । डाक्टर, जो भी आप कहेंगे, मैं करने को तैयार हूँ । मैं आप में अपना पूर्ण विश्वास रखता हूँ और आप उस विश्वास को किसी भी हालत में तोड नहीं सकते । मेरे सामने एक बूढी औरत है जिसे मुझमें संपूर्ण विश्वास है, मेरा कर्तव्य है कि मैं पूरी कोशिश करूँ । जब हम आत्मा को चेतन करते हैं, हम सारे संसार को स्वयं का हिस्सा समझने लगते हैं, इसलिये लेन-देन का सवाल ही नहीं उठता । हम तो स्वयं अपनी ही मदद कर रहे होते हैं । हम तो स्वयं अपना ही इलाज कर रहे होते हैं ।
Letzte Aktualisierung: 2019-07-06
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goedemorgen iedereen. ik werk met echt geweldige piep piepkleine wezens: cellen. laat me jullie vertellen hoe het is om deze cellen te kweken in het lab.
सभी को नमस्ते मैं वास्तव में बहुत ही छोटे-छोटे जन्तुओ के साथ काम करती हूँ जिन्हे कोशिका कहते हैं। और मैं आप को बताना चाहती हूँ कि प्रयोगशाला में इन कोशिकाओं को कैसे बढा किया जाता हैं। मैं प्रयोगशाला में इन कोशिकाओं को इनके असली वातावरण से बाहर लेकर आती हूँ। हम इन्हे बर्तनो में रखते हैं जिन्हे पेट्री बर्तन भी कहते हैं। फिर निसंदेह हम उन्हे रोगाणुनाशक कोशिका संवर्धन नामक खाना खिलाते हैं और उन्हे इन्क्यूबेटर में बढ़ा करते हैं। मैं ऐसा क्यों करती हूँ? हम बर्तनों की सतह पर पड़ी इन कोशिकाओं का निरीक्षण करते हैं। लेकिन वास्तव में हम मेरी प्रयोगशाला में इन कोशिकाओं से ऊतक बनाने का प्रयास करते हैं। पर इस का क्या मतलब हैं? मतलब यह जैसे कि एक वास्तविक दिल या कहिए एक हड्डी का टुकड़ा बढ़ा करना ताकि उसे शरीर में डाला जा सके। ना सिर्फ यह बल्कि इन्हे बीमारी के माडल के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता हैं। पर इस के लिए पांरपरिक कोशिका संवर्धन तकनीक काफी नही हैं कोशिकाएं गृहातुर महसूस करती हैं; बर्तन इन्हे अपने घर जैसे नही लगते। इसलिए हमे जरुरत हैं कि उन्हे उनके प्राकृतिक वातावरण के प्रतिरुप रखे ताकि वो बढ़ सके। हम इसे प्रकृति अभिप्रेरित निर्माण कहते है। प्रयोगशाला में वातावरण की नकल करना। चलिए अब दिल का उदाहरण ले लिजिए जो ज्यादातर मेरी शोध का हिस्सा रहा हैं। दिल को क्या अद्वितीय बनाता हैं? जी दिल की धड़कन चलती है, लय में, बिना थके, ईमानदारी से। हम प्रयोगशाला में इसकी नकल करते हैं ताकि विद्युत-द्वार के साथ कोशिका संवर्धन को सजाया जा सके। यह विद्युत-द्वार छोटे गतिनिर्धारक का काम करते है जो कोशिका को प्रयोगशाला में धड़कने में मदद करता हैं। हम दिल के बारे में और क्या जानते हैं? दिल की कोशिकाएं बहुत ही लालची होती हैं। कुदरत हमारे दिल की कोशिकाओं को बहुत ही गाढ़े रक्त के सहारे जीवत रखती हैं। प्रयोगशाला में, हम वाहिका को बायोमैटीरियल्स में सूक्ष्म आकार देते हैं जिन से हम उन्हे बढ़ा करते हैं और यह हमें अनुमति देता हैं कि हम कोशिका संवर्धन जोकि कोशिकाओं का खाना हैं उसे मचाऩ के द्वारा प्रवाहित करें जहां हम इन्हे बढ़ाते हैं जैसे कि हम अपने दिल की केशिका से उमीद करते हैं। तो इस तरह मैं अपने पहले सबक तक पहुँचती हूँ। जीवन थोड़े में ही बहुत कुछ कर सकता हैं। चलिए अब वैद्युत का उदाहरण ही ले लीजिए। और देखिए यह आधारभूत तथ्य कितने ताकतवर हो सकते हैं। दाहिने तरफ हम एक दड़कते हुए दिल का छोटा सा ऊतक देख रहे हैं, जो मैंने एक चूहे की कोशिका से बनाया हैं। यह एक छोटे से मासशमैलो जितना हैं। और एक हफ्ते बाद यह धड़क रहा हैं। आप इसे ऊपरी दाहिने तरफ देख सकते हैं। पर चिन्ता ना करे अगर आप इसे अच्छे से ना देख पाए तो। यह आश्चर्यजनक हैं कि यह कोशिकाएं धड़क रही हैं। पर यह और भी अद्भुत हैं कि जब इन कोशिकाओं को वैद्युत से उत्तेजित करते हैं जैसे कि गतिनिर्धारक से तो यह और भी तेज़ धड़कने लगते हैं। तो इस तरह मैं अपने दूसरे सबक तक पहुँचती हूँ।' कोशिकाएं सारे काम स्वंय ही कर लेती हैं। एक मायने में, ऊतक इंजीनियरों की यहाँ उनकी पहचान पर बन आई हैं। क्योंकि संरचनात्मक इंजीनियर पुल और बड़ी चीज़े बनाते हैं। कंप्यूटर इंजीनियर, कंप्यूटर। पर हम यहाँ कोशिकाओं के लिए एक सक्षम तकनीक बना रहे हैं। पर इस सब का हमारे लिए क्या मतलब हैं? चलिए बहुत ही साधारण काम करते हैं। हम अपने आप को यह याद दिलाते हैं कि कोशिकाएं काल्पनिक धारणा नही हैं। याद रखिए कि असल में हमारी कोशिकाएं ही हमें पालती हैं।
Letzte Aktualisierung: 2019-07-06
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[man spreekt in eigen taal] zeg eens goedemorgen tegen mama. jongen in eigen taal: goedemorgen. man in eigen taal:
[पुरुष अपनी मातृभाषा में बोल रहा है] मां को सुप्रभात बोलो. लड़का मातृभाषा में बोल रहा है: सुप्रभात. पुरुष अपनी मातृभाषा में बोल रहा है: अगरबत्ती ये रही. लड़का मातृभाषा में बोल रहा है: मुझे नहीं करना है. पुरुष: फिर पिताजी यह अकेले ही कर लेंगे, ताई-चान. ताई-चान, इधर आओ, यह घंटी बजाओ. जब पिताजी अगरबत्ती लगा दें, तो तुम घंटी बजा सकते हो.
Letzte Aktualisierung: 2019-07-06
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goedemorgen. laten we eens kort kijken naar de grootste icoon van allemaal, leonardo da vinci. we zijn allemaal bekend met zijn fantastische werk -- zijn tekeningen, zijn schilderijen, zijn uitvindingen, zijn geschriften.
सुप्रभात. चलिए एक मिनट के लिए इतिहास के महानतम प्रवादपुरूष लियोनार्दो दा विन्ची की तरफ देखते हैं. हम सभी उनकी अद्भुत कृ्तियों से परिचित हैं -- उनके रेखाचित्र, तस्वीरें, उनके आविष्कार, उनके लेख. लेकिन हम उनके चेहरे को नहीं जानते. उनके बारे में हज़ारों क़िताबें लिखी गईं हैं, पर उन सभी में उनकी शक्ल-सूरत को लेकर विवाद रहा है. यहाँ तक की बहुत से कला इतिहास बोद्धा उनकी इस विख्यात पोट्रेट को स्वीकार नहीं करते हैं. तो आपको क्या लगता है? क्या यही लियोनार्दो दा विन्ची का चेहरा है या नहीं? चलिए पता लगाते हैं. लियोनार्दो ऎसे व्यक्ति थे जो अपने आस पास की हर वस्तु की तस्वीर बनाते थे. उन्होने लोगों की, मानवीय शारीरिक संरचना, पौधे, जानवर, प्रकृ्ति, भवन, पानी, हर चीज़ की तस्वीरें बनाई. पर चेहरों कि नहीं? मुझे ऎसा विश्वास करना कठिन लगता है. उनके समकालीन चित्रकारों ने चेहरों की भी तस्वीरें बनाई, यहाँ दिख रही तस्वीरों की तरह. पूरा चेहरा या उसका तीन-चौथाई. तो लियोनार्दो जैसे स्वतःस्फूर्त चित्रकार ने समय समय पर खुद की तस्वीरें ज़रूर बनाई होंगी. चलिए उन्हे ढूँढ निकालते हैं. मुझे लगता है कि अगर हम उनकी सारी कृ्तियों को उनके स्वयं की तस्वीर ढूँढने के लिए छाँटते बैठें, तो हमें उनका चेहरा हमारी और देखता मिल ही जाएगा. तो मैंने उनकी सारे चित्र, जो 700 से ज़्यादा हैं, देख डाले, और पुरूष पोट्रेट तलाशे. उन तस्वीरों की संख्या क़रीब 120 है, जिन्हें आप यहाँ देख रहे हैं. अब इनमें से कौनसी उनकी खु़द की तस्वीरें होंगी? उसके लिए हम उन तस्वीरों को छांट कर निकालते हैं जिनमें पूरा चेहरा या उसका तीन-चौथाई भाग दिख रहा हो. बाकी तस्वीरों को हटा देते हैं. उस तस्वीर में पर्याप्त स्पष्टता भी होनी चाहिए. इसलिए हम बहुत अस्पष्ट या बहुत अधिक शैलीगत तस्वीरों को भी हटा देते हैं. उनके समय के विवरणों से हमें ये पता है कि लियोनार्दो बहुत ही सुपुरूष, ख़ूबसूरत इंसान थे. तो हम कुरूप या व्यंग-छवियों को भी निकाल सकते हैं.
Letzte Aktualisierung: 2019-07-06
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