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deflation
हिंदी में क्या बोले
Last Update: 2021-12-12
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factors which contribute towards deflation .
ऐसे कारक जो अवस्फीति की क्रिया में योगदान देते हैं ।
Last Update: 2020-05-24
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deflation cannot be taken as just opposite to inflation .
अवस्फीति हमेशा स्फीति के सर्वथा विपरीत अर्थ में नहीं ली जा सकती ।
Last Update: 2020-05-24
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deflation of currency may benefit certain sectors of economy .
मुद्रा अवस्फीति अर्थव्यवस्था के कतिपय क्षेत्रों को लाभ प्रदान कर सकता है ।
Last Update: 2020-05-24
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cyclic deflation in food articles is generally noticed after harvesting season of crop .
खाद्य पदार्थों की कीमत में चक्रीय अवस्फीति फसल कटाई के पश्चात दिखाई देती है ।
Last Update: 2020-05-24
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currency deflation is a measure to increase the value of currency on the backdrop of inflation .
मुद्रा स्फीति के संदर्भ में मुद्रा का मूल्य बढाए जाने का प्रयास जिसे मुद्रा - अपस्फीति का नाम दिया गया है ।
Last Update: 2020-05-24
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it is an attempt or action taken by the government to counteract inflation or deflation by introducing changes in tax structure and by regulating expenditure .
एक ऐसा प्रयास जिसके अन्तर्गत मुद्रास्फीति अथवा अवस्थिति से निपटने के लिए सरकार द्वारा कराधान व्यवस्था में परिवर्तन कर और खर्च के निगमन के जरिए वांछित परिणाम प्राप्त किए जाते हैं ।
Last Update: 2020-05-24
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the experience of the developed economies in the past few years suggests that an economy at full employment , but with inflation higher than the normal may be better positioned to withstand a bout of financial stress than one that is flirting with deflation .
वित्तीय विस्तार उपायों ने वैश्विक बाजारों से उत्पन्न मंदी की चिंताओं के बीच विकास गति को बनाए रखने में मदद की । विगत कुछ वर्षों के दौरान विकसित अर्थव्यवस्थाओं का अनुभव यह दर्शाता है कि पूर्ण रोजगार के स्तर पर , परंतु सामान्य से अधिक मुद्रास्फीति वाली अर्थव्यवस्था मंदी से ग्रस्त अर्थव्यवस्था के मुकाबले वित्तीय दबाव के झटके को सहन करने की बेहतर स्थिति में हो सकती है ।
Last Update: 2020-05-24
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"we gotta do something about it!" it doesn't feel good to be in a recession so they try and pump everything up but they don't realize that they're just making everything worse later. everything they do is gonna come back to haunt them as more uh... inflation eventually uh... or this deflation i'm talking about is the expansion of credit contracting.
"हमे इसके लिए कुछ करना होगा!"। मंदी मे होना उसे अच्छा नही लगता, इसलिए वे सब कुछ चलाते और ढकेलते है। लेकिन उन्हे यह समझ मे नही आता कि बाद मे वे सब और खराब करने वाले है। जो कुछ वे कर रहे है वह वापिस आकर उन्हे और तंग करेगा। मुद्रास्फीति जैसे उह...या यह अपस्फीति जिसके बारेमे मैं बोल रहा हूँ वह क्रेडिट के संकुचन मे विस्तार है। यहाँ एक और चीज है, जो चल रही है इसका कुल अर्थ इतना है कि यह दशक अलग है उससे जो आपने अब तक जाना है। उह...लोगो को यह समझ मे नही आता कि हर 30-40 साल मे दुनिया के पास बिलकुल नई वित्त व्यवस्था आ जाती है। वह हर 30-40 साल मे बदल जाती है। 1873 मे जर्मनी ने, क्लासिकल सोना-मानक शुरू किया उह... 1990 तक विश्व के सभी विकसित देश एक ऐसे मानक पर थे जहा संचार मे आने वाली हर करेंसी नोट जो उनके कोषागार से आती थी वह बराबर मूल्य के सोने से समर्थित रहती थी, इसलिए यह सौ प्रतिशत समर्थन था, उह... फिर प्रथम विश्व युद्ध हुआ युरोप के सभी लड़ने वाले देश क्लासिकल सोने के मानक से हट गये और नोट छापना चालू कर दिया। और युद्ध के दौरान हमारे पास एक "सोना विनीमय मानक"था जो एक प्रकार का मिश्रण था ऋण और सोने से सर्मर्थित करेंसी का उह...यह मानव-निर्मीत एक खराब प्रणाली थी, ओर मानव निर्मीत कुछ भी ठहर नही सकता, मूलतः वहाँ फेडरल रिझर्व था, फेडरल रिझर्व कानुन के तहत 40 प्रतिशत रीझर्व-रेसीओ था और उनको यह अनुमति थी कि उह...प्रत्येक बीस डॉलर के सोने के मूल्य के सामने पचास डॉलर के बिल्स प्रसार मे रख सके। तो वह सोने की कीमत से ज्यादा के क्लेमचेक प्रसार मे रख रहे थे। जब से फेडरल रिझर्व अस्तित्व मे आया, हम एक झूठ मे जी रह रहे है और अगर लोग कहते है कि अमरीका मे खुले बाजार है, तो वह गलत है। आपके पास खुली मुद्रा के बिना खुले बाजार नहीं हो सकते। आपकी मुद्रा हर लेन-देन का पचास प्रतिशत है, सभी लेन-देन खुले बाजार है। अगर वहां लोगो का एक समूह है जो तय करे कि मुद्रा क्या हो और मुद्रा की कीमत कितनी होगी, ब्याज की दर, तो यह खुला बाजार नही है. हमारे पास खुले बाजार नही है, सन 1913 से नही है, फिर हमारे पास है उह... ब्रेटन वुडस प्रणाली, क्लासिक गोल्ड मानक खत्म हो गया, सन 1944 से ब्रेटन वुडस प्रणाली थी जहां उह... दुनिया की सभी उह... मुद्राएं प्रति औस 35 डॉलर्स के हिसाब से समर्थित थी। ओर विदेशी केंद्रीय बेंक्स इन डॉलर्स को न्युयॉर्क फेड के साथ सोने से बदल सकते है, प्रति औस 35 डॉलर्स के हिसाब से इसलिए दुनिया की सभी मुद्राए सोने से समर्थित थी लेकिन डॉलर के माध्यम से। उह... इसलिए सभी राष्ट्र डॉलर्स की पूछ-तांछ करते रहे और सोना वॉल्टस से बाहर आ गया और निक्सन ने हमे 1971 मे सोने के मापदंड से बाहर निकाला। तो आपके पास 30 से 40 साल, 30 साल़, 28 साल, 39 साल और आगे क्या? इस दशक मे जो g7 देशो की आपात बैठक होने वाली है जो g20 देशो मे से है, और वे नई वित्तीय प्रणाली को ईजाद करने वाले है और वे पहले से ही इस पर काम कर रहे है, वे यह जताने की कोशिश कर रहे हैं कि जब डॉलर टूटेगा तो वे क्या करेगे। उह... यह फर्क है, सत्तर के दशक की तेजी और आज इसलिए मै कहता हूँ कि आप असल मे तुलना नही कर सकते, और याद रखिए आठ साल मे सोना अपनी किमत मे 24 बार उपर गया और चांदी 36 बार, यह छोटे समय मे एक भारी जीत थी। उह...सत्तर के दशक मे मूलतः उतर अमेरिका और पश्चिम युरोप थे जिन्होने इन बहुमूल्य धातु की कीमत बढ़ाई, लंदन मेटल एक्सचेंज, और अमरीका के कोमोडिटी एक्सचेंज जहां पर सोने और चांदी की कीमत तय होती है। पूरा ussr हिस्सा नही ले सका, वहाँ कोई एक्सचेज नही था वहाँ सोने और चांदी का कोई बाजार नही था, और अगर आप कुछ खरीद सके तो वह सिर्फ काले बाजार मे से, तो आपका निवेश पूरे विश्व के मूल्य पर असर नही करता था वे लोग इस तेजी के बाजार मे निवेश करने और सोने की कीमत आगे बढाने से वंचित थे। माओ के शाशन मे चीन, वैसा ही कुछ, प्रथम तो सभी लोग मुश्किल से निर्वाह कर रहे थे बहुत कम लोगो के पास बिजली थी। सोना लेने की बात तो बिलकुल अलग ही थी भारत, मॅक्सीको, दक्षिण अमरीका उस समय काफी गरीब थे, दुनिया का सबसे अमीर आदमी कार्लोस स्लिम है, और वह मेकसीको शहर मे रहता है, उह...अब इन राष्ट्रो मे बहुत सारे निवेशक है और शांघाई मे तो निवेश एक खेल है, लोग कमरे मे इस तरह बैठेंगे, टिकर्स देखते जाएँगे और अपनी शर्त लगाते जाएंगे। उह...बाकी विश्व, अफ्रिका, मेरा मतलब बचा हुआ सारा ही विश्व पहले इस तेजी से वंचित था और फिर भी सोना 24 बार और चांदी 36 बार उपर गया। तो क्या... और उस समय तो, समाचार भी बहुत धीरे से पहुँचते थे, पुराना वेकयुम ट्यूब tv सेट चालू होने मे पूरे 60 सेकेंड्स लेता था और फिर वॉल्टर क्रोंकिट आता था और मुझे सोने के भाव मिल पाते थे या फिर आप अगले दिन समाचार पत्र खोलते थे और उह...आपको समाचार मिलने मे 24 घंटो का समय लगता था, फिर आप फोन उठाते थे और आपके दलाल को फोन करते थे ओर अगर आप भाग्यशाली हो तो आपका ऑर्डर उसी दिन एक्सचेंज फ्लोर पर पहुँच पाता था। लेकिन अधिकतर अगले दिन ही । तो समाचार और प्रतिक्रिया समय काफी धीमा था। उह...निवेशको के विचारो का बनना भी।
Last Update: 2019-07-06
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