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Hindi

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English

don't raise your voice improve your argument

Hindi

अपनी आवाज़ को बढ़ाए मत अपने तर्क को बेहतर बनाएं

Last Update: 2018-01-23
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Reference: Anonymous

English

o you who believe, do not raise your voices above the voice of the prophet, and do not speak loudly to him as you do with one another lest your deeds are nullified unconsciously.

Hindi

ऐ ईमानदारों (बोलने में) अपनी आवाज़े पैग़म्बर की आवाज़ से ऊँची न किया करो और जिस तरह तुम आपस में एक दूसरे से ज़ोर (ज़ोर) से बोला करते हो उनके रूबरू ज़ोर से न बोला करो (ऐसा न हो कि) तुम्हारा किया कराया सब अकारत हो जाए और तुमको ख़बर भी न हो

Last Update: 2014-07-03
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English

believers , do not raise your voices above the voice of the prophet , do not be too loud in speaking to him , lest your deeds will be made devoid of all virtue without your realizing it .

Hindi

ऐ ईमानदारों अपनी आवाज़े पैग़म्बर की आवाज़ से ऊँची न किया करो और जिस तरह तुम आपस में एक दूसरे से ज़ोर से बोला करते हो उनके रूबरू ज़ोर से न बोला करो तुम्हारा किया कराया सब अकारत हो जाए और तुमको ख़बर भी न हो

Last Update: 2020-05-24
Usage Frequency: 1
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English

o you who have believed , do not raise your voices above the voice of the prophet or be loud to him in speech like the loudness of some of you to others , lest your deeds become worthless while you perceive not .

Hindi

ऐ ईमानदारों अपनी आवाज़े पैग़म्बर की आवाज़ से ऊँची न किया करो और जिस तरह तुम आपस में एक दूसरे से ज़ोर से बोला करते हो उनके रूबरू ज़ोर से न बोला करो तुम्हारा किया कराया सब अकारत हो जाए और तुमको ख़बर भी न हो

Last Update: 2020-05-24
Usage Frequency: 1
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English

believers , do not raise your voices above the voice of the prophet , and do not speak as loudly when speaking to him as you do when speaking to one another , lest your actions come to nothing without your realizing it .

Hindi

ऐ ईमानदारों अपनी आवाज़े पैग़म्बर की आवाज़ से ऊँची न किया करो और जिस तरह तुम आपस में एक दूसरे से ज़ोर से बोला करते हो उनके रूबरू ज़ोर से न बोला करो तुम्हारा किया कराया सब अकारत हो जाए और तुमको ख़बर भी न हो

Last Update: 2020-05-24
Usage Frequency: 1
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Reference: Anonymous

English

o people who believe ! do not raise your voices higher than the voice of the prophet , nor speak to him loudly the way you shout to one another , lest your deeds go to waste whilst you are unaware .

Hindi

ऐ लोगो , जो ईमान लाए हो ! तुम अपनी आवाज़ों को नबी की आवाज़ से ऊँची न करो । और जिस तरह तुम आपस में एक - दूसरे से ज़ोर से बोलते हो , उससे ऊँची आवाज़ में बात न करो । कहीं ऐसा न हो कि तुम्हारे कर्म अकारथ हो जाएँ और तुम्हें ख़बर भी न हो

Last Update: 2020-05-24
Usage Frequency: 1
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Reference: Anonymous

English

this is the kind of thinking that went into creating the 99. the 99 references the 99 attributes of allah in the koran, things like generosity and mercy and foresight and wisdom and dozens of others that no two people in the world would disagree about. it doesn't matter what your religion is; even if you're an atheist, you don't raise your kid telling him, you know,

Hindi

'द ९९'। द ९९ कुरान में दिये गये अल्लाह के ९९ गुणों की ओर इशारा करती है, जैसे कि उदारता, दया, दूरदृष्टि, और अक्लमंदी और दर्ज़नों बाकी गुण जिन्हें दुनिया में कोई भी अस्वीकार नहीं करेगा, चाहे उसका कोई भी धर्म क्यों न हो। यदि आप नास्तिक भी हैं, तो भी आप अपने बच्चे को ये नहीं सिखाते कि, देखो, दिन में तीन बार झूठ ज़रूर बोलना। ये तो मूलभूत इंसानी अच्छाइयाँ हैं। तो 'द ९९' की कहानी है सन १२५८ की, जब इतिहास के हिसाब से मंगोलों ने बग़दाद को मटियामेट कर दिया था। बैत-अल-हिक्मा पुस्तकालय की सारी किताबें, उस ज़माने की सबसे प्रसिद्ध पुस्तकालय को, टिग्रिस नदी में फेंक दिया गया, और टिग्रिस का रंग स्याही जैसा हो गया था। ये कहानी पीढी दर पीढी चली आ रही है। मैने वो कहानी फ़िर से लिखी। मेरे विवरण में, पुस्तकालय वालों को पता लग गया कि ऐसा होने वाला है -- और यहीं एक नोट भी है: अगर आप चाहते हैं कि कोई कॉमिक प्रसिद्ध हो, तो लाइब्रेरी वालों को हीरो बनाइये। सही रहेगा। (हँसी) (अभिवादन) तो पुस्तकालय वालों को पता लग गया और उन्होंने एक ख़ास रसायन तैयार किया, जिसे किंग्स वाटर (या राजसी जल) कह गया, जिसे कि ९९ पत्थरों से मिलाने पर, किताबों में निहित संस्कृति और इतिहास बच जायेगा। मगर मंगोल वहाँ पहले पहुँच गये। और किताबें और वो रसायन भी टिग्रिस नदी में फ़ेंक दिया गया। कुछ पुस्तकालय वाले बच निकले, और कई दिनों और हफ़्तों के बाद, उन्होंने टिग्रिस नदी में वो पत्थर डाल कर, वो सारी जानकारी और अक्ल हासिल कर ली जिसे हम सब ने खोया हुआ मान लिया था। उन पत्थरों को प्रार्थना की तीन मालाओ के दानों के रूप में छुपा कर तीन माला - हर एक में ३३ दाने अरब से अन्दूलेसिया से स्पेन तक तस्करी के ज़रिये लाया गया, और २०० साल तक छुपाया गया। मगर १४९२ में, दो महत्वपूर्ण घटनायें हुईं। पहली तो ग्रानादा का ध्वस्त होना, जो कि यूरोप में मुस्लिमों का आखिरी ठिकाना था। दूसरी ये कि कोलम्बस को भारत जाने के निकला, मगर खो गया। (हँसी) तो ३३ पत्थर तो तस्करी से नीना, पिन्टा, और संता मारिया तक लाये गये, और नयी दुनिया में फ़ैल गये। ३३ सिल्क रूट के ज़रिये चीन, दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में फ़ैल गये। और बाकी ३३ यूरोप और मध्य-पूर्व और अफ़्रीका में फ़ैल गये। और अब २०१० है, और ९९ सुपरहीरो हैं जो कि ९९ अलग देशों से हैं। और ये सोचना बडा आसान है कि क्योंकि वो किताबें अल-हिक्मा पुस्तकालय से थी, तो इस्लामिक होंगी मगर ऐसा नहीं है क्योंकि जिस खलीफ़ा ने उसे बनवाया था, उसका नाम था अल-मामून -- वो हारुन अल-रशीद का बेटा था। उसने अपने सलाहकारों से कहा, "मुझे वो सारे विद्वान चाहिये जो सारी किताबों का अरबी में अनुवाद कर दें, और मैं उन्हें उनकी किताबों के वज़न के बराबर सोना दूँगा।" कुछ दिन बाद, सलाहकारों ने शिकायत की। उन्होंने कहा, "महाराज, ये विद्वान धोखा कर रहे हैं वो बडे अक्षरों में लिख रहे हैं, ज्यादा सोने के लालच में।" तो खलीफ़ा बोला, "करने दो, क्योंकि वो हमें वो दे रहे हैं जिसकी कीमत सोने से कहीं ज्यादा है।" तो खुले स्थापत्य का, खुली जानकारी का विचार रेगिस्तानी इलाकों में नया नहीं है। ये परिकल्पना आधारित है नूर पत्थरों पर। अरबी में नूर का अर्थ है रोशनी। तो इन पत्थरों के, कुछ नियम वगैरह हैं: पहला, आप पत्थर तक नहीं पहुँचते, वो आप तक पहुँच जाते हैं। कुछ कुछ किंग आर्थर की कहानी की तरह, ठीक है। दूसरा, सारे के सारे ९९ हीरो, जब उनके पास पत्थर आता है, तो उसका गलत इस्तेमाल करते हैं; अपनी खुदगर्ज़ी के लिये। और उसमें एक शक्तिशाली संदेश निहित है कि जब आप पत्थर का गलत इस्तेमाल करते हैं आपका फ़ायदा उठाया जाता है उन लोगों के द्वारा जो आपकी शक्ति को गलत इस्तेमाल करते हैं। तीसरा कायदा, इन ९९ पत्थरों में सब कुछ है एक ऐसा तरीका जिससे इन्हें ताज़ा जानकारी मिलती रहती है। अब इस्लाम में दो तरह के लोग हैं सब लोग मानते हैं कि कुरान शाश्वत सत्य है - समय और स्थल से परे। कुछ लोग ये मानते हैं कि इसका मतलब वो कुरान है जिसे कई हज़ार साल पहले लिखा गया था। मेरा इस पर विश्वास नहीं है। एक और दल है जो मानता है कि कुरान जीवित, साँस लेता दस्तावेज़ है। और इसी बात को मैने इन पत्थरों के खुद ताज़ा होने में शामिल किया। अब जो मुख्य खलनायक है, रुघल, वो चाहता नहीं कि ये पत्थर ताज़ा जानकारी रखें। तो वो इन्हें नयी जानकारी तालीम लेने से रोकता है। वो ख़ुद इन पत्थरों का इस्तेमाल तो नहीं कर सकता है, मगर वो इन्हें रोक सकता है। और इन्हें रोक कर, वो अपना फ़ासिस्टनुमा अजेंडा चलाता है, और कुछ एक ९९ सुपरहीरो लोगों से अपने लिये काम करवाता है। वो सब एक तरह की वर्दी में है, एक ही रंग की। उन्हें इज़ाजत नहीं है खुद को अभिव्यक्त करने की, वो कौन है, क्या हैं बताने की। और वो उन पर ख़ासा शासन करता है। जबकि जब वो दूसरी तरफ़ से काम करते हैं, उन्हें पता लगता है कि वो गलत आदमी के लिये काम करते हैं, उन्हें इस्तेमाल किया गया है, और वहाँ तो कोई वर्दी वगैरह भी नहीं है, सबके अपने कपडॆ हैं। और आखिरी बात इन ९९ नूर पत्थरों के बारे में ये थी। तो ९९ हीरो तीन तीन की टीम में काम करते हैं। तीन ही क्यों? कुछ वजहे हैं। पहली ये कि इस्लाम में कभी भी आप एक लडके और एक लडकी को अकेला नहीं छोडते, क्योंकि तीसरा व्यक्ति लालच या फ़िर शैतान होता है, है न? ऐसा ही है न सारी अवधारणाओं में, है न? मगर ये धर्म के लिये नहीं है, ये तो पुराने मतों को तोडने जैसा है। यहाँ बहुत बडा सामाजिक संदेश है जिसका पहुँचना ज़रूरी है असहनीयता की गहराइयों तक. और इस का एक ही तरीका है कि कुछ खेल खेले जायें। और मैने इसका ये तरीका निकाला। वो तीन लोगों की टीम में काम करेंगे, दो लडके और एक लडकी, तीन लडकी, तीन लडके, समस्या ही खत्म। और स्विस मानसवेत्ता, कार्ल जंग, ने भी कहा है तीन के अंक के महत्व के बारे में, सारी संस्कृतियों मे, तो मुझे लगा कि मैं ठीक हूँ। ख़ैर... मुझे कुछ ब्लागों मे कहा गया कि मुझे पोप द्वारा कैथोलिक धर्म फ़ैलाने के लिये मध्य-पूर्व में भेजा गया है, तो आप -- (हँसी) आप जो चाहे माने -- मैं आपको अपनी कहानी सुना चुका हूँ। और ये कुछ किरदार हैं। मुजीबा, मलेशिया से, उसकी ताकत है कि सारे प्रश्नों के उत्तर जानती है। इसे बकवासकोष की अध्यक्ष कह सकते हैं। मगर जब उसे अपनी ताकत मिली थी, उसने कौन बनेगा करोडपति जैसे शो से पैसा कमाना शुरु कर दिया था। जब्बर है, साउदी अरब से, जिसने तोड फ़ोड शुरु कर दी थी ताकत मिलते ही। मुमिता भी मज़ेदार है। ये कुछ भी नष्ट कर सकती है। तो अल्लाह के ९९ गुणों में भी यिन और यांग हैं। वहाँ शक्ति है, ताकत है, आधिपत्य है। मगर वहाँ उदारता है, और दया भी है। मुझे लगा, कि क्या सारी लडकियाँ दयालु और उदार और सारे लडके ताकतवर होंगे? तो मैने सोचा, मैं कुछ एक विध्वंसक लडकियों से मिला तो हूँ अपने जीवन में... (हँसी) ये जामी है हंगरी से, जिसने ताकत मिलते ही हथियार बनाने शुरु कर दिये। ये तकनीक की विशेषज्ञ है। मुसव्विरा है घाना से, हायदा है पाकिस्तान से, जलील है ईरान से जो आग का इस्तेमाल करता है। और ये मेरी मन पसंद, अल-बतिना यमन से। अल-बतिना छुपी रुस्तम है। वो छुपी रहती है, और वो सुपरहीरो है। मैनें घर लौट कर अपनी पत्नी से कहा, "मैने तुम्हारे आधार पर एक किरदार बनाया है।" मेरी पत्नी साउदी की है, और यमन से रिश्ता रखती है। और उसने कहा, "दिखाओ मुझे।" तो मैने उसे ये दिखाया। और उसने कहा, "ये तो मैं नहीं हूँ।" मैने कहा, "आँखें देखो, तुम्हारी ही तो हैं।" (हँसी) तो मैनें अपने निवेशकों से वादा किया कि ये एक और घटिया सडल काम नहीं होगा। ये तो सुपरमैन जैसा कुछ होगा, वरना ये मेरे समय और आपके पैसे के लायक नहीं है। तो पहले ही दिन से, शीर्ष लोगों को इस प्रोजेक्ट में जोडा गया, नीचे बाईं ओर हैं फ़ाबियन निसिएज़ा, एक्स-मेक और पॉवर रेंज़र की लेखिका। उनके बगल में हैं डैल पानोसियन, नये एक्स-मैन के रचयिताओं में से एक। शीर्ष लेखक, स्टुअर्ट मूर, आयरन मैन के लेखकों में से एक। उनके बाजू में जॉन मक्क्रेआ, जो स्पाइडरमैन की इंकिग कर चुके हैं। और हमने पाश्चात्य मानस में प्रवेश किया इस लाइन से: "अगले रमज़ान तक, दुनिया में नये सुपर हीरो होंगे।" २००५ में। फ़िर मैं दुबई गया, एक अरब वैचारिक फ़ाउंडेशन कॉंफ़्रेंस में, और मैं कॉफ़ी पीते हुए किसी ठीक ठाक पत्रकार से टकराने का इंतज़ार कर रहा था। मेरे पास दिखाने को अपने जुनून के अलावा कुछ था नहीं। और मुझे न्यूयार्क टाइम्स से एक सज्जन मिले। मैनें उन्हें दबोच लिया, और उन्हे ये सब बताया। और शायद मैनें उन्हें डरा दिया था -- (हँसी) क्योंकि उन्होंने कुल मिला कर मुझसे वादा किया कि -- और मेरे पास तैयार सामग्री नहीं थी -- मगर वो बोले, "आर्ट सेक्शन में एक पैराग्राफ़ दें देंगे यदि आप मेरा पीछा छोड दें।" (हँसी) तो मैने कहा, "बढिया।" फ़िर उन्हें कुछ हफ़्तों बाद फ़ोन किया। मैने कहा, "हाय हेसा!" तो उन्होंने कहा, "हाय।" मैने कहा, "नया साल मुबारक हो।" उन्होंने कहा, "शुक्रिया, हमारे घर संतान हुई है।" मैने कहा, "बधाइयाँ।" जैसे मुझे बहुत फ़र्क पडा हो।

Last Update: 2019-07-06
Usage Frequency: 4
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English

voice is the greatest gifts of god to man. you should make the best possible use of this rare talent in your contacts with others or in development of your personality, your voice and tone are of importance. even if you are a man of profound knowledge or brilliant ideas, your will be ineffective if your voice is not sweet. you should have good health so that vibrations of your voice are strong and effective. while speaking face to face with others or on the phone, regulate your voice, according to ideas. never speak in rude voice, a little eagerness and joy in your voice can bring joy to listeners. in a conversation a flat voice will make you feel depressed. a pleasant voice is good and effective as a tonic. you can improve your quality of voice by improving quality of living.

Hindi

Last Update: 2023-08-09
Usage Frequency: 1
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Reference: Anonymous

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