Results for food, clothing and shelter are our ... translation from English to Hindi

English

Translate

food, clothing and shelter are our basic needs

Translate

Hindi

Translate
Translate

Instantly translate texts, documents and voice with Lara

Translate now

Human contributions

From professional translators, enterprises, web pages and freely available translation repositories.

Add a translation

English

Hindi

Info

English

food, clothing and shelter are our basic needs

Hindi

hindi

Last Update: 2021-12-01
Usage Frequency: 1
Quality:

Reference: Anonymous

English

food clothing and shelter are our basic need

Hindi

भोजन हमारी मूलभूत आवश्यकता है

Last Update: 2021-12-25
Usage Frequency: 1
Quality:

Reference: Anonymous

English

food and shelter are essential of life .

Hindi

खाना और घर जिवन को अनिवार्य है ।

Last Update: 2020-05-24
Usage Frequency: 1
Quality:

Reference: Anonymous

English

water is one of our basic needs

Hindi

पानी जीवन की मूल आवश्यकता है

Last Update: 2024-03-11
Usage Frequency: 1
Quality:

Reference: Anonymous

English

food is our basic need

Hindi

भोजन हमारी मूल आवश्यकता है

Last Update: 2023-05-06
Usage Frequency: 1
Quality:

Reference: Anonymous

English

he said that every one should have a balanced diet , necessary clothing and shelter .

Hindi

गांधीजी कहते थे कि प्रत्येक मनुष्यको संतुलित आहार , आवश्यक xx कपड़े और सुविधापूर्ण मकान मिलना ही चाहिये ।

Last Update: 2020-05-24
Usage Frequency: 1
Quality:

Reference: Anonymous

English

people ' s basic needs in the way of food , clothing and fuel are very limited and these can be produced easily and in sufficient quantity .

Hindi

भोजन , कपड़ा और ईधन के रूप मे लोगों की बुनियादी जरूरतें बहुत सीमित हैं और ये वस्तुंए सरलता से बड़ी मात्रा में उत्पन्न की जाती है ।

Last Update: 2020-05-24
Usage Frequency: 1
Quality:

Reference: Anonymous

English

such commodities include food , clothing and housing materials , medicine and chemicals , materials used for transport , offensive and defensive armaments , articles of everyday use , as well as articles of luxury .

Hindi

इन में खाद्यान्न , कपड़ा आवासीय सामग्री , औषधियां एवं एवं रसायन , यातायात में काम आने वाली वस्तुएं , आक्रामक तथा सुरक्षात्मक आयुध , दैनिक प्रयोग में आनेवाली चीजें तथा विलास की वस्तुएं भी शामिल हैं ।

Last Update: 2020-05-24
Usage Frequency: 1
Quality:

Reference: Anonymous

English

and even as a bondslave receives food , clothing and so on from the master whom he serves , so should we gratefully accept such gifts as may be as - signed to us by the lord of the universe .

Hindi

और जैसे स्वामी गुलाम को सेवा के बदले में खाना , कपड़ा आदि देता है वैसे ही जगत् का स्वामी हमसे काम लेने के लिए जो अन्न - वस्त्रादि देता है वह हमें कृतज्ञतापूर्वक स्वीकार करना चाहिए ।

Last Update: 2020-05-24
Usage Frequency: 1
Quality:

Reference: Anonymous

English

not only is it an economic imperative , but article 25 of the universal declaration of human rights casts a bounden duty on us to ensure that " everyone has the right to a standard of living adequate for the health and well - being , of himself and of his household , including food , clothing and shelter " and we should not be found wanting in our efforts to achieve this goal .

Hindi

यह न केवल एक आर्थिक जरूरत है वरन् मानवाधिकार के सार्वभौमिक घोषणा पत्र में हम पर यह सुनिश्चित करने का महती दायित्व डाला गया है कि ‘‘प्रत्येक व्यक्ति को ऐसे जीवन स्तर का अधिकार है जो उसके स्वास्थ्य और उसकी तथा उसके परिवार की खुशहाली के लिए , जिसमें भोजन , वस्त्र और आवास शामिल हैं , पर्याप्त हों’’ और इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए हमारे प्रयासों में कमी नहीं नजर आनी चाहिए ।

Last Update: 2020-05-24
Usage Frequency: 1
Quality:

Reference: Anonymous
Warning: Contains invisible HTML formatting

English

20 years back the political slogan was, "roti, kapada, makaan," which meant, "food, clothing and shelter." and today's political slogan is, "bijli, sadak, pani," which means "electricity, water and roads." and that is a change in the mindset where infrastructure is now accepted.

Hindi

२० साल पहले राजनीतिक नारा था, "रोटी, कपड़ा, और मकान," जिसका मतलब था, "रोटी, कपड़ा और मकान". और आज का राजनीतिक नारा है, "बिजली, सड़क, पानी," जिसका मतलब है "बिजली, सड़क और पानी." और यह मानसिकता में बदलाव है जहां बुनियादी सुविधाएँ अब स्वीकार कर ली गयी हैं. तो मुझे विश्वास है कि यह एक विचार है जो आ गया है, लेकिन लागू नहीं हुआ. तीसरी बात फिर शहरों में है. क्योंकि गांधी गांवों में विश्वास करते थे और क्योंकि ब्रिटिश शहरों से राज करते थे, इसलिए नेहरू नई दिल्ली को एक अभारतीय शहर के रूप में देखते थे. हम एक लंबे समय तक हमारे शहरों की उपेक्षा करते रहे हैं. और उसका नतीजा आप देख सकते हैं. लेकिन आज, अंत में, आर्थिक सुधारों के बाद, और आर्थिक विकास, यह प्रस्ताव कि शहर इंजन है आर्थिक विकास के, शहर रचनात्मकता के इंजन हैं, शहर नवविचार के इंजन हैं, अंत में स्वीकार कर लिया गया है. और मुझे लगता है कि अब आप हमारे शहरों में सुधार लाने की ओर कदम देख रहे हैं. फिर से, एक विचार जो आ गया है मगर लागु नहीं हुआ है. अंतिम बात, एकल बाजार के रूप में भारत को देखना है - क्योंकि जब आप भारत को एक बाजार के रूप में नहीं देखते, तुम आप एक एकल बाजार के बारे में परेशान नहीं थे, क्योंकि इससे फर्क नहीं पड़ता था. और इसलिए आप एक स्थिति में थे जहां हर राज्य के पास अपने उत्पादों के लिए अपने बाजार थे. हर प्रांत का कृषि के लिए अपना बाजार था. अब तेजी से नीतियां कराधान और बुनियादी ढाचे की, एक एकल बाजार के रूप में भारत बनाने की ओर बढ़ रही हैं. तो वहाँ आंतरिक वैश्वीकरण हो रहा है, जो बाहरी वैश्वीकरण के बराबर महत्वपूर्ण है. मेरा मानना ​​है कि इन चार कारकों प्राथमिक शिक्षा, बुनियादी ढांचा, शहरीकरण, और एक एकल बाजार भारत में वह विचार हैं जिन्हें स्वीकार कर लिया गया है, लेकिन लागू नहीं किया गया है. फिर है वह विचार जो विचार संघर्ष में हैं. विचार जिन पर हम बहस करते हैं. तर्क है जो गतिरोध हैं. क्या है वोह विचार? एक मुझे लगता है, वैचारिक मुद्दे हैं. ऐतिहासिक भारतीय पृष्ठभूमि की वजह से, जाति व्यवस्था में, और इस वजह से की कई लोगों को जो बाहर छोड़ दिए गए , राजनीति का बड़ा हिस्सा इस बारे में हैं कि कैसे सुनिश्चित करें कि हम उन की पूर्ती करें. और यह आरक्षण और अन्य तकनीक का कारण हैं. यह कारण है कि हम अनुवृत्ति देते हैं, और सभी लेफ्ट और राईट तर्क जो हैं. भारतीय समस्याएँ विचारधाराओं से जुड़ी हैं जाति और अन्य बातों की. यह नीति गतिरोध पैदा कर रही है. यह कारक हैं जो हमें हल करना है. दूसरा है श्रम नीति, जो मुश्किल बना रही है उद्यमियों के लिए कंपनियों में नौकरियों बनाने में कि भारतीय श्रमिक का ९३ प्रतिशत असंगठित क्षेत्र में है. उनके पास कोई लाभ नहीं है: सामाजिक सुरक्षा नहीं है; पेंशन नहीं है, हेल्थ, उन चीजों में से कोई भी नहीं है. यह ठीक होना ज़रूरी है, क्योंकि जब तक आप इन लोगों को औपचारिक कर्मचारियों में नहीं लाते हैं, आप बहोत लोगों को बेदखल कर रहे हैं. इसलिए हमें नए श्रम कानून बनाने की जरूरत है, जो आज जैसे कठिन नहीं हैं. साथ ही बहुत अधिक लोगों के औपचारिक क्षेत्र होने की नीति बनाये, और लाखों लोगों के लिए नौकरियों बनाएँ जो हमें करने की जरूरत है. तीसरी बात हमारी उच्च शिक्षा है. भारतीय उच्च शिक्षा पूरी तरह नियंत्रित है. बहुत मुश्किल है एक निजी विश्वविद्यालय शुरू करना. बहुत मुश्किल है एक विदेशी विश्वविद्यालय के लिए भारत में आना. परिणाम स्वरुप हमारी उच्च शिक्षा भारत की मांगों के साथ तालमेल नहीं रख रही है. इससे बहोत परेशानिया उत्तपन हो रही हैं. लेकिन सबसे महत्वपूर्ण वह विचार हैं जिनका हमें अंदाजा होना चाहिए. यहाँ भारत पश्चिम की ओर देख सकता है और कहीं और, और देख सकते है कि क्या किया जाना चाहिए. पहली बात है, हम बहुत भाग्यशाली हैं कि प्रौद्योगिकी ऐसे बिंदु पर है जहां यह और अधिक उन्नत है अन्य देशों की तुलना में जब उनका विकास हुआ. तो हम शासन के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग कर सकते हैं. हम प्रत्यक्ष लाभ के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग कर सकते हैं. हम पारदर्शिता, और कई अन्य चीजों के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग कर सकते हैं. दूसरी बात है, स्वास्थ्य के मुद्दे. भारत में उतना ही भयानक है हृदीय मुद्दे की स्वास्थ्य समस्याएँ, मधुमेह की, मोटापे की. तो कोई फायदा नहीं है वहाँ गरीब देश के रोगों को बदल अमीर देश के रोगों को लाने का. इसलिए हमें पूरी तरह से स्वास्थ्य पर पुनर्विचार करना है. हमें वास्तव में एक रणनीति बनाने की आवश्यकता है ताकि हम स्वास्थ्य की अन्य चरम की और न जाये. इसी प्रकार पश्चिम में आज आप देख रहे हैं पात्रता की समस्या - सामाजिक सुरक्षा, चिकित्सा, चिकित्सा-सहायता की लागत. इसलिए जब आप एक युवा देश हैं, आप के पास मौका है एक आधुनिक पेंशन प्रणाली बनाने का ताकि आप पात्रता समस्याएं नहीं बनाएँ आने वाले समय के लिए. और फिर, भारत के पास आसान विकल्प नहीं है अपने वातावरण को गन्दा बनाने का, क्योंकि यहाँ पर्यावरण और विकास को साथ चलाना है. सिर्फ एक विचार देने के लिए, दुनिया को स्थिर होना है प्रति वर्ष २० गिगाटन पर. नौ अरब की आबादी पर हमारी औसत कार्बन उत्सर्जन प्रति वर्ष दो टन होनी चाहिए. भारत प्रति वर्ष दो टन पर आ चूका है. लेकिन अगर भारत आठ प्रतिशत पर बढ़ता है, प्रति वर्ष प्रति व्यक्ति आय २०५० तक १६ गुना बाद जाएगी. तो हम कह रहे हैं:

Last Update: 2019-07-06
Usage Frequency: 4
Quality:

Reference: Anonymous
Warning: Contains invisible HTML formatting

Get a better translation with
8,642,003,882 human contributions

Users are now asking for help:



We use cookies to enhance your experience. By continuing to visit this site you agree to our use of cookies. Learn more. OK