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i’m too lazy to stop being lazy
मैं आलसी होने से रोकने के लिए बहुत आलसी हूँ
Last Update: 2018-12-08
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i'm too lazy to be fake .being real takes no efforts
नकली होने के लिए बहुत आलसी
Last Update: 2024-02-07
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i am too lazy to go
मैं आलसी होने के लिए बहुत आलसी हूँ
Last Update: 2022-02-23
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i am too lazy to be fake being real takes a lot less effort
मैं तुम्हारे लिए सिर्फ एक आईना हूं
Last Update: 2020-09-09
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too lazy to come outside my house
मेरे घर के बाहर आने के लिए बहुत आलसी
Last Update: 2019-12-25
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too lazy to think of a caption 😉
एक कैप्शन के बारे में सोचने के लिए आलस
Last Update: 2020-08-27
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we have been too lazy to understand its value for us and the world .
हमलोग अपने तथा विश्व के लिए इसके मूल्य को समझने में बहुत सुस्त हो गये हैं ।
Last Update: 2020-05-24
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so if we ' re too lazy to sit here and add two plus two is four .
यदि हम ज़्यादा आलसी है यहाँ बैठके 2 जमा 2 4 . करने के लिए
Last Update: 2020-05-24
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sometime you have to suffer in life .not because you were bad but because you did'nt realize when and where to stop being goo
Last Update: 2021-05-01
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two times three was that. i have that here, but now i'm just adding another two to it. so if we're too lazy to sit here and add two plus two is four.
2 गुना 3 था. जो यहाँ था, लेकिन अब मैने बस एक और 2 जोड़ दिया. यदि हम ज़्यादा आलसी है यहाँ बैठके 2 जमा 2 4.करने के लिए 4 जमा 2 है 6. यह करने की बजाये हम कह सकते है, हमें पहले पता की यह यहाँ है, यह 6 था. हमें इसे पिछली लाइन में निकाला था. हमें इसे निकाला 6, तो हम बस कहेंगे, 2 गुना 4 बस इससे 2 ज़्यादा होगा, जो 8 के बराबर है. और आप एक पॅटर्न देखोगे. जैसे हम गये 2 गुना 1 से, 2 गुना 2 से, 2 गुना 3. क्या हो रहा है? हम कितने से बढ़ रहे हैं ?
Last Update: 2019-07-06
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how often do we hear that people just don't care? how many times have you been told that real, substantial change isn't possible because most people are too selfish, too stupid or too lazy to try to make a difference in their community? i propose to you today that apathy as we think we know it doesn't actually exist; but rather, that people do care, but that we live in a world that actively discourages engagement by constantly putting obstacles and barriers in our way.
हम अक्सर सुनते हैं कि लोगों को कोई फ़र्क नहीं पडता। कितनी बार आपको बताया गया है कि वास्तविक और ठोस बदलाव संभव ही नहीं है क्योंकि ज्यादातर लोग इतने स्वार्थी, या बेवकूक, या आलसी हैं कि अपने समाज के बारे में बिलकुल नहीं सोचते? आज मैं आपसे यह कहना चाहता हूँ कि उदासीनता को जिस रूप में हम जानते हैं, उदासीनता वैसी नहीं है, बल्कि, मैं कहता हूँ लोगों को फ़िक्र है, मगर हम ऐसी दुनिया में रहते हैं जो कि तत्परता से भागीदारी को हतोत्साहित करती है, लगातार हमारे रास्ते में रोडे-रुकावटें पैदा कर के। और मैं आपको इस का उदाहरण देता हूँ। टाउन-हाल से शुरु करते हैं। इन में से एक आपने पहले देखा ही होगा? ये एक अखबारी विज्ञापन है। ये एक नयी ऑफ़िस की इमारत बनाने के लिये क्षेत्रीकरण बदलने का नोटिस है जिस से कि आसपडोस वाले जान जायें कि क्या हो रहा है। जैसा कि आप देख रहे है, इसे पढना नामुमकिन है। आपको कम से कम आधे पन्ने तक जाना होगा सिर्फ़ ये जानने के लिये कि बात कहाँ की हो रही है, और फ़िर और नीचे, एकदम चींटीं बराबर अक्षरों में पढना होगा कि आप कैसे हिस्सेदारी निभा सकते हैं। सोचिये यदि निज़ी कंपनियों के विज्ञापन ऐसे होते -- अगर नाइकी एक जोडी जूते बेचना चाहता और अखबार में ऐसा विज्ञापन निकालता। (ठहाका) और ऐसा कभी भी नहीं होगा। आप को कभी भी ऐसा विज्ञापन देखने को नहीं मिलेगा, क्योंकि नाइकी वाकई चाहता है कि उसके जूते बिकें। लेकिन टोरंटों शहर की सरकार , ज़ाहिर तौर पर, नहीं चाहती कि आप योजना में शामिल हों, नहीं तो उनके विज्ञापन कुछ इस तरह के दिखते -- सारी जानकारी सुचारु रूप से प्रस्तुत की गयी होती। जब तक शहर की सरकार ऐसे नोटिस निकालती रहेगी लोगों से भागीदारी माँगने के लिये, तब तक लोग, बिलकुल भी, शामिल नहीं होंगे। लेकिन ये उदासीनता नहीं है; ये जानबूझ कर आपको हटाया जा रहा है। सार्वजनिक स्थान। (ठहाका) हमारे द्वारा की जाने वाली सार्वजनिक स्थानों की बेकद्री भी बहुत बडी रुकावट है, किसी भी प्रगतिवादी राजनैतिक बदलाव के रास्ते में। क्योंकि हमने असल में अभिव्यक्ति की कीमत लगा दी है। जिसके पास सबसे ज्यादा पैसा है, उस की आवाज़ सबसे ऊँची हो जाती है, और वो पूरे दृश्य और मानिसिक परिवेश पर छा जाता है। इस मॉडल के साथ समस्या ये है कि कुछ ऐसे संदेश हैं जिन्हें जनता तक पहुँचाना अनिवार्य है मगर मुनाफ़े के हिसाब से फ़ायदेमंद नहीं है। इसलिये वो संदेश कभी भी आपको होर्डिंग पर नहीं दिखेंगे। मीडिया की भारी भूमिका है राजनैतिक बदलाव से हमारी रिश्तेदारी विकसित करने में, मुख्यतः ज़रूरी राजनैतिक आंकलन को नज़रअंदाज़ कर के, स्कैंडलों और सेलिबिट्रियों के समाचारों पर केंद्रित हो कर। और जब वो बात करते भी हैं महत्वपूर्ण मुद्दों पर, तो ऐसे कि लोग हिस्सेदारी निभाने से कतराने लगें। और मैं आपको एक उदाहरण देता हूँ: द नाओ मैगज़ीन पिछले हफ़्ते की -- टोरंटो की प्रगतिवादी, शहरी साप्ताहिक मैगज़ीन। ये इसकी कवर स्टोरी है। ये एक थियटर प्रस्तुति की रपट है, और ये उसके बारे में मूल जानकारी से शुरु होती है कि ये कहाँ होगी,
Last Update: 2019-07-06
Usage Frequency: 4
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