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i do a lot of
मैं कुछ nhi करता हूँ
Last Update: 2023-03-12
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i do a lot of things.
मैं बहुत सारे चीज़ें करता हूँ।
Last Update: 2019-07-10
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let's do what we love and do a lot of it
हम जो प्यार करते हैं उसे करते हैं और बहुत कुछ करते हैं
Last Update: 2021-07-05
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i want to do a lot of work.
shanku ko enhlosh me kya kehte hai
Last Update: 2018-03-18
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i want to do a lot of things
me aapse kuch kehna chahta hu
Last Update: 2023-06-02
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i do a lot of things for you.
main tumhare liye bahut sari cheeje karta hoon
Last Update: 2024-03-27
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i had to do a lot of work today.
aaj to bahu kaam karna hai
Last Update: 2023-10-04
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we had to do a lot of work on the boat .
हमें नौका पर काफी काम करने थे ।
Last Update: 2020-05-24
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kids already do a lot of learning from adults ,
बच्चे वैसे भी बड़ों से बहुत कुछ सीखते हैं ,
Last Update: 2020-05-24
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when i was young i used to do a lot of experiments
जब मैं छोटा था तो मैं बहुत सारे प्रयोग करता
Last Update: 2020-01-19
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they do us no harm ; in fact , they do a lot of uesful work for us .
ये हमें कोई नुकसान नहीं पहुंचाते , उल्टे हमारा भला ही करते हैं ।
Last Update: 2020-05-24
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she has to do a lot of work. identify the kind of tense.
she has to do a lot of work . identify the kind of tense .
Last Update: 2020-06-02
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he started out buying up a lot of cheap real estate here in the city using other people's names.
वह यहां शहर में सस्ते अचल संपत्ति का एक बहुत ऊपर खरीदने बाहर शुरू कर दिया अन्य लोगों के नाम का उपयोग कर.
Last Update: 2017-10-12
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and after you do a lot of these problems , you ' re going to
और आप इन समस्याओं का एक बहुत कुछ करने के बाद , आप करने के लिए जा रहे हैं
Last Update: 2020-05-24
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on the other hand , one should do a lot of exercise to burn away the meda or fat .
बल्कि उसके अनुसार तो मेदा अथवा वसा को पूरी तरह जला देने हेतु प्रातः काल व्यायाम करना चाहिए ।
Last Update: 2020-05-24
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a real estate people don't have a lot of friends
एक अचल संपत्ति के लोगों के पास बहुत सारे दोस्त नहीं हैं
Last Update: 2023-07-03
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do a lot of travelling . sakai does cause me to do a travel . i ' ve been around
यात्रा का एक बहुत कुछ । sakai मुझे एक यात्रा करने के लिए कारण है । मैं चारों ओर हो गया है
Last Update: 2020-05-24
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at the same time it is true that we do a lot of writing simply to preserve somethinga piece of information , an idea , a memory .
बहुत - सी बातें हम किसी सूचना , विचार या याद को सुरक्षित रखने के लिए लिखते हैं ।
Last Update: 2020-05-24
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negativity for the institution, its head or its members let's do a samayik right now, let us do one on...
संस्था के प्रमुख, सदस्यों या संस्था के लिए किए हुए नेगेटिव आप्तवाणी - 4 पारायण - 2010 सामायिक करेंगे अभी हम अंतराय पर करेंगे अंतराय पर तो अलग-अलग प्रकार से बहुत सारी कर सकते हैं हमने किसी को दान देने से रोका हो वगैरह, उन सभी पर आज नहीं करना चाहते धर्म के अंतराय पर करेंगे ज्ञानी हों, गुरू हों, कोई संत-महंत हों या महात्मा हों या हमारे करीबी... दीपकभाई या नीरू माँ या दादा हों जब हमने ज्ञान नहीं लिया था तब उनके लिए कुछ गलत बोल दिया हो सत्संग के बारे में कुछ दखल कर दी हो यानी किसी भी तरह से... दूसरे शब्दों में अगर हम कहें तो अपने सत्संग पर ही करो न दोनों प्रकार की कर सकते हैं अन्य धर्म के बारे में हमने... अन्य जातिवालों के लिए अगर हमारे मन में कुछ हो, भाव बिगड़ते हों तो वह भी हमें रखना नहीं है हर एक जीव अपने डेवेलपमेन्ट में है कोई चौथी कक्षा का विद्यार्थी, कोई पाँचवीं का, कोई छठ्वीं का सब डेवलप हो रहे हैं इसीलिए किसी के लिए कुछ... किसी भी धर्म के लिए किसी भी प्रकार का नेगेटिव बोलना ही नहीं चाहिए यह बहुत बड़ा गुनाह है, क्योंकि आध्यात्मिक भाषा में हर एक आत्मा अपनी डिग्री पर खड़ा है कोई 250 डिग्री पर है, तो वह आत्मा का व्यूपोईन्ट ही है कोई 200 डिग्री पर है, कोई 150 डिग्री पर है आत्मा का व्यूपोइन्ट यानी वह व्यवहार सत्य है और मूल आत्मा निश्चय सत्य है लेकिन आत्मा का ही विज़न है, इसलिए किसी भी धर्मवाले को आप गलत नहीं कह सकते उस लेवल को हम अलग रखेंगे कि किसी भी धर्म के संत-महंत, गुरू, साधु-साध्वी, आचार्य जिन्हें उन्होंने भगवान माना हो या फिर उनके भक्त किसी के लिए भी हमें गलत नहीं बोलना है यह एक पूरा अलग विभाग है, उसकी सामायिक... आज हम अलग प्रकार की सामायिक करेंगे यह भी कर सकते हो कि किसी भी धर्म का अवर्णवाद, अपराध, अविनय किसी भी धर्म के गुरु के प्रति गलत बोल दिया हो उन सब पर एक अलग सामायिक करनी चाहिए शायद पिछली बार हमने की थी, धर्म की विराधना पर इस बार हम इस पर करेंगे कि सिर्फ हमारे सत्संग के प्रति किसी भी प्रकार के नेगेटिव हो गए हो कार्यक्रम के समय ही खास तौर पर दखलें हो जाती हैं इसलिए इस बार हम विशेष प्रतिक्रमण करेंगे और जागृति रखेंगे कि हमें किसी भी प्रकार की दखल में नहीं पड़ना है
Last Update: 2019-07-06
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let us do pratikraman, right now in that [topic] let's take more on, where one has told lies, violence there is a lot that comes in the five supreme vows (mahavrat)
अभी प्रतिक्रमण करेंगे इसमें झूठ बोला हो, हिंसा और पाँचों महाव्रतों में बहुत कुछ आ जाता है लेकिन अभी हम एक पर ही करेंगे झूठ बोल दिया हो मन में (कुछ) अलग हो, बोलते (कुछ) और हैं और करते कुछ और हैं उतने ही भाग पर अभी करेंगे क्योंकि यह एक बड़ी वक्रता कलियुग की निशानी है, कपट सभी जगह, व्यापार में करते हैं घर में वाइफ से कुछ छुपाते हैं, हज़बेन्ड से छुपाते हैं बच्चों से झूठ बोल देते हैं कितनी ही बातों में ऐसा होता ही रहता है उसमें अगर कोई मेहमान आ जाएँ तो ऐसा है और वैसा है उसे निकालने के लिए बात घुमाकर कुछ भी झूठ बोल देते हैं ऐसे कितनी ही जगहों पर खुद के फायदे के लिए आजकल... झूठ बोलने के पीछे हेतु होता है हमारा हेतु संसार सुख भोगना है अथवा खुद के मान का हेतु होता है अपनी मनमानी (धार्यु) करने का हेतु होता है या अपने लोभ का हेतु होता है व्यापार में लोभ का हेतु होता है घर में मोह का हेतु होता है व्यवहार में मनमानी करने का हेतु होता है अथवा संस्था के संचालन में मान का हेतु होता है उन जगहों पर झूठ बोल देते हैं तो हम इस प्रकार के झूठ हाँ, आत्मा के लिए झूठ बोलकर, सत्संग के लिए झूठ बोलकर घर से आएँ हों, तो अभी हम उस पर नहीं करेंगे उसका भी एक प्रतिक्रमण तो अवश्य करना चाहिए धीरे-धीरे फाइल साफ तो करनी ही पड़ेगी लेकिन अगर अपने कषाय के लिए झूठ बोला हो तो आज हम उस पर डीटेल में करेंगे और उसमें भी यदि वाणी से जो कहते हैं, वह वास्तव में मन में तो कुछ और ही होता है और फिर वर्तन भी कुछ और कर देते हैं उस लेवल पर हम, क्योंकि जो कुछ कहना हो वह ईमानदारी से कहना चाहिए उसमें फिर भय (डर) नहीं रखना है हाँ, बहुत लोग ऐसा कहते हैं कि मैं तो सच ही बोलता हूँ ऐसा सच्चाई का आग्रह जिससे दूसरों को दुःख दें तो वह एक बहुत बड़ा दूषण है कि खुद सही है, ऐसा करके खुद के व्यू-पोइन्ट के सत्य का आग्रह हो जाता है और सामनेवाले का सुनते नहीं है, उसे दुःख दे देते हैं वह भी गलत रास्ता है यहाँ 323 पेज पर दिया है कि सत्य का आग्रह मत पकड़ना सत्य की पूँछ मत पकड़ना हमने जो झूठ अपने मोह के हेतु से या मान के हेतु से या लोभ के हेतु से या मनमानी करने के हेतु से इस तरह से हम उसे पकड़ेंगे कि यह बोला, उसके पीछ यह कारण है और इन कषायों को पकड़ेंगे ऐसे धीरे-धीरे हम ऐसी जागृति लाना चाहते हैं कि मन-वचन-काया की एकता होगी तो हम चौथे आरे में जा सकेंगे अभी हम पाँचवे आरे में हैं यानी मन-वचन-काया की एकता टूट ही गई होती है अब हमें वहाँ से वापस मुड़ना है ऐसे दोषों के लिए हमारे अभिप्राय रहेंगे यानी अपना एक ही ध्येय रखते हैं कि मन-वचन-काया से किसी को भी दुःख नहीं हो उस ध्येयवाली भावना के आधार पर मन में अलग हो तो प्रतिक्रमण करवाते हैं वाणी अलग हो, दुःख दे दें ऐसी वाणी निकले तो किसी को दुःख नहीं देना है उस भावना के आधार पर प्रतिक्रमण करना है गलत विचार आएँ, नेगेटिव आएँ तो दुःख नहीं देना है उस भाव के आधार पर प्रतिक्रमण करना है और अगर वर्तन औरों को दुःखदाई लगे तो वह भी उस भाव के आधार पर प्रतिक्रमण तो अपनी भाव की एकता शुरू हो जाती है मन-वचन-काया के एकात्मा योग की पूरी भावना करते हैं तो जो एकता टूट गई थी कपट के कारण, मोह के कारण या मान या क्रोध के कारण वह एकता आएगी और जो एकात्म योग टूट गया है वह रिपेयर होता रहेगा ऐसी अपनी उसमें भावना है इसलिए हम ऐसी सामायिक करना चाहते हैं कि अपनी मनमानी करने के लिए या मान के लिए या लोभ के लिए या मोह के लिए जहाँ-जहाँ वाणी अलग और मन में अलग अथवा हमारे दिल में कुछ और हो और वाणी में कुछ और बोलते हैं अपने फायदे के लिए तो आज खास तौर पर उस पर सामायिक करेंगे और अब हम विधि करेंगे यह सभी की समझ में आए ऐसी बात है इसमें कुछ मुश्किल नहीं है ऐसा हमारा रोज़ का सब होता ही है कितनी ही बातों में होता है छोटे बच्चे के लिए या हज़बेन्ड-वाइफ के लिए या व्यापार के लिए व्यापार में भी व्यापारियों से कहते हैं साहब 5 प्रतिशत भी नहीं मिलता ऐसे तो अब क्या करें, करना पड़ता है और फायदा 40 प्रतिशत होता है लेकिन फिर भी कहते ही हैं पता भी रहता है फिर भी ऐसा गलत कह ही देते हैं और अगर सामनेवाले को कुछ देना हो तो कहते हैं साहब दो पैसे भी नहीं मिलते यह तो थोड़ा नुकसान करके भी व्यापार करना पड़ रहा है वर्ना कैसे होगा चलो टर्न ओवर तो हो रहा है, ऐसा सोचकर व्यापार करते हैं ऐसा सब करके झूठ बोल लेते हैं यानी जहाँ-जहाँ आपने ऐसा बोला है उसके प्रतिक्रमण करो मैं ऐसा नहीं कह रहा कि कल से आप झूठ बोलना बंद कर दो वह रिकॉर्ड बिना बजे रहेगी ही नहीं लेकिन अपना भाव बदल दो प्रतिक्रमण से अभिप्राय बदल जाते हैं कि नहीं, ऐसी मन-वचन-काया की एकता रखनी है इस कलियुग में हमें पाँचवें आरे में रखेगी और छठ्ठे आरे की तरफ ले जाएगी इसलिए एकता रहे ऐसा करना है, टूटनी नहीं चाहिए धीरे-धीरे प्योरिटी, शुद्धता आती जाएगी तो धीर-धीरे हमारा यह निकल जाएगा और सुधार आए या न भी आए लेकिन हमें दिखना चाहिए बिना भूलवाली दृष्टि हमारी जागृति में आनी चाहिए तो हम भूलवाले वर्तन को पहचान सकेंगे तो हम विधि कर लेते हैं
Last Update: 2019-07-06
Usage Frequency: 4
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