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mcdonald obs.
मॅकडोनल्ड ऑब्सcity name (optional, probably does not need a translation)
Last Update: 2018-12-24
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did you ever wonder why mcdonald ' s and burger king and wendy ' s never show you those images in their tv ads ?
क्या आपने कभी सोचा की क्यों मैकडॉनल्ड्स , बर्गर किंग और वेन्डी अपने टीवी विज्ञापन में उन छवियों को नहीं दिखाते हैं ? ?
in october 1929 , the viceroy lord irwin announced at the instance of labour prime minister ramsay mcdonald that the natural issue of india ' s constitutional progress was the attainment of dominion status and that a round table conference would be held in london after publication of the report of the simon commission .
अक्तूबर , 1929 में , लेबर प्रधानमंत्री रैम्जे मैकडोनल्ड के कहने पर , वाइसराय लार्ड इर्विन ने घेषणा की कि डोमिनियन स्टेट्स पाना भारत की सांविधानिक प्रगति का स्वाभाविक परिणाम होगा ; और सइमन कमीशन की रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद लंदन में एक गोलमेज कांफ्रेंस की जायेगी ।
the beijing olympics were an exercise in chinese soft power. americans have the voice of america and the fulbright scholarships. but, the fact is, in fact, that probably hollywood and mtv and mcdonalds have done more for american soft power around the world than any specifically government activity.
'बीजिंग ओलिम्पिक्स' चीनि 'नर्म शक्ति' के बारे में था. अमरीकनों के पास 'अमरीका की आवाज़'(voice of america) और 'फुल्ब्राईट छात्रवृत्ति'(fulbright scholarships) है. लेकिन, वास्तव में जो तथ्य है, वह यह है की, हौलीवूड (hollywood ) और एमटीवि (mtv) और मक्दोनाल्ड (mcdonalds) अमरीकी 'नर्म शक्ति' के लिए, सरकार के दुनिया भर में किये गए किसी भी कार्य से बहुत ज्यादा ही किया है. इसलिए 'नर्म शक्ति' उभरती है, आंशिक रूप से सरकार की वजह से, लेकिन बाकी आंशिक तौर से बिना सरकार के. और इस सूचना के युग में जिसमे हम रहते है, हम इसे टेड(ted) युग भी कह सकते है. मैं कहना चाहता हु की देशो को आंका जा रहा है, एक वैश्विक जनता के द्वारा जिन्हें निरंतर खुराक दी जा रही है, इन्टरनेट से समाचार की, दूरदर्शन से चित्रों की, मोबाईल से विडियो की, ईमेल से बातचीत की, दुसरे शब्दों में, सभी तरह के सन्देश वाहक yantra, हमे दुनिया भर के देशो की कहानिया बता रहे है, सम्बंधित देश उन कहानियो को बताना चाहे या न चाहे तो भी. अब, इस युग में, जिन देशो के पास विभिन्न सूचना के संसाधनों तक पहुच है, उन्हें एक विशेष लाभ है. और अवश्य ही उनका ज्यादा प्रभाव है, और जैसा की देखा गया है की भारत में समाचार चैनल बाकि सभी देशो से ज्यादा है, यहाँ तक की विश्व के इस हिस्से के सभी देशो के समाचार चनेलो को जोड़ कर भी उनसे ज्यादा. लेकिन, तथ्य यह है की सिर्फ यह ही नहीं है. 'नर्म शक्ति' के लिए चाहिए की आप सभी से जुड़े रहे. कुछ लोग यह दावा कर सकते है की भारत आश्चर्यजनक रूप से एक जुदा हुआ देश बन रहा है. मुझे लगता है की आपने सभी आंकड़े सुन ही लिए होंगे. हमारे यहाँ एक महीने में १.५ करोड़ मोबाईल बिक रहे है. फिलहाल ५०.९ करोड़ मोबाईल है, भातियो के हाथो में, भारत में. और यह हमें अमेरिका से बड़ा मोबाईल का बाज़ार बनती है. और एक बात, यह १.५ करोड़ मोबाईल सबसे ज्यादा है, किसी भी देश में, अमेरिका और चीन को मिला के, संचार के इतिहास में. लेकिन आप में से कुछ लोगो यह एहसास नहीं होगा की में यहाँ आने के लिए कितनी दूर से आया हु. क्या आप जानते है, की जब में भारत में पल-भड रहा था, तब फोन भी दुर्लभ था. यहाँ तक की इतना दुर्लभ था की सांसदों को यह अधिकार था की वे १५ फोन की लाइन बाँट सकते थे, जिन्हें वे योग्य समझते थे. अगर आप भाग्यशाली होते की आप एक अमीर व्यवसायी है, या एक प्रभावशाली पत्रकार है, या एक चिकित्सक है, तो शायद आपके पास एक फोन होता. लेकिन वो भी एक जगह पड़ा रहता था. में कलकत्ता के एक उच्च माध्यमिक विद्यालय में पढता था. और हम उस यन्त्र को देखते थे जो आगे पड़ा रहता था. और जब भी हम उसे उठाते, आधी बार, एक आशा भरी आँखे लिए, उसमे डायल टोन ही नहीं होती थी. अगर होती और आप नंबर डायल करते, तो तीन में से दो बार तो नंबर मिलता ही नहीं. यहाँ तक की "यह गलत नंबर है" ज्यादा सुनने को मिलता बजाये "हेल्लो" के.