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"und so komme ich zu der unausweichlichen schlussfolgerung, dass das objekt und sein pilot nicht von der erde stammen können."
लेकिन मैं भी मैं क्या देखा पता है. और वे अपरिहार्य निष्कर्ष पर पहुंचे उस वस्तु और इसके निवासी, पृथ्वी पर आरंभ नहीं किया ..
"oh, hey, das kann ich auch!" nur ganz wenige leute waren anfang 1908 schon mal geflogen. vier jahre später gab es hunderte von flugzeugen in 39 ländern, und tausende piloten. flugzeuge sind durch natürliche selektion entstanden.
'ओह, ये तो हम भी कर सकते हैं.' बहुत ही गिने-चुने लोग 1908 के शुरुवात में उड़ान भर सकते थे. अगले चार सालों में 39 देशों के पास सैंकड़ों हवाई जहाज़ थे, और हज़ारों विमान चालक. हवाई जहाज़ों का आविष्कार एक स्वाभाविक प्रक्रिया के तहत हुआ. आप आज ये कह सकते हैं कि सूक्ष्म डिज़ाईनों के ज़रीए हमारे आज के वायु-यान डिज़ाईन किए जाते हैं, लेकिन वायु-यानों के उन पहले दिनों में ऎसे सू़क्ष्म डिज़ाईन उपलब्द्ध नहीं थे. कम से कम 30,000 अलग अलग चीज़ें आज़माई गई होंगी, और उनके क्रैश होने और विमान चालक की मौत के बाद ही ये समझ आया होगा कि ये तरीक़ा नहीं चलेगा. कुछ वायु-यान उड़े और ठीक-ठाक उतर भी सके पर उनमे भी कोई प्रशिक्षित चालक नहीं होते थे जिन्हे वायु-यान उड़ाने का सही तरीक़ा पता हो. तो हमने, हज़ारों बार कोशिश करते करते, उन चार सालों में वह सारे सिद्धान्तों का आविष्कार किया जिनकी बदौलत आज हम विमान चलाते हैं. वायु-यात्रा इसी कारण सुरक्षित बन पाई, क्योंकि हमने क्या सही है, ये पता लगाने के लिए काफी़ प्रयोग किए. पर अंतरिक्ष में उड़ान भरने के मामले में ऎसा नहीं हुआ. सिर्फ दो ही सिद्धान्तों का परीक्षण किया गया -- अमरीकियों द्वारा दो और रूसियों द्वारा एक. तो बताईए, उस समय इस विषय पर किन लोगों ने उत्साह दिखाया था? 'एवियेशन वीक' ने मुझे एक सूचि बनाने का काम दिया जिसमें मुझे हवाई उड़ान के पहले 100 वर्षों में मुख्य भूमिका निभाने वालों को चुनना था. मैंने सूचि बनाई और बाद में पाया कि उन में से हर किसी का बचपन हवाई यात्रा में जागरण के उस अद्भुत समयकाल में बीता था. ख़ैर, जब मैं बच्चा था, तब भी कुछ महत्वपूर्ण चीज़ें घटीं. जेट युग शुरु हुआ, मिसाईल युग का प्रदुर्भाव हुआ. वॉन ब्रौन ने मंगल ग्रह पर जाने की तरकी़ब बताई -- ये सब स्पुटनिक के पहले की बात है. और अस समय मंगल को लेकर आज से ज़्यादा कौतुहल था. हमें लगता था वहाँ जानवर होंगे, हम लगभग जानते थे कि वहाँ पौधे भी मिलेंगे, अलग रंगों के, है ना? पर क्या करें, नासा ने पूरा मामला ही गड़बड़ कर दिया, रोबोट तो भेजे लेकिन उन्हे उतारा केवल रेगिस्तानों में!