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रंगोली का टैग
rangoli tagalog
Last Update: 2020-01-30
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रंगोली का इतिहास
history of rangoli
Last Update: 2016-04-16
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हिंदी की रंगोली विषय
rangoli topic of hindi
Last Update: 2015-12-23
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दिवाली के लिए मेरी रंगोली
rangoli by me on diwali
Last Update: 2021-12-20
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मेरे द्वारा बनाया गया रंगोली
rangoli made by me
Last Update: 2024-05-07
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फर्श पर रंगोली बनायी जाती है ।
the floor is 82 folklore of andhra pradesh decorated with rangavali .
Last Update: 2020-05-24
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रंगोली बनाएं और उसमें रंग भरें
when life gives you colors, make a rangoli and celebrate diwali.”
Last Update: 2024-10-31
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रंगोली प्रदर्शनी पर मराठी रिपोर्ट लेखन
marathi report writing on rangoli exhibition
Last Update: 2022-03-03
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मुझे रंगोली की सजावाट बहुत अच्छी लगती है
i really like the art of mantegna .
Last Update: 2020-05-24
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मुझ पर मराठी निबंध pahilel रंगोली pradarshan
marathi essay on me pahilel rangoli pradarshan
Last Update: 2016-12-26
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इस अवसर पर हिंदू मोमबत्ती जलाते हैं और अपने घरों को रंगोली से सजाते हैं
on this occasion hindus lights candles and decorate their houses with rangoli
Last Update: 2021-11-03
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वे दिवाली पर रंगोली लगाने के लिए पीले, नीले, गुलाबी, हरे रंगों का इस्तेमाल कर रहे थे
they were using yellow,blue,pink,green colours to put rangoli for diwali
Last Update: 2022-01-27
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इस त्योहार पर लोगों ने अपने घर को रंग-बिरंगे दीयों की रंगोली, डिजाइन, फूल आदि से सजाया
people prepare sweet dishes like laddus, karanjis, kadboli etc to eat and distribute them relatives and friends
Last Update: 2021-08-13
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अगर संसार को बांटे तो सबसे सामान्य विभाजन है एक जो ईश्वर को मानते हैं और दूसरे जो नहीं मानते-- यानि कि आस्तिक और नास्तिक! और पिछ्ले कुछ दशको से ये साफ़ है कि नास्तिक होने का मतलब क्या है। कुछ काफ़ी स्पष्टवादी नास्तिक हुए हैं जो ये कहते हैं कि धर्म केवल गलत ही नहीं बल्कि बेतुका भी है। ये लोग, जिनमे से कई उत्तरी ओ़क्स्फ़ोर्ड मे रहे हैं ये तर्क देते हैं कि ईश्वर मे विश्वास करना परियों की कहानियों को सच मानने जैसा है और सही मायने मे ये सब एक बचकाने खेल जैसा है। अब मेरे हिसाब से ये कुछ ज्यादा ही सरल है. मेरे विचार से इस तरह से धर्म की पूरी तरह से उपेक्षा करना बहुत आसान है. ये इतना आसान है जितना गंजे के सर के जुयें मारना. और आज मै जिसका उदघाटन करने जा रहा हूं वो है नास्तिक बनने का एक नया तरीका -- और अगर आप चाहें तो अनीश्वरवाद के इस नये रूप को अनीश्वर्वाद २.० कह सकते हैं। अब ये अनीश्वरवाद २.० है क्या? वैसे तो ये बहुत सीधी सी बात से शुरु होता है. ये माना कि कोई भगवान नही है. माना कि कोई देवता या अलौकिक शक्ति नही है और ना ही फरिश्ते वगैरा। तो ठीक है पर अब इससे आगे बढा जाये, क्योंकि कहानी यहां खतम नही हुई है, बल्कि ये तो एकदम शुरुआत है। अब मै खासकर उन लोगो के बारे मे कहना चाहूंगा जो कुछ इस तरह सोचते हैं: जैसे, "मैं ये सब कुछ नहीं मानता. मै किसी सिद्दान्त को नहीं मानता. मुझे नही लगता कि ये सिद्धान्त सही हैं. लेकिन, एक बात है, "मुझे त्योहार मनाना बहुत पसन्द है. मुझे रंगोली की सजावाट बहुत अच्छी लगती है और पुराने मन्दिर और चर्च भी बहुत सुहावने लगते है मुझे गीता/बाइबल के उपदेश भी अच्छे लगते है" या जो भी ऐसा कुछ, आप समझ गये ना मै क्या कहना चाह रहा हूं-- लोगो को धर्म का सांस्कृतिक, नैतिक और सामजिक पहलू तो आकर्षित लगता है लेकिन वो सिद्दान्तो को नही झेल सकते. अब तक इन लोगो के पास बहुत ही अप्रिय विकल्प रहा है. और ये ऐसा है कि या तो आप सिद्दान्तों को माने और तब आप इन सारी कलात्मक चीजों का आनन्द ले सकते है, या फ़िर आप इन सिद्धान्तों को अस्वीकार करें और एक आध्यात्मिक तौर पर बंजर जैसी जगह मे रहें जिसे सी एन एन और वालमार्ट चलाते हैं. तो ये वाकई एक कठिन चुनाव है. मेरे विचार से हमे चुनाव करने की जरूरत ही नही है. एक दूसरा रास्ता है. मेरे खयाल से धर्म से कुछ (अच्छा) चुराने के-- अब मैं एक साथ बहुत भद्र भी बन रहा हूं और पापी भी-- कई तरीके हैं. और अगर आप धर्म मे विश्वास नही करते तो धर्म के अच्छे गुण चुनकर कुछ अपने विचारों से मिलाने मे कुछ गलत नही है. और मेरे लिये, ये नया अनीश्वरवाद दोनो पहलुओ के लिये है, जैसा कि मैने कहा, एक आदरपूर्ण और अभद्र तरीके से, धर्म की जांच करना और सोचना," यहां हमारे काम की कोइ चीज है क्या?" इस लौकिक दुनिया मे कई कमियां हैं. और मेरे हिसाब से हम बहुत बुरी तरह से सांसारिक हो गये हैं। और यदि हम धर्म का बारीकी से अध्ययन करें तो हमे जीवन के कई उलझे हुये पहलुओं के बारे में काफ़ी ज्ञान मिलेगा. और आज मै उनमे से कुछ के बारे मे बात करूंगा. चलिये शुरुआत शिक्षा से करते हैं. शिक्षा एक ऐसा क्षेत्र है जिसमे लौकिक दुनिया बहुत आस्था रखती है. जब भी हम दुनिया को बेहतर बनाने की सोचते है, हम शिक्षा के बारे मे ही सोचते हैं और उसपे बहुत खर्चा भी करते हैं. शिक्षा से हमें वाणिच्यिक, औद्योगिक योग्यता तो मिलेगी ही, ये हमे बेहतर इन्सान भी बनायेगी. आप तो जानते ही है किसी उदघाटन समारोह या दीक्षान्त समारोह मे, कितने काव्यात्मक ढंग से शिक्षा और पूरी शैक्षिक पद्धति -- खासकर उच्च शिक्षा की-- हमे बेहतर और महान इन्सान बनाने की क्षमता का गुणगान किया जाता है. ये कितना सुन्दर विचार है. और इस विचार की शुरुआत भी काफ़ी रोचक है.
one of the most common ways of dividing the world is into those who believe and those who don't -- into the religious and the atheists. and for the last decade or so, it's been quite clear what being an atheist means. there have been some very vocal atheists who've pointed out, not just that religion is wrong, but that it's ridiculous.
Last Update: 2019-07-06
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