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निबंध

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इंटरनेट निबंध

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ಇಂಟರ್ನೆಟ್ ಪ್ರಬಂಧ

Last Update: 2021-01-29
Usage Frequency: 1
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कुश्ती निबंध अन्य

Kannada

kushti essay kannada

Last Update: 2020-01-20
Usage Frequency: 1
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vruksha samhara निबंध

Kannada

vruksha samhara ಪ್ರಬಂಧ

Last Update: 2020-02-20
Usage Frequency: 1
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कन्नड़ में vrudhashram निबंध

Kannada

namma kutumba essay in kannada

Last Update: 2018-02-11
Usage Frequency: 5
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अरण्य समरक्षण पर अन्य निबंध

Kannada

kannada essay on aranya samrakshane

Last Update: 2020-09-14
Usage Frequency: 1
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c / माँ और पिताजी पर निबंध

Kannada

c/essay on mom and dad

Last Update: 2021-11-30
Usage Frequency: 2
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अन्य भाषा में मेरे विद्यालय पर निबंध

Kannada

essay on my school in kannada language

Last Update: 2020-01-01
Usage Frequency: 1
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कन्नड़ भाषा में swachh भारत पर निबंध

Kannada

essay on swachh bharat in kannada language

Last Update: 2015-12-07
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मतदानदा महतवा निबंध प्रतिलेख हिंदी में

Kannada

matadanada mahatva essay translet in hindi

Last Update: 2019-12-04
Usage Frequency: 1
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पानी और इसके अन्य में निबंध का उपयोग करता है

Kannada

water and its uses essay in kannada

Last Update: 2020-01-17
Usage Frequency: 1
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स्वच्छ भारत अभियान मुझे विज्ञान का yogdhan पर निबंध

Kannada

essay on swachh bharat abhiyan me vigyan ka yogdhan

Last Update: 2017-08-20
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महिला sabalikaran na कन्नड़ में डाली shikshand paatra निबंध

Kannada

mahila sabalikaran na dali shikshand paatra essay in kannada

Last Update: 2017-11-23
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कन्नड़ में rashtriya habbagalu पर निबंध l पीड़ा अंग्रेजी शब्दों का अनुवाद कन्नड़ में

Kannada

essay on rashtriya habbagalu in kannada language

Last Update: 2020-01-29
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pdf मेरे प्यारे देशवासियों, नमस्कार, कल 29 अगस्त को हॉकी के जादूगर ध्यान चंद जी की जन्मतिथि है। यह दिन पूरे देश में ‘राष्ट्रीय खेल दिवस’ के रुप में मनाया जाता है। मैं ध्यान चंद जी को श्रद्धांजलि देता हूँ और इस अवसर पर आप सभी को उनके योगदान की याद भी दिलाना चाहता हूँ। उन्होंने 1928 में, 1932 में, 1936 में, olympic खेलों में भारत को hockey हॉकी का स्वर्ण पदक दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। हम सभी क्रिकेट प्रेमी bradman का नाम जानते हैं। उन्होंने ध्यान चंद जी के लिए कहा था - ‘he scores goals like runs’. ध्यानचंद जी sportsman spirit और देशभक्ति की एक जीती-जागती मिसाल थे। एक बार कोलकाता में, एक मैच के दौरान, एक विपक्षी खिलाड़ी ने ध्यान चंद जी के सिर पर हॉकी मार दी। उस समय मैच ख़त्म होने में सिर्फ़ 10 मिनट बाकी था। और ध्यान चंद जी ने उन 10 मिनट में तीन गोल कर दिये और कहा कि मैंने चोट का बदला गोल से दे दिया। मेरे प्यारे देशवासियों, वैसे जब भी ‘मन की बात’ का समय आता है, तो mygov पर या narendramodiapp पर अनेकों-अनेक सुझाव आते हैं। विविधता से भरे हुए होते हैं, लेकिन मैंने देखा कि इस बार तो ज्यादातर, हर किसी ने मुझे आग्रह किया कि rio olympic के संबंध में आप ज़रूर कुछ बातें करें। सामान्य नागरिक का rio olympic के प्रति इतना लगाव, इतनी जागरूकता और देश के प्रधानमंत्री पर दबाव करना कि इस पर कुछ बोलो, मैं इसको एक बहुत सकारात्मक देख रहा हूँ। क्रिकेट के बाहर भी भारत के नागरिकों में और खेलों के प्रति भी इतना प्यार है, इतनी जागरूकता है और उतनी जानकारियाँ हैं। मेरे लिए तो यह संदेश पढ़ना, ये भी एक अपने आप में, बड़ा प्रेरणा का कारण बन गया। एक श्रीमान अजित सिंह ने narendramodiapp पर लिखा है – “कृपया इस बार ‘मन की बात’ में बेटियों की शिक्षा और खेलों में उनकी भागीदारी पर ज़रूर बोलिए, क्योंकि rio olympic में medal जीतकर उन्होंने देश को गौरवान्वित किया है।” कोई श्रीमान सचिन लिखते हैं कि आपसे अनुरोध है कि इस बार के ‘मन की बात’ में सिंधु, साक्षी और दीपा कर्माकर का ज़िक्र ज़रूर कीजिए। हमें जो पदक मिले, बेटियों ने दिलाए। हमारी बेटियों ने एक बार फिर साबित किया कि वे किसी भी तरह से, किसी से भी कम नहीं हैं। इन बेटियों में एक उत्तर भारत से है, तो एक दक्षिण भारत से है, तो कोई पूर्व भारत से है, तो कोई हिन्दुस्तान के किसी और कोने से है। ऐसा लगता है, जैसे पूरे भारत की बेटियों ने देश का नाम रोशन करने का बीड़ा उठा लिया है| mygov पर शिखर ठाकुर ने लिखा है कि हम olympic में और भी बेहतर कर सकते थे। उन्होंने लिखा है – “आदरणीय मोदी सर, सबसे पहले rio में हमने जो दो medal जीते, उसके लिए बधाई। लेकिन मैं इस ओर आपका ध्यान खींचना चाहता हूँ कि क्या हमारा प्रदर्शन वाकई अच्छा था? और जवाब है, नहीं। हमें खेलों में लम्बा सफ़र तय करने की ज़रुरत है। हमारे माता-पिता आज भी पढ़ाई और academics पर focus करने पर ज़ोर देते हैं। समाज में अभी भी खेल को समय की बर्बादी माना जाता है। हमें इस सोच को बदलने की ज़रूरत है। समाज को motivation की ज़रूरत है। और ये काम आपसे अच्छी तरह कोई नहीं कर सकता।” ऐसे ही कोई श्रीमान सत्यप्रकाश मेहरा जी ने narendramodiapp पर लिखा है – “‘मन की बात’ में extra-curricular activities पर focus करने की ज़रूरत है। ख़ास तौर से बच्चों और युवाओं को खेलों को ले करके।” एक प्रकार से यही भाव हज़ारों लोगों ने व्यक्त किया है। इस बात से तो इंकार नहीं किया जा सकता कि हमारी आशा के अनुरूप हम प्रदर्शन नहीं कर पाए। कुछ बातों में तो ऐसा भी हुआ कि जो हमारे खिलाड़ी भारत में प्रदर्शन करते थे, यहाँ के खेलों में जो प्रदर्शन करते थे, वो वहाँ पर, वहाँ तक भी नहीं पहुँच पाए और पदक तालिका में तो सिर्फ़ दो ही medal मिले हैं। लेकिन ये भी सही है कि पदक न मिलने के बावजूद भी अगर ज़रा ग़ौर से देखें, तो कई विषयों में पहली बार भारत के खिलाड़ियों ने काफी अच्छा करतब भी दिखाया है। अब देखिये, shooting के अन्दर हमारे अभिनव बिन्द्रा जी ने – वे चौथे स्थान पर रहे और बहुत ही थोड़े से अंतर से वो पदक चूक गये। gymnastic में दीपा कर्माकर ने भी कमाल कर दी - वो चौथे स्थान पर रही। बहुत थोड़े अंतर के चलते medal से चूक गयी। लेकिन ये एक बात हम कैसे भूल सकते हैं कि वो olympic के लिए और olympic final के लिए qualify करने वाली पहली भारतीय बेटी है। कुछ ऐसा ही टेनिस में सानिया मिर्ज़ा और रोहन बोपन्ना की जोड़ी के साथ हुआ। athletics में हमने इस बार अच्छा प्रदर्शन किया। पी.टी. ऊषा के बाद, 32 साल में पहली बार ललिता बाबर ने track field finals के लिए qualify किया। आपको जान करके खुशी होगी, 36 साल के बाद महिला हॉकी टीम olympic तक पहुँची। पिछले 36 साल में पहली बार men’s hockey – knock out stage तक पहुँचने में कामयाब रही। हमारी टीम काफ़ी मज़बूत है और मज़ेदार बाद यह है कि argentina, जिसने gold जीता, वो पूरी tournament में एक ही match मैच हारी और हराने वाला कौन था! भारत के खिलाड़ी थे। आने वाला समय निश्चित रूप से हमारे लिए अच्छा होगा। boxing में विकास कृष्ण यादव quarter-final तक पहुँचे, लेकिन bronze नहीं पा सके। कई खिलाड़ी, जैसे उदाहरण के लिए - अदिति अशोक, दत्तू भोकनल, अतनु दास कई नाम हैं, जिनके प्रदर्शन अच्छे रहे। लेकिन मेरे प्यारे देशवासियो, हमें बहुत कुछ करना है। लेकिन जो करते आये हैं, वैसा ही करते रहेंगे, तो शायद हम फिर निराश होंगे। मैंने एक committee की घोषणा की है। भारत सरकार in house इसकी गहराई में जाएगी। दुनिया में क्या-क्या practices हो रही हैं, उसका अध्ययन करेगी। हम अच्छा क्या कर सकते हैं, उसका roadmap बनाएगी। 2020, 2024, 2028 - एक दूर तक की सोच के साथ हमने योजना बनानी है। मैं राज्य सरकारों से भी आग्रह करता हूँ कि आप भी ऐसी कमेटियाँ बनाएँ और खेल जगत के अन्दर हम क्या कर सकते हैं, हमारा एक-एक राज्य क्या कर सकता है, राज्य अपनी एक खेल, दो खेल पसंद करें – क्या ताक़त दिखा सकता है! मैं खेल जगत से जुड़े association से भी आग्रह करता हूँ कि वे भी एक निष्पक्ष भाव से brain storming करें। और हिन्दुस्तान में हर नागरिक से भी मैं आग्रह करता हूँ कि जिसको भी उसमें रुचि है, वो मुझे narendramodiapp पर सुझाव भेजें। सरकार को लिखें, association चर्चा कर-करके अपना memorandum सरकार को दें। राज्य सरकारें चर्चाएँ कर-करके अपने सुझाव भेजें। लेकिन हम पूरी तरह तैयारी करें और मुझे विश्वास है कि हम ज़रूर सवा-सौ करोड़ देशवासी, 65 प्रतिशत युवा जनसंख्या वाला देश, खेल की दुनिया में भी बेहतरीन स्थिति प्राप्त करे, इस संकल्प के साथ आगे बढ़ना है। मेरे प्यारे देशवासियो, 5 सितम्बर ‘शिक्षक दिवस’ है। मैं कई वर्षों से ‘शिक्षक दिवस’ पर विद्यार्थियों के साथ काफ़ी समय बिताता रहा। और एक विद्यार्थी की तरह बिताता था। इन छोटे-छोटे बालकों से भी मैं बहुत कुछ सीखता था। मेरे लिये, 5 सितम्बर ‘शिक्षक दिवस’ भी था और मेरे लिये, ‘शिक्षा दिवस’ भी था। लेकिन इस बार मुझे g-20 summit के लिए जाना पड़ रहा है, तो मेरा मन कर गया कि आज ‘मन की बात’ में ही, मेरे इस भाव को, मैं प्रकट करूँ। जीवन में जितना ‘माँ’ का स्थान होता है, उतना ही शिक्षक का स्थान होता है। और ऐसे भी शिक्षक हमने देखे हैं कि जिनको अपने से ज़्यादा, अपनों की चिंता होती है। वो अपने शिष्यों के लिए, अपने विद्यार्थियों के लिये, अपना जीवन खपा देते हैं। इन दिनों rio olympic के बाद, चारों तरफ, पुल्लेला गोपीचंद जी की चर्चा होती है। वे खिलाड़ी तो हैं, लेकिन उन्होंने एक अच्छा शिक्षक क्या होता है - उसकी मिसाल पेश की है। मैं आज गोपीचंद जी को एक खिलाड़ी से अतिरिक्त एक उत्तम शिक्षक के रूप में देख रहा हूँ। और शिक्षक दिवस पर, पुल्लेला गोपीचंद जी को, उनकी तपस्या को, खेल के प्रति उनके समर्पण को और अपने विद्यार्थियों की सफलता में आनंद पाने के उनके तरीक़े को salute करता हूँ। हम सबके जीवन में शिक्षक का योगदान हमेशा-हमेशा महसूस होता है। 5 सितम्बर, भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ० सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी का जन्म दिन है और देश उसे ‘शिक्षक दिवस’ के रूप में मनाता है। वे जीवन में किसी भी स्थान पर पहुँचे, लेकिन अपने-आपको उन्होंने हमेशा शिक्षक के रूप में ही जीने का प्रयास किया। और इतना ही नहीं, वे हमेशा कहते थे – “अच्छा शिक्षक वही होता है, जिसके भीतर का छात्र कभी मरता नहीं है।” राष्ट्रपति का पद होने के बाद भी शिक्षक के रूप में जीना और शिक्षक मन के नाते, भीतर के छात्र को ज़िन्दा रखना, ये अद्भुत जीवन डॉ० राधाकृष्णन जी ने, जी करके दिखाया। मैं भी कभी-कभी सोचता हूँ, तो मुझे तो मेरे शिक्षकों की इतनी कथायें याद हैं, क्योंकि हमारे छोटे से गाँव में तो वो ही हमारे hero हुआ करते थे। लेकिन मैं आज ख़ुशी से कह सकता हूँ कि मेरे एक शिक्षक - अब उनकी 90 साल की आयु हो गयी है - आज भी हर महीने उनकी मुझे चिट्ठी आती है। हाथ से लिखी हुई चिट्ठी आती है। महीने भर में उन्होंने जो किताबें पढ़ी हैं, उसका कहीं-न-कहीं ज़िक्र आता है, quotations आता है। महीने भर मैंने क्या किया, उनकी नज़र में वो ठीक था, नहीं था। जैसे आज भी मुझे class room में वो पढ़ाते हों। वे आज भी मुझे एक प्रकार से correspondence course करा रहे हैं। और 90 साल की आयु में भी उनकी जो handwriting है, मैं तो आज भी हैरान हूँ कि इस अवस्था में भी इतने सुन्दर अक्षरों से वो लिखते हैं और मेरे स्वयं के अक्षर बहुत ही खराब हैं, इसके कारण जब भी मैं किसी के अच्छे अक्षर देखता हूँ, तो मेरे मन में आदर बहुत ज़्यादा ही हो जाता है। जैसे मेरे अनुभव हैं, आपके भी अनुभव होंगे। आपके शिक्षकों से आपके जीवन में जो कुछ भी अच्छा हुआ है, अगर दुनिया को बताएँगे, तो शिक्षक के प्रति देखने के रवैये में बदलाव आएगा, एक गौरव होगा और समाज में हमारे शिक्षकों का गौरव बढ़ाना हम सबका दायित्व है। आप narendramodiapp पर, अपने शिक्षक के

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Last Update: 2016-09-04
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