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मालावी का ध्वज
flag of malawi
Última actualización: 2020-05-24
Frecuencia de uso: 3
Calidad:
लेक मालावी राष्ट्रीय उद्यान
lake malawi national park
Última actualización: 2020-05-24
Frecuencia de uso: 3
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ये मालावी से सबसे माने हुए विद हैं , जनताम्बे कुम्बिरा
this is one of the best agronomists in malawi , junatambe kumbira ,
Última actualización: 2020-05-24
Frecuencia de uso: 1
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"मगर हम आप को क्षमा करते है, क्योंकि आपको नहीं पता था। अब से हम प्रति व्यक्ति गणना करेंगे। अब से हम प्रति व्यक्ति ही गणना करेंगे। और हर कोई इस प्रति व्यक्ति रिसाव के लिये जिम्मेदार होगा।" ये आपको दिखाता है, कि हमने ढंग की आर्थिक तरक्की और स्वास्थ तरक्की नहीं की है, दुनिया में कहीं भी पर्यावरण को दूषित किये बिना। और यही है जिसे बदलना होगा। मेरी आलोचना हो सकती है आपको दुनिया का सकारात्मक रूप दिखाने के लिये, मगर मुझे लगता है कि मैं सही हूँ। विश्व असल में काफ़ी गडबड जगह है। इसे हम कहते है डॉलर स्ट्रीट। हर कोई इसे गली में रहता है। ये यहाँ जो कमाते हैं -- किस नंबर में वो रहते हैं -- और वो कितना प्रति दिन कमाते हैं। ये परिवार प्रति दिन करीब एक डॉलर कमाई करते हैं। हम इस गली में आगे बढते हैं, यहाँ हमें एक परिवार मिलता है जो करीब ३ डॉलर प्रतिदिन कमाता है। और फ़िर हम यहाँ आते है -- हमें गली का पहला बगीचा दिखता है, और वो करीब १० से ५० डॉलर प्रतिदिन कमाते हैं। और वो रहते कैसे हैं? अगर हम बिस्तरों को देखें, तो पायेंगे कि ये फ़र्श पर पडी दरी पर सोते हैं। ये है गरीबी की रेखा -- ८० प्रतिशत पारिवारिक कमाई केवल बिजली और खाने की समस्या निपटाने में चली जाती है। ये है दो से पाँच डॉलर की स्थिति, जहाँ आपके पास बिस्तर है। और यहाँ एक बेहतर बेडरूम है, आप देख सकते हैं। मैनें आइकिया में इस पर लेक्चर दिया था, और वो इसे देखना चाहते थे ये सोफ़ा जल्दी से लग जाये। (हँसी) और ये सोफ़ा, अब ये यहाँ से कैसे आगे बढेगा। और रोचक बात ये है , कि जब आप इसमें आगे बढेंगे, तो आप देखेंगे कि ये परिवार अभी भी फ़र्श पर ही बैठा है, जब कि यहाँ सोफ़ा है। अगर आप रसोई देखेंगे, तो आप पायेंगे कि औरतों के जीवन में बदलाव महज दस डॉलर में नहीं आता। वो आता है इस से आगे, जब आप परिवार के लिये अच्छी कार्य-स्थितियाँ पैदा कर सकें। और अगर सच में फ़र्क देखना है, तो आप टायलट देखें। ये बदल सकता है। ये तस्वीरें अफ़्रीका की हैं, और ये बेहतर हो सकती हैं। हम गरीबी से बाहर निकल सकते हैं। मेरा अपना शोध आई.टी. या इस से जुडी विधा में नहीं है। मैने २० साल बिताये हैं अफ़्रीकन किसानों से बातचीत करते हुये, जो कि भुखमरी के कगार पर हैं। और ये परिणाम है किसानों की ज़रूरत पर किये गये शोध का। इस में आप को ये नहीं पता लगेगा कि आखिर शोधकर्ता कौन हैं। तब ही जा कर शोध वास्तव में समाज में काम कर सकता है -- आप को सच में लोगों के साथ रहना होता है। जब आप गरीबी से जूझ रहे होते है, बात जिंदगी-मौत की होती है। खाना खा पाने का सवाल होता है। और ये युवा किसान, अब ये लड़कियाँ हैं -- क्योंकि माता-पिता एच.आई.वी और एड्स के शिकार हो चुके हैं -- वो एक प्रशिक्षित कृषि-अर्थ-शास्त्री से विमर्श कर रही हैं। ये मालावी से सबसे माने हुए विद हैं, जनताम्बे कुम्बिरा और ये विमर्श कर रहे है, कि किस तरह के कसावा इन्हें लगाने चाहिये -- धूप को भोजन में बदलने में माहिर पौधे। और वो बहुत ही ज्यादा उत्सुक हैं सलाह पाने के लिये, और गरीबी में भी जिंदा रह पाने में। ये एक संदर्भ है। गरीबी से बाहर आना। एक औरत ने हम से कहा, "हमें तकनीकों की ज़रूरत है। हमें इस कंक्रीट से घृणा है, घंटों खडे रहना पसंद नहीं। हमें एक चक्की दें जिस से कि हम अपना आटा पीस सकें, इस से हम अपने खर्चे उठा सकेंगे।" तकनीक आपको गरीबी से बाहर निकाल सकती है, मगर गरीबी से बाहर आने के लिये एक बाज़ार की ज़रूरत है। ये औरत बहुत खुश है, क्योंकि ये अपने उत्पाद को मार्केट तक पहुँचा सकती है। मगर ये धन्यवाद देती है स्कूलों में खर्च हुये सरकारी धन का जिस से इसने गिनती सीखी, और इसे अब बाज़ार में कोई धोखा नहीं दे सकता। ये चाहती है कि इस का बच्चा स्वस्थ रहे, जिस से कि ये बाजार जा सके और इसे घर पर न रहना पडे। और उसे एक ढाँचा चाहिये -- पक्की सड़क तो चाहिये ही साथ ही ऋण भी चाहिये। लघु-ऋण से उसे साइकिल मिली, पता है आपको? और ताजा जानकारी से पता लगेगा कि उसे कब बाजार जाना चाहिये और क्या ले कर। आप ये कर सकते हैं मेरा अफ़्रीका का २० साल का अनुभव ये कहता है कि जो असंभव सा लगता है, वो संभव है। अफ़्रीका ने कुछ गलती नहीं की है। पचास सालों में वो पुरातन स्थितियों से आगे आ कर करीब १०० साल पहले के यूरोप जितनी तरक्की कर चुके हैं, सही रूप से कार्य कर रहे राष्ट्र सरकार के साथ_bar_ मेरे ख्याल से सह-सहारन अफ़्रीका ने विश्व में सबसे ज्यादा तरक्की की है, पिछले पचास सालों में। क्योंकि हम ये भूल जाते हैं कि इन्होंने यात्रा शुरु कहाँ से की। ये जो वेवकूफ़ाना तर्क है विकासशील देश नाम का, जो कि हमें, और अर्जेंटीना और मोजाम्बिक को पचास साल पहले एक ही जगह रख देता है, और कहता है कि मोजाम्बिक नें उतनी तरक्की नहीं की। हमें दुनिया के बारे में और समझना पडेगा। मेरा एक पडोसी है जो कि २०० तरह की वाइन के बारे में जानता है। उसे सब पता है। उसे हर अंगूर का नाम, तापमान, और बाकी सब पता है। और मुझे दो ही तरह की वाइन पता है - रेड वाइन, और वाइट वाइन। (हँसी) मगर मेरे पडोसी को सिर्फ़ दो तरह के देशों के बारे में पता है -- औद्योगिक और विकासशील। और मुझे करीब २०० तरह के देश पता है, और मुझे आंकड़े पता हैं। मगर आप ऐसा कर सकते हैं। (अभिवादन) मगर अब संजीदा होना पडेगा। और संजीदा कैसे हों? ज़ाहिर है, पावर-पाइंट बना कर, है न?
"but we forgive you, because you didn't know it. but from now on, we count per capita. from now on we count per capita.
Última actualización: 2019-07-06
Frecuencia de uso: 4
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