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मुझे तमिल नहीं आती
எனக்கு தமிழ் தெரியாது.
Última actualización: 2023-10-19
Frecuencia de uso: 1
Calidad:
मुझे इस पर काम करना नहीं आता।
எப்படி செய்யனும்னு எனக்குத் தெரியாது.
Última actualización: 2017-10-13
Frecuencia de uso: 1
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आप शर्म नहीं आती? - मैं नहीं था ...
எனக்கு யார் மீதும் அடிக்க முடியவில்லை.
Última actualización: 2017-10-13
Frecuencia de uso: 1
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में नहीं आते हैं
வராதே -வலதுபுறம்
Última actualización: 2017-10-13
Frecuencia de uso: 1
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आप समझ में नहीं आता.
நீ புரியவில்லை.
Última actualización: 2017-10-13
Frecuencia de uso: 1
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तुम्हारा कहना है कि उन्हें देखकर तुम्हें घिन नहीं आती?
அதுங்களைப் பார்த்தா உனக்கு வெறுப்பா இல்லைன்னா சொல்றே?
Última actualización: 2017-10-13
Frecuencia de uso: 1
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कोई बात उसकी ज़बान पर नहीं आती मगर एक निगेहबान उसके पास तैयार रहता है
கண்காணித்து எழுதக்கூடியவர் அவனிடம் (மனிதனிடம்) இல்லாமல் எந்த சொல்லையும் அவன் மொழிவதில்லை.
Última actualización: 2014-07-03
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आप इस समय अब यह अधिकार नहीं यही कारण है कि मुझे समझ में नहीं आता.
நீங்கள் இந்த நேரத்தில் இப்போது இது சரியான செய்ய ஏன் என்று எனக்கு புரியவில்லை.
Última actualización: 2017-10-13
Frecuencia de uso: 1
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आप समझ में नहीं आता क्या है कि,
நீங்கள் புரியவில்லை என்று,
Última actualización: 2017-10-13
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क्यों तुम मेरे साथ नीचे नहीं आते?
ஏன் என்னுடன் கீழே வரவில்லை?
Última actualización: 2017-10-13
Frecuencia de uso: 1
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उन मिंक कोट के पैसे ऐसे ही नहीं आते।
இந்த ஆடை அதுவா பணம் கொடுக்காது.
Última actualización: 2017-10-13
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आप आप करते हैं, जान समझ में नहीं आता?
நீ புரியவில்லை, , அன்பே?
Última actualización: 2017-10-13
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बहुत अच्छा, लेकिन आप शीर्ष दस में नहीं आते.
பிரமாதம்!ஆனால் உங்கள் மதிப்பு என்னவோ மேல் பத்தில் இல்லை.
Última actualización: 2014-08-20
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- किसी भी हास्यास्पद विचार नहीं आता है, सब ठीक ?
- எந்த வேடிக்கை ஐடியாஸ் இல்லை, சரி ?
Última actualización: 2017-10-13
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तुम लोग भी यहाँ कभी नहीं आते जब तक तुम्हे भरोसा नहीं होता की तुम उन्हें बचा लोगे .
நீங்கள் கூட உண்மையை சொல்லிருந்தால் இங்கு வர சம்மதித்து இருக்க மாட்டீர்கள்.
Última actualización: 2017-10-13
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अल्लाह की अनुज्ञा के बिना कोई भी मुसीबत नहीं आती। जो अल्लाह पर ईमान ले आए अल्लाह उसके दिल को मार्ग दिखाता है, और अल्लाह हर चीज को भली-भाँति जानता है
நிகழும் நிகழ்ச்சியெல்லாம் அல்லாஹ்வின் அனுமதி கொண்டேயல்லாமல் (வேறு) இல்லை, மேலும், எவர் அல்லாஹ்வின் மீது ஈமான் கொள்கிறாரோ, அவருடைய இருதயத்தை அவன் நேர்வழியில் செலுத்துகிறான் - அல்லாஹ் ஒவ்வொரு பொருளையும் நன்கறிந்தவன்.
Última actualización: 2014-07-03
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उनके दिल उसकी तरफ से ग़फलत में पडे हैं इसके अलावा उन के बहुत से आमाल हैं जिन्हें ये (बराबर किया करते है) और बाज़ नहीं आते
ஆனால் அவர்களுடைய இதயங்கள் இதைக் குறித்து அறியாமையிலேயே (ஆழ்ந்து) கிடக்கின்றன இன்னும், அவர்களுக்கு இதுவன்றி (வேறு தீய) காரியங்களும் உண்டு. அதனை அவர்கள் செய்து வருகிறார்கள்.
Última actualización: 2014-07-03
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"ईश्वर, इन्हें अच्छा कर दो ।" और यदि ये अच्छे हो गये, तो मैं अपनी दीवार रँग दूँगा ।" और एसे उन्होंने अपनी दीवार पर रोगन किया । कल किसी व्यक्ति ने मास्लोवियन वर्गीकरण की बात की थी । उससे ज्यादा गलत कुछ हो ही नहीं सकता है । उससे ज्यादा गलत कुछ हो ही नहीं सकता है । क्योंकि इस देश में गरीब लोगों के लिये ज्ञान के द्वार खुले हैं । कालवी, रहीम, और सारे महान सूफ़ी संत, सब गरीब थे, मगर उनके पास सुलझी हुई सोच थी । कृपया ऐसा कभी मत सोचिये कि केवल जब आप अपनी शारीरिक और आर्थिक ज़रूरतें पूरे कर लेंगे, तब ही जा कर आप अपनी आध्यातमक ज़रूरतों के बारे में सोचेंगे । कोई भी व्यक्ति कहीं भी इस काबिल है कि वो अपनी उपलब्धियों के चरम पर पहुँचे, केवल यदि वो ठान ले कि उसे कुछ पाना है । इस पर ध्यान दीजिये । हमें शोध यात्रा में ये देख्ने को मिला। हर छठे महीने हम पदयात्रा करते हैं देश के विभिन्न भागों में। मैने पिछले १२ सालों में करीब ४४०० कि.मी. की यात्रा पद-यात्रा की है । और इस दौरान, हमने गोबर के उपले देखे, जो कि ईंधन की तरह इस्तेमाल होते है । इस स्त्री ने, उपलों के ढेर की दीवार पर चित्रकारी की है । इसके पास यही इकलौती जगह है जहाँ ये अपनी रचनात्मक्ता को अभिव्यक्त कर सके । और ये स्त्री बेहतरीन कलाकार है । एक और स्त्री, राम तिमारी देवी, अनाज़ के ढेर पर, चम्पारन में शोध-यात्रा के दौरान वहाँ चलते समय, उस भूमि पर जहाँ गाँधीजी गये थे दुख, दर्द सुनने नील की खेती करने वालों का भाभी महतो, पुरिलिया, बनकुरा से । देखिये इन्होंने क्या किया है । ये पूरी दीवार इनका चित्रपटल है । और ये वहाँ एक झाडू ले कर बैठी हैं । ये कारीगर हैं या कि एक कलाकार ? बिलकुल ये एक कारीगर हैं, एक रचनात्मक व्यक्ति । यदि हम इन कलाकारों के लिये बाज़ार बना सकें, तो हमें इनसे गड्ढे खुदवाने और पत्थर तोडने के काम नहीं करवाने होंगे । उन्हें उस चीज़ के लिये पैसे दिये जाएँगे जिसमें वो पारंगत है, उसके लिये नहीं जो उन्हें नहीं आता । अभिवादन देखिये, रोज़ादीन ने क्या किया है । मोतिहारी, चम्पारन में, कई लोग हैं जो छोटे-मोटे ढेलों पर चाय बेचते हैं और ज़ाहिर है, कि चाय की बाज़ार सीमित है, हर सुबह आप चाय पीते है, और कॉफ़ी भी । तो उसने सोचा, कि क्यों न मैं एक प्रेशर-कुकर को कॉफ़ी मशीन में बदल दूँ । तो ये रही आपकी कॉफ़ी मशीन, जो कि सिर्फ़ कुछ सौ रुपये में उलपब्ध है । लोग अपना कुकर ले कर आते हैं, रोज़ादीन उसमें एक वाल्व और भाप की एक नली जोड देता है, और अब वो आपको एस्प्रेसो कॉफ़ी मुहैया करवाता है । और देखिये, ये सब वास्तविक है, और जेब-खर्च के भीतर कॉफ़ी मशीन जो कि गैस पर काम करती है । अभिवादन देखिये शेख़ जहाँगीर का कमाल । कई गरीब लोगों के पास इतना अनाज़ नहीं होता है कि वो उसे पिसवाने जायें । तो जहाँगीर क्या करते हैं कि आटा पीसने की एक चक्की को एक दुपहिया वाहन पर ले कर आते हैं । अगर आपके पास ५०० ग्राम, या एक किलो अनाज़ है, तो वो आपके लिये उसे पीस देगा; चक्कीवाला इतने कम अनाज़ को नहीं पीसेगा। कृपया गरीब लोगों के समस्या को समझिये । उनकी आवश्यकताएँ हैं जिन्हें रूप से पूरा करना है बिजली, कीमत, गुणवत्ता आदि को ध्यान में रख कर । उन्हें खराब स्तर के उत्पाद नहीं चाहिये । लेकिन अच्छी क्वालिटी के उत्पाद बनाने के लिये आपको अपनी तकनीक को उनके अनुसार बदलना होगा । और यही शेख़ जहाँगीर ने किया । पर ये काफ़ी नहीं है । यहाँ देखिये क्या हुआ है । अगर आपके पास कपडे हैं, मगर उन्हें धोने का समय नहीं है, तो वो आपके लिये वाशिंग-मशीन लाये हैं ठीक आपके दरवाजे पर, दुपहिया वाहन पर लगी हुई । ये एक ढाँचा है जो कि दुपहिया वाहन पर... वो आपके दरवाजे पर आपके कपडे धो और सुखा रहा है । (अभिवादन) आप अपना पानी लाइये, साबुन दीजिये । मैं आपके कपडे धो देता हूँ, पचास पैसे या एक रुपये में एक गट्ठर । व्यवसाय का एक नया प्रारूप निकल सकता है । और ये ही हमें चाहिये । और इसके आगे, वो लोग जो कि इसे कई गुना बडे स्तर पर कर सकें । आगे देखिये । ये एक सुंदर तस्वीर है । पर ये क्या है ? कोई पहचान सकता है ? भारतीयों को तो पता ही होगा । ये एक तवा है । मिट्टी से बना हुआ तवा । देखिये, इसकी खासियत क्या है ? जब आप नॉन-स्टिक तवा लेते हैं, तो उसकी कीमत आती है, करीब २५० रुपये, पाँच, छः डॉलर । और ये एक डॉलर से कम का है । और ये भी 'नॉन-स्टिक' है । इस पर परत चढाई गयी है खाद्य-स्तर के पदार्थ की । और सबसे बढिया बात ये है कि, जब आप महँगा नॉन-स्टिक तवा इस्तेमाल करते हैं, तो आप टेफ़्लान या टेफ़्लान जैसे पदार्थ को खाते हैं । क्योंकि कुछ दिन बाद वो गायब हो जाता है. और वो कहाँ जाता है ? आपके पेट में । वो आपके पेट में जाने लायक नहीं है । और देखिये, इस मिट्टी के तवे में, वो कभी भी आपके पेट में नहीं जाएगा, तो बेहतर है, सुरक्षित है; जेब-खर्च के भीतर है; और सीमित ऊर्जा से बनता है । दूसरे शब्दों में, ज़रूरी नहीं कि गरीबों के लिये बनाये गये उत्पाद घटिया हों, या फ़िर सिर्फ़ जुगाड कर के किसी तरह बना दिये गये हों । उन्हें तो बेहतर होना होगा, और ज्यादा गुण्वत्ता परक होना होगा, उन्हें सस्ता होना होगा । और बिलकुल यही मनसुख प्रजापति ने कर दिखाया है । उन्होंने ये हत्था-लगी प्लेट बनाई है । और अब आप एक डॉलर में एक बेहतर चीज पा सकते हैं बाज़ार में उपलब्ध चीज़ों से बेहतर । इन महिला को देखिये, इन्होंने वनस्पति पर आधारित कीटनाशक बनाया है। हमने इस के लिये पेटेंट की अर्ज़ी दी है, नेशनल इन्नोवेशन फ़ाउन्डेशन में । और क्या पता एक दिन, कोई इस तकनीक का लाइसेंस ले कर बाजार के लायक उत्पाद बनाये, और इस महिला को पैसे मिलें। एक बात कहनी यहाँ बहुत ज़रूरी है । मेरे हिसाब से हमें विकास का बहु-केन्द्रीय ढाँचा बनाना होगा, जहाँ कई प्रयास देश के विभिन्न भागों में और विश्व के विभिन्न भागों में, स्थानीय समस्याओं का निदान कर रहे हों सुचारु और अनुकूलित तरीकों से। जितना ही स्थानीय जुडाव होगा, उतना ही ज्यादा संभव होगा इसे आगे बढाना । और आगे बढने में एक स्वाभाविक विशिष्टता है कि वो स्थानीय स्वाद से परे होती जाती है, धीरे धीरे जैसे जैसे आप अपनी पूर्ति बढाते हैं । तो लोग इस बात को स्वीकार करने को तैयार क्यों हैं ? देखिये चीज़ें आगे बढ सकती हैं, और बढी भी हैं । मिसाल के तौर पर, मोबाइल फोन: हमारे देश में ४० करोड मोबाइल फ़ोन हैं । हो सकता है कि मैं अपने फोन के सिर्फ़ दो ही बटन इस्तेमाल करता हूँ, और फोन की सिर्फ़ तीन ही सुविधाएँ इस्तेमाल करता हूँ । उसमें ३०० सुविधाएँ हैं; मैं ३०० सुविधाओं की कीमत चुकाता हूँ, लेकिन सिर्फ़ तीन इस्तेमाल करता हूँ । लेकिन मैं इसके लिये तैयार हूँ, और इसलिये, ये आगे बढ सका है । लेकिन अगर मुझे खास अपने लिये एक फोन चाहिये होता, तो जाहिर है, कि मुझे एक अलग नमूने का फोन लेना पडता । तो हम ये कहना चाह रहे हैं कि विशाल बनने के चक्कर में चीज़ें ख्त्म नहीं हो जानी चाहियें । दुनिया में एक स्थान होना चाहिये सिर्फ़ स्थानीय-संदर्भ के समाधानों के लिये, फ़िर भी, उन पर पैसा लगाया जा सके । हमने एक बडे परीक्षण में पाया कि कई बार निवेशक ये सवाल पूछते हैं --
"கடவுளே - இவரை குணமாக்குங்கள். அப்படி குனமாக்கினால், நான் எனது சுவரை சாயம் அடித்து கொள்கிறேன்." இது தான் அவர் சாயம் அடித்து கொண்டது. நேற்று ஒருவர் மாஸ்லோவின் தேவை படியமைப்பு பற்றி பேசினார். மாஸ்லோவின் தேவை படியமைப்புப் போல தவறான ஒன்று வேறோன்றும் இருக்க முடியாது. ஏனெனில் இந்த நாட்டின் ஏழை மக்களுக்கு மோட்சம் கிடைக்கும். கல்வி, ரஹீம் மற்றும் பலர் மிக சிறந்த சுபி அருட் தொண்டர்கள், அவர்கள் அனைவரும் வறுமையில் வாடினர், மற்றும் அவர்களுக்கு நல்ல பொது அறிவு இருந்தது. தயவு கூர்ந்து சரீரம் சார்ந்த தேவைகள் மற்றும் இதர தேவைகள் பூர்த்தியானால் தான் ஆத்மார்த்தம் சார்ந்த தேவைகள் பற்றி யோசிப்பீர்கள் என்று நம்பாதீர்கள். எந்த ஒரு நிலையிலும் எந்த ஒரு மனிதரும், என்னால் ஏதாவது சாதிக்க முடியும் என்ற உறுதி மூலம், அந்த ஆத்மார்த்த நிலையை அடைந்து விட முடியும். இதனை பாருங்கள். நாங்கள் இதனை பார்த்திருக்கிறோம். ஆறு மாதத்திற்கு ஒரு முறை, நாங்கள் நாட்டின் பல்வேறு இடங்களில் நடந்திருக்கிறோம். நான் கடந்த 12 வருடங்களில் 4000 km நடந்திருக்கிறேன். வரும் வழியில், சாண வரட்டிகள் எரிபொருளாக உபயோகப்படுத்துவதை நாங்கள் கண்டோம். அந்த பெண்மணி வரட்டி காயவைக்கும் அந்த சுவரில் சித்திரம் தீட்டி இருந்தார். அவரது கற்பனை திறனை அவர் அங்கு மட்டும் தான் வெளிபடுத்த முடியும். மற்றும் அவர் மிகவும் சிறப்பாக செய்திருந்தார். இந்த பெண்மணி ராம் திமரி தேவியை காணுங்கள், சம்பரனில் இருக்கும் நெல் கொட்டி வைக்கும் தொட்டி மீது. பங்குராவில் உள்ள புருலியாவில் இண்டிகோ செடியை வளர்க்கும் பாபி மகாடோ அவர்களின் துயரத்தை கேட்க காந்திஜி சென்ற இடத்திற்கு நாங்கள் சென்று கொண்டிருந்தோம். அவர் செய்ததை பாருங்கள். சுவர் முழுவதும் அவரது இரட்டு. அவர் துடைபத்துடன் கீழே உட்கார்ந்து கொண்டிருக்கிறார். இவர் தொழில் நிபுணரா அல்லது ஓவியரா? தெளிவாக அவர் ஒரு ஓவியரே; அவர் கற்பனை திறன் உடையவர். இவர்கள் விற்பதற்கு நாம் ஒரு மார்க்கத்தை உண்டு பண்ணினால், அவர்களை நாம் பூமியை தோண்டுவதற்கும், கல் உடைப்பதற்கும் உபயோக படுத்த தேவை இல்லை. அவர்கள் எது சுமாராக செய்கிறார்களோ அதை விடுத்து, சரியாக செய்கிறார்களோ அதற்கு சம்பளம் வாங்குவார்கள். (கைதட்டல்) ரோஜாதீன் என்ன செய்துள்ளார் என்று பாருங்கள். சம்பரனில் மொடிஹரியில், நிறைய மக்கள் குடிசையில் தேனீர் விற்பார்கள் தெளிவாக, தேனிருக்கு வரையறுக்கப்பட்ட எண்களில் தான் வாங்குபவர்கள் இருப்பார்கள், ஒவ்வொரு காலையும் நீங்கள் காபி மற்றும் தேனீர் அருந்துவீர்கள். ஆகவே நான் ஏன் ஒரு சுட்டடுப்பை காபி தயாரிக்கும் இயந்திரமாய் மாற்ற கூடாது என்று அவர் எண்ணினார். ஆகையால் இதோ காபி தயாரிக்கும் இயந்திரம். இதற்கு சில நூறு ரூபாய்களே ஆகும். மக்கள் அவர்களின் சுட்டடுப்பை கொண்டு வந்தால், இவர் நீராவி குழாயையும் ஒருபோக்கியும் பொருத்தி, எச்ப்ரச்சோ காபியை கொடுப்பார். இது மிக மலிவான வாயுவினால் ஆன காபி வடிகட்டி. (கைதட்டல்) ஷேக் ஜகாங்கீர் என்ன செய்துள்ளார் என்று பாருங்கள். நிறைய ஏழை மக்களுக்கு விவசாயம் செய்ய போதுமான நெல் இல்லை. ஆகையால் இந்த மனிதர் மாவு அரைக்கும் இயந்திரத்தை இரு சக்கர வாகனத்தில் கொண்டு வருகிறார். உங்களிடம் ஒரு கிலோ அல்லது அரை கிலோ இருந்தால், இவர் அரைத்து தருவார்; மாவு அரைப்பவர் அவ்வளவு சிறிய அளவை அரைத்து தர மாட்டார். தயவு கூர்ந்து ஏழை மக்களின் சிக்கல்களை புரிந்து கொள்ளுங்கள். அவர்களின் தேவைகள் திறமையான முறையில் சக்தி, விலை மற்றும் தரத்தை கருத்தில் கொண்டு பூர்த்தி செய்ய பட வேண்டும். அவர்களுக்கு இரண்டாம் பட்சமான தரமில்லா வெளியீடு தேவை இல்லை. ஆனால் தரமுள்ள வெளியீடு தருவதற்கு, தொழில்நுட்பத்தை சார்ந்து அவர்களின் தேவைகளை பூர்த்தி செய்ய வேண்டும். அதை தான் ஷேக் ஜகாங்கீர் செய்தார். அவர் செய்தது அது மட்டுமல்ல. இதனை பாருங்கள்.
Última actualización: 2019-07-06
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