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, बेच बेच!
sell, sell!
Dernière mise à jour : 2017-10-12
Fréquence d'utilisation : 1
Qualité :
वाइन का कवर बेच बेच कर ।
by selling wine skins door to door .
Dernière mise à jour : 2020-05-24
Fréquence d'utilisation : 1
Qualité :
अब वो 24 साल का है और शियालदाह ओवर ब्रिज के नीचे कपड़े बेचता है।
he is now 24 years old.
Dernière mise à jour : 2018-11-09
Fréquence d'utilisation : 2
Qualité :
और वे अपनी अपनी सम्पत्ति और सामान बेच बेचकर जैसी जिस की आवश्यकता होती थी बांट दिया करते थे।
and sold their possessions and goods, and parted them to all men, as every man had need.
Dernière mise à jour : 2019-08-09
Fréquence d'utilisation : 1
Qualité :
यूरोप और उत्तरी अमेरिका के लोगों की ही तरह मोरिशस के लोग भी समान शर्तों पर अपना कपड़ा बेच सके ।
they could sell their textiles on equal terms as the people in europe and north america .
Dernière mise à jour : 2020-05-24
Fréquence d'utilisation : 1
Qualité :
"हाँ, उसका जीवन लम्बा और परिवार छोटा है, जबकि तीसरी दुनिया का जीवन छोटा परिवार बड़ा है।" तो यह सब में यहाँ प्रदर्शित कर सकता हूँ। मैं यहाँ उत्पादन दर को रखता हूँ: प्रति औरत बच्चों की संख्या, एक, दो, तीन, चार, प्रति औरत बच्चों की संख्या क़रीबन आठ तक। 1962 तक हमारे पास बहुत अच्छे आंकड़े हैं - 1960 में सभी देशों के परिवार के आकार्। त्रुटि हाशिया संकीर्ण है। यहाँ में कुछ देशों में जीवन प्रत्याशा, 30 साल से क़रीबन 70 साल रखता हूँ। और 1962 में यहाँ देशों का एक समूह था। वे औधोगिक देश थे, जिनमें परिवार छोटे और जीवन आयु लम्बी होती थी। और ये विकासशील देश थे: इनमें परिवार बड़े और जीवन आयु छोटी होती थी। अब 1962 से क्या हुआ है? हम बदलाव देखना चाहते हैं। क्या छात्र सही कह रहे हैं? क्या अभी भी दो प्रकार के देश हैं? या इन विकासशील देशों के परिवार अधिक छोटे हो गये हैं और वे यहाँ रह रहे हैं? या उनकी जीवन आयु बढ़ गयी है और वहाँ रह रहे हैं? आओ देखें। तब हमने दुनिया को रोक दिया। यह पूर्ण यूएन गणना है जो उपलब्ध रही है। हम यहाँ आते हैं। क्या आप वहाँ देख सकते हैं? यह चीन है, वहाँ स्वास्थ्य बेहतर हो रहे हैं, सुधार हो रहा है। सभी हरित लेटिन अमेरीकी देश छोटे परिवारों में तब्दील हो रहे हैं। यहाँ खाड़ी देश पीले रंग से दर्शाये गये हैं, उनके परिवार बड़े हैं, लेकिन उनकी न, तो लम्बी आयु है, और न ही, परिवार बड़े हो पाते हैं। यहाँ नीचे अफ्रीकी दिखाये गये हैं। वे अभी भी यहाँ हैं। यह भारत है। इंडोनेशिया बहुत तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। (हँसते हुए) और 80 के दशक में, वहाँ बंगलादेश अफ्रीकी देशों के बीच में था। लेकिन अब, बंगलादेश— में भी 80 के दशक में चमत्कार हो गया है। इमामों ने परिवार योजना को प्रोत्साहन देना शुरू कर दिया है। वे उस कोने से निकलकर आगे बढ़े और 90 में हम एचआईवी की भयंकर आपदा झेलते हैं जिससे अफ्रीकी देशों की जीवन प्रत्याशा नीचे आ जाती है और बाकी सब कोने में खिसक जाते हैं जहाँ आयु लम्बी और परिवार छोटे हैं, और हमारा एक पूर्णतया नया संसार बनता है। (करतल ध्वनि) मुझे सीधे संयुक्त राष्ट्र अमेरीका और वियतनाम में तुलना करने दो। अमेरिका के परिवार छोटे और लोगों की आयु लम्बी होती थी, वियतनाम के परिवार बड़े और लोगों की जीवन आयु छोटी होती थी, और जो होता है वह यह है: युद्ध के दौरान के आंकड़े दर्शाते हैं कि मृत्यु के वावजूद भी जीवन प्रत्याशा में सुधार आया। साल के अंत तक, वियतनाम में परिवार योजना शुरू हो गई और उनके परिवार छोटे होने लगे। और संयुक्त राष्ट्र में परिवार को सीमित कर लम्बा जीवन जीने लगे हैं और अब 80 में, वे सामाजिक योजना को त्यागकर बाज़ार अर्थव्यवस्था की और ध्यान देते हैं और यह सामाजिक जीवन से भी अधिक तेज़ गति से चलती है और आज, हमारे वियतनाम में जीवन की समान आशा और परिवार का समान आकार है, जैसा कि संयुक्त राष्ट्र में, 1974 में युद्ध के अंत था। मैं सोचता हूँ कि - कि यदि हम आंकड़े पर नज़र न डालें तो, एशिया में हुए आश्चर्यजनक परिवर्तन को हम कम आंकते हैं जोकि आर्थिक परिवर्तन की अपेक्षा सामाजिक परिवर्तन में पहले देखने को मिला। आओ अब दूसरी तरफ़ रुख़ करें जहाँ हम विश्व में आय के वितरण को देख सकते हैं। यह विश्व के लोगों की आय का वितरण है। प्रतिदिन एक डालर, 10 डालर या 100 डालर। अब अमीर और ग़रीब में ज़्यादा अंतर नहीं है। यह केवल एक मिथ्याभास है। यहाँ थोड़ी सी कमी है। लेकिन सभी तरफ़ लोग ही लोग हैं। और अगर हम वहाँ देखें जहाँ आय ख़त्म होती है- यह आय विश्व की वार्षिक आय की 100 प्रतिशत है, कुल सबसे अधिक अमीर 20 प्रतिशत हैं जिनकी आय क़रीबन 74 प्रतिशत है और सबसे ग़रीब 20 प्रतिशत हैं जिनकी आय 2 प्रतिशत है और यह दर्शाता है कि विकासशील देशों की संकल्पना अत्याधिक संदेहयुक्त है। हम सहायता राशि के बारे में सोचते हैं, जैसे कि यह लोग इन लोगों को सहायता राशि प्रदान कर रहे हैं, लेकिन बीच में अधिकांश विश्व की जनसंख्या है, और अब वह आय की 24 प्रतिशत है। हमने इसके बारे में दूसरे रूप में सुना। और ये कौन हैं? विभिन्न देश कहाँ हैं? मैं आपको अफ्रीका दिखा सकता हूँ। यह अफ्रीका है, विश्व की जनसंख्या का 10 प्रतिशत। यहाँ सबसे ज़्यादा ग़रीबी है। यह ओईसीडी है। अमीर देश। संयुक्त राष्ट्र का कंट्री क्लब। और वे यहाँ इस तरफ़ हैं। अफ्रीका और ओईसीडी के बीच पूर्णतया एक से दूसरा किनारा। और यह लेटिन अमेरीका है। यहाँ इस धरती ग्रह पर उपलब्ध सबकुछ है। ग़रीबी से लेकर अमीरी तक और उसके शीर्ष पर, हम पूर्वी यूरोप को रख सकते हैं, हम पूर्वी एशिया को रख सकते हैं। और हम दक्षिणी एशिया को रख सकते हैं। और कहीं अगर हम वापस 1970 के समय में चले जायें, तो कैसा लगेगा? और भी ज़्यादा अंतर। और जो सबसे ज़्यादा ग़रीबी में जीवन-यापन करते हैं वे हैं एशियाई लोग। एशिया की ग़रीबी विश्व की समस्या थी। और अगर मैं अब विश्व को आगे बढ़ने दूँ, तो आप देखोगे कि जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ेगी, एशिया में अरबों लोग ग़रीबी से बाहर आयेंगे और कुछ अन्य ग़रीबी में आ जायेंगे, आज हमारा यही स्वरूप बन गया है। और विश्व बैंक की सर्वश्रेष्ठ परिकल्पना यही है कि ऐसा होगा, और हमारा विश्व बंट नहीं पायेगा। मध्य में सबसे अधिक लोग नहीं होंगे। निस्संदेह यह लघुगणक पैमाना है। लेकिन हमारी आर्थिक व्यवस्था का संकल्प प्रतिशत के साथ विकास है। हम इसे प्रतिशतता वृद्धि की संभावना के रूप में देखते हैं। अगर मैं इसे बदल दूँ, और जीडीपी को पारिवारिक आय की अपेक्षा प्रति व्यक्ति लूँ, और इन व्यक्तिगत आंकड़ों को कुल घरेलु उत्पाद के क्षेत्रीय आँकड़ों के आधार पर लूँ और यहाँ क्षेत्र को नीचे कर दूँ, तो बुलबुले का आकार अभी भी जनसंख्या होगा। आप वहाँ ओईसीडी देखें और वहाँ उप-सहारा अफ्रीका और यहाँ हम अफ्रीका और एशिया दोनों से आकर खाड़ी राज्यों की ओर रूख़ करते हैं। और हम उन्हें अलग-अलग रखेंगे। और हम इस अक्ष रेखा का विस्तार कर सकते हैं, सामाजिक मूल्य, बाल जीवन को शामिल कर, और यहाँ मैं इसे एक नया परिमाण दे सकता हूँ, अब उस अक्ष पर मेरे पास पैसा है, और सम्भवता बच्चें संघर्ष कर सकते हैं। कुछ देशों में 99-7 प्रतिशत बच्चे पाँच साल की उम्र से संघर्ष करना शुरू कर देते हैं, और दूसरे देशों में सिर्फ़ 70 प्रतिशत। और यहाँ ओईसीडी और लेटिन अमेरिका, पूर्वी यूरोप, पूर्वी एशिया, खाड़ी देश, दक्षिणी एशिया, और उप-सहारन अफ्रीका के मध्य अंतर दिखलाई पड़ता है। बाल संघर्ष और धन के बीच अनुरेखीय बहुत सशक्त होता है। लेकिन मुझे उप-सहारन अफ्रीका पर आने दो। वहाँ स्वास्थ्य है और बेहतर स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता है। मैं यहाँ आ सकता हूँ और मैं उप-सहारन अफ्रीका से इसके देशों पर आ सकता हूं और जब यह फूटता है, तो देश के बुलबुले का आकार जनसंख्या का आकार होता है। सिएरा रोआंन वहाँ नीचे है। मोरिशस वहाँ ऊपर है। मोरिशस व्यापारिक बंधनों को तोड़ने वाला पहला देश था। और उसने अपनी चीनी का निर्यात किया। यूरोप और उत्तरी अमेरिका के लोगों की ही तरह मोरिशस के लोग भी समान शर्तों पर अपना कपड़ा बेच सके। अफ्रीका में बहुत बड़ा अंतर है। और घाना यहाँ मध्य में है। सिएरा रोआंन, मानवीय अनुदान, यूगांडा में विकास अनुदान, यहाँ समय का निवेश, यहाँ आप छुट्टियां बिताने जा सकते हैं। अफ्रीका में यह एक आश्चर्यजनक अंतर है जिसे हम कदाचित मान सकते हैं- जो सब चीजों के समान है। यहाँ से में दक्षिण अफ्रीका को अलग कर सकता हूँ। बीच में भारत एस बड़ा बुलबुला है। लेकिन अफगनिस्तान और श्रीलंका में एक बहुत बड़ा अंतर है मैं खाड़ी देशों में जा सकता हूँ। वे कैसे हैं? एक जैसी जलवायु, एक जैसी संस्कृति, एक जैसा धर्म। बहुत बड़ा अंतर। पड़ोसियों में भी। येमिन, धर्मनिरपेक्ष युद्ध। संयुक्त अरब अमीरात, धन जोकि बिल्कुल बराबर था और उसका सही इस्तेमाल होता था। यह कोई मिथ्याबोध नहीं और इसमें विदेशी कर्मचारियों के बच्चें, जो देश में हैं, भी शामिल हैं। आपके सोचने की अपेक्षा आंकड़े प्राय बेह्तर होते हैं। अधिकतर लोग कह्ते हैं कि आंकड़े अच्छे नहीं होते। अनिश्चितता की गुंजाइश है, लेकिन हम यहाँ अंतर देख सकते हैं: कम्बोडिया, सिंगापुर। आंकड़ों की दुर्बलता की अपेक्षा अंतर बहुत बड़ा है। पूर्वी यूरोप में लम्बे समय तक सोवियत अर्थव्यवस्था रही, लेकिन दस साल बाद वहां सबकुछ बिलकुल अलग था। लेटिन अमेरिका को लीजिए आज लेटिन अमेरिका में स्वस्थ देहात खोजने के लिए हमें क्यूबा जाने की ज़रूरत नहीं है। अब कुछ सालों में चिले में क्यूबा की अपेक्षा कम बाल जन्मदर होगी। और यहाँ ओईसीडी में हम उच्च-आय वाले देश देखते हैं। और पूरे विश्व का प्रारूप देखने को मिलता है जोकि क़रीब-क़रीब इस तरह है। और अगर हम इसे देखते हैं, तो, 1960 में विश्व किस तरह दिखता है, यह जानना होगा। यह ट्से-तुन्ग है, जो चीन में स्वास्थ्य लेकर आया और फिर उसका स्वर्गवास हो गया। और फिर डेन्ग कषिअओपिन्ग चीन में धन लाया, और एकबार फिर चीन मुख्यधारा से जुड़ गया। और फिर हम देख चुके हैं कि किस तरह देशों ने इस तरह विभिन्न दिशाओं में रूख़ किया। इसलिए कोई ऐसा देश जो विश्व प्रारूप का प्रदर्शन करें का उदाहरण प्रस्तुत करना मुश्किल काम है। मैं आपको फिर से यहाँ 1960 पर वापिस लाना चाहूँगा। मैं दक्षिण कोरिया, जोकि यह है, की तुलना ब्राज़ील, जोकि यह है, से करना चाहूँगा। नामपट्टी मुझे यहाँ ले आयी। और मैं युगांडा, जोकि वहाँ है, की तुलना करना चाहूँगा, और इस तरह मैं इसे आगे बढ़ा सकता हूँ। और आप देख
"well, that's long life and small family, and third world is short life and large family." so this is what i could display here. i put fertility rate here: number of children per woman: one, two, three, four, up to about eight children per woman.
Dernière mise à jour : 2019-07-06
Fréquence d'utilisation : 4
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