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- В смысле?
/ क्या मतलब है तुम्हारा?
Dernière mise à jour : 2017-10-13
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Qualité :
В смысле копы.
अरे हाँ, इस बात का 'कारण, उम...
Dernière mise à jour : 2017-10-13
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Qualité :
В смысле, живых коров.
मतलब, ज़िंदा गायों पर।
Dernière mise à jour : 2017-10-13
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Qualité :
В смысле, что ты им снова заболеешь.
मेरा मतलब है, वह तुम्हें फिर से हुआ.
Dernière mise à jour : 2017-10-13
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Qualité :
Нет, в смысле, на случай если потеряешь.
बंद भाड़ में जाओ.
Dernière mise à jour : 2017-10-13
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Qualité :
В смысле, любая часть кайдзю стоит денег.
आप वैसे भी, के लिए एक माध्यमिक मस्तिष्क क्या चाहिए?
Dernière mise à jour : 2017-10-13
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Qualité :
В смысле — когда я скажу, что ты ее трахал.
जब मैं उसे बताना आप उसे कमबख्त कर रहे हैं, मेरा मतलब है।
Dernière mise à jour : 2017-10-13
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Qualité :
В смысле... одно лишнее малейшее усилие... за секунду, за секунду.
...ऊर्जा की कुछ अतिरिक्त मात्रा... ...प्रति सेकंड, प्रति सेकंड.
Dernière mise à jour : 2017-10-13
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Qualité :
- В смысле? В смысле мы должны начать так разговаривать, Пэт!
(हंसते हुए)
Dernière mise à jour : 2017-10-13
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Qualité :
- Эй, можно брать твой грузовик? - В смысле, твой грузовик?
- हे , क्या मैं आपका truck उपयोग कर सकता हू जब तक आप यहाँ नहीं हैं ?
Dernière mise à jour : 2017-10-13
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Qualité :
Хвала Аллаху, Кто Своему слуге Писание низвел И в нем не допустил извилин (в смысле) -
प्रशंसा अल्लाह के लिए है जिसने अपने बन्दे पर यह किताब अवतरित की और उसमें (अर्थात उस बन्दे में) कोई टेढ़ नहीं रखी,
Dernière mise à jour : 2014-07-03
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Qualité :
через несколько [[Арабское слово «بِضْعِ» означает «несколько» в смысле от трех до девяти включительно.]] лет.
हुक्म तो अल्लाह ही का है पहले भी और उसके बाद भी। और उस दिन ईमानवाले अल्लाह की सहायता से प्रसन्न होंगे।
Dernière mise à jour : 2014-07-03
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Qualité :
"Заходи, потому что в этой комнате нет места для двух Я", в смысле двух эго. Истории Руми - это метафоры духовного пути. В присутствии Божьем нет места для более чем двух Я, а именно Я божественного.
"अन्दर आ जाओ, क्योंकि इस घर में दो 'मैं' के लिए जगह नहीं है. दो बड़े मैं, ये आँखें नहीं, बल्कि दो अहंकार. और रूमी की कहानियां आध्यात्म के मार्ग की उपमा हैं. ईश्वर की उपस्थिति में एक से ज्यादा मैं की जगह नहीं. और यह मैं देवत्व का है. हमारी परंपरा में एक शिक्षा जिसे हदीस ख़ुदसी कहते हैं, ईश्वर कहते है, "मेरे सेवक", या "मेरे जीव, मेरे मानव जीव, जो मुझे प्यारा है उसके सहारे मेरे पास नहीं आता बल्कि उसके सहारे जो मैंने करने को कहा है और आप में से जो नियोक्ता हैं, वे अच्छी तरह जानते हैं की मैं क्या कहना चाहता हूँ आप चाहते हो कि आपके कर्मचारी वह ही करें जो आपने उनसे करने को कहा है, और अगर उन्होंने वह कर लिया तो वे और ज्यादा कर सकते हैं, लेकिन उसे नज़रंदाज़ मत करना कि तुमने उनसे क्या करने को कहा है, और ईश्वर कहते है, मेरे सेवक मेरे और करीब होते जाते हैं, मैंने जो उनसे करने को कहा है, उससे ज्यादा कुछ करके, हम उसे कुछ ज्यादा साख कह सकते हैं, जब तक मैं उसको प्यार नहीं करता, और जब मैं अपने सेवकों को प्यार करता हूँ", ईश्वर कहते हैं, मैं वो आँखें बन जाता हूँ, जिनसे वह देखते हैं. कान जिनसे वह सुनते हैं. हाथ जिससे वह पकड़ते हैं. पैर जिससे वह चलते हैं. और दिल जिससे वह समझता या समझती हैं." यह हमारे अहम् और देवत्व का वह समामेलन है. यह हमारे अध्यात्मिक मार्ग और हमारी सभी धार्मिक परम्पराओं का उद्देश्य और सबक है. मुसलमान यीशु को सूफीवाद का गुरु मानते हैं, महानतम पैगम्बर और संदेशवाहक जो आध्यात्मिक मार्ग पर जोर देने आया. जब वह कहता है, " मैं आत्मा हूँ, मैं रास्ता हूँ." जब पैगम्बर मोहम्मद कहते हैं, "'जिसने मुझे देखा है उसने ईश्वर को देख लिया," ऐसा इस लिए क्यों कि वे ईश्वर के पुर्जे बन गए, वे ईश्वर की वाष्प का हिस्सा बन गए, ताकि ईश्वर की इच्छा उनके जरिये फ़ैली अपने स्व और अहम् के जरिये काम नहीं किया. धरती पर मानवीयता दी गयी है, यह हममें है. हमें बस यही करना है कि रास्ते से अपने अहम् हटा देना है, अपने अहंकरवाद रास्ते से हटा देना है. में निश्चित हूँ कि यहाँ मौजूद आप में से संभवतः सभी, या निश्चित ही आप में से बहुसंख्य, को हुआ होगा, जिसे आप आध्यात्मिक अनुभव कहते हैं, आपके जीवन में एक लम्हा, जब कुछ सेकंडों या शायद एक मिनट को, आपके अहम् की सीमायें ख़त्म हो गयीं,. और उस मिनट आपने खुद को ब्रह्माण्ड का हिस्सा महसूस किया, उस पानी से भरे जग में, हर एक इन्सान में, परम पिता में, और तुमने स्वयं को शक्ति, विस्मय के सानिध्य में पाया, सबसे गहरे प्यार, संवेदना और दया की सबसे गहरी भावना में जो तुमने अपनी जिंदगी में कभी महसूस किया है ये वह लम्हा है जो ईश्वर का हमें तोहफा है, एक तोहफा जब एक लम्हे के लिए वह सीमा हटा देता है, जो हमें मैं, मैं, मैं, हम, हम हम पर जोर देने देता है, और इसके विपरीत, रूमी की कहानी के व्यक्ति की तरह, हम कहते हैं, ' ओह, ये सब तुम हो. ' यह सब तुम हो, यह हम सब हैं. और हम, और मैं, हम सब तुम्हारे अंश हैं, सब निर्माता, सब उद्देश्य, हमारे अस्तित्व का स्रोत, और हमारी यात्रा का अंत. तुम हमारे दिलों को तोड़ने वाले भी हो. तुम वो हो जिसकी ओर हम सबको होना चाहिए, जो हमारे जीने का कारण होना चाहिए, और जिसके लिए हमें मरना चाहिए, औए जिसके लिए हमें पुनर्जन्म लेना चाहिए. ईश्वर को जवाब देने के लिए कि हम संवेदनशील रहे हैं. आज हमारा सन्देश, और आज हमारा उद्देश्य, और तुममे में से जो आज यहाँ हैं, और संवेदना के इस अधिकारपत्र का उद्देश्य याद दिलाना है. क्योंकि कुरान हमेशा हमें याद रखने को, एक दूसरे को याद दिलाने को कहती है, क्योंकि सत्य का ज्ञान हर एक इंसान के भीतर है. हम यह सब जानते हैं. हमारे पास इसका जरिया है. जंग इसे अवचेतना कह सकते थे. हमारी अवचेतना के जरिये, तुम्हारे ख्वाबों में, जिसे कुरान कहती है, हमारी निद्रा की स्थिति, अल्प मौत, अस्थाई मौत. अपनी निद्रा की स्थिति में हमें स्वप्न आते हैं, हमें आभास होता है, हम अपने शरीर के बाहर यात्रा करते हैं, हममे से बहुत, और हम अद्भुत चीजें देखते हैं. हम जैसा अंतरिक्ष जानते हैं, उसकी सीमाओं के परे यात्रा करते हैं, हम समय की जो सीमायें जानते हैं उसके परे. लेकिन यह सब हमारे लिए विधाता के नाम का गुणगान करने के लिए है जिसका मूल नाम दयावान, दयालु है. गौड, बोख, चाहे जिस नाम से पुकारो, अल्ला, राम, ॐ, नाम कोई भी हो सकता है जिससे तुम नाम देते हो या देवत्व की मौजूदगी प्राप्त करते हो, पूर्ण तत्व का केंद्र बिंदु है. पूर्ण प्रेम और दया और संवेदना, और पूर्ण ज्ञान और विवेक, जिसे हिन्दू सच्चिनंद कहते हैं. भाषा अलग है, पर उद्देश्य समान है. रूमी के पास एक और कहानी है तीन लोगों के बारे में, एक तुर्क, एक अरब, और मैं तीसरे का नाम भूल गया, पर मेरे वास्ते, वह एक मलय हो सकता है. कोई अंगूर मांग रहा है, जैसे कि एक अंग्रेज़, कोई एनेब मांग रहा है और कोई ग्रेप्स मांग रहा है. और उनमें झगडा और बहस होती है क्योंकि, मुझे ग्रेप्स चाहिए, मुझे एनेब चाहिए, मुझे अंगूर चाहिए, यह जाने बगैर कि जिस शब्द का वह इस्तेमाल कर रहे हैं वह एक ही सच्चाई को अलग अलग भाषाओँ में बताता है. परिभाषा के अनुसार सिर्फ एक ही पूर्ण सच्चाई है, परिभाषा के अनुसार एक पूर्ण अस्तित्व है, क्योंकि परिभाषा के अनुसार पूर्ण, एकल है, और पूर्ण और एकल,. यह अस्तित्व का पूर्ण केन्द्रीकरण है, अवचेतना का पूर्ण केन्द्रीकरण है, जागरूकता, संवेदना और प्रेम का पूर्ण केन्द्रीकरण जो देवत्व के मूल भाव को पारिभाषित करता है. और वह होना भी चाहिए इन्सान होने का जो मतलब है, उसका मूल भाव. जो इंसानियत को पारिभाषित करता है, शायद शारीरिक रूप से, हमारा जीवतत्व है, लेकिन ईश्वर हमारी इंसानियत को हमारे अध्यात्म से, हमारी प्रकृति से पारिभाषित करता है. और कुरान कहती है, वह फरिश्तों से बात करता है और कहता है, जब मैंने मिट्टी से आदम का निर्माण पूरा कर लिया, और अपनी आत्मा से उसमें सांस फूंकी, और उसके सामने साष्टांग गिर गया. " फ़रिश्ते साष्टांग होते हैं, लेकिन मानव शारीर के समक्ष नहीं, बल्कि मानव आत्मा के समक्ष. क्यों? क्योंकि आत्मा, मानव आत्मा, दैवी श्वास के एक हिस्से का मूर्त रूप है, दैवी आत्मा का एक टुकड़ा है . यह बाईबिल के कोष में भी वर्णित है जब हमें यह सिखाया जाता है कि हम दैवी तस्वीर में बनाये गए थे. ईश्वर का चित्र क्या है? ईश्वर का चित्र पूर्ण अस्तित्व है. पूर्ण जागरूकता, ज्ञान और विवेक और पूर्ण संवेदना और प्रेम. और, इसलिए, हमें इन्सान होने के लिए, इन्सान होने का क्या मतलब है इसके सबसे बड़े मायने में, इन्सान होने का क्या मतलब है इसके सबसे खुशनुमा मायने में, मतलब यह है कि हमें उचित कारिन्दा होना पड़ेगा हमारे भीतर जो दैवी श्वास है उसका, और हमारे भीतर अस्तित्व के भाव के साथ परिपूर्ण होने के प्रयास, जीवित होने के, अस्तित्व के, विवेक के भाव, चेतना के, जागरूकता के, और भाव संवेदनशील होने का, प्रेम भरा होने का. यही है वह जो मैं अपने धर्म की परम्पराओं से समझता हूँ, यही है वह जो मैं दूसरे धर्म की परम्पराओं के अपने अध्धयन से समझता हूँ, और यह एक समान मंच है जिस पर हम सबको जरूर खड़े होना चाहिए, और इस मंच पर जब हम ऐसे खड़े होंगे, मुझे यकीन है कि हम एक अद्भुत दुनिया बना सकते हैं. और मुझे व्यक्तिगत तौर पर विश्वास है कि हम कगार पर हैं, कि आप जैसे लोग जो यहाँ हैं उनकी उपस्थिति और मदद से, हम ईसा की भविष्यवाणी को सच बना सकते हैं. क्यों कि उसने एक समय के बारे में बताया था जब लोग अपनी तलवारों को हल के फल में बदल देंगे और न युध्द सीखेंगे और न और कभी युध्द करेंगे. हम मानव इतिहास में ऐसे मुकाम पर पहुँच गए हैं, जब हमारे पास कोई विकल्प नहीं है. हमें जरूर, जरूर ही अपने अहम् को गिराना होगा, हमारे अहम् पर नियंत्रण, चाहे वह एक का अहम् हो, व्यक्तिगत अहम् हो, परिवार का अहम्, राष्ट्र का अहम्, और सब परमेश्वर के गुणगान में जुटें, धन्यवाद्, ईश्वर आपको आशीर्वाद दे.
Dernière mise à jour : 2019-07-06
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