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movie review : taare zameen par
फ़िल्म alochna: तारे ज़मीन par
Ultimo aggiornamento 2021-02-28
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18 movie review
18 मूवी रिव्यू
Ultimo aggiornamento 2024-04-05
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chaand zameen par
chaand zameen par
Ultimo aggiornamento 2021-01-28
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ma apni zameen par hu
ma apni zameen par hu
Ultimo aggiornamento 2020-11-18
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i like watching movie reviews
क्या आपको फिल्म देखना पसंद है?
Ultimo aggiornamento 2023-11-20
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bude dad ji zameen par pade hue the unke has aur th tharthara rhe the
bude dada ji zameen par pade hue the unke hath aur per tharthra rhe the
Ultimo aggiornamento 2017-11-24
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it's an article about a theater performance, and it starts with basic information about where it is, in case you actually want to go and see it after you've read the article -- where, the time, the website. same with this -- it's a movie review. an art review.
- कि अगर आप जाना चाहें और देखना चाहें इस रपट को पढने के बाद --- कहाँ , कब, वेब्साइट। यहाँ भी वही है --- ये एक फ़िल्म की आलोचना है, एक आर्ट रपट, एक किताब पर रपट -- इसकी रीडिंग कहाँ है, यदि आप शामिल होना चाहें। एक रेस्त्रां - हो सकता आप सिर्फ़ पढना ही नही चाहते, बल्कि कभी जाना भी चाहें इस रेस्त्रां में। तो वो बताते हैं कि, कहाँ है, दाम कितने हैं, पूरा पता, फ़ोन नंबर वगैरह। अब इनके राजनैतिक लेख देखिये। ये एक बढिया लेख है जल्द ही होने वाले एक चुनावी बहस पर। ये उम्मीदवारों के बारे में बताता है - बहुत बढिया लिखा है -- मगर जानकारी गायब है, न कोई आगे की बात, कोई वेब्साइट नहीं, न ही ये कि कब है ये बहस, कहाँ इस का ऑफ़िस है। ये एक और बढिया लेख है परिवहन के निज़ीकरण के विरोध में होने वाले आंदोलन पर बिना किसी जानकारी के, कि भाग कैसे लें। मीडिया का संदेश लगता है ये है कि पाठकगण खाना तो चाहेंगे, हो सकता है किताब भी पढना चाहें, या फ़िल्म देखना, मगर समाज में हिस्सेदारी तो नहीं लेंगे। और आपको लग सकता है कि ये तो छोटी सी बात है, मगर मुझे लगता है कि ये एक पृथा को जन्म देती है, और इस खतरनाक मानसिकता को बढावा देती है कि राजनीति तो दूर से देखने की चीज़ है। नायक: हम नेतृत्व को कैसे देखते हैं? इन दस फ़िल्मों को देखिये। इनमें क्या बात एक सी है? कोई बतायेगा? इन सब के हीरों भाग्य द्वार चुने गये थे। कोई उन तक आया और कह गया, "आप तो महान हैं। आपका जन्म दुनिया को बचाने के लिये हुआ था।" और फ़िर ये जा कर विश्व का संकट हर लेते है, क्योंकि कोई उन्हें बता गया था, और साथ में एक दो लोग और होते हैं। इस से मुझे समझ आता है कि क्यों बहुत सारे लोग खुद को नेतृत्व के काबिल नहीं समझते हैं। क्योंकि ये बहुत गलत संदेश देती है कि नेतृत्व आखिर है क्या। वीरता भरा प्रयास दरअसल एक पूरे दल का प्रयास होता है, पहली बात। दूसरी बात, कि ये पूर्णतः मंझा हुआ नहीं होता; और न ही गलैमरस; और ये अचानक शुर और अंत नहीं हो जाता है। ये ताज़िंदगी लगातार चलने वाला कार्यक्रम होता है। मगर सबसे ज़रूरी, ये स्वेचछा से अपनाया गया होता है। स्वेच्छा इसमें सबसे महत्वपूर्ण होती है। जब तक हम अपने बच्चों को ये पढाते हैं कि आप तब ही नेतृत्व कर सकते हैं जब आपके माथे पर कोई आ कर निशान लगाये, या फ़िर कोई आ कर बताये कि आपको विशेष रूप से इस के लिये बनाया गया है, तब तक वो लोग नेतृत्व का मूल गुण ही नहीं सीख पायेंगे, जो कि ये है कि नेतृत्व की ललक भीतर से आती है। नेतृत्व अपने सपनों को साकरा करने के बारे में है -- बिना निमंत्रण, बिन बुलाये -- और फ़िर दूसरों के साथ मिल कर उन सपनों को साकार करना । राजनैतिक पार्टियाँ - बाप रे! राजनैतिक पार्टिया को होना चाहिये और वो हो सकती हैं एक अच्छा रास्ता लोगों के राजनीति में शामिल होने का। बजाय इसके, दुःख की बात है कि वो बन गयी है, निराशाजनक और गैर-रचनात्मक संगठन जो कि पूरी तरह पर मार्किट-रिसर्च और पॉलिंग और वोट-बैंकों पर केंद्रित हैं, और अपना सारा समय बस वही कहने में लगाती हैं, जो कि हम सुनना चाहते है पहले से, बजाय कुछ वास्तविक और चुनौती भरे सुझावों के। और लोग ये समझते है, और इस से निराशा बढती है। (अभिवादन) चैरिटी होना: कनाडा में जो दल चैरिटी घोषित हो चुके हैं, वो विज्ञापन नहीं दे सकते। ये एक भारी समस्या है, और बदलाव के रास्ते की रुकावट भी, क्योंकि इसका मतलब है कि सबसे ज्यादा समझदार और जज़्बे वाली आवाजों को बिलकुल ही खामोश कर दिया गया, खासकर चुनावों के समय। और अब आखिरी वाला, जो कि है हमारे चुनाव। आपने ध्यान दिया होगा, कनाडा में चुनाव सिर्फ़ एक मज़ाक है। हम प्राचीन बेकार प्रणालियाँ इस्तेमाल करते हैं जो कि पक्षपाती हैं और बेतरतीबी नतीज़ें देती हैं। कनाडा में आज जिस पार्टी की सरकार है, उसे ज्यादातर कनाडावासी नहीं चाहते। हम कैसे लोगों को वोट डालने के लिये उकसायें जब कि वोटों का कनाडा में कोई मतलब ही नहीं? आप ये सब एक साथ कर सोचिये तो ठीक ही लगेगा कि लोग उदासीन हैं। भागीदारी करना चट्टान में सिर मारने जैसा लगता है। देखिये, मैं नकारात्मक नहीं हूँ कि इन सब बातो को आप के सामने प्रस्तुत करने पर भी। उसका ठीक उल्टा: मै असल में मानता हूँ कि लोग रचनात्मक और बुद्धिमान हैं, और उन्हें सच में फ़र्क पढता है। मगर ये, जैसा कि मैने कहा, कि हम ऐसी दुनिया में हैं जहाँ ये सारी रुकावटे हमारे रास्ते में अडी हैं। जब तक हम ये मान कर बैठे रहेंगे कि हमारे लोग, हमारे पडोसी, खुदगर्ज़ है, बेवकूक हैं, या आलसी हैं, तो फ़िर कोई आशा बाकी नहीं रहेगी। मगर हम उन चीजों को बदल सकें जो मैने अभी कहीं। हम टाउन हाल को जनता-जनार्दन के लिये सच में खोल दें। हम अपने चुनाव की प्रक्रिया को बदलें। हम अपने सार्वजनिक स्थानों को प्रजातांत्रिक बनायें। मेरा मुख्य संदेश है कि, यदि हम उदासीनता को किसी गहरे पैठे मर्ज़ की तरह नहीं देखें, बल्कि हमारी संस्कृति और आदत में शुमार रुकावटों के रूप में लें, जो कि उदासीनता को बढावा देती हैं, और यदि हम उन्हें ढंग से पहचानें, परिभाषित करें, कि वो क्या रुकावटें है, और फ़िर यदि हम साथ मिल कर उन रुकावटों को उखाड फ़ेंके, तो कुछ भी संभव है। ध्न्यवाद। (अभिवादन)
Ultimo aggiornamento 2019-07-06
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