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قد أدى هذا الحذف إلى تقسيم orf8 إلى orf8a وorf8b، ويُعتقد أنه طفرة تكيفية تعزز تبديل المضيفات.
यह विलोपन orf8 को orf8a और orf8b में तोड़ देता है और इसे अनुकूलन उत्परिवर्तन माना जाता है जो कोशिकाओं के बदलने को बढ़ावा देता है।
تم تقسيم حبل طوله 120 قدم إلى 3 قطع. القطعة الأولى من الحبل... دعوني أرسم هذا يتطلب رسم بياني.
120 foot lambi rassi , 3 tukadon me kaati gayi mein pelha tukda banata hu ye chitra ki shuraat hai thik hai , pehla tukda , doosre tukde ka 2 guna hai aur teesra tukda doosre tukde ka 3 guna hai sak kuch doosre tukde ka guna hai matalb doosra waala sabse chhota tha padhta hu , thi hai na? pehla waala , doosre waale ka 2 guna hai aur teesra waala 3 guna jaisa maine banaya hai thik hai, ye doosre waale ki lambai hai isse x maante hain jo ki doosre ki lambai hai diya gaya hai ki pehle waala doosre ka 2 guna hai ye rha pehla waala tukda , yahan ye doosre waale se 2 guna hone waala hai matlab 2x thik hai aur ab mein isse magenta rang mein banata hu teesra tukda 3 guna hai doosre tukde ka ye raha teesra tukda 3 guna doosre tukde ka matlab 3x poocha gaya hai ki sabse lambe tukde ki lambai kitni hai ? chalo sochte hain agar mein teeno tukdo ko jod du to kya banega? vo 120 fool rassi to mein jodta hu agar mein 2x plus x plus 3x karta hu vo barabar hone waala hai 120 feet ke barabar hai 120 feet , hai na poori doori hai 120 matlab 2x plus x plus 3x matlab 6x , barabar 120 dono taraf 6 se bhag dene par x milta hai , 120 bhagit 6 , matlab 20 x kya hai doosre tukde ki lambai ya sabse chhota tukda jaisa hume bataya hai baaki sab uske 2 , 3 gune hain
1 بالتالي يمكننا تقسيم كل منهما على 25 75/25=3، 100/25=4
'चवन्नीयों का मतलब रु1 तो हम इन दोनो को 25 से विभाजित करते हैं. तो 75 बटा 25 होता है 3, और 100 बटा 25 होता है 4. तो एक सरल मिश्रित संख्या के रूप में,यह बन जाता है 2 और 3/4 और जब आप यहाँ अधिक अभ्यास करेंगे,और इस तरह के खूब सारे अंकों को देखेगे,तो आप आदतन कहेंगे, अरे 2.75 तो बिल्कुल समान है 2 और 75/100 के,बिल्कुल समान है 2 और 3/4 के.
دعونا نفترض أن لدينا مشتقاً عكسياً قيمته 1 تقسيم 36 زائد مربع المتغير x dx. والآن، كما تتوقع، فإن إيجاد مكاملة هذه الدالة
हम कहते हैं कि हम 1 के अनिश्चितकालीन अभिन्न अंग है से अधिक 36 प्लस एक्स घ एक्स चुकता। जैसा कि आप कल्पना कर सकते हैं, अब, यह करने के लिए एक आसान अभिन्न नहीं है त्रिकोणमिति के बिना हल। मैं u प्रतिस्थापन नहीं कर सकता, मैं व्युत्पन्न का नहीं है यह बात किसी जगह बैठे। यह अगर मैं वहाँ बैठे x एक 2 आसान हो जाएगा। से मैं कहना चाहूँगा, ओह इस व्युत्पन्न 2 x है, मैं u प्रतिस्थापन कर सकता है और मैं स्थापित किया जाएगा। वहाँ है, लेकिन कोई 2 वहाँ, एक्स तो कैसे मैं यह क्या? ठीक है, मैं करने के लिए हमारी त्रिकोणमितीय पहचान का सहारा। देखते हैं क्या trig पहचान हम यहाँ प्राप्त कर सकते हैं। पहली बात मैं हमेशा करता हूँ, यह मेरे दिमाग बस रास्ता है काम करती है, मैं हमेशा इसे-मैं देख सकता हूँ यह एक निरंतर से अधिक है लगता है कुछ चुकता, जो मुझसे कहता है मैं का उपयोग करना चाहिए एक त्रिकोणमितीय पहचान। लेकिन मैं हमेशा यह लगता है के रूप में 1 के अलावा कुछ चुकता। मैं बस के बराबर होने के रूप में मेरे इंटीग्रल को फिर से लिखना करने के लिए जा रहा हूँ, मुझे dx अमेरिका में लिखें। यह सिर्फ dx गुना है। मुझे उस से एक अच्छे इंटीग्रल लिखना। यह 36 बार से अधिक 1 एक्स डी के अभिन्न अंग के बराबर है अधिक से अधिक 36 एक्स चुकता। से अधिक 36, करने के लिए एक और तरीका है कि 1 से अधिक एक्स चुकता मेरी इंटीग्रल लिखो। चलो देखते हैं अगर हमारे trig पहचान के किसी भी किसी न किसी तरह किया जा सकता यहाँ में जो कि किसी भी तरह होगा प्रतिस्थापित किया इस समस्या को आसान बनाने में। तो एक कि दिमाग में स्प्रिंग्स, और अगर तुम नहीं जानते यह पहले से ही, मैं यह सही यहाँ नीचे लिख देता हूँ है 1 से अधिक स्पर्शज्या का थीटा चुकता।
ار اس أنيميت تنوير القرن الواحد والعشرين إيان ماكجيلكرست "مفهوم الدماغ المنقسم وتكوُّن العالم الغربي" إن مفهوم تقسيم الدماغ بات أمراً غير محبذٍ عند علماء الأعصاب
rsa animate ईऐन मैकगिल्च्रिस्ट एक विभाजित मस्तिष्क और पश्चिमी सभ्यता का जनन मस्तिष्क का विभाजन एक ऐसा विषय है जिसके बारे में न्यूरो-साइंटिस्ट्स अब बात करना पसंद नहीं करते थे यह साठ और सत्तर के दशक में काफी लोकप्रिय विषय था पर सबसे पहले मस्तिस्क-विभाजन ऑपरेशन के बाद और यह एक तरह से लोकप्रिय बना जिसको उसके बाद गलत साबित कर दिया गया था ऐसा नहीं है की मस्तिस्क का एक हिस्सा तर्क नहीं करता और दूसरा भावनाएं दोनों गहराई से दोनों काम में शामिल हैं ऐसा नहीं है की भाषा केवल बाएं हिस्से में होती है परन्तु उसके ख़ास पहलु दायें में होते हैं ऐसा नहीं है की दिखने की शमता केवल दायें भाग में होती है बाएं भाग में भी काफी है और इसी वजह से लोगों ने इसके बारे में बातचीत करना बंद कर दिया है परन्तु ऐसा करने से असल समस्या ख़त्म नहीं हो जाएगी क्यूंकि यह अंग [मष्तिस्क] जो की हर तरह से संपर्क बनाने का काम करता है पूरी तरह से विभाजित है यह हम सब के अन्दर है और यह मनुष्य के विकास के साथ साथ और विभाजित होता गया है मस्तिष्क के महासंयोजिका और गोलार्ध के आयतन का अनुपात मनुष्य के विकास के साथ साथ कम होता जा रहा है और यह साजिश और गहरी होती जाती है जब हमको यह समझ में आता ही की महासंयोजिका का अगर सबसे प्रमुख काम नहीं तो महत्पूर्ण काम दुसरे गोलार्ध के सामने बाधा डालना है इससे हमारी यह समझ में आता है की दोनों गोलार्ध को एक दुसरे से अलग रखने के लिए कुछ महत्वपूर्ण कार्य हो रहा है और यही नहीं, हमारा मस्तिस्क बहुत ज़यादा असममित है [मस्तिस्क का चित्र - याकोव्लेवियन टार्क - मस्तिस्क नीचे से ] इस्का बायीं तरफ का पिछला भाग और दाई तरफ का आगे का भाग चोडा होता है और यह थोडा आगे और थोडा पीछे की तरफ निकला हुआ होता है यह कुछ इस तरह है की किस्सी ने हमारे मस्तिष्क को नीचे से पकड़ा हो और दक्षिणावर्त दिशा में झटके के साथ मोड़ दिया हो यह सब किस बारे में है? अगर किस्सी को मष्तिष्क में और जगह चाहिए होती तो वह इसको संतुलित रूप से करता। हमारी खोपड़ी संतुलित है। वह डब्बा जिसमे यह सब कुछ है, संतुलित है । फिर क्यूँ हम एक गोलार्ध के कुछ हिस्से को और दुसरे गोलार्ध के कुछ हिस्से को समझने की कोशिश कर रहे हैं... जब तक हमको यह नहीं लगता की वह अलग अलग कार्य कर रहे हैं_bar_ वह ऐसा क्या कर रहे हैं ? ऐसा नहीं है की मनुष्य प्रजाति के ही मष्तिष्क विभाजित होते हैं । चिड़िया और जानवरों के भी ऐसे ही विभाजित होते हैं । मुझे लगता है की इस पर विचार करने का सबसे आसन तरीका यही है की हम सोचे एक परिंदा कंकडो के बीच में एक बीज को खाने की कोशिश कर रहा है । उसका ध्यान पूरी तरह से उस छोटे से बीज पर है और वह उसको उन कंकडो के बीच में आराम से खा पा रहा है। परन्तु उसको अगर जिंदा रहना है तो खुद को चोकन्ना रखना होगा कुछ दुसरे काम के लिए । उसको उसके दुश्मन, दोस्त, और उसके आस पास क्या हो रहा है, इन सब बातों पर भी नज़र रखनी होगी। ऐसा लगता है की पक्षी और जानवर अपने बाए गोलार्ध को काफी भरोसे से इस्तेमाल करते है उस चोकंनेपन के लिए जो कितना ज़रूरी है उनको पहले से ही मालूम है। और अपना दांया गोलार्ध बहुत सतर्क रखते हैं जिसको की बिना किस्सी ज़िम्मेदारी के साथ किया जा सकता है । वह अपना दायाँ भाग इस दुनिया से जुड़ने के लिए भी प्रयोग करते हैं । तो वह अपने साथी को खोजते हैं और उनसे सम्बन्ध बनाते हैं, अपना दायाँ गोलार्ध को इस्तेमाल कर के। पर फिर हम इंसानों पर आते हैं । यह सत्य है की मनुष्य में भी इस तरह का ध्यान एक बहुत बड़ा फर्क है _bar_ मनुष्य का दायाँ गोलार्ध उनको सतत, व्यापक, खुलापन , सतर्कता देता है और बायाँ गोलार्ध उनको संकीर्ण, तेजी से ध्यान केन्द्रित करता है । जो मनुष्य की अपना दायाँ गोलार्ध खो चुके होते हैं, उनकी ध्यान की खिड़की संकुचित होने का रोग होता है । [यह रोग इतना भीषण हो सकता है की उसको अप्पने बाएं भाग के होने का भी पता नहीं होगा] परन्तु मनुष्य अलग होते हैं । मनुष्य के बारे में सबसे एहम बात उनके ललाट लोब हैं । मस्तिस्क के इस भाग का क्या कार्य हो सकता है ? मस्तिस्क के बाकी हिस्से को रोकना । जो तत्काल हो रहा है उससे रोकने के लिए । तो इस अनुभव की तुरंत्ता को छोड़कर समय और आयाम में अगर थोडा पीछे जाकर देखें । यह हमको दो चीज़े समझने में मदद करेगा। यह हमको उन कामों को करने में मदद करेगा जिनको न्यूरो-वैज्ञानिक बोलते हैं की हम करने में सक्षम हैं... जो की सामने वाले को चित्त कर देना, "उससे ज्यादा चालक होना" है। और यह मेरे लिए बहुत रोचक है क्यूंकि यह एकदम सत्य है। हम लोग दुसरे लोगों के दिमाग और इरादे पढ़ सकते हैं अगर हमारा इरादा उनको धोखा देने का है। पर जो चीज़ हम यहाँ पर बताना भूल गए हैं वह यह की इसके साथ साथ हमारा दिमाग हमको दुसरे के प्रति पहली बार सहानुभूति पैदा करता है, क्यूंकि दुनिया से हमारी कुछ दूरी बनी हुई होती है । अगर हम इसके एकदम खिलाफ है तो हम हर किस्सी को काटते हैं, पर अगर हम थोडा सा यह विचार लायें की सामने वाला भी मेरी तरह ही एक व्यक्ति है, जिसके मेरी तरह कुछ भाव्यन्यें, मूल्य, और इच्छाएं भी हो सकती है, तब हम उससे एक रिश्ता बना सकते हैं। यहाँ पर एक ज़रूरी दूरी है जैसा की पढ़ते समय होती है। बहुत पास और कुछ भी दिखाई नहीं देगा, बहुत दूर और कुछ भी पढने में नहीं आएगा।to तो इस संसार से दूरी, जो की हमको रचनात्मक बनाती है, तब तक ठीक है जब तक, हम दोनों छल पूर्ण इरेस्मस जैसे हैं_bar_ अब धूर्त पूर्ण काम करने के लिए, पूरे विश्व में हेर फेर करने के लिए, जो की बहुत ज़रूरी है, हमको संसार से सहभागिता करनी होगी और उसको अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करना होगा। हम शुरुआत भोजन से करते हैं। पर तभी हम अपने बाएं गोलार्द की समझ से अपने दायें हाथ से चीज़ों को पकड़ते हैं और उनसे औज़ार बनाते हैं।