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आती
mujhe hansi atee hai
Laatste Update: 2021-04-19
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वह आती है
Laatste Update: 2024-01-13
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मुझे हसी आती हैं
Laatste Update: 2020-06-24
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कया वह आती है?
kya ram
Laatste Update: 2022-12-09
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आपको हिंदी आती है
aapko hindi aati hai
Laatste Update: 2024-01-24
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आप को हिन्दी आती है
आप को हिंदी आती है
Laatste Update: 2020-05-03
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आप सब कि बहुत याद आती है
aap sab ki yaad bohut atti hai
Laatste Update: 2024-05-02
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आपको हिंदी भाषा आती है कि नहीं
आपको हिंदी भाषा में
Laatste Update: 2021-12-28
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तुझे मेरी यादें क्यूँ नहीं आती?
Laatste Update: 2020-06-23
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मुझे अपनी पुरानी जिंदगी बहुत याद आती है
हिन्दी
Laatste Update: 2022-12-11
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आप टिक टोक पे कितना समय मे लाइव आती हैं
आप हिन्दी भाषा जनते है किया
Laatste Update: 2019-10-28
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मुझे सिर्फ हिंदी आती है इंग्लिश टाइपिंग अर्थ
मुझे सिर्फ हिंदी आती है
Laatste Update: 2021-07-30
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mujhe bhi masi की याद आती h translation for english
मुझे भी masi की याद आती है
Laatste Update: 2021-11-17
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कभी कभी तुम्हारी बहुत याद आती है पता नहीं तुमहरे साथ वो गुजरी रेट मुझे उम्मीद है हम दोनों जल्दी मिलेंगे मेरी आपकी मजबुरी समझ सकता है मैं अभी कॉल तो नहीं कर सकता wp स्टेटस के अध्याय से ही बात करते हुए आज भर गुड मॉर्निंग बाबू
kabhi kabhi tumhari bahut yaad aati hai pata nahi tumahare sath vo gujari rate mujhe ummid hai hum dono jaldi milenge mai aapki majburi samjh sakta hu mai abhi call to nahi kar sakta wp status ke madhayam se hi bat karle aaj bhar good morning babu
Laatste Update: 2024-04-03
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हेलो दोस्तों मैं आपका अनुज कुमार चैनल में स्वागत करता हु हमारे चैनल आपको वोलगिंग, प्रोडक्ट रिव्यु और कहानियां मिलेगी मेरे चैनेल में आपको नयी नयी जगह के बारे बताएगें नयी नयी स्टोरीज आती रहेगी और नए नए प्रोडक्ट रिव्यु की वीडिओज़ आती रहेगी l
हेलो दोस्तों मैं आपका अनुज कुमार चैनल में स्वागत करता हु हमारे चैनल आपको वोलगिंग, प्रोडक्ट रिव्यु और कहानियां मिलेगी मेरे चैनेल में आपको नयी नयी जगह के बारे बताएगें नयी नयी स्टोरीज आती रहेगी और नए नए प्रोडक्ट रिव्यु की वीडिओज़ आती रहेगी l
Laatste Update: 2021-05-07
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प्पू बड़ी डिंग हाकते हुए अपने मित्र हड़कू से बोलता है पप्पू- मैं तो मैं हूँ, हड़कू, ज़माने में मुझ सा कौन, सब थर-थर कांपते हैं, और मैं हूँ यहाँ का डॉन, पूरे गांव का बच्चा बच्चा जनता है मुझको, हर बड़ा से लेकर बूढ़ा, पहचानता है मुझको || हड़कू- अरे पप्पू बात तो तेरी, बिलकुल राइट है, और तेरी इम्प्रैशन वाकई यहाँ पर टाइट है, हमने सुन रखा है, की तू कभी भागा नहीं है, और दुपहर के पहले तू कभी जागा नहीं है || पप्पू- भाई रजवाड़े हैं हम, ये सब जानते हैं, हमें टाइम पर जागने की जरूरत कहाँ, हर चीज़ मिल जाती है, चुटकियों में हमें, हमें उठकर भागने की जरूरत कहाँ || थोड़ी देर में पप्पू उठकर भागने लगता है, हड़कू- क्या हुआ, क्यों भागते हो नवाब, सदियों की परम्परा को, क्यों तोड़ते हो आज, पप्पू- नवाब तो मैं हूँ ही, कोई शक नहीं है, पर रुकने की जरूरत, मुझे अब नहीं है || हड़कू- अरे भाई बताओ तो जरा, क्या मुसीबत आन पड़ी है, क्यों उठकर भाग रहे हो, लगता है जान पर पड़ी है || पप्पू- जान से भी बढ़कर है हड़कू, कहीं निकल ना जाये, मैं मिलता हूँ बाद में, पर अभी कोई बगल में ना आये || हड़कू सोचता है, इसको अचानक से क्या हुआ, क्यों भला पप्पू पागलों की तरह से भाग रहा है, हड़कू- कोई गिला और शिकवा हो तो जता मुझे, पर तू क्यों भाग रहा है मेरे दोस्त, ये बता मुझे || पप्पू- बता दू तुझको सब, अभी उतना टाइम नहीं है, अभी इमरजेंसी है, लौंडे फ्री वाला टाइम नहीं है || हड़कू- इमरजेंसी…! क्या इमरजेंसी है, अचनाक, पप्पू- अबे दिमाग से पैदल, बैठे बैठे क्या इमरजेंसी आती है, हड़कू सोचते हुए, बैठे बैठे……! पप्पू- इसीलिए तुम जैसे लोग कभी आगे नहीं बढ़ते, और जो बढ़ते हैं, उन्हें बढ़ने नहीं देते || हड़कू सर खुजाते हुए, पप्पू मुझे समझ नहीं आया, क्या तू थोड़ा विस्तार से समझायेगा, तेरे भागने का सबब, थोड़ा रूककर बतलायेगा || पप्पू- फिर रुकने का नाम लिया, खजूर, कहा ना इमरजेंसी है, और जाना है बहुत दूर || हड़कू- दूर… इमरजेंसी है, और जाना है बहुत दूर – कहाँ जाना है ! पप्पू- अबे जीवन के आखिरी दिन, फूटी हुई, बेसुरी बीन, फड़फड़ाते हुए, दीए के चिराग, मैं मिलता हूँ, अभी यहाँ से भाग || हड़कू- बड़ा ही अजीब है, पप्पू, मैं तेरी मदद करना चाहता हूँ, और तू है की मुझे बता नहीं रहा है, की क्या इमरजेंसी आयी है || पप्पू- मदद, यानि हेल्प करेगा मेरी, मैं, बाय सेल्फ कर लूंगा, तू गली पकड़ बाजु की, मैं फिर बाजूं में ही मिलता हूँ || हड़कू- तो तू नहीं बताएगा, नहीं बताएगा, मैं देखता हूँ, तू अकेले कैसे जायेगा || पप्पू- अब लो, तरीताजी गोभी के फूल, बगीचे में जाकर, झूला झूल, मुझे टट्टी आयी है, मैं फ़्रस्टेटेड हूँ अभी, फिर मिलता हूँ तुझसे, होकर थोड़ा कूल || हड़कू- अरे पप्पू, तो ऐसा बोलो ना, की शौच आयी है, इसमें इतना गुस्सा क्यों होते हो, अपने प्रेशर को, दूसरों पर क्यों बोते हो || और इसमें बड़े दूर जाने की जरूरत कहाँ, पर तुम्हारा शौचालय नजर नहीं आ रहा, बना है कहाँ || पप्पू- घर में भी भला कोई शौच जाता है, पता नहीं लोगो को कैसे प्रेशर आता है || हड़कू- तो कहाँ, अपनी इस इमरजेंसी विमान को लैंड करोगे, अपने पेट में उबलते हुए जादुई, प्रेशर को सेंड करोगे || पप्पू- खेतों में! खुले आसमान के नीचे, बहती हुई हवा के बीच, झाड़ियों के पीछे, हड़कू- और जन स्वतच्छ्ता अभियान का क्या, अपनी नहीं, तो औरों की जान का क्या || पप्पू- मैं कहाँ घर के बगल में बैठ जाऊंगा, अरे लोटा उठाकर बहुत दूर तक जाऊंगा || हड़कू- ऐसी गलती मत करना, पछताना पड़ेगा, पैसे भरकर, पप्पू भाई जेल भी जाना पड़ेगा || पप्पू- हम शेर हैं, हमें कौन नहीं जनता पांच कोस में, खून नहीं, तेजाब दौड़ता हैं हमारी नसों में और जोश में || पप्पू नहीं माना, और भागने लगा खेतों की ओर, और हड़कू समझाते समझाते हार कर वही रुका रहा || पप्पू हड़कू को कोसते हुए खेतों की ओर जाता है, क्या होगा दुनिया का, अब लोटा लेकर घर मैं ही बैठ जाते हैं, शौचालय के नाम पर, घर को ही अब शौच बनाते हैं || छोडो हम को क्या करना है, शौच से ही मतलब है, झाड़ियों में शौच करना, ये भी एक करतब है || पप्पू इन्ही लाइनों को गुनगुनाते हुए, झाड़ियों के बीच बैठ जाता है || तभी स्वच्छ्ता स्काउड की टीम अपने हेड (दददन) से साथ वहां पहुंच जाती हैं|| दददन- हम दददन हैं, स्वच्छ्ता स्काउड की ओर से, वहां कौन बैठा है झाड़ियों में, खुली सड़क की ओर से, पप्पू डरकर सहम जाता है, और बकरी की आवाज में दददन को भ्रमित करने की कोशिश करता हैं| दददन- भाई बकरियों ने कब से, लोटा लाना शुरू किया, इतना माना करने के बाद भी, तुमने खुले में ही शौच किया || पप्पू, घबरा के खड़े होते हुए, सरकार, माई-बाप आप को कोई गलतफहमी हुई है, हम तो घूमने आये थे, तबियत थोड़ी सहमी हुई है || दददन- तबियत तुम्हारी सहमी हुई है, अच्छा, हम को कोई गलतफहमी हुई है, अच्छा || दददन स्काउड सदस्यों से, पकड़ लो साले को लेकर चलो ठाणे में, दददन- तुम्हारे जैसे लोगो ने देश की ऐसी तैसी की है, क्या स्वच्छ होगा देश, जब तुमने पी रक्खी है, पप्पू- सरकार, गलती हो गयी, माफ़ी दे दो मुझको, ी ऍम रियली वैरी सॉरी, माफ़ी दो मुझको, आइंदा से मैं खेतो में, कभी ना जाऊंगा, इमरजेंसी को शौचालय में ही निपटाऊंगा || हड़कू ने देख लिया, और पप्पू के घर पर बताया, वहां से, उसकी धर्म पत्नी, बच्चा और पिताजी आये,, धनिया बोलती है दददन से, छोड़ दो साहेब, ये अंतिम बार है, मेरे छोटे से घर का, पप्पू ही आधार है, गरीब हैं मालिक, थोड़ी दया करो हम पर, छोड़ दो इस बार, इंसानियत के नाम पर || सुखीराम बोलता है दददन से, बड़ी भूल हुई साहेब, हाथ जोड़ता हूँ मैं, पप्पू ने जो किया, मैं शर्मिंदा हूँ उस पर, बूढ़े का थोड़ा लिहाज करें, जाने दे घर पर || दददन- देख लेरे पप्पू, इस बार छोड़ता हूँ, कुछ शर्म कर, थोड़ी, हर बार छोड़ता हूँ, पप्पू- दिल से शुक्रिया है साहेब, मेरी आँखे खोलने के लिए, मेरी दबी हुई सोच को, शौचालय से जोड़ने के लिए || हड़कू- चलो देर से ही सही, सोच तो बदली,
प्पू बड़ी डिंग हाकते हुए अपने मित्र हड़कू से बोलता है पप्पू- मैं तो मैं हूँ, हड़कू, ज़माने में मुझ सा कौन, सब थर-थर कांपते हैं, और मैं हूँ यहाँ का डॉन, पूरे गांव का बच्चा बच्चा जनता है मुझको, हर बड़ा से लेकर बूढ़ा, पहचानता है मुझको || हड़कू- अरे पप्पू बात तो तेरी, बिलकुल राइट है, और तेरी इम्प्रैशन वाकई यहाँ पर टाइट है, हमने सुन रखा है, की तू कभी भागा नहीं है, और दुपहर के पहले तू कभी जागा नहीं है || पप्पू- भाई रजवाड़े हैं हम, ये सब जानते हैं, हमें टाइम पर जागने की जरूरत कहाँ, हर चीज़ मिल जाती है, चुटकियों में हमें, हमें उठकर भागने की जरूरत कहाँ || थोड़ी देर में पप्पू उठकर भागने लगता है, हड़कू- क्या हुआ, क्यों भागते हो नवाब, सदियों की परम्परा को, क्यों तोड़ते हो आज, पप्पू- नवाब तो मैं हूँ ही, कोई शक नहीं है, पर रुकने की जरूरत, मुझे अब नहीं है || हड़कू- अरे भाई बताओ तो जरा, क्या मुसीबत आन पड़ी है, क्यों उठकर भाग रहे हो, लगता है जान पर पड़ी है || पप्पू- जान से भी बढ़कर है हड़कू, कहीं निकल ना जाये, मैं मिलता हूँ बाद में, पर अभी कोई बगल में ना आये || हड़कू सोचता है, इसको अचानक से क्या हुआ, क्यों भला पप्पू पागलों की तरह से भाग रहा है, हड़कू- कोई गिला और शिकवा हो तो जता मुझे, पर तू क्यों भाग रहा है मेरे दोस्त, ये बता मुझे || पप्पू- बता दू तुझको सब, अभी उतना टाइम नहीं है, अभी इमरजेंसी है, लौंडे फ्री वाला टाइम नहीं है || हड़कू- इमरजेंसी…! क्या इमरजेंसी है, अचनाक, पप्पू- अबे दिमाग से पैदल, बैठे बैठे क्या इमरजेंसी आती है, हड़कू सोचते हुए, बैठे बैठे……! पप्पू- इसीलिए तुम जैसे लोग कभी आगे नहीं बढ़ते, और जो बढ़ते हैं, उन्हें बढ़ने नहीं देते || हड़कू सर खुजाते हुए, पप्पू मुझे समझ नहीं आया, क्या तू थोड़ा विस्तार से समझायेगा, तेरे भागने का सबब, थोड़ा रूककर बतलायेगा || पप्पू- फिर रुकने का नाम लिया, खजूर, कहा ना इमरजेंसी है, और जाना है बहुत दूर || हड़कू- दूर… इमरजेंसी है, और जाना है बहुत दूर – कहाँ जाना है ! पप्पू- अबे जीवन के आखिरी दिन, फूटी हुई, बेसुरी बीन, फड़फड़ाते हुए, दीए के चिराग, मैं मिलता हूँ, अभी यहाँ से भाग || हड़कू- बड़ा ही अजीब है, पप्पू, मैं तेरी मदद करना चाहता हूँ, और तू है की मुझे बता नहीं रहा है, की क्या इमरजेंसी आयी है || पप्पू- मदद, यानि हेल्प करेगा मेरी, मैं, बाय सेल्फ कर लूंगा, तू गली पकड़ बाजु की, मैं फिर बाजूं में ही मिलता हूँ || हड़कू- तो तू नहीं बताएगा, नहीं बताएगा, मैं देखता हूँ, तू अकेले कैसे जायेगा || पप्पू- अब लो, तरीताजी गोभी के फूल, बगीचे में जाकर, झूला झूल, मुझे टट्टी आयी है, मैं फ़्रस्टेटेड हूँ अभी, फिर मिलता हूँ तुझसे, होकर थोड़ा कूल || हड़कू- अरे पप्पू, तो ऐसा बोलो ना, की शौच आयी है, इसमें इतना गुस्सा क्यों होते हो, अपने प्रेशर को, दूसरों पर क्यों बोते हो || और इसमें बड़े दूर जाने की जरूरत कहाँ, पर तुम्हारा शौचालय नजर नहीं आ रहा, बना है कहाँ || पप्पू- घर में भी भला कोई शौच जाता है, पता नहीं लोगो को कैसे प्रेशर आता है || हड़कू- तो कहाँ, अपनी इस इमरजेंसी विमान को लैंड करोगे, अपने पेट में उबलते हुए जादुई, प्रेशर को सेंड करोगे || पप्पू- खेतों में! खुले आसमान के नीचे, बहती हुई हवा के बीच, झाड़ियों के पीछे, हड़कू- और जन स्वतच्छ्ता अभियान का क्या, अपनी नहीं, तो औरों की जान का क्या || पप्पू- मैं कहाँ घर के बगल में बैठ जाऊंगा, अरे लोटा उठाकर बहुत दूर तक जाऊंगा || हड़कू- ऐसी गलती मत करना, पछताना पड़ेगा, पैसे भरकर, पप्पू भाई जेल भी जाना पड़ेगा || पप्पू- हम शेर हैं, हमें कौन नहीं जनता पांच कोस में, खून नहीं, तेजाब दौड़ता हैं हमारी नसों में और जोश में || पप्पू नहीं माना, और भागने लगा खेतों की ओर, और हड़कू समझाते समझाते हार कर वही रुका रहा || पप्पू हड़कू को कोसते हुए खेतों की ओर जाता है, क्या होगा दुनिया का, अब लोटा लेकर घर मैं ही बैठ जाते हैं, शौचालय के नाम पर, घर को ही अब शौच बनाते हैं || छोडो हम को क्या करना है, शौच से ही मतलब है, झाड़ियों में शौच करना, ये भी एक करतब है || पप्पू इन्ही लाइनों को गुनगुनाते हुए, झाड़ियों के बीच बैठ जाता है || तभी स्वच्छ्ता स्काउड की टीम अपने हेड (दददन) से साथ वहां पहुंच जाती हैं|| दददन- हम दददन हैं, स्वच्छ्ता स्काउड की ओर से, वहां कौन बैठा है झाड़ियों में, खुली सड़क की ओर से, पप्पू डरकर सहम जाता है, और बकरी की आवाज में दददन को भ्रमित करने की कोशिश करता हैं| दददन- भाई बकरियों ने कब से, लोटा लाना शुरू किया, इतना माना करने के बाद भी, तुमने खुले में ही शौच किया || पप्पू, घबरा के खड़े होते हुए, सरकार, माई-बाप आप को कोई गलतफहमी हुई है, हम तो घूमने आये थे, तबियत थोड़ी सहमी हुई है || दददन- तबियत तुम्हारी सहमी हुई है, अच्छा, हम को कोई गलतफहमी हुई है, अच्छा || दददन स्काउड सदस्यों से, पकड़ लो साले को लेकर चलो ठाणे में, दददन- तुम्हारे जैसे लोगो ने देश की ऐसी तैसी की है, क्या स्वच्छ होगा देश, जब तुमने पी रक्खी है, पप्पू- सरकार, गलती हो गयी, माफ़ी दे दो मुझको, ी ऍम रियली वैरी सॉरी, माफ़ी दो मुझको, आइंदा से मैं खेतो में, कभी ना जाऊंगा, इमरजेंसी को शौचालय में ही निपटाऊंगा || हड़कू ने देख लिया, और पप्पू के घर पर बताया, वहां से, उसकी धर्म पत्नी, बच्चा और पिताजी आये,, धनिया बोलती है दददन से, छोड़ दो साहेब, ये अंतिम बार है, मेरे छोटे से घर का, पप्पू ही आधार है, गरीब हैं मालिक, थोड़ी दया करो हम पर, छोड़ दो इस बार, इंसानियत के नाम पर || सुखीराम बोलता है दददन से, बड़ी भूल हुई साहेब, हाथ जोड़ता हूँ मैं, पप्पू ने जो किया, मैं शर्मिंदा हूँ उस पर, बूढ़े का थोड़ा लिहाज करें, जाने दे घर पर || दददन- देख लेरे पप्पू, इस बार छोड़ता हूँ, कुछ शर्म कर, थोड़ी, हर बार छोड़ता हूँ, पप्पू- दिल से शुक्रिया है साहेब, मेरी आँखे खोलने के लिए, मेरी दबी हुई सोच को, शौचालय से जोड़ने के लिए || हड़कू- चलो देर से ही सही, सोच तो बदली,
Laatste Update: 2020-12-09
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