Je was op zoek naar: i’ve already came back few weeks ago (Engels - Hindi)

Computervertaling

Via de voorbeelden van menselijke vertaling trachten te leren vertalen.

English

Hindi

Info

English

i’ve already came back few weeks ago

Hindi

 

Van: Machinevertaling
Stel een betere vertaling voor
Kwaliteit:

Menselijke bijdragen

Van professionele vertalers, bedrijven, webpagina's en gratis beschikbare vertaalbronnen.

Voeg een vertaling toe

Engels

Hindi

Info

Engels

few weeks ago.

Hindi

पहले कुछ हफ्तों.

Laatste Update: 2017-10-12
Gebruiksfrequentie: 1
Kwaliteit:

Engels

a few weeks ago

Hindi

अभी कुछ हफ़्ते पहले ही

Laatste Update: 2020-05-24
Gebruiksfrequentie: 1
Kwaliteit:

Engels

has just taken place only a few weeks ago ,

Hindi

अभी केवल कुछ सप्ताह पहले ही हुअा है ,

Laatste Update: 2020-05-24
Gebruiksfrequentie: 1
Kwaliteit:

Engels

just a few weeks ago , the locally - built ins at 2 - e had been sent into space .

Hindi

कुछ ही हफतों पहले , स्वदेश निर्मित इनसैट 2ई छोड़ा गया थ ।

Laatste Update: 2020-05-24
Gebruiksfrequentie: 1
Kwaliteit:

Engels

the first tranche - of 50 million us dollars of this grant - was handed over a few weeks ago .

Hindi

इस अनुदान में से , 50 मिलियन अमरीकी डॉलर की पहली किश्त कुछ सप्ताह पहले सौंप दी गई है ।

Laatste Update: 2020-05-24
Gebruiksfrequentie: 1
Kwaliteit:

Engels

only a few weeks ago they built a satellite , named aryabhata which was sent into space with the help of the soviet union .

Hindi

कुछ सप्ताह पहले उन्होंने एक भू उपग्रह आर्यभट्ट का निर्माण किया जिसे सोवियत संघ की सहायता से अंतरिक्ष में भेजा गया ।

Laatste Update: 2020-05-24
Gebruiksfrequentie: 1
Kwaliteit:

Engels

someone you met few week ago can have better intentions than someone you meet years ago

Hindi

कुछ हफ़्ते पहले मिले किसी से आपके इरादे कुछ बेहतर हो सकते हैं जो आप सालों पहले मिलते हैं

Laatste Update: 2021-03-26
Gebruiksfrequentie: 1
Kwaliteit:

Referentie: Anoniem

Engels

a few weeks ago , on the occasion of india’s completion of three years without polio , i had stressed that our success must make us more vigilant : we will continue to be at risk until the whole world is free of the virus .

Hindi

कुछ ही सप्ताह पूर्व , भारत के पोलियो - मुक्ति के तीन वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर , मैंने इस बात पर जोर दिया था कि हमारी इस सफलता के बाद हमें और सतर्क रहना होगा : हम तब तक जोखिम में बने रहेंगे जब तक कि पूरा विश्व इस जीवाणु से मुक्त नहीं हो जाता ।

Laatste Update: 2020-05-24
Gebruiksfrequentie: 1
Kwaliteit:

Referentie: Anoniem

Engels

for one piece of proof , note this reversal a few weeks ago : yasser arafat announced his belated acceptance of a generous israeli offer that he had spurned two years earlier . this time , however , the israelis responded with disdain .

Hindi

इजरायल विजयी हो रहा है

Laatste Update: 2020-05-24
Gebruiksfrequentie: 1
Kwaliteit:

Referentie: Anoniem

Engels

i bring to you a message from tens of thousands of people -- in the villages, in the slums, in the hinterland of the country -- who have solved problems through their own genius, without any outside help. when our home minister announces a few weeks ago a war on one third of india, about 200 districts that he mentioned were ungovernable, he missed the point. the point that we have been stressing for the last 21 years, the point that people may be economically poor, but they're not poor in the mind.

Hindi

मैं आपके लिये लाया हूँ एक संदेश दसियों हज़ार लोगों का, गाँवों और झुग्गियों से, देश के ह्रदय से, जिन्होंने समस्याओं को सुलझाया है अपनी खुद की बेमिसाल सोच से, बिना किसी बाहरी मदद के । हमारे गृह-मंत्री ने अभी कुछ हफ़्ते पहले ही लडाई छेड दी करीब एक-तिहाई भारत के साथ, लगभग २०० ऐसे ज़िलों के नाम ले कर, जिन्हें वो शाषन के काबिल ही नही समझते, वो सच्चाई को बिलकुल भूल ही गये । ऐसी सच्चाई जिसे हम सामने ला रहे हैं पिछले २१ वर्षों से और वो सच्चाई है कि लोग भले ही रूप से गरीब हों, वो दिमागी रूप से गरीब नहीं हैं । दूसरे शब्दों में, गरीबी में गुज़र-बसर करने वाला मष्तिश्क सोच से गरीब नहीं होता है । यही वो संदेश है, जिसका प्रसारण हमने ३१ साल पहले शुरु किया था । और इससे हुआ क्या ? चलिये, मैं आपको अपनी जीवन-यात्रा के बारे में बताता हूँ, जो मुझे यहाँ तक ले कर आई है । ८५ से ८६ तक मैं बाँगलादेश में था वहाँ की सरकार और शोध-समिति के सलाहकार के रूप में कैसे वैज्ञानिक काम करें ज़मीन से जुड कर, गरीब लोगों के साथ मिल कर और कैसे शोध-आधारित तकनीकें विकसित की जायें, जो कि आम लोगों के ज्ञान पर आधारित हों । मैं ८६ में वापस आ गया । मुझ में एक शक्तिशाली नव-चेतना का संचार हो चुका था उस देश में मौजूद ज्ञान और रचनात्मक्ता को देख कर, जहाँ कि ६० प्रतिशत लोगों के पास ज़मीन तक नहीं है । लेकिन अद्भुत रचनात्मकता की कोई कमी नहीं है । मैने अपने काम पर गौर करना शुरु किया । वो सारा काम जो कि मैनें पिछले दस वर्षो में किया था, लगभग हर बार, मैनें लोगों के पारम्परिक ज्ञान का इस्तेमाल किया था जो के लोगों ने बेझिझक बाँटा था । और तो और, मुझे सलाहकार के रूप में, बहुत पैसे मिलते थे, फिर मैनें अपने आयकर पर ध्यान दिया और स्वयं से ये सवाल पूछा - "मेरे आयकर में से कितना हिस्सा उन लोगों के भले के लिये खर्च हुआ है जिन्होंने मुझसे अपना ज्ञान बाँटा था, और मेरे काम को संभव बनाया था ?" क्या मैं इतना होनहार था कि मुझे ये पुरस्कार मिल रहा था ? या कि मैं बहुत अच्छा लिखता था इसलिये ? या फ़िर इसलिये कि मैं अपनी बात ढँग से कह पाता था ? हो सकता है इसलिये कि मैं आँकलन में माहिर था ? या फिर केवल इसलिये कि मैं एक प्रोफ़ेसर था, और इस नाते मेरे प्रति समाज की कुछ ज़िम्मेदारियाँ थीं ? मैनें स्वयं को समझाने का प्रयत्न किया, "नहीं, ऐसा कुछ नहीं है, मैंने नीति-परिवर्तन के लिये कार्य किया है। जिससे कि नीति ऐसे हो जायेगी कि गरीबों के प्रति संवेदनशीलता बढेगी, और इसलिये , मैने सोचा कि सब ठीक है ।" मगर साथ ही मुझे ये भी आभास हुआ कि इतने सालों से मैं शोषण के खिलाफ़ ही तो काम कर रहा था, जमींदारों द्वारा शोषण, साहूकारों द्वारा, व्यापारियों द्वारा, इससे मुझे ये लगा कि कहीं ना कहीं मैं भी एक शोषणकर्ता ही हूँ, क्योंकि मेरी आय का कोई भी भाग उन लोगों तक नहीं पहुँच रहा था जिनके ज्ञान के फलस्वरूप ये आय हुई थी, उन लोगों तक जिन्होंने अपने ज्ञान के भंडार को, और अपने विश्वास को मुझे सौंप दिया था, कुछ भी उन लोगों तक वापस नहीं पहुँचा । यहाँ तक कि, मेरे काम का ज्यादातर भाग उस समय तक अँग्रेज़ी भाषा में था । जिन लोगों से मैने सीखा था, उनमे से अधिकांश अँग्रेज़ी नहीं जानते थे । तो मै किस प्रकार से अपना योगदान दे रहा था ? मैं समाजिक न्याय की बात कर रहा था, और वास्तव में , मैं एक पेशेवर था जो कि हद दर्ज़े का अन्यायपूर्ण काम कर रहा था, भले-पूरे लोगों के ज्ञान को ले कर उनका वज़ूद ख्त्म कर के, उस ज्ञान के सहारे पैसे कमा कर, उसे बाँट के, सलाह दे कर, ज्ञातपत्र लिख कर, छपवा कर, बढिया सम्मेलनों मे आमंत्रित हो कर, और पैसा और नये कामों को पा कर, और भगवान जाने क्या क्या कर के । ये सोच कर मेरे दिमाग में एक दुविधा उठ खडी हुई, कि यदि मैं शोषण ही कर रहा हूँ, तो ये ठीक नहीं है; जीवन ऐसे नहीं चल सकता । और ये क्षण मेरे लिये पीडादायक था क्योंकि मैं उस तरह, शोषणकर्ता का जीवन नहीं बिता सकता था । तो मैंने फिर से समझना शुरु किया, सामाजिक-विज्ञान में निहित मूल्यों की लडाई और नैतिक विरोधाभासों को, और करीब १०० से भी अधिक ज्ञातपत्र पढे और लिखे । और मैं इस नतीज़े पर पहुँचा कि, मेरी दुविधा मुझे अकेले की नहीं है, लकिन इस दुविधा का समाधान खास होना चाहिये । और एक दिन - ना जाने क्या हुआ कि - दफ़्तर से वापस आते समय मैनें एक मधुमक्खी देखी, और तत्क्षण मुझे लगा, कि क्यों न मैं इस मधुमक्खी जैसा बन जाऊँ, जीवन कितना खुशनुमा हो जाएगा । मधुमक्खी क्या करती है : परागण की प्रक्रिया में मदद, एक फूल का पराग ले कर, दूसरे फूल तक पहुँचाना, जिससे परागण हो सके । और जब वो पराग लेती है, फूलों को ठगा हुआ सा महसूस नहीं होता । बल्कि, फूल उल्टा मधुमक्खी को अपनी ओर आकर्षित करते हैं । और मधुमक्खियाँ सारा शहद भी सिर्फ़ अपने लिये ही बचा कर नहीं रखती हैं ।

Laatste Update: 2019-07-06
Gebruiksfrequentie: 4
Kwaliteit:

Referentie: Anoniem
Waarschuwing: Bevat onzichtbare HTML-opmaak

Krijg een betere vertaling met
7,794,188,732 menselijke bijdragen

Gebruikers vragen nu voor assistentie



Wij gebruiken cookies om u de best mogelijke ervaring op onze website te bieden. Door de website verder te gebruiken, geeft u toestemming voor het gebruik van cookies. Klik hier voor meer informatie. OK