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organizzazione
संगठन
Última atualização: 2018-12-24
Frequência de uso: 14
Qualidade:
organizzazione:
सà¤à¤à¤ न:
Última atualização: 2011-10-23
Frequência de uso: 1
Qualidade:
& organizzazione:
संगठनः (o)
Última atualização: 2011-10-23
Frequência de uso: 1
Qualidade:
Aviso: contém formatação HTML invisível
nome organizzazione:
संगठन नाम:
Última atualização: 2018-12-24
Frequência de uso: 2
Qualidade:
organizzazione (o)
संगठन (o)
Última atualização: 2014-08-20
Frequência de uso: 2
Qualidade:
& organizzazione:
संगठनः (o)
Última atualização: 2018-12-24
Frequência de uso: 1
Qualidade:
Aviso: contém formatação HTML invisível
unità organizzazione
संगठनात्मक इकाई
Última atualização: 2018-12-24
Frequência de uso: 4
Qualidade:
emesso dall'organizzazione
संगठन (_g):
Última atualização: 2014-08-20
Frequência de uso: 1
Qualidade:
unità/ gruppo organizzazione:
संगठनात्मक इकाई/ समूह:
Última atualização: 2018-12-24
Frequência de uso: 2
Qualidade:
..dimostrare la loro forza e la loro organizzazione, vogliono intimorirci con la loro forza ed organizzazione, arrestano le persone, le mettono in gabbie, che assomigliano perfino a quelle di guantanamo.
केवल अपनी ताकत दिखाने के लिए है, अपनी ताकत और संस्था द्वारा हमें डराने के लिए है, लोगों को गिरफ़्तार करना और उन्हें पिंजरों में बंद कर देने के लिए है.
e nel 1975, tutti i membri dell'opec (organizzazione dei paesi esportatori di petrolio) .. .. avevano accettato di vendere il proprio petrolio in dollari usa.
aur 1975 tak ye saare opec ke sadasyon ne... ...apne tel ko sirf u.s dollar pe bechne ka nirnaay grahan keeya.
(applausi) questo ci ha aiutati a costruire un'organizzazione e dei sistemi davvero etici e altamente pazientocentrici al fine di supportarlo. ma a un livello pratico, bisogna anche offrire dei servizi in modo efficiente, e, per quanto strano possa apparire, ho preso ispirazione da mcdonald's.
अभिवादन इन विचारधारा से प्रेरित होकर हमें पूर्णतः रोगी-केंद्रित और आदर्श संस्था बनाई और वो सारे प्रबंध किये जिनकी ज़रूरत थी मगर... ऐसी संस्था चलाने के लिये आपको सर्वोत्तम सेवा सुचारु रूप से देनी पडती है, और अजीब लगेगा पर मुझे इसकी प्रेरणा मक्डोनॉल्डस् से मिली । डॉ. वी: देखिये, मक्डोनॉल्डस् का सिद्धान्त साधारण सा है । उन्हें लगता है कि वो दुनिया भर के लोगों को प्रशिक्षण दे सकते हैं, अलग-अलग धर्मों, संस्कृतियों वगैरह वगैरह के बावजूद, अपने व्यंजनों को उसी ख़ास तरह से तैयार करने का और उसी ख़ास तरह से प्रस्तुत करने का वो भी सैकडों अलग अलग जगहों पर। लैरी ब्रिलियन्ट: वो हमेशा मक्डोनल्ड और हैम-बर्गर की बात करते रहते थे, और हमें कुछ भी समझ नहीं आता था । वो उप-संस्थानो का निर्माण करना चाहते थे, आँखों के इलाज को मुहैया करने का प्रबंध मक्डोनॉल्डस् जितनी सुचारू व्यवस्था से । डॉ. वी.: मान लीजिये मैं आँखों के इलाज का एक अदद तरीका निकाल लूँ, सारी तकनीकें, सारी कार्यप्रणालियाँ, बिलकुल एक सी, और उसे बंद-डिब्बा रूप में दुनिया के हर कोने में पहुँचा सकूँ । अँधेपन की समस्या हो गयी गायब, चुटकी बजाते ही । टी.आर. : यदि आप बारीकी से सोचें, तो आँखों की पुतली एक सी ही होती है, चाहे अमरीकन हो या फिर अफ़्रीकन, समस्या भी एक सी है, इलाज भी एक सा हो सकता है । तो फिरे कोई वजह नहीं कि गुणवत्ता और सेवा में इतना ज्यादा फर्क हो, और हमने यही मूल सिद्धान्त अपनाया जब हमने सेवाओं पद्धति का विकास किया । और सच है कि ये एक बहुत विशाल चुनौती थी, हम करोंडों लोगों की बात कर रहे हैं, बहुत ही कम संसाधनों के ज़रिये, और तंगी व प्रचालन की समस्याओं के एक पूरे पहाड के ख़िलाफ़ । और फिर लगातार हमें नई से नई जुगाड लगानी होती थी। हमने शुरु में ही एक ज़बरदस्त युक्ति निकाली, जो कि आज भी प्रयोग में है, हमने समस्या का हल निकालने का ज़िम्मा पूरे समुदाय पर डाल दिया, और उसके बाद उन्हें बाकयदा एक हिस्सेदार के रूप में शामिल किया और ये ऐसा ही एक आयोजन है, ये एक सामुदायिक शिविर है जो सबने मिल कर लगाया है, जहाँ उन्होनें ही जगह ढूँढी, उन्होंने ही स्वयं-सेवियों को बुलाया और फिरे हमने अपना योगदान दिया जो था - उनकी नज़रों की जाँच, फिर डॉक्टर पता लगाते है कि आखिर समस्या क्या है फिर आगे की प्रक्रिया का निर्धारण, और फ़िर उस प्रक्रिया का उन तकनीशियनों द्वारा निर्वाह जो कि चश्में के लिये पडताल करते हैं, या फिर काँचबिन्दु (ग्लूकोमा) के लिये जाँच करते है । और अंततः, सारी जाँचों के नतीज़े के आधार पर डॉक्टर निर्णय ले कर इलाज का निर्णायक तरीका सुझाते हैं, यदि किसी को चश्मे की ज़रूरत है, तो उसे शिविर में ही तुरंत चश्मा दिया जाता है, हालांकि ये सब ज्यादातर एक पेड के नीचे ही होता है, तब भी, उन्हें चश्में का ढाँचा उनकी रुचि के अनुसार ही दिया जाता है, ये बहुत ज़रूरी है क्योंकि मुझे लगता है कि चश्मा, लोगों को आँखों की रोशनी देने के अलावा, रोज़मर्रा की सज-धज का महत्वपूर्ण अंग भी है, और लोग इसके लिये खर्च करते हैं ।