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burada olmaktan dolayı çok mutluyum, ve chris'in de dediği gibi ben afrika'da çalışmaya başlayalı 20 seneyi aşkın bir süre oldu. başlangıcımı abidjan havalimanı'nda, ağır bir fildişi sahili sabahıyla yaptım. wall street'i henüz terketmiştim, saçımı margaret mead'e benzemek için kestirmiştim sahip olduğum birçok şeyi bırakarak ve olmazsa olmazlarımla ulaşmıştım birkaç şiir, birkaç kıyafet ve tabii ki, bir gitarla çünkü dünyayı kurtaracaktım ve buna afrika kıtasından başlamak üzereydim
मैं यहाँ आ कर बहुत गौरवान्वित महसूस कर रही हूँ, और जैसा क्रिस ने कहा, मुझे अफ़्रीका में काम करते हुए करीब २० वर्ष हो गये हैं। अफ़्रीका से मेरा परिचय अबिदजान हवाई-अड्डे पर आइवरी-कोस्ट की एक उमस भरी सुबह हुआ था। मैनें वॉल-स्ट्रीट हाल ही में छोडा था, अपने बाल मार्गरेट मीआड जैसे कटवाए थे, अपना लगभग सब कुछ दान कर चुकी थी, और सिर्फ़ आवश्यक चीज़ों के साथ आयी थी -- कुछ कविताएँ, थोडे कपडे, और ज़ाहिर है - एक गिटार -- क्योंकि उसके बिना मैं दुनिया को कैसे बचाती, और मैने सोचा कि मैं बस अब अफ़्रीक में काम शुरु कर दूँगी। पर आने के कुछ ही दिनों की भीतर मुझे बताया गया, वो भी सीधे मेरे मुँह पर, कई पश्चिमी अफ़्रीकन औरतों द्वारा, कि अफ्रीका को किसी की ज़रूरत नहीं है, बहुत बहुत धन्यवाद, मगर आपकी तो बिलकुल भा नहीं है। मैं बहुत छोटी थी, शादी भी नहीं हुई थी, न ही कोई बच्चे थे, और मुझे अफ़्रीक के बारे में खास नहीं पता थी, मेरी फ़्रेंच एकदम बेकार थी। और इसलिए, वो मेरे जीवन का बहुत ही दर्द-भरा और दुःखदायी समय था। और तब भी वो समय मुझमें ये बडप्पन ला पाया कि मैं दूसरे को सुन सकूँ। मुझे लगता है कि असफ़लता प्रोत्साहन की बहुत ही बडी ताकत बन कर उभर सकती है, और इसलिये मै कीन्या चली गयी, और युगान्डा में काम करने लगी, और वहाँ मुझे रवान्डा की औरतों का एक समूह मिला, जिन्होंने मुझसे कहा, १९८६ में, कि मैं किगालि आ कर उनके लिये एक लघु-ऋण की संस्था शुरु करूँ। तो मैने वही किया, और हमने उसका नाम रखा ड्यूटेरिम्बरे, जिसका अर्थ होता है " उत्साह से आगे बढना"। और जब हम इसे बना रहे थे, मुझे महसूस हुआ कि एसी बहुत सी व्यावसायिक इकायियाँ नहीं थीं जो कि औरतों द्वारा शुरु की गयी हो, और इसलिये शायद मुझे एक व्यावसायिक इकाई चलानी चाहिये। और खोज़बीन से पता लगा कि एक बेकरी है, जिसे २० वेश्याएँ मिल कर चलाती हैं। और क्योंकि मुझे ये अजीब लगा था, मैं उनसे मिलने चली गयी, और वहाँ मुझे २० गैर-शादीशुदा माँएं मिली जो कि किसी तरह जीवन चला रही थीं। और ये मेरे लिये भाषा की ताकत को समझने की शुरुवात थी, और हम सिर्फ़ एक गलत शब्द (वेश्या) का प्रयोग करके लोगों को स्वयं से दूर कर देते हैं, और उन्हें छोटा बना देते हैं। मैने ये भी पाय कि वो बेकरी बिल्कुल भी व्यवसाय की तरह नहीं चलायी जाती थी, बल्कि, वो एक पारंम्परिक धर्माथ संस्था की तरह एक अच्छी नियत वाले व्यक्ति द्वार चलायी जाती थी जो कि हर महीने करीब ६०० डॉलर का खर्चा इस पर करता था जिससे कि इन २० महिलाओं को हस्तशिल्प और बेकरी का सामान बनाने के बहाने रोज़गार मिलता रहे, और ये वही २० रुपैये प्रतिदिन पर जीवित रहें, गरीब की गरीब । तो मैने इन औरतो के साथ एक सौदा किया। मैनें कहा, "देखो, हमें ये धर्माथ संस्था के तरह काम करना बंद करना होगा और इसे एक व्यवसाय की तरह चलाना होगा, और इसमें मैं तुम्हारी मदद करूँगी।" वो लोग थोडी घबराहट के साथ मान गये, और हमने घबराते हुए शुरुवात कर दी, ज़ाहिर है कि काम करना सिर्फ़ कह देने से ज्याद मुश्किला होता है। हमने सोचा कि सबसे पहले हमें एक बिकी करने वाला दल बनान होगा, और हमें ये नहीं आता है, तो ऐसा करते हैं कि --- मैने ये सारा प्रशिक्षण दिया, और उसका सार ये था कि जब मैं गलियों मे निकली, न्यामिराम्बो की, जो कि किगाली की एक प्रसिद्ध जगह है, एक बाल्टी के साथ, और जब मैनें लोगों को सामान बेचा, और वापस आयी, और मैनें कहा, "देखा, ऐसे बेचते हैं!" तो उन औरतों ने कहा, "देखो, जकलिन, न्यामिरम्बों में कौन ऐसा होगा जो कि एक नारंगी बाल्टी ले कर चलती हुई लम्बी अमरीकी औरत के हाथ से सामान खरीदना नहीं चाहेगा?"