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क्योंकि धार्युं यानी क्या? अपने व्यू पोइन्ट से हम मानते हैं कि मेरा सत्य है और फिर उस सत्य को औरों पर थोपना चाहते हैं और यदि वह नहीं स्वीकार करे तो हम दबाव डालकर अपने आग्रह से उसके पास अपना धार्युं करवाते हैं तो ऐसा कुछ, एक दोष को लेकर फिर उस पर एनैलिसिस करो कि पूरे जीवन में कहाँ-कहाँ आपने औरों को दुःख दिया है समझ में आ रहा है न? धार्युं करने का पहला स्टेप होगा, दूसरे को दुःख दे दिया पहले उसके प्रतिक्रमण करो और यदि धार्युं हो जाए हम ये चार बातें लेंगे धार्युं करना, मान, मोह, लोभ और विषय इन पाँच दोषों को आप पकड़ो अब एक-एक दिन में, चान्स लेते हैं यदि वह आपका धार्युं करे तो उस पर राग होता है और धार्युं नहीं करे तो उस पर द्वेष होता है धार्युं हो जाए, यदि सामनेवाला व्यक्ति आपका धार्युं करता हो तो आप उसके लिए पॉज़िटिव हो जाते हो सामनेवाला व्यक्ति यदि आपके धार्युं अनुसार नहीं करता हो तो उसके लिए नेगेटिव हो जाता है धार्युं होता रहे तो मान। मीठा लगता है, गर्वरस लेते हैं, मज़ा आ जाता है यदि धार्युं नहीं हुआ तो अकुलाहट होती रहती है फिर किसी को दोषित देखते रहते हैं मतलब यह धार्युं करने के दोष की वजह से धार्युं करने के दोष से अहंकार की वृति होती है क्योंकि उसे रौब जमाना है चलण (वर्चस्व, सत्ता, खुद के अनुसार सब को चलाना) चलाना है उसे धाक जमानी है और अपने व्यू पोइन्ट को ही सही मानना है इसमें भी जानपने का अहंकार आ ही जाता है कि मैं जो जानता हूँ वही सत्य है इसलिए सभी को ऐसा ही करना चाहिए तो ही सभी को फायदा होगा मैं अनुभवी हूँ यानी यह जानपना का अहंकार भी धार्युं करने के लिए सहायक हो जाता होता है मतलब धार्युं करने में उसे एक तरह का मज़ा आता है, बस रौब जमाते हैं, मैं कहूँ बच्चे का जब जन्म होता है न मम्मी का पूरी ज़िंदगी में कुछ धार्युं हुआ ही नहीं होता है इसलिए बच्चे का जन्म होने के बाद, बच्चे पर रौब जमाती है बेटा नहीं छूते बेटा रख दो इसलिए जब बच्चा कहता है, हाँ मम्मी, हाँ मम्मी तब इतना आनंद आ जाता है कि बच्चा मेरे कहे अनुसार चल रहा है बहुओं की यहाँ से शुरूआत होती है फिर धीरे-धीरे, पति तो कहना मानता ही नहीं, अपनी माँ की सुनता है इसलिए वहाँ फिर धीरे-धीरे यानी धार्युं करने से तो संसार शुरू हो जाता है यानी धार्युं करना बहुत बूरी आदत, दोष ही है वह अहंकार और अहंकार का स्वरूप ही ऐसा होता है कि अहंकार अर्थात् अहम कार किए बगैर रहता ही नहीं वह धार्युं करवाने जाता ही रहता है जाता ही रहता है, जाता ही रहता है फिर क्रोध करके भी धार्युं करवाने जाते हैं धार्युं नहीं हो सके तो क्रोध करते हैं और धार्युं कर लेते हैं धीरे-धीरे फिर आरग्यूमेन्ट करके धार्युं करते हैं यदि फिर भी नहीं हो पाए तो धीरे-धीरे फिर कपट करके धार्युं करते हैं लेकिन अंत में उसे धार्युं करना है, कुछ चाहिए वह सत्ता चाहता है मान चाहता है, अपने मोह पूरे करने हैं लेकिन कुछ करना है उसे इसलिए अब आप इसे पहचानो कि सब से पहले धार्युं किसलिए करना है नॉट करो धार्युं करके क्या फायदा निकाल लेना है, नॉट करो धार्युं करने से क्या नुकसान हुए, नॉट करो और कौन सी बाबत में धार्युं करना चाहते हैं इस पर डिटेल में स्टडि करो कौन से अंदर आपको क्या हो जाता है यदि काम बिगड़ रहा हो तो गुस्से में आकर, दादा का काम बिगड़ना नहीं चाहिए ऐसा करके आवेश में आ जाते हैं पैसे व्यर्थ खर्च नहीं होने चाहिए आबरू नहीं बिगड़नी चाहिए सबकुछ खराब दिखाई देता है यानी अच्छा दिखने के लिए धार्युं करते हैं किसलिए धार्युं करते हैं? कुछ कारण ढूँढ निकालो और धार्युं करने की अकुलाहट यानी लक्षण ढूँढ निकालो कि कौन से, धार्युं किया आप किसे कहोगे मैं तो समझा रही थी, लेकिन समझा रहे थे या आरग्यूमेन्ट कर रहे थे?
what is the reason for wanting to get our way (dharyu)? from our viewpoint we believe that ours is the truth and we want to force this truth onto others. and if the other person doesn't accept it, we use pressure and overt insistence (aagraha) to make that person do what we want.