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कुछ भी असंभव नहीं ह

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कुछ भी असंभव नहीं है

Senast uppdaterad: 2020-10-30
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सब कुछ संभव है कुछ भी असंभव नहीं

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कुछ भी हो सकता है

Senast uppdaterad: 2021-08-18
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कुछ भी असंभव नहीं है । शब्द स्वयं कहता है कि मैं संभव हूं

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कुछ भी अकल्पनीय नहीं है. शब्द ही कहता है कि मैं संभव हूं

Senast uppdaterad: 2024-03-08
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चाहे फिर वो कुछ भी हो

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chahe wo kuch bhi ho

Senast uppdaterad: 2020-11-11
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तूम इसके बारे मे कुछ भी कयू बोला

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आखिरकार आज मिल ही गये आप

Senast uppdaterad: 2020-05-25
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मेरे लायक कुछ भी काम हो तो बताना

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Senast uppdaterad: 2020-09-15
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तुम्हें पाने के लिए कुछ भी कर सकता हूं

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tumhe pane ke liye kuch bhi kar shakta hu

Senast uppdaterad: 2021-09-07
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मेरे पास इस वीडियो के लिए कोई शब्द नहीं ह

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main apne papa ke liye sabkuch hun

Senast uppdaterad: 2023-05-31
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अरे पागल कुछ भी शब्द लिख में उस पर शायरी लिखता है

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मै पागल हू लेकिन

Senast uppdaterad: 2021-05-13
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अपनी तरफ से हंड्रेड% में मेहनत करो रिजल्ट कुछ भी हो

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रिजल्ट कुछ भी हो अपनी तरफ से 100% दो

Senast uppdaterad: 2022-08-30
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खैर, हम सब दिल, लेकिन तुम नहीं। मैं कुछ भी नहीं पता है, लेकिन आप के बारे में कुछ भी नहीं है

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aap mere baare mein nhi janti mujhe pata a par mujhe apse baar krna acha lg raha hai

Senast uppdaterad: 2017-02-04
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अपना आत्मसमर्पण से मन की बात समझ में नहीं आ रही है करटा भले इस के लिए की मत कुछ भी चुकाना नहीं चाहिए कभी भी अपने आत्म सम्मान को खत्म नहीं करना चाहिए

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अपनेआत्मसम्मान से मैं कभी समझौता नहीं करता भले इसके लिए कीमत कुछ भी चुकानी क्यों न पड़ेnever drain your self respect

Senast uppdaterad: 2023-12-02
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*🦚🙏एक कहानी सुंदर सी🙏🦚* *💐💐"सीधे राम-टेढे कृष्ण"💐💐* *एक बार की बात है- वृंदावन का एक भक्त अयोध्या की गलियों में राधे-कृष्ण, राधे-कृष्ण जप रहा था। अयोध्या का एक भक्त वहाँ से गुजरा तो राधे-राधे-कृष्ण-कृष्ण सुनकर उस भक्त को बोला- अरे जपना ही है, तो सीता-राम जपो, क्या उस टेढ़े का नाम क्यों जपते हो ? वृन्दावन का भक्त भड़क कर बोला- "जरा जबान संभाल कर बात करो, हमारी जबान पान खिलाती है, तो लात भी खिलाती है। तुमने मेरे इष्ट को टेढ़ा कैसे बोला ?"* अयोध्या वाला भक्त बोला, "इसमें गलत क्या है ? तुम्हारे कन्हैया तो हैं ही टेढ़े। कुछ भी लिख कर देख लो-उनका नाम टैढ़ा- "कृष्ण" उनका धाम टेढ़ा - "वृन्दावन"। वृन्दावन वाला भक्त बोला, "चलो मान लिया, पर उनका काम भी टेढ़ा है और वो खुद भी टेढ़ा है, ये तुम कैसे कह रहे हो ?" अयोध्या वाला भक्त बोला - "अच्छा अब ये भी बताना पडेगा ? तो सुनों- यमुना में नहाती गोपियों के कपड़े चुराना, रास रचाना, माखन चुराना, ये कौन से सीधे लोगों के काम हैं ? और बता आज तक किसी ने उसे सीधे खडे देखा है क्या कभी ?" वृन्दावन के भक्त को बड़ी बेइज्जती महसूस हुई, और सीधे जा पहुँचा बिहारी जी के मंदिर। अपना डंडा डोरिया पटक कर बोला- "इतने साल तक खूब उल्लू बनाया लाला तुमने। ये लो अपनी लकुटी, करमरिया, और पटक कर बोला ये अपनी सोटी भी संभालो। हम तो चले अयोध्या राम जी की शरण में।" और सब पटक कर भक्त चल दिया। अब बिहारी जी मंद-मंद मुस्कुराते हुए उसके पीछे-पीछे चल दिये। भक्त की बाँह पकड कर बोले अरे- "भई तुझे किसी ने गलत भड़का दिया है।" पर भक्त नही माना तो बोले, "अच्छा जाना है। तो तेरी मर्जी, पर यह तो बता राम जी सीधे और मै टेढ़ा कैसे ?" यह कहते हुए बिहारी जी कुँए की तरफ नहाने चल दिये। वृन्दावन वाला भक्त गुस्से में अयोध्या वाले भक्त से हुई झैं-झैं और बेइज़्जती की सारी भड़ास निकाल दी। बिहारी जी मुस्कुराते रहे और चुपके से अपनी बाल्टी कुँए में गिरा दी। फिर भक्त से बोले अच्छा चले जाना पर जरा मदद तो कर जा, तनिक एक सरिया ला दे तो मैं अपनी बाल्टी निकाल लूँ। भक्त सरिया ला देता है, और श्री कृष्ण सरिये से बाल्टी निकालने की कोशिश करने लगते हैं। भक्त बोला इतनी अक्ल नही है, क्या इस सीधे सरिये से भला बाल्टी कैसे निकलेगी ? सरिये को तनिक टेढ़ा करो, फिर देख कैसे एक बार में बाल्टी निकल आएगी ! बिहारी जी मुस्कुराते रहे और बोले - "जब सीधेपन से इस छोटे से कुँए से एक छोटी सी बाल्टी नहीं निकाल पा रहा, तो तुम्हें इतने बड़े भवसागर से कैसे पार लगाऊँगा ! अरे आज का इंसान तो इतने गहरे पापों के भवसागर में डूब चुका है, कि इस से निकाल पाना मेरे जैसे टेढ़े के ही बस की बात है *सदैव प्रसन्न रहिये!!* *जो प्राप्त है-पर्याप्त है!!* 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

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vah khate khate mar gya *🦚🙏एक कहानी सुंदर सी🙏🦚* *💐💐"सीधे राम-टेढे कृष्ण"💐💐* *एक बार की बात है- वृंदावन का एक भक्त अयोध्या की गलियों में राधे-कृष्ण, राधे-कृष्ण जप रहा था। अयोध्या का एक भक्त वहाँ से गुजरा तो राधे-राधे-कृष्ण-कृष्ण सुनकर उस भक्त को बोला- अरे जपना ही है, तो सीता-राम जपो, क्या उस टेढ़े का नाम क्यों जपते हो ? वृन्दावन का भक्त भड़क कर बोला- "जरा जबान संभाल कर बात करो, हमारी जबान पान खिलाती है, तो लात भी खिलाती है। तुमने मेरे इष्ट को टेढ़ा कैसे बोला ?"* अयोध्या वाला भक्त बोला, "इसमें गलत क्या है ? तुम्हारे कन्हैया तो हैं ही टेढ़े। कुछ भी लिख कर देख लो-उनका नाम टैढ़ा- "कृष्ण" उनका धाम टेढ़ा - "वृन्दावन"। वृन्दावन वाला भक्त बोला, "चलो मान लिया, पर उनका काम भी टेढ़ा है और वो खुद भी टेढ़ा है, ये तुम कैसे कह रहे हो ?" अयोध्या वाला भक्त बोला - "अच्छा अब ये भी बताना पडेगा ? तो सुनों- यमुना में नहाती गोपियों के कपड़े चुराना, रास रचाना, माखन चुराना, ये कौन से सीधे लोगों के काम हैं ? और बता आज तक किसी ने उसे सीधे खडे देखा है क्या कभी ?" वृन्दावन के भक्त को बड़ी बेइज्जती महसूस हुई, और सीधे जा पहुँचा बिहारी जी के मंदिर। अपना डंडा डोरिया पटक कर बोला- "इतने साल तक खूब उल्लू बनाया लाला तुमने। ये लो अपनी लकुटी, करमरिया, और पटक कर बोला ये अपनी सोटी भी संभालो। हम तो चले अयोध्या राम जी की शरण में।" और सब पटक कर भक्त चल दिया। अब बिहारी जी मंद-मंद मुस्कुराते हुए उसके पीछे-पीछे चल दिये। भक्त की बाँह पकड कर बोले अरे- "भई तुझे किसी ने गलत भड़का दिया है।" पर भक्त नही माना तो बोले, "अच्छा जाना है। तो तेरी मर्जी, पर यह तो बता राम जी सीधे और मै टेढ़ा कैसे ?" यह कहते हुए बिहारी जी कुँए की तरफ नहाने चल दिये। वृन्दावन वाला भक्त गुस्से में अयोध्या वाले भक्त से हुई झैं-झैं और बेइज़्जती की सारी भड़ास निकाल दी। बिहारी जी मुस्कुराते रहे और चुपके से अपनी बाल्टी कुँए में गिरा दी। फिर भक्त से बोले अच्छा चले जाना पर जरा मदद तो कर जा, तनिक एक सरिया ला दे तो मैं अपनी बाल्टी निकाल लूँ। भक्त सरिया ला देता है, और श्री कृष्ण सरिये से बाल्टी निकालने की कोशिश करने लगते हैं। भक्त बोला इतनी अक्ल नही है, क्या इस सीधे सरिये से भला बाल्टी कैसे निकलेगी ? सरिये को तनिक टेढ़ा करो, फिर देख कैसे एक बार में बाल्टी निकल आएगी ! बिहारी जी मुस्कुराते रहे और बोले - "जब सीधेपन से इस छोटे से कुँए से एक छोटी सी बाल्टी नहीं निकाल पा रहा, तो तुम्हें इतने बड़े भवसागर से कैसे पार लगाऊँगा ! अरे आज का इंसान तो इतने गहरे पापों के भवसागर में डूब चुका है, कि इस से निकाल पाना मेरे जैसे टेढ़े के ही बस की बात है *सदैव प्रसन्न रहिये!!* *जो प्राप्त है-पर्याप्त है!!* 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

Senast uppdaterad: 2021-02-22
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