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i was reached home by 10:30 se if your had possibilities so that we can talk that time
मैं 10:30 बजे तक घर पहुँच गया
Last Update: 2024-06-15
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on 22 september 1937 the first batch of the freedom fight - ers set sail for the mainland . 22
सितंबर 1937 को राजनीतिक बंदियों का प्रथम दल अंडमान से मुख्य भूमि की जेलों के लिए रवाना हुआ .
Last Update: 2020-05-24
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i was told the other day by a responsible police officer that no search could be conducted in secret because previous intimation always reached the parties concerned .
कुछ दिन पहले मुझे एक जिम्मेदार पुलिस अधिकारी ने कहा था कि गुप्त रूप से कोई तलाशी नहीं ली जा सकती , क्योंकि सम्बन्धित लोगों को हमेशा इसका पता पहले से चल जाता है ।
Last Update: 2020-05-24
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this was followed by a resolution moved in the then central legislative assembly by no less a person than motilal nehru and seconded by another illustrious leader , lala lajpat rai on 22 september 1928 , seeking the constitution of a separate assembly department .
उसके बाद 22 सितंबर , 1928 को तत्कालीन केंद्रीय विधान सभा में सुप्रसिद्ध नेता मोतीलाल नेहरू ने एक संकल्प पेश किया जिसका समर्थन एक अन्य प्रसिद्ध नेता लाला लाजपत राय ने किया और उस संकल्प का उद्देश्य पृथक सभा विभाग का गठन सेवाओं की व्यवस्था और सचिवालय करना था ।
Last Update: 2020-05-24
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"i was here first." but when he reached the mountain peak, he found the peak covered with countless flags of world-conquerors before him, each one claiming "'i was here first' ... that's what i thought until i came here." and suddenly, in this canvas of infinity,
"मैं यहाँ आने वाला पहला व्यक्ति था ।" पर जब वो मेरु पर्वत पर पहुँचा, तो उसने उसे अनगिनत झंडों से ढका पाया, उससे पहले आने वाले विश्व-विजयिओं के झंडों से, हर झंडा दाव कर रहा था "मैं यहाँ सबसे पहले आया... ...ऐसा मैं सोचता था जब तक मैं यहाँ नहीं आया था ।" और अचानक, अनन्ता की इस पृष्ठभूमि में, भरत ने स्वयं को क्षुद्र, नगण्य़ पाया । ये उस फ़कीर का सुना हुआ मिथक था । देखिय, फ़कीर के भी अपने नायक थे, जैसे राम - रघुपति राम और कृष्ण, गोविन्द, हरि । परन्तु वो दो अलग अलग पात्र दो अलग अलग अभियानों पर निकले दो अलग अलग नायक नहीं थे । वो एक ही नायक के दो जन्म थे । जब रामायण काल समाप्त होता है, तो महाभारत काल प्रारंभ होता है । जब राम यमलोक सिधारते है, कृष्ण जन्म लेते है । जब कृष्ण यमलोक जाते है, तो वो पुनः राम के रूप में अवतार लेते हैं । भारतीय मिथकों में भी एक नदी है जो कि जीवितों और मृतकों की दुनिया की सीमारेखा है । पर इसे केवल एक बार ही पार नहीं करना होता है । इस के तो आर-पार अनन्ता तक आना जाना होता है । इस नदी का नाम है वैतरणी । आप बार-बार, बारम्बार आते जाते है । क्योंकि, आप देखिये, भारत में कुछ भी हमेशा नहीं टिकता, मृत्यु भी नहीं । इसलिये ही तो, हमारे भव्य आयोजनों में देवियों की महान मूर्तियाँ तैयार की जाती हैं, उन्हें दस दिन तक पूजा जाता है... और दस दिन के बाद क्या होत है ? उसे नदी में विसर्जित कर दिया जाता है । क्योंकि उसका अंत होना ही है । और अगले साल, वो देवी फिर आयेगी । जो जाता है, वो ज़रूर ज़रूर लौटता है और ये सिर्फ़ मानवों पर ही नहीं, बल्कि देवताओं पर भी लागू होता है । देखिये, देवताओं को भी बार बार कई बार अवतार लेना होगा, राम के रूप में , कृष्ण के रूप में न सिर्फ़ वो अनगिनत जन्म लेते हैं, वो उसी जीवन को अनगिनत बार जीते हैं जब तक कि सब कुछ समझ ना आ जाये । ग्राउन्डहॉग डे (इसे विचार पर बनी एक हॉलीवुड फ़िल्म) । (हँसी) दो अलग मिथयताएँ इसमें सही कौन सी है ? दो अलग समझें, दुनिया को समझने के दो अलग नज़रिये । एक सीधी रेखा में और दूसरा गोलाकार एक मानता है कि केवल यही और सिर्फ़ यही एक जीवन है। और दूसरा मानता है कि यह कई जीवनों में से एक जीवन है । और इसलिये सिकंदर के जीवन की तल-संख्या 'एक' थी । और उसके सारी जीवन का मूल्य इस एक जीवन में अर्जित उसकी उपलबधियों के बराबर था । फ़कीर के जीवन की तल-संख्या 'अनन्त, अनगिनत' थी । और इसलिये, वो चाहे इस जीवन में जो कर ले, सब जीवनों में बँट कर इस जीवन की उपलब्धियाँ नगण्य थीं । मुझे लगता है कि शायद भारतीय मिथक के इसी पहलू के ज़रिये भारतीय गणितज्ञों ने
Last Update: 2019-07-06
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