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woe is me, my mother, that you have borne me a man of strife and a man of contention to the whole earth! i have not lent, neither have men lent to me; yet everyone of them curses me.
हे मेरी माता, मुझ पर हाय, कि तू ने मुझ ऐसे मनुष्य को उत्पन्न किया जो संसार भर से झगड़ा और वादविवाद करनेवाला ठहरा है ! न तो मैं ने व्याज के लिये रूपये दिए, और न किसी से उधार लिए हैं, तौभी लोग मुझे कोसते हैं।
Last Update: 2019-08-09
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woe is me, my mother, that thou hast borne me a man of strife and a man of contention to the whole earth! i have neither lent on usury, nor men have lent to me on usury; yet every one of them doth curse me.
हे मेरी माता, मुझ पर हाय, कि तू ने मुझ ऐसे मनुष्य को उत्पन्न किया जो संसार भर से झगड़ा और वादविवाद करनेवाला ठहरा है ! न तो मैं ने व्याज के लिये रूपये दिए, और न किसी से उधार लिए हैं, तौभी लोग मुझे कोसते हैं।
Last Update: 2019-08-09
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you see, "-18" sucks all the life out of you. "+2" said, "i ain't all bad." for years, i watched my mother take the time at recess to review, go on home visits in the afternoon, buy combs and brushes and peanut butter and crackers to put in her desk drawer for kids that needed to eat, and a washcloth and some soap for the kids who didn't smell so good. see, it's hard to teach kids who stink.
"+२" आपसे कहता है, "इतना भी बुरा नहीं है।" ठहाका तालियाँ कई साल तक मैने अपनी माँ को इंटरवेल में काम करते देखा, दोपहर में घरों मे विज़िट करते देखा, कंघी और ब्रश और पीनट बटर और बिस्कुट खरीदते देखा अपने डेस्क में रखते हुए उन बच्चों के लिये जिन्हें ज़रूरत होती, और एक तौलिया और कुछ साबुन उन के लिये जिनसे बदबू आ रही होती थी। आखिर, बदबू फ़ैलाते बच्चों को पढाना आसान नहीं। और बच्चे बहुत क्रूर हो सकते हैं। तो इसलिये वो ये सारी चीजें अपने डेस्क में रखती थीं, और कई साल बाद, उनके रेटायरमेंट के बाद, मैने उन मे से कुछ बच्चों को वापस आ कर उनसे कहते सुना, "आपको पता नहीं, मिस वाकर, आप ने मेरे जीवन में कितना बडा बदलाव लाया। आपके चलते ही मेरा कुछ हो सका। आपने मुझे जताया कि मैं भी कुछ था, जबकि मुझे अंदर अंदर यकीन था कि, मैं कुछ भी नही था। और मैं चाहता हूँ कि आप देखें कि मैं क्या बन गया हूँ।" और ९२ वर्ष की उम्र में, दो साल पहले, जब माँ गुज़री, तो उनके बहुत सारे विद्यार्थी उनके अंतिम संस्कार पर पहुँचे, मेरी आँखों मे आँसू थे इसलिये नहीं कि वो चली गयी थीं, मगर इसलिये कि रिश्तों का इतना बडी विरासत वो छोड गयी थीं जो कभी ख्त्म नहीं होगी। क्या हम रिश्तों पर और ध्यान दे सकते हैं? बिल्कुल। क्या आपको अपने सारे विद्यार्थी पसंद आयेंगे? बिल्कुल भी नहीं। और सबसे बिगडैल विद्यार्थी कभी एब्सेंट भी नहीं होते। ठहाका कभी भी नहीं। और आप उन सब को पसंद भी नहीं करेंगे और बिगडैल वाले आते ही खास वजह से हैं। रिश्ते ही सब हैं। जुडाव से ही सब है। और जब कि आप उन्हें नापसंद करेंगे, अंदर की बात ये है कि उन्हें कभी ये पता नहीं लगेगा। तो शिक्षकों महान एक्टर भी बन जाते हैं और हम तब भी क्लास जाते हैं जब हमारा बिल्कुल मन नहीं होता, और हम ऐसी नीतियों से जूझते हैं जो बिल्कुल ही निरर्थक होती हैं, मगर हम फिर भी पढाते हैं। हम फिर भी पढाते रहते हैं, क्योंकि हमारा वही काम है। पढना-पढाना खुशी देने वाला होना चाहिये। हमारी दुनिया कितनी बेहतर हो सकती है अगर हमारे बच्चे जोखिम से न डरें, सोचने से पीछे न हटें, और जिन के पास कोई ध्यान देने वाला हो? हर बच्चे को इसका हक है, ऐसा कोई जो कभी उन्हें अकेला न छोडे, जो रिश्तों की अहमियत समझे, और उन्हें आगे बढने और बेहतर होने के लिये प्रोत्साहित करे। क्या ये कठिन काम है? बिल्कुल, हे भगवान, बहुत कठिन! मगर ये असंभव नहीं है। हम ये कर सकते हैं। हम शिक्षक हैं। हम दुनिया को बदलने के लिये ही जन्मे हैं। बहुत बहुत धन्यवाद। तालियाँ
Last Update: 2019-07-06
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