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i am not judging whether this is good or not .
मैं यह निर्णय दे रही कि यह अच्छा है या बुरा ।
Last Update: 2020-05-24
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now , this is fine if it occurs within limits .
यदि सीमा में रहे तो अच्छा है ।
Last Update: 2020-05-24
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whether this is true or not , but we ' re going to imagine that there is an algorithm
कि क्या यह सच है या नहीं , लेकिन हम कि कल्पना करने के लिए जा रहे हैं वहाँ एक एल्गोरिथ्म है
Last Update: 2020-05-24
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the visitor was astonished at this answer and asked : do you think this is a good thing or not ?
आंगतुक उसके उत्तर से चकित रह गए और उन्होंने पूछा , क्या आप समझते हैं कि यह एक अच्छी बात है ?
Last Update: 2023-07-21
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if this is not possible or not effective then you can demand help through a formal complaints procedure which are current in all governments .
यदि ऐसा सभ्भव नहीं है या इस से काम नहीं बनता है तो इस विषय पर औपचारिक शिकायत कार्यविधि जो सभी सत्ताओं में परिचलित है आप यह मांग कर सकते हैं .
Last Update: 2020-05-24
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if the picture simply evokes a mood or a scene that is vaguely associated with the poem , this is fine .
इतना काफी है कि तस्वीर में गीत का भाव या उससे किसी प्रकार जुड़ा दृश्य प्रकट होता हो ।
Last Update: 2020-05-24
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this is work on group interest not person interest if is use wrong way so do a penalty to petition man and this penalty is accepted or not accepted it depend on court .
ये समूह हित मे काम आती है ना कि व्यक्ति हित मे यदि इनका दुरूपयोग किया जाये तो याचिकाकर्ता पे जुर्माना तक किया जा सकता है इनको स्वीकारना या ना स्वीकारना न्यायालय पे निर्भर करता है
Last Update: 2020-05-24
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this is one aspect of the matter which , the supreme court felt , needed consideration as to whether the deeming clause provided in rule 25 would come into operation or not .
यह मामले का वह पहलू है जिस पर उच्चत्तम न्यायालय ने महसूस किया कि यह विचार किए जाने की जरूरत है कि नियम २५ में उपबंधित धारणा खंड प्रवर्तन में आएगा या नहीं .
Last Update: 2020-05-24
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this is fine , as it builds confidence and familiarity with words , and reinforces that stories are fun . try to share books together each day , and not just at bedtime .
प्रत्येक दिन किताबें एक साथ मिलकर पढ़ने का प्रयत्न करें , न केवल सोने के वक्त ।
Last Update: 2020-05-24
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but it is you who have to decide whether or not this is indeed a matter to be pleased about .
लेकिन इसमें वास्तव में खुश होने की कोई बात है या नहीं , इसका निश्चय तो तुम्हीं को करना होगा ।
Last Update: 2020-05-24
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if you want to sell something, you have to first know if your product or service could help them or not, and the best way to do this is by asking questions or by doing consultative selling.
please, specify two different languages
Last Update: 2023-07-23
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as per article 166 , if a question arises as to the power of the governor is discretionary or not , then his decision on this is considered final .
अनु 166 के अंर्तगत यदि कोई प्रशन उठता है कि राजयपाल की शक्ति विवेकाधीन है या नहीं तो उसी का निर्णय अंतिम माना जाता है
Last Update: 2020-05-24
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as for the question of the abrogation of laws , it seems that this is not impossible with the hindus , for they say that many things which whether laws may be abrogated or not are now forbidden were allowed before the coming of vasudeva , e . g . the flesh of cows .
नियमों का निरसन किया जा सकता है या नहीं जहां तक नियमों के निरसन का प्रश्न है ऐसा लगता है , हिन्दुओं के लिए यह असंभव नहीं है क़्योंकि उनका कहना है कि बहुत - सी ऐसी चीजें जो अब वर्जित मानी जाती हैं वासुदेव के अवतरण के पहले अनुमत्य थीं ,
Last Update: 2020-05-24
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my topic is economic growth in china and india. and the question i want to explore with you is whether or not democracy has helped or has hindered economic growth. you may say this is not fair, because i'm selecting two countries to make a case against democracy.
मेरा विषय है भारत और चीन का अर्थिक विकास। और मैं आपके साथ इस प्रश्न का उत्तर ढूंढने क प्रयास करूँगा कि ये सही है या गलत कि प्रजातंत्र ने भारत का रोका या बढाया आर्थिक विकास के पथ पर। हो सकता है आप कहें कि ये ठीक नहीं, क्योंकि मैं सिर्फ़ दो देशों की कहानी से प्रजातंत्र के खिलाफ़ तर्क तैयार कर रहा हूँ। असल में, ठीक इसका विपरीत है जो मैं करने जा रहा हूँ। मैं इन दों देशों की तुलना के ज़रिये आर्थिक विकास में प्रजातंत्र के महत्व के पक्ष में अपने तर्क रखूँगा, न कि प्रजातंत्र के ख़िलाफ़। यहाँ पहला सवाल है कि आखिर चीन ने इतनी तेज तरक्की क्यों की भारत की तुलना में। पिछले तीस सालों में, जी.डी.पी. की बढत के दर के हिसाब से, चीन नें भारत से दुगुनी गति से तरक्की की है। पिछले पाँच सालों मे, कुछ कुछ दोनों देश करीब आये हैं आर्थिक विकास में। मगर पिछले तीस सालों में, ये सच है कि चीन ने भारत के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन किया है। एक सीधा सरल उत्तर है कि चीन के पास शंघाई है, और भारत के पास है मुंबई। शंघाई के क्षितिज पर एक नज़र डालिये। ये पुडोंग नाम का इलाका है। अब भारत की एक तस्वीर धारावी झुग्गी का इलाका, मुंबई में, भारत में। जो विचार इन तस्वीरों में छुपा है वो ये है कि चीनी सरकार कानून के बाहर भी अमल कर सकती है। वो योजना बना सकती है देश के दीर्घकालिक फ़ायदे के लिये और इस प्रक्रिया में, दसियों लाख लोगों का विस्थापन -- मात्र एक तकनीकी मसला है। जबकि भारत में, आप ऐसा नहीं कर सकते, क्योंकि आपको जनता की आवाज सुननी ही होगी। आप जनाग्रह से बँधे हैं। यहाँ तक कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी इस बात को मानते हैं। एक साक्षातकार में, जो कि फ़िनानशियल प्रेस ऑफ़ इंडिया में छपा था, उन्होंने कहा कि वो मुंबई को दूसरा शंघाई बनाना चाहते हैं। ये एक ऑक्सफ़ोर्ड-प्रशिक्षित अर्थशास्त्री है, जो कि मानवीय मूल्यों से ओत-प्रोत है, और फ़िर भी वो सहमत है शंघाई के दबंगई-आधारित तौर-तरीकों से। तो, इसे मैं नाम देता हूँ 'आर्थिक विकास का शंघाई मॉडल', जो कि इन बातों पर ज़ोर देता है आर्थिक बढत हासिल करने के लिये: आधारभूत संरचनायें (इन्फ़्रास्टर्कचर), हवाई-अड्डे, सडकें, पुल, और इस तरह की चीजें। और इसके लिये आपको एक ताकतवर सरकार की ज़रूरत है, क्योंकि इस तरीके में निजी संपत्ति के अधिकारों का महत्व नहीं है। आपको जनाग्रह, और लोगों के विचारों को कोई अहमियत नहीं दे सकते हैं। इसमें राष्ट्र की मिलकियत की आवश्यकता है, ख़ासतौर पर, भूमि-संपत्ति की मिलकियत, जिससे कि बडे निर्माण-कार्य कर सकें, और तेजी के साथ। उस मॉडल का नतीज़ा ये है कि प्रजातंत्र आर्थिक-विकास की रह का रोडा बन जाता है, उसके विकास का सहयोगी बनने के बजाय। यही मुख्य सवाल है। कि कितना ज़रूरी है इन आधारभूत संरचनाओं का सकल निर्माण आर्थिक विकास के लिये? यही मुख्य मुद्दा है। यदि आप मानते है कि ये निर्माण कार्य अत्यधिक महत्वपूर्ण है आर्थिक विकास के लिये, तो आप ताकतवर शासन को ज़रूरी मानेंगे विकास के लिये। यदि आप मान्ते हैं कि आधारभूत संरचनायें इतनी ज़रूरी नहीं हैं जितना लोग सोचते हैं, तो आप कम ज़ोर डालेंगे एक ताकतवर शासन के लिये। तो इस प्रश्न को दिखाने के लिये, मैं आपको दो देशों का उदाहरण देता हूँ। और सरलता के लिये, मैं पहले देश को कहूँगा देश नं० १ और दूसरे देश को देश नं० २। देश १ के पास देश दो के मुकाबले सुव्यवस्थित श्रेष्ठता है आधारभूत संरचनाओं में। देश १ के पास ज्यादा टेलीफ़ोन हैं, और देश १ के पास ज्यादा बडा रेल्वे सिस्टम है। तो यदि मैं आपसे पूँछूं,
Last Update: 2019-07-06
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given a graph g and a link l and two nodes u and v, is there a simple path from u to v consisting of l or more nodes? we're not looking for a short path, we're actually looking for a long and simple path, and we're going to imagine and i'm saying imagine because i actually don't know whether this is true or not, but we're going to imagine that there is an algorithm that solves this decision problem, yes or no correctly, and its running time is n to the k for some constant k like two.
v l या अधिक नोड्स के निर्वाचकगण को आप से एक सरल मार्ग है? हम के लिए एक छोटा रास्ता नहीं देख रहे हैं, हम वास्तव में एक लंबी और सरल मार्ग के लिए लग रही हो, और हम सोच भी जा रहे हैं और मैं कह रहा हूँ क्योंकि मैं वास्तव में नहीं पता की कल्पना कि क्या यह सच है या नहीं, लेकिन हम कि कल्पना करने के लिए जा रहे हैं वहाँ एक एल्गोरिथ्म है कि इस निर्णय की समस्या, हाँ या नहीं सही तरीके से हल, और n k दो की तरह कुछ निरंतर के लिए के लिए अपने समय चल रहा है।
Last Update: 2019-07-06
Usage Frequency: 4
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