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are you interested me
क्या आप मेरी रुचि रखते हैं
Last Update: 2021-05-11
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i am interested but not you are interested me
मुझे दिलचस्पी है लेकिन आपको मेरी दिलचस्पी नहीं है
Last Update: 2024-06-27
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you have to be taking care of me if your interested me
अगर आप मुझे रुचि रखते हैं
Last Update: 2024-05-01
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here below are a few topics that you may find useful .
नीचे कुछ विषय दिए जा रहे हैं जो आपके लिए उपयोग हो सकते हैं
Last Update: 2020-05-24
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the two subjects that interested both were the propagation of hinduism and hindi .
दोनों मित्रों के विचारों में समता थी ।
Last Update: 2020-05-24
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it is an online portal web service covering a wide range of topics that readers can post on .
यह एक आनलाइन पोर्टल वेब - सेवा है जो विस्तृत विषयों को आवृत्त करता है जिसे पाठक भर सकता है ।
Last Update: 2020-05-24
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daar ji wrote a lot about life and even touched those topics that had either not been touched before or were forbidden .
जो कुछ पहले वर्जित था और जिसके विषय में कभी भी लिखा नहीं गया था दार जी ने उन सभी दिशाओं की ओर दृष्टिपात किया और जीवन के विषय में बहुत कुछ लिखा ।
Last Update: 2020-05-24
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three and half years in prison gave him lot of time to read , write and think deeply about problems that interested him .
साढ़े तीन वर्ष के कारावास में उन्हें पढ़ने - लिखने और उन विषयों पर गंभीरतापूर्वक सोचने का काफी समय मिला , जिनमें उनकी गहरी रुचि थी ।
Last Update: 2020-05-24
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numerous topics that rose in prominence in indian literature like literature for oppressed or for women , somewhere finds its roots in the writings of premchand .
quot ; भारतीय साहित्य का बहुत सा विमर्श जो बाद में प्रमुखता से उभरा चाहे वह दलित साहित्य हो या नारी साहित्य उसकी जड़ें कहीं गहरे प्रेमचंद के साहित्य में दिखाई देती हैं ।
Last Update: 2020-05-24
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i have rambled on , skipping centuries and many important happenings , and then pitching my tent for quite a long time on some event which interested me .
मैंने यूं कुछ बातें लिखी है , सदियों की और बहुत - सी खास घटनाओं को छोड़ता गया हूं और जो बातें मुझे अच्छी लगीं , उन पर कुछ ज़्यादा तफसील से लिखा है .
Last Update: 2020-05-24
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numerous topics that rose in prominence in indian literature like literature for oppressed or for women , somewhere finds its roots in the writings of premchand . ”
भारतीय साहित्य का बहुत सा विमर्श जो बाद में प्रमुखता से उभरा चाहे वह दलित साहित्य हो या नारी साहित्य उसकी जड़ें कहीं गहरे प्रेमचंद के साहित्य में दिखाई देती हैं ।
Last Update: 2020-05-24
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the election of a president , his situations , his powers , his status in the constitution and parliamentary powers of the president are the topics that have been discussed in this section .
राष्ट्रपति का चुनाव उस पर महाभियोग की अवस्थाएँ उसकी शक्तियाँ संविधान के अन्तर्गत राष्ट्रपति की स्थिति राष्ट्रपति की संसदीय शक्ति तथा राष्ट्रपति की विवेकाधीन शक्तियों का वर्णन इस अध्याय में किया गया है ।
Last Update: 2020-05-24
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today i am gonna tell you about a serious topic that is child labour
आज मैं आपको अपना अनुभव बताने जा रहा हूँ
Last Update: 2024-01-17
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we look forward to dedicating a day to thinking and talking about a topic that never seems to lose relevance.
हम इस दिन की उत्सुकता से प्रतीक्षा कर रहे हैं जिसे एक ऐसे विषय पर सोचने और चर्चा करने के लिये समर्पित किया गया है जिसकी प्रासंगिकता कभी खत्म होती नहीं दिखाई देती।
Last Update: 2018-11-09
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on those rare moments i would greet him , try to talk to him on any topic that crossed my mind , despite his reticence .
ऐसे असाधारण क्षणों में , मैं उन्हें नमस्कार करता , अपने मन में उभरे किसी भी विषय पर , उनके मौन के बावजूद उनसे बात करने की कौशिश करता ।
Last Update: 2020-05-24
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the mistakes that have occurred due to doership when getting others to do the way one wills so, let's take [the topic] that this other person is not doing anything, or this one is doing something
कर्तापना के आधार पर धार्यु करवाने से किए गए दोष हम ऐसा लेंगे कि सामनेवाला कुछ कर नहीं रहा है या यह कुछ कर रहा है और यह गलत कर रहा है यह सही कर रहा है और यह नहीं कर रहा है तरह-तरह से अगर हम किसी को कर्ता देखते हों तो प्रतिक्रमण करो और उसने ऐसा क्यों किया? तो बुद्धि व्यवस्थित के ताबे में रहकर निर्णय करवाती है वहाँ भी व्यवस्थित है इसलिए क्यों किया? हमारी बुद्धि के इस प्रश्न का कोई स्थान (मतलब) नहीं है व्यवस्थित कर्ता है तो क्या उसे बंद करना है? नहीं समाधान लाओ किसी को दोषित नहीं देखना है ज्ञान में रहकर समाधानपूर्वक हल लाना है लेकिन हमें उन्हें दोषित नहीं देखना है यानी कर्ता संबंधी देखेंगे एनैलिसिस करके अगर सेट हो रहा हो तो हम ऐसी सामायिक करेंगे और फिर अगर कोई कहे कि मुझ से नहीं होगी कठीन लग रही है तो हमने धार्यु (मनमानी) करके किसी को दुःख दिया हो उस पर लेंगे अगर हमने कहा हो कि, "ऐसा करो" और सामनेवाला न करे तो हमें अकुलाहट होती है या फिर उसके साथ झगड़ा करके, क्रोध से धार्यु करवाते हैं या फिर कपट करके धार्यु करवाते हैं अथवा दूसरों से कहते हैं कि, "इससे कहो कि ऐसा करे" धार्यु करने के लिए ऐसा कुछ किया हो तो उस पर सामायिक करेंगे और कुछ लोगों को अगर सूक्ष्म में देखना हो तो यह व्यवस्थित कर्ता है और यह बुद्धि भी व्यवस्थित के ताबे में है ये संयोग भी व्यवस्थित के ताबे में हैं यानी किसी से ऐसा कहना कि, "तू क्यों ऐसा नहीं कर रहा है" यह वाक्य ही गलत है सूक्ष्म लेवल पर इस तरह हम सामायिक में लेना चाहते हैं और यह सूक्ष्म लेवल कब आएगा? जब ये सब स्थूल छूट जाएगा तब धार्यु करने की जिसकी इच्छा ही नहीं है फिर भी ऐसे शब्द बोल दिए तब जागृति रहेगी वर्ना जागृति रहती ही नहीं धार्यु करना यानी जागृति बंद हो जाती है कषाय हो जाते हैं और धार्यु करने के लिए उधम मचाते हैं ऐसा जब कषाय बहुत बढ़ जाते हैं तब होता है इसलिए यह सूक्ष्म लेवल तो नहीं आएगा फिर भी हम जानते हैं कि यहाँ दो ग्रुप हैं कि जिन्हें सूक्ष्म लेवल पर करना हो वे भी कर सकते हैं और जिन्हें स्थूल लेवल पर करना हो तो स्थूल में क्योंकि काफी लोग कई सालों से साधना कर रहे हैं और उनका अगर बाहरी हिस्से में धार्यु करना छूट गया हो तो उसे सूक्ष्म लेवल पर आगे बढ़ना हो तो ऐसा एक प्रयोग आज सामायिक में करके देखो कि जहाँ-जहाँ हमने घर की व्यक्तियों के साथ या सेवा के कार्यों में जहाँ-जहाँ हमने सामनेवाले से कहा हो कि, "तू ऐसा क्यों नहीं कर रहा है?" वहाँ हमें अकुलाहट हो जाती है नहीँ करे तो मुँह बिगड़ जाता है उसका हमारा भी मुँह बिगड़ जाता है उस दोष को ज्ञान से उखाड़ो कि शुद्धात्मा अलग है हम समझदारी से काम लेंगे वर्तन व्यवस्थित के ताबे में है फिर भी ऐसा बोल दिया, उस दोष के लिए माफी चाहता हूँ कल के जैसी ही (सामायिक) फिर से होगी बावा अलग, मंगलदास अलग और शुद्धात्मा अलग और धार्यु करने से अगर किसी को दुःख दे दिया हो फिर क्रोध करके किसी को दुःख दिया हो चिढ़ गए हों और बदमिज़ाजी दिखाकर दुःख दिया हो रूठ गए हों आड़ाई (अहंकार का टेढ़ापन) करके कुछ धार्यु किया हो या फिर कुछ चालाकी करके शोरगुल मचाकर धार्यु कर लिया हो ये सारे धार्यु करने के ही हिस्से हैं दूसरों को दुःख देकर करते हैं वहाँ से इसकी शुरुआत होती है ये थोड़ा वर्तन का हिस्सा है और फिर थोड़ा वाणी में आता है कि जहाँ हम कहते हैं कि, "अरे, ऐसा क्यों नहीं कर रहा है?" तो हम वाणी पर भी लेंगे वर्तन और वाणी दो प्रकार की बातें अभी हम कर रहे हैं इस तरह से हम कर्तापना की निश्चय से कर्तापना टूट गया है लेकिन व्यवहार में कर्तापने से बोल देते हैं अजागृतिपूर्वक बोल देने से दूसरों के कारण हमें भी भोगवटा (सुख या दुःख का असर, भुगतना) आता है दूसरों को भी भोगवटा आता है हमारे अहंकार से उनका अहंकार आहत होता है और हमें भी भोगवटा आता है कि मैं जो कह रहा हूँ उसे ये लोग समझते क्यों नहीं है? उस कर्तापने की गाँठ पर हम थोड़ा फोकस करेंगे धार्यु करने पर फोकस करेंगे ताकि स्थूल धार्यु करने पर से सूक्ष्म धार्यु करने का अथवा शब्दों से लोगों के साथ कर्तापने की बातें करना वहाँ तक का एक लेवल हम पहचानेंगे और धीरे-धीरे उन पर प्रतिक्रमण करेंगे कि इस दोष से किसी को दुःख हो गया दादाजी कहते हैं न कि, हम अगर किसी से कह दें कि, "तू ऐसा क्यों नहीं कर रहा है," तो उसे दुःख हो जाएगा क्योंकि वह नहीं कर पाएगा अगर उसके उदयकर्म करवाएँ तो ही कर सकेगा और वह उदयकर्म व्यवस्थित के ताबे में है और उसके अहंकार को ऐसा लगता है कि उन्होंने कहा और मैं कर नहीं पा रहा हूँ इसीलिए उसे दुःख हो जाता है यानी हमारे निमित्त से उसे दुःख हो गया उसे पर यह प्रतिक्रमण करना है कि हमने उस पर करने के लिए दबाव डाला और वह नहीं कर पाया व्यवस्थित के अधीन है फिर भी उसे दुःख हो गया उसका हमें प्रतिक्रमण करना पड़ेगा यानी ये सूक्ष्म लेवल के प्रतिक्रमण की बातें हैं ये सभी की समझ में आ रहा है? मैं मानता हूँ कि समझ में आ रहा है तो आज हम इस तरह (सामायिक) करेंगे और यह वाणी का सूक्ष्म लेवल क्योंकि धार्यु करना स्थूल लेवल तक है ये धार्यु करना मजबूरी से है और दूसरा धार्यु करने में बहुत आनंद आता है किसी को कुचल देना किसी को तंग करना, किसी को दुःख देना ये ज़रूरत से ज़्यादा बड़ा स्वरूप है धार्यु करने का और यह छोटे स्वरूप में है, लेकिन है ज़रूर उससे आगे किसी से कहते समय जागृति ही रहती है कि आपकी समझ में आ रहा है, हम ऐसा करना चाहते हैं आपकी समझ में आया यानी टीम वर्क जैसा खुद होल एन्ड सोल डूअर नहीं बन जाता होल एन्ड सोल मालिक नहीं बन जाता किसी पर दबाव नहीं डालता सभी को क्या पसंद है? अच्छा मेरा यह व्यू पोइन्ट है, आपको क्या लग रहा है? ऐसे करके सॉल्व करता है यानी किसी के लिए ऐसा नहीं रहा कि तू इतना कर ले, इतना तुझे करना ही पड़ेगा ऐसा दबाव डालने की ज़रूरत ही नहीं रही यानी बिना कर्ताभाव से किया कहलाएगा अथवा समझदारी से काम लिया कहलाएगा और इस तीसरे लेवल तक हमें पहुँचना है समझदारी से काम लो, समझाओ, समझाओ एकबार कहने से उसने ऐसा वर्तन नहीं किया तो हमें समझ लेना चाहिए कि उसमें रजिस्टर नहीं हुआ है दूसरी बार समझाओ जैसे-जैसे रजिस्टर होता जाएगा वैसे-वैसे उसका निश्चय होगा उस ज्ञान पर विश्वास बैठेगा फिर वर्तन में आएगा तब तक हमें धीरज रखकर तप करना पड़ेगा लेकिन धार्यु नहीं करना है और यह सब के लिए हितकारी है इसीलिए ऐसा करवाना चाहता था इसीलिए हम सभी को यह समझा रहे हैं फिर इसमें भी हमें यह जाँच करनी ही पड़ेगी कि इसमें भी हमारा धार्यु करने का अहंकार तो नहीं है न धार्यु करने के लिए बुद्धि कोई चाल तो नहीं चल रही है न ऐसा करके यह धार्यु करना शब्दों से, वाणी से, वर्तन से, रूठकर, चिढ़कर, त्रागा (अपनी मनमानी) करके या आड़ाई (अहंकार का टेढ़ापन) करके ये सब उसमें ही आता है यह स्थूल स्वरूप से है और वह सूक्ष्म स्वरूप से है अंदर भोगवटा आए तो समझ ही लेना है कि हम यह काम अहंकार से कर रहे हैं और करवा रहे हैं यानी हम इस पर करेंगे यह धार्यु करने की सामायिक ही मानी जाएगी और स्थूल से सूक्ष्म तक की अच्छी लिंक हमें मिली है एकाध प्रसंग को लेकर थोड़ा एनैलिसिस करेंगे और उस पर प्रतिक्रमण करेंगे अगर हमें एक प्रसंग को सॉल्व करना आ गया न तो फिर धीरे-धीरे रिपीट कर सकते हैं और आपको दूसरे प्रसंग याद आएँ तो लिखकर रखने हैं एक प्रसंग, दूसरा प्रसंग, तीसरा, भले ही दस, बारह, पंद्रह प्रसंग लिख लिए हों लेकिन इसी तरह से आज सामायिक में एक प्रसंग को सॉल्व करेंगे और जितना विज़न आप सेट कर सको उतना करना यह एक बहुत अच्छा प्रयोग है, ज़रूरी है क्योंकि हमारी व्यवस्थित की आज्ञा व्यवस्थित की आज्ञा भूल जाने से अंदर भोगवटा आता है अगर एक्ज़ेक्ट व्यवस्थित की आज्ञा का पालन करेंगे बुद्धि व्यवस्थित के ताबे में है जो भी हो रहा है व्यवस्थित के ताबे में है सामनेवाले के साथ समझदारी से काम लेना है वह नहीं कर पा रहा है तो व्यवस्थित हमारा व्यवस्थित का ज्ञान एक्ज़ेक्ट होगा तो हमें कहीं भोगवटा नहीं आएगा और एक्ज़ेक्ट नहीं रहता इसलिए यह एनैलिसिस करने को कहा कि कर्तापना में कैसे अहंकार आ जाता है बुद्धि आ जाती है और सामनेवाले को दोषित देखते हैं व्यवस्थित की आज्ञा पालन करना चूक जाते हैं ये अच्छी बातें निकली हैं तो हम उन पर फोकस करेंगे और आप किताब खोलकर पढ़ सकते हैं वही दो-तीन पृष्ठ जो अभी पढ़े हैं दादाजी कहते हैं कि, वह कर रहा है और मैंने कहा, ये दोनो पूर्व की योजना थी अब रूपक में आई और बुद्धि ऐसा एडजस्ट करती है कि मैंने कहा इसीलिए वह कर रहा है और मेरा कहा ये लोग मान नहीं रहे हैं यह हमारी आज की बुद्धि ऐसा एडजस्ट करके दोषित देखती है ये दोनों पैरग्राफ पढ़ सकते हैं स्टडी करके इस सामायिक में हम उपयोगपूर्वक सेट करेंगे इसके पीछे एक बहुत अच्छी नई समझ मिलेगी चलो तो हम विधि करेंगे हे दादा भगवान हे श्री सीमंधर स्वामी प्रभु मुझे शुद्ध उपयोगपूर्वक व्यवहार में मिली हुई व्यक्तियों के प्रति
Last Update: 2019-07-06
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