Results for ve पुस्तक अच्छी nahi है translation from Hindi to English

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ve पुस्तक अच्छी nahi है

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Hindi

पुस्तक अच्छी है

English

the book is good

Last Update: 2020-07-20
Usage Frequency: 1
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Reference: Anonymous

Hindi

मेरी पुस्तक अच्छी है

English

my book is good

Last Update: 2023-01-03
Usage Frequency: 1
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Reference: Anonymous

Hindi

यह पुस्तक अच्छी है।

English

this is good book

Last Update: 2021-11-24
Usage Frequency: 1
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Reference: Anonymous

Hindi

पुस्तक अच्छी थी

English

the book was good

Last Update: 2024-01-10
Usage Frequency: 1
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Reference: Anonymous

Hindi

kya पुस्तक अच्छी थी

English

kya the book was good

Last Update: 2023-01-14
Usage Frequency: 1
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Reference: Anonymous

Hindi

यह पुस्तक अच्छी है_______ khareed lo

English

this book is good_______ khareed lo

Last Update: 2021-11-10
Usage Frequency: 1
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Reference: Anonymous

Hindi

यह पुस्तक अच्छी है यह पुस्तक अच्छी है

English

dogs are loyal

Last Update: 2019-10-24
Usage Frequency: 1
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Reference: Anonymous

Hindi

पुस्तकें अच्छी है

English

मां व्यस्त है

Last Update: 2022-01-04
Usage Frequency: 3
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Reference: Anonymous

Hindi

यह कलम nahi है

English

this pen is nahi

Last Update: 2022-06-22
Usage Frequency: 1
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Reference: Anonymous

Hindi

शेर जंगल में nahi है

English

the lion is nahi in the woods

Last Update: 2023-11-20
Usage Frequency: 2
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Reference: Anonymous

Hindi

मेरे पास बैग nahi है ।

English

i have a backpack.

Last Update: 2022-12-18
Usage Frequency: 1
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Reference: Anonymous

Hindi

kya tumhare पास कलम nahi है

English

kya tumhare is near pen nahi

Last Update: 2020-09-30
Usage Frequency: 1
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Reference: Anonymous

Hindi

hamare पास किताब nahi है

English

hamare pass book nahi hai.

Last Update: 2022-02-08
Usage Frequency: 1
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Reference: Anonymous

Hindi

वह लड़का nahi है meaning english

English

he is not a boy

Last Update: 2021-10-02
Usage Frequency: 1
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Reference: Anonymous

Hindi

mujhe phone pe baat karna pasand nahi है

English

mujhe phone pe baat karna pasand nahi hai

Last Update: 2020-10-08
Usage Frequency: 1
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Reference: Anonymous

Hindi

सेवा में कर्तापना के आधार पर किए हुए दोष (पारायण - 2010) तो आज हम इसे ही लेंगे सेवा में कर्तापना, कषाय यह धार्यु (मनमानी) करना जगत् कल्याण में भी दादा ने मुझे कई बार कहा कि जब कुदरत तुझे उठाकर उस जगह पर लाए तब बैठना आपको बैठने का प्रयत्न नहीं करना है क्योंकि अभी तो दोष उपशम (शांत) हो गए हैं कषाय, क्रोध-मान-माया जब तक विषय के विचार आते हैं तब तक सब उपशम माल है अंदर कषाय हैं क्रोध-मान-माया-लोभ अहंकार, बुद्धि और उसमें यदि थोड़ा भी कर्तापना से अच्छा काम करने गए उपदेशक बनने गए तो वह अहंकार गिरा देगा समकित को भी गँवा देगा इसलिए हम इस प्रकार से बढ़ना चाहते हैं कि कषायों आप तो निमित्त हैं और सबसे उच्च समझ तो यह रखने जैसी है कि देखो न भूज में हमने कितना आयोजन किया था हमारी धारणा थी की भाई तीन, चार हज़ार पाँच-छः हज़ार और ज़्यादा नहीं आएँगे लेकिन अपना चलण (वर्चस्व, सत्ता, खुद के अनुसार सब को चलाना) चल सकता है? अपना संचालन चल रहा है या देव-देवियों का संचालन चल रहा है? आप सभी महात्माओं को ऐसा अनुभव हो ही रहा है कि अपना धार्यु हो ही नहीं सकता इसलिए देव-देवियाँ ज़बरदस्त यह सीमंधर स्वामी का मिशन हैं और उसमें देव-देवियाँ ज़बरदस्त मदद कर रहे हैं और करवा रहे हैं अपने जैसे निमित्तों द्वारा तो फिर हमें ऐसे निमित्त बनकर ही काम करना है कर्ताभाव में नहीं आ जाना है यदि यह समझ रखेंगे कि इतने महान देव-देवियाँ मनुष्य की दादा खुद ही कहते हैं कि मनुष्यपना से मनुष्य से अधिक काम नहीं हो सकता देव की सत्ता की सहायता के बगैर काम नहीं हो सकता जगत् कल्याण का इतना बड़ा तो फिर इतनी बड़ी दादा की जो भावना सीमंधर स्वामी भगवान का मिशन और देव-देवियाँ भी इससे सहमत हैं सहकार दे रहे हैं और उनकी सिद्धि से ज़बरदस्त कल्पना भी नहीं कर सकते अनंत, अनेक गुना काम चल रहा है तो फिर हम क्यों अजागृति से कषायों में पड़ जाएँ क्यों न जागृति में रहें कि हमें पकड़ें पकड़नी नहीं हैं इन आग्रहों को पकड़ना नहीं है ऐसे कर्तापना में नहीं पड़ना है कर्तापना समझ-समझकर ही छूट सकता है हाँ सहजा-सहज हम बातें करेंगे कि इसका आयोजन कैसे करें? तो कहेंगे ऐसे इस ग्रुप को बुला लेते हैं इस ग्रुप को ऐसे बुला लेते हैं ऐसी धारणा है ऐसे साधारण तौर पर डिज़ाइन बनानी है और अब तो धीरे-धीरे सभी को यह भी अनुभव में आता है कि डिज़ाइन तो साधारण बनाते हैं लेकिन बाद में उस डिज़ाइन से अलग ही कुछ हो जाता है हर बार ऐसा अनुभव होता है यदि हमने हज़ार की धारणा की हो तो कम से कम दो-ढ़ाई हज़ार ज़्यादा आते हैं पाँच हज़ार सोचे हों तो सात-आठ हज़ार आ जाते हैं और यदि आठ हज़ार से ज़्यादा हो जाएँगे तो सोलह हज़ार हो जाएँगे यानी जो सोचा हो उससे कुछ नया ही हो जाता है इसलिए देव-देवियाँ क्या करवा रहे हैं? हमें यही देखना है कि दादा, नीरू माँ, देव-देवियाँ सभी महात्माओं के निमित्त से आपको जगत् कल्याण में खींच रहे हैं और जगत् कल्याण का काम करवा रहे हैं यदि आप कर्ताभाव के बगैर करेंगे तो और ज़्यादा बढ़ेगा और सहजा-सहज ये कितनी तरह-तरह की सभी टीम घूमती रहती हैं चलो वीसीडी दिखाते हैं थीम पार्क दिखाते हैं या वीसीडी बनाते हैं या फिर प्रॉजेक्ट में चलो प्रॉजेक्टर से दिखाओ, सभी ग्रुप को कुछ दिखाते हैं गाँव-गाँव जाते हैं धीरे-धीरे, अच्छी सभी की भावना है कि लोगों को कुछ अच्छा प्राप्त हो सके लेकिन उसके लिए आग्रह में नहीं पड़ना है कई बार क्या होता है कि उसको पता भी नहीं है और सामनेवाला दर्शन करने आया है ऊपर भगवान के दर्शन करने आया होता है नीचे ज्ञान-विधि होनेवाली होती हो जाओ नाम लिखवा लो नीचे बैठ जाओ वह कहेगा पता नहीं, बहुत कह रहा है बैठ जाते हैं बैठ तो जाता है लेकिन उसे साढ़े-पाँच बजे कहीं पहुँचना होता है और हमारी ज्ञानविधि साढ़े-चार बजे शुरू होती है फिर सवा, पोने पाँच सवा पाँच बज जाते हैं फिर वह भाई देखता है कि सवा पाँच बज गए उसकी आँखे तो बंद है धीरे से जाने लगता है अब उसको पता ही नहीं है कि ज्ञानविधि यानी क्या है? लेकिन आपको भी आनंद आ जाता है अरे! नीचे ज्ञानविधि चल रही है ले ले न, तेरा जन्म सुधर जाएगा वह कहेगा, मुझे घर जाकर वाइफ-बच्चों को लेकर घूमने जाना है मैं तो दर्शन करने आया था और आपसे जल्दबाज़ी हो जाती है उसे इन्फॉर्म करना है कि, भाई, ज्ञानविधि है ज्ञानविधि क्या है? जब पता ही नहीं है तो फिर क्यों दबाव डालते हो? आपको दो-तीन घंटे का समय निकाल सकेगें? वह कहे, नहीं आज मुझे घूमने जाना है अच्छा, हर्ज नहीं है दूसरी बार आ जाना कहकर छोड़ दो लेकिन आप कर्ता बन जाते हो कल्याण के कर्ता बन जाते हो दबाव डाल देते हो और दस में से कोई दो लोग पर असर हो भी जाता है ऐसा भी नहीं होता कि गलत है लेकिन आप सहज रहो न और मैंने देखा कि भूज की ज्ञानविधि के बाद जब यहाँ दूसरी बार ज्ञानविधि हुई तो भूज, अंजार और मांडवी से कितने लोग आए थे क्योंकि जिसे ऐसा लगे न कि मैं नहीं ले पाया उसने दोबारा छोड़ नहीं दी है उसे प्राप्त हो ही जाती है वह (ज्ञान) लेने आ ही जाता है उसे संयोग भी मिल जाते हैं तो फिर जो बच गए हैं उन पर यों ही दबाव डालने की कोई ज़रूरत ही नहीं है और उसे इसकी महत्वता समझ में आ जाएगी तो कभी भी प्राप्त कर ही लेगा तो सत्संग के लिए आपसे यह जो आग्रह हो जाता है या ज्ञान के लिए हो जाता है कि ऐसी (ज्ञानविधि) में आओ यह जो दबाव डाल देते हो उन सब में धीरे-धीरे नॉर्मालिटी रखने जैसा है हाँ, पॉज़िटिव समझाकर उससे पॉज़िटिव हस्ताक्षर करवाकर और छोड़ दो पॉज़िटिव हस्ताक्षर यानी क्या आने जैसा है हं दूसरी बार प्रोग्रैम में अवश्य आना ज़रूर, ज़रूर आएँगे टी.वी. पर भी आता है थोड़ा देखना हं कहेंगे, ज़रूर देखेंगे आपको पुस्तक अच्छी लगी इसमें बहुत प्रकार की हैं ले लेना हं, लेने जैसी है हाँ, हाँ ले लेंगे बस, पॉज़िटिव करवाकर छोड़ दो क्यों नहीं ले रहे हो? अरे! भाई नहीं लेनी है तब कहे, ले लो न तो कहेगा, नहीं लेनी वह कहेगा, अरे मुझे छोड़ो न अरे! इस तरह दबाव नहीं डालना चाहिए कि वह गलत हस्ताक्षर करके चला जाए आप गलत हस्ताक्षर ले लेते हो आपको सरलता से, सहजता से बात करनी है और सहजा-सहज होने देना है यानी ऐसे सब सेवा के कार्य में आपसे कषाय हो गए हों कर्तापना से कार्य के आग्रह हो गए हों उसे सामायिक में देखेंगे आज खास तौर पर इसे करेंगे यदि कोई कहे कि हमने ऐसा किया ही नहीं है तो आपने अन्य मामलों में किया होगा कामवालों के साथ नौकर के साथ कषाय किए होंगे क्योंकि अन्डर हैन्ड पर आप दबाव डाल देते हो कि हम ऊपरी हैं ऐसा अहंकार आ जाता है यदि हम करेगें तो ही वे लोग करेंगे कहेगें तो ही वे लोग करेगें ऐसा आग्रह हो जाता है तो उन सभी को भी देखना सेवा करनेवाला इस प्रकार निम्न मानकर फिर इस तरह सेवा करो आप लाइन में आ जाओ आप समझते क्यों नहीं? यह लाइन किसलिए बनाई गई है? पता नहीं चलता कि इस तरफ से आना है अरे भाई, सब पता चलता है मुझे जल्दी है, जाना है तब कहेंगे, सब को जल्दी होती है ऐसे कषाय नहीं करने हैं आपको जल्दी है, अच्छा कुछ सेटिंग कर देते हैं हं उस तरफ से आ जाइए दर्शन करके चले जाइए पाँच-दस लोगों को आप पाँच-दस प्रतिशत छूट देनी ही चाहिए और एडजस्टमेन्ट कर दो और अपने सभी कार्यकर्ता होते ही हैं कोई कहे कि हमें जल्दी है तो हाँ, आपके लिए सेटिंग कर देते हैं एक मिनट ज़रा आपको विनयपूर्वक ही रहना है विनय में से अविनय की ओर जाना ही नहीं है कि यह कौन सब से उच्च वाक्य तो इतना ही है कि कल कहा न कि इस समुह में जो आ गया न तो कितने करोड़ों जन्मों की उसकी पुण्य जगी होगी तब वह इस समुह में आया और यह उसे ज्ञानी हैं, ऐसा भान होना पहचान होनी, ज्ञान प्राप्त करने का भाव होना वह करोड़ों गुना करोड़ों जन्मों की पुण्याई का फल होगा और इस समुह में यदि आ गया तो एक-दो-चार जन्मों में मोक्ष में जानेवाला है तो फिर ऐसा विनय कितना यह एक आसनभवी कहलाता है उसके प्रति हमें कितना विनय में रहना चाहिए ऐसे कषाय नहीं करने चाहिए किसी भी प्रकार से किसी भी बात में कषाय नहीं नाटक की तरह लाइन में आइए इस तरफ से आइए ऐसी सेटिंग करीए देखो कितनी अच्छी तरह से लाइन में आने से सब लोगों को आसानी से दर्शन का लाभ मिलता है हम इस तरह सेटिंग करेंगे, चलेगा न? ऐसा कहकर, ब्रेक लगानी है लेकिन जो बीच में आ गए उन्हें छोड़ देना है यानी इसमें ऐसे भी केस होते हैं ऐसा नहीं होता हं कहेंगे, सब लोग बिगड़ गए हैं ऐसा नहीं है ये तो पाँच सौ में से एक-दो लोग ऐसे बिगाड़ देते हैं आग्रह से कषाय हो जाते हैं वर्ना सब अच्छा ही चल रहा है इतना अच्छा चल रहा है और इतनी सिन्सियरली सेवा दे रहे हैं बारह-बारह घंटो तक लगातार खड़े रहते हैं कई लोगों को तो अच्छे-अच्छे लोगों को टॉइलेट-बाथरूम साफ करने की सेवा और हर एक घंटे में जाकर टॉइलेट-बाथरूम साफ करते हैं, बोलो और उन्हें इतना आनंद आता है कि मुझे दादा की सेवा मिली कई वहीं पर खड़े रहते हैं कितना अच्छा (काम) करते हैं रात में, सारी रात कई लोग खड़े रहते हैं दिन में बारह घंटे की रात-दिन की रात-रात भर खड़े होते हैं बारह घंटे वहाँ की और बारह घंटे सिक्युरिटी की सेवा यानी बहुत कुछ अच्छी तरह से बहुत कुछ चल रहा है लेकिन इसमें क्या है कि बहुत कम ऐसा यदि हो जाता हो किसी को दुःख हो जाए ऐसा हो जाता हो तो उस दोष को आप ढूँढ निकालो और दोषों का प्रतिक्रमण कर लेंगे सब को अपना तो पता होता लगता है न फाइल नं.1 कैसे अशांत हो गई? कहाँ-कहाँ अकुलाहट हो गई? फिर आप उस पर प्रतिक्रमण-प्रत्याख्यान कर लो और साथ-साथ दूसरा उपाय

English

mistakes made due to doership while giving seva so we will take this subject today - doership while giving seva (service) - kshaya to always do the way one wills or wants even in jagat kalyan

Last Update: 2019-07-06
Usage Frequency: 4
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