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फ़ोटोग्राफ़र

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写真家

Last Update: 2009-07-01
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(प्रसंशा) एक और चीज जो धर्म जानते है कि हमारे अन्दर सिर्फ़ एक मन ही नही एक शरीर भी हैं और जब वो कोइ पाठ पढायेंगे तो वो शरीर से ही होके जायेगा. जैसे कि उदाहरण के लिये यहूदी लोगों का क्षमादान. यहूदी क्षमा करने मे और नयी शुरुआत करने मे बहुत विश्वास करते हैं. और इसका केवल उपदेश नही देते. वो केवल किताबो या बातो मे ये करने को नही कहते. वो हमे स्नान करने को कहते है. एक कट्टर यहूदी समाज मे आप हर शुक्रवार एक मिक्वे मे जाते हैं. आप पानी मे डुबकी लगाते है और ये भौतिक कर्म एक दार्शनिक विचार को बल देता है. लेकिन हम ऐसा नही करते. हमारे विचार एक जगह पे है और हमारा व्यवहार हमारे शरीर के साथ कहीं और है. धर्म इन दोनो को बडे अद्भुत तरीके से मिलाने की कोशिश करते हैं. आईये अब कला के बारे मे बात करते हैं कला को इस लौकिक दुनिया मे हम बहुत श्रेष्ठ मानते हैं. हमारे खयाल से कला वाकई बहुत ही महत्वपूर्ण हैं. हमारा बहुत सारा अतिरिक्त धन संग्रहालयों को दिया जाता है. हमें कई बार तो ये सुनने को भी मिलता है कि सन्ग्रहालय हमारे नये चर्च हैं. आपने कई बार ये सुना होगा. मेरे हिसाब से वहां कोई बात तो है, लेकिन हमने खुद को पुरी तरह निराश किया है. और निराशा की वजह ये है कि हमने इस बात को ठीक से जाना ही नही है कि धर्म कला को कैसे चलाते हैं. दो बहुत बडी गलतफ़हमियां दुनिया मे प्रचलित हैं जो कला से शक्ति पाने की हमारी क्षमता को रोक रही हैं: एक तो ये कि कला सिर्फ़ कला मात्र के लिये ही होनी चहिये -- जो कि एकदम बेहूदा खयाल है -- और ये कि कला को तो सन्यासियों की दुनिया मे रहना चाहिये और इस दुखी सन्सार के लिये कुछ नही करना चाहिये. मैं ये बिल्कुल नही मानता. एक और बात ये है कि हम मानते हैं कि कला को खुद को व्यक्त नही करना चाहिये, कि कलाकार को अपनी कला के बारे मे कुछ नही कहना चाहिए, क्योंकि अगर उन्होंने बता दिया तो उसका सारा रहस्य खुल जायेगा और हमे वो बहुत आसान लगने लगेगा. इसीलिये जब भी हम सन्ग्रहालय मे होते है तो हमे ऐसा लगता है -- आज मान ही लेते हैं -- कि " मुझे कुछ समझ मे नही आता कि ये सब क्या है" लेकिन कोइ गम्भीर व्यक्ति ये स्वीकार नही करता है. लेकिन ये भावना समकालीन कला का संरचनात्मक हिस्सा बन गयी है. धर्मों का कला के प्रति काफ़ी साफ़ नज़रिया है. उन्हें ये बताने मे कोइ परेशानी नही है कि कला किस बारे मे है. कला के सभी मुख्य मतो मे दो उद्देश्य हैं. पहला,ये आपको याद दिलाने की कोशिश करती है कि दुनिया मे कुछ प्यार करने के लिये भी है. और दूसरा, हमे ये बताने के लिये कि हमे किससे डरना चाहिये और बचना चाहिये. और यही कला का उद्देश्य है. कला हमारी आस्था के विचारो का शारीरिक रूप है. तो जब आप किसी चर्च , मस्जिद या गिरिजाघर के पास से गुजरते हैं, तो आप क्या सीखते हैं, आप वही सीखते हैं जो आप अपनी आंखों से देखते हैं, महसूस करते है, वो सच जो अन्यथा आपके पास दिमाग के रास्ते से आता है, शरीर के नहीं. ये वस्तुत: एक तरह का प्रचार है. रेम्ब्रान्ट ईसाईयों की नज़र मे एक प्रचारक है. प्रचार शब्द सुनते ही हम सतर्क हो जाते हैं. हम हिटलर और स्टालिन के बारे मे सोचते हैं. पर ये जरूरी नही है. प्रचार किसी चीज के बारे मे ज्ञान देने का तरीका है. और अगर वो चीज अच्छी है तो इसमे कुछ गलत नही है. मेरे हिसाब से संग्रहालयों को धर्म से इस बारे मे सीखना चाहिये. और इस बात का ध्यान रख्नना चाहिये कि जब भी आप संग्रहालय मे जायें -- अगर मै वहां का अध्यक्ष होता, तो मै प्रेम के लिये एक अलग कक्ष बनाता और एक उदारता के लिये. सभी कलाकृतियां हमे कुछ सिखाती हैं. यदि हम अपने आस पास की दुनिया को इस तरह से व्यवस्थित कर सकें जहां हमे कई कलाकृतियां देखने मिलें और हमे ये सिखाया जाये कि हम अपने विचारों को और प्रगाढ करने मे इन कलाकृतियों का प्रयोग करें, तो हम कला से बहुत कुछ पा सकते हैं. कला पहले की तरह ही अपना काम खुद कर लेगी, पर हमने अपनी गलतफ़हमियों के कारण इस बात की उपेक्षा की है. कला समाज मे सुधार लाने का एक साधन है. कला निर्देशात्मक होनी चाहिये चलिये किसी और चीज के बारे मे सोचते है. इस आधुनिक लौकिक संसार मे, जो लोग आत्मा, मन और ऐसे उच्च आत्मीय विषयों मे रुचि लेते है, अक्सर वो अकेले ही होते है. जैसे कि कवि, दार्शनिक, फ़ोटोग्राफ़र और फ़िल्मकार. और वो अक्सर स्वावलम्बी होते है. वो हमारे लघु उद्योगो की तरह अकेले और असुरक्षित है. और वे खुद ही दुखी और उदास होते रहते है और वो ज्यादा बदलते भी नही है. अब आप धर्म के बारे मे सोचिये, संगठित धर्म के बारे मे. धार्मिक संगठन क्या करते है? वो समूह बनाकर संस्थान बनाते हैं. और इसके बहुत सारे फ़ायदे हैं सर्वप्रथम विशालता और शक्ति. वालस्ट्रीट के अनुसार केथोलिक चर्च ने गत वर्ष 97 बिलियन डालर एकत्रित किये. ये विशालकाय तन्त्र है. वे सहयोगिक हैं, ब्रान्डेड हैं और बहुराष्ट्रीय हैं. और वो बहुत ही अनुशासित हैं. ये सब बहुत अच्छे गुण हैं. हम उन्हें एक निगम की तरह मानते हैं. और निगम बहुत कुछ धर्मों की तरह ही है, बस इतना फ़र्क है कि वो आवश्यकता के पिरामिड मे सबसे नीचे हैं वे हमें जूते और कार बेच रहे है. जबकि जो लोग हमे उच्च श्रेणी की चीजें बेच रहे हैं -- जैसे कि योगाचार्य या कवि -- बस खुद पर ही चल रहे है और उनके पास कोइ शक्ति नही है, उनके पास कोइ बल नही है. तो धर्म ऐसी संस्था का सबसे बडा उदाहरण है जो मन मे चलने वाली चीजों के लिये लड़ रही है. अब हो सकता है हम वो ना माने जो धर्म हमें सिखाने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन हम उनके इस संस्थागत तरीके की सराहना तो कर ही सकते हैं. केवल किताबों से, एकाकी व्यक्तियों द्वारा लिखी गयी किताबों से कुछ नही बदलने वाला. हम सबको एक साथ इकट्ठा होने की जरुरत है. अगर आप दुनिया को बदलना चाहते हैन तो आपको एक साथ मिल कर संगठित होना पडेगा. और यही काम धर्म करते है. जैसा कि मैने कहा, वे बहुराष्ट्रीय हैं ब्रान्डेड हैं और उनकी एक साफ़ पहचान है. इसलिये वो इस व्यस्त दुनिया मे खो नही जाते. और ये चीज हम उनसे सीख सकते हैं. मैं अब निष्कर्ष पर आता हूं. वस्तुत: मैं जो कहना चाहता हूं, वो आप मे से जो लोग विभिन्न क्षेत्रो मे काम कर रहे हैं, उनके लिये है, कुछ ऐसा है जो आप धर्म से सीख सकते हैं -- भले ही आप उसकी किसी बात पर विश्वास नही करते हैं , फ़िर भी. अगर आप कोइ ऐसा काम करते है जो सामुदायिक है, जिसमे बहुत सारे लोग मिलके काम करते हैं, तो धर्म मे आपके लिये कई चीजे हैं. अगर आप किसी तरह से एक पर्यटन उद्योग से जुड़े हैं, तो तीर्थस्थानों को देखिये. ध्यान से देखिये. अभी तो हमे हलका सा भी अन्दाजा नही हुआ है कि पर्यटन क्या बन सकता है, क्योंकि अभी तक हमने इस बात पर ध्यान ही नही दिया कि धर्म पर्यटन को कैसे प्रभावित करता है. यदि आप कला की दुनिया मे हैं तो उन उदाहरणो को देखिये तो धर्म के कला पर प्रभाव को दिखाते हैं. अगर आप शिक्षक है तो देखिये कि धर्म किस तरह से विचारों का प्रसार करते हैं. आप भले ही विचारों से सहमत ना हों, पर ये कुछ करने की वाकई बहुत ही प्रभावशाली विधियां हैं. तो मेरा निष्कर्ष आखिर मे ये है कि भले ही आप धर्म से सहमत ना हों, परन्तु आखिरकार, धर्म इतने सूक्ष्म और जटिल हैं और बहुत सी बातों मे इतने आगे हैं कि उन्हें यह कहकर कि ये सिर्फ़ धार्मिक लोगों के लिये हैं, नही छोडा जा सकता वो हम सबके लिए हैं. बहुत बहुत धन्यवाद!

Japanese

宗教は 私達には頭だけでなく 体もあることを よく分かっています 彼らが教えを授けるときには

Last Update: 2019-07-06
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