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my name is bhavesh
Меня зовут Бхавеш
Last Update: 2024-06-08
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my name is russell...") ("...and i am a wilderness explorer in tribe 54.") और आप गेम भी खेल सकते हैं। (कार इंजिन) यहाँ, कैमरा असल में समझ रहा है कि कैसे आपने कागज़ को पकड़ा हुआ है और आप एक कार-रेसिंग गेम खेल रहे हैं। (तालियाँ ) आप में से बहुतों ने यह सोचा होगा, ठीक है, आप ब्राउज़ कर सकते हैं। हाँ, आप किसी भी वेबसाइट को ब्राउज़ कर सकते हैं या आप किसी भी प्रकार की क्म्प्यूटिंग कर सकते हैं एक कागज़ पर जहाँ भी आप चाहें। तो, दिलचस्प तौर पर, मैं इसे एक और परिवर्तनात्मक तरीके में उपयोग करना चाहूँगा। जब मैं वापस आऊँ मैं उस जानकारी को बस दबाकर अपने डेस्क्टोप पर ला सकता हूँ ताकि उसे मैं अपने क्म्प्यूटर पर प्रयोग कर सकूँ । (तालियाँ ) और सिर्फ़ क्म्प्यूटर ही क्यों? हम बस कागज़ों के साथ खेल सकते हैं। कागज़ी दुनिया के साथ खेलना अधिक दिलचस्प है। यहाँ, मैं एक पत्र का एक भाग लेता हूँ और वहाँ दूसरी जगह से दूसरा भाग लेता हूँ-- और मैं असल में जानकारी में परिवर्तन करता हूँ जो वहाँ मेरे पास है। हाँ, और मैंने कहा, "ठीक है, ये अच्छा लगता है, क्यों न मैं इसे प्रिंट कर दूँ ।" तो अब मेरे पास उस चीज़ का प्रिंट-प्रति मेरे पास है, और अब-- कार्यप्रवाह बहुत ही सहजज्ञान हो गया है आज से 20 साल पहले के अपेक्षा, हमें इन दोनों संसारों को बदलने की ज़रूरत नहीं है। तो, मेरे ख्याल में, मैं सोचता हूँ कि रोज़मर्रा की वस्तुओं की जानकारियाँ एक करने से न सिर्फ़ हमें डिजिट्ल विभाजन से छुटकारा मिलेगा, इन दोनों संसारों के बीच की दूरी, बल्कि यह हमारी एक तरह से मदद भी करेगा, मानव रहने में, भौतिक दुनिया से और जुड़े रहने में। और यह वास्तव में हमारी मदद करेगा, कि हम मशीन बनकर मशीनों के सामने न बैठे रहें। बस यही। धन्यवाद्। (तालियाँ ) धन्यवाद्। (तालियाँ ) क्रिस एंडर्सन: तो, प्रणव, सबसे पहले, तुम प्रतिभाशाली हो। ये अविश्वसनीय है, सच में। तुम इसके साथ क्या करोगे? क्या किसी कंपनी की योजना है? या यह हमेशा शोध रहेगा, या क्या? प्रणव मिस्ट्री: वैसे बहुत सी कंपनियाँ हैं-- असल में media lab की प्रायोजक कंपनियाँ-- जो इसे किसी न किसी तरीके से आगे ले जाने के लिए उत्सुक हैं। मोबाइल फ़ोन ओपरेटर कंपनियाँ जो इसे अलग रूप में देखती हैं जैसे भारत के ngo, जो सोचती हैं,"हमारे पास केवल sixth sense ही क्यों? हमारे पास fifth sense भी होनी चाहिए इंद्रि रहित लोगों के लिए जो बोल नहीं सकते। इस तकनीक को अलग तरीके से बोलने के लिए उपयोग कर सकते हैं जैसे एक स्पीकर सिस्ट्म के साथ।" क्रिस एंडर्सन: आपकी क्या योजनाएँ हैं? क्या आप mit में रहेंगे, या आप इसके साथ कुछ करने वाले हैं? प्रणव मिस्ट्री: मैं इसे लोगों को ज़्यादा उपल्ब्ध कराना चाहता हूँ ताकि हर कोई अपना खुद का sixth sense यंत्र विकसित कर सकें क्योंकि न तो हार्डवेयर बनाना असल में इतना मु्श्किल है, न खुद का बनाना। हम उनके लिए सारा ओपन सोर्स सोफ़्ट्वेयर देंगे, शायद अगले महीने से। क्रिस एंडर्सन: ओपन सोर्स, वाह। (तालियाँ ) क्रिस एंडर्सन: क्या आप इसके साथ भारत वापस आना चाहेंगे? प्रणव मिस्ट्री: हाँ। हाँ,हाँ बिल्कुल। क्रिस एंडर्सन: क्या योजना है आपकी?
("Добрый день. Меня зовут Рассел...") ("... я состою в отряде скаутов".) Также вы можете играть в компьютерные игры.
Last Update: 2019-07-06
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