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matadan jagruti
gujarat
Ultimo aggiornamento 2021-02-07
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matdan jagruti in marathi
मराठी में मतदान जागृति
Ultimo aggiornamento 2022-01-22
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matdan jagruti nibandh gujrati
मतदान जगृति निबन्ध hindi
Ultimo aggiornamento 2019-10-07
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gujarati essay about matdan jagruti
matdan jagruti के बारे में गुजराती निबंध
Ultimo aggiornamento 2015-11-04
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that goal cannot get missed. we want to keep this kind of awareness. and if we recognize these [mistakes] then the jagruti will remain
"शुद्धात्मा अनुभव सिवा कुछ चाहिए ही नहीं" हम ऐसी जागृति रखना चाहते हैं और उस जागृति से गलतियों को पहचानेंगे तो जागृति रहेगी इसलिए आज हम ऐसे दोषों के स्वरूप को स्टडी करेंगे कि कहाँ-कहाँ मिठास लगती है और फिर उसे जागृति में रखना चाहते हैं ताकि कोई भी परिस्थिति हमें तन्मयाकार नहीं कर सके हम आत्मा की ओर आ सकें और तन्मयाकार होने से जो इफेक्ट होता है, उसे भी पहचानो कि "ओहो! अभी भी इसमें जो मिठास लग रही है, वह मेरे लिए जोखिम है मुझे आत्मा में रहना है", हम ऐसी जागृति में आ जाएँगे तो सामायिक करेंगे, पहले विधि करेंगे हे दादा भगवान हे श्री सीमंधर स्वामी प्रभु मुझे शुद्ध उपयोगपूर्वक रिलेटिव पदार्थों में रिलेटिव रिलेशनों में फाइल नं.1 में जो-जो परिणाम उत्पन्न हो जाते हैं जो-जो संयोग, अवस्थाएँ उत्पन्न होती हैं
Ultimo aggiornamento 2019-07-06
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give me the strength to set this jagruti. [i surrender ] my mind-speech-body all the illusory attachments associated with my name
मैं मन-वचन-काया मेरे नाम की सर्व माया भावकर्म द्रव्यकर्म नोकर्म हे दादा भगवान आपके सुचरणों में समर्पित करता हूँ मैं शुद्धात्मा हूँ मैं शुद्धात्मा हूँ मैं शुद्धात्मा हूँ मैं शुद्धात्मा हूँ मैं शुद्धात्मा हूँ मैं शुद्धात्मा हूँ मैं शुद्धात्मा हूँ मैं शुद्धात्मा हूँ... जय सच्चिदानंद गहराई में जाकर सामायिक करना और यह बहुत बड़ी... यह सेकन्ड लेवल पार करने का पुरूषार्थ यहाँ से शुरू होता है सामनेवाले को निर्दोष देखना है और सुलगते अहंकार के सामने (विरूद्ध) तप करना है और बुद्धि जो आश्वासन खोजती है सामनेवाले पर अटैक करके सामनेवाले को गुनहगार ठहराकर संतोष मिलता है कि है ही ऐसा, जाने दो न, उसके साथ बात ही नहीं करनी है ऐसे सभी उपायों से अधूरा रहेगा गलत नहीं है लेकिन बुद्धि के पास अन्य कोई उपाय ही नहीं है लेकिन हमें बुद्धि का आधार नहीं लेना है प्रज्ञा के आधार से यह निर्दोष के पुरावे सेट कर के यह तप करना हैं यह बहुत सुंदर बात निकली है यह हमेशा के लिए पकड़ लेने जैसी चाबी है और हर एक भोगवटा को ज्ञान से साफ करते जाएँगे न तो बहुत बड़ी ज्ञान की श्रेणियाँ चढ़ने का प्रगति करने का स्कोप यही है गहराई में जाकर सभी लोग अच्छी तरह से सामायिक करना जय सच्चिदानंद
Ultimo aggiornamento 2019-07-06
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as much spiritual awareness (jagruti) you maintain at this level and you don't give it any support then it will quickly get emptied out by that much do you understand?
मतलब जहाँ आपकी जागृति रही कि आधार नहीं देना है तो भरा हुआ माल फटाफट खाली होने लगता है। समझ में आता है न? इसलिए आज सामायिक में, अब सम अप करते हैं सामायिक में क्या-क्या देखना है? शशी बहन ज़रा ध्यान से सुनना क्या? आपको कर्तापन से कहाँ-कहाँ भोगवटा (सुख-दुःख का असर, भुगतना) आता है? सुबह से लेकर शाम तक कहाँ-कहाँ आप कर्ता बन जाते हो? एक दिन का, कल के एक दिन का देखोगे न फिर भी बहुत कुछ दिखाई देगा। कल तो सत्संग का दिन था, लेकिन फिर भी हम आए और हम गए और सामायिक में मुझे दिखा और नहीं दिखा वह भी कर्तापन में चला जाता है, क्या? शशी बहन को दिखा और शशी बहन को नहीं दिखा शशी बहन सामायिक में आई और शशी बहन गई ऐसा अलग रखना है।
Ultimo aggiornamento 2019-07-06
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there is a chapter on the "seat of i-ness" and "to become one with the situation (tanmayakar)". they all talk about these things. the state of jagruti is such that you see the fault as separate, see the other person as faultless and to remain in the seat of pure soul.
"तन्मयाकार" का चैप्टर है सारी यही बातें हैं जागृति का स्वरूप ही वह है कि दोष को अलग देखना सामनेवाले को निर्दोष देखना और अपने आत्मा की सिट पर बैठे रहना यही जागृति का पुरूषार्थ है और वह होगा ही धीरे-धीरे उस स्टेशन पर पहुँचेंगे और उससे अनुभव के अंश बढ़ेंगे यह तप का स्टेशन है यह तप... जब अहंकार को दुःख, भोगवटा आता है तब तप करना है और तप से आत्मा के अनुभन के अंश बढ़ेंगे और उसे (तप) किए बगैर चारा ही नहीं है अच्छे-अच्छों को करना ही पड़ता है यह तो अहंकार को भोगवटा आता है लेकिन शरीर को भी भोगवटा आता है कुछ आर्थिक भोगवटा आता है घर में कुछ हानि हो जाती है घर में किसी को कुछ दुःख हो जाता है उसमें भी हमें समताभाव से निकाल तो करना ही पड़ेगा लेकिन इन सभी संयोगों में से आज हम एक पर सामायिक करेंगे कि खुद के अहंकार को भोगवटा आए तो उसे हम ज्ञान से सॉल्व करेंगे ज्ञान की चाबियाँ सेट करेंगे और सामायिक करेंगे, बोलिए हे दादा भगवान हे श्री सीमंधर स्वामी प्रभु मुझे शुद्ध उपयोगपूर्वक चिकणी फाइल (गाढ़ ऋणानुबंधवाले व्यक्ति अथवा संयोग) के निमित्त से किसी भी प्रकार का अहंकार को भोगवटा आया हो द्वेष से अभाव से तिरस्कार से या किसी भी प्रकार से सामनेवाले के निमित्त से खुद का अहंकार दुभा हो वैसे प्रसंगों में पाँच आज्ञा की जागृति सेट करके जुदापन की जागृति रखकर सामनेवाले को हंड्रेड परसेन्ट निर्दोष देखकर अहंकार को... सुलगते हुए अहंकार को भोगवटेवाले अहंकार को राख हो जाने तक अलग देखूँ उस तरह की सामायिक करने की शक्ति दीजिए
Ultimo aggiornamento 2019-07-06
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