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e di far risplendere agli occhi di tutti qual è l'adempimento del mistero nascosto da secoli nella mente di dio, creatore dell'universo
और सब पर यह बात प्रकाशित करूं, कि उस भेद का प्रबन्ध क्या है, जो सब के सृजनहार परमेश्वर में आदि से गुप्त था।
" sono un idiota. dio vuole del pane? dio, colui che governa l'universo, vuole il mio pane? "
"मैं मूर्ख हूँ. भगवान् को रोटी चाहिए? भगवान्, जो पूरे ब्रह्माण्ड पे राज करते हैं, उन्हें मेरी रोटी चाहिए?" वह पूजा स्थल की ओर भागता है. "मैं उसे संदूक से निकाल लूँगा इससे पहले कि कोई और उसे ले ले." अन्दर जाता है, और रोटियाँ वहां नहीं हैं. और वह कहता है "भगवान आपको सचमुच इसकी जरूरत थी. आपको मेरी रोटी चाहिए थी. अगले सप्ताह, किशमिश के साथ." यह सालों तक चला. हर सप्ताह, वह व्यक्ति रोटियाँ और किशमिश लाता था, सारे प्रकार कि अच्छी चीज़ों के साथ, संदूक में रखता था. हर सप्ताह, सफाई वाला आता था. "भगवान् आपने पुनः मेरी प्रार्थना सुन ली." रोटियाँ लेता था. लेकर घर चला जाता था. ये सब नए रब्बी के आने तक चला. रब्बी हमेशा चीज़ों को बर्बाद करते हैं. रब्बी आये और उन्होंने देखा कि क्या हो रहा था. और उन्होंने उन दोनों को अपने कक्ष में बुलाया. और उन्होंने कहा, तुम जानते हो, "यह हो जो रहा है.". और धनी व्यक्ति -- हे प्रिय -- हतोत्साहित. "आपका मतलब है भगवान् मेरी रोटी नहीं चाहते थे?" और गरीब मनुष्य ने कहा "और आपका मतलब है भगवान् ने मेरी प्रार्थना नहीं सुनी?" और रब्बी ने कहा, "तुम लोगों ने मुझे गलत समझा है." "तुमने पूर्णतया गलत समझा है", उन्होंने कहा. "निःसंदेह, जो तुम कर रहे हो", उन्होंने धनी व्यक्ति से कहा,
la sinestesia si riferisce alla amplificazione o mescolanza dei sensi. i chakra e i sensi sono come un prisma che filtra un continuum di vibrazioni. tutte le cose nell'universo sono vibranti ma vibrano con velocità e frequenze differenti.
'सिनेस्थेसिया' संवेदनाओं के संश्लेषण या अंतरमिश्रण से संबद्ध हैं । चक्र तथा संवेदनाएं संपार्श्व की तरह हैं जिससे कंपन का अविच्छिनन्न निस्यंदन होता है । ब्रह्माण्ड में सभी वस्तुएं कंपित हो रही हैं लेकिन भिन्न गति और नैरंतर्य से । होरस का नेत्र छह प्रतीकों से बना है, प्रत्येक में एक संवेदना का प्रतिनिधित्व है । प्राचीन वैदिक प्रणाली की तरह, विचार को संवेदना के रूप में माना गया है । शरीर द्वारा संवेदनाओं की अनुभूति के साथ-साथ विचार प्राप्त होते हैं। वे उसी कंपन स्रोत से उत्पन्न होते हैं । चिंतन बस एक साधन है । छह संवेदनाओं में एक । लेकिन हमने इसे ऐसी उच्च स्थिति में विकसित किया है कि हम स्वयं की पहचान अपने विचारों से करते हैं । वास्तव में यह तथ्य कि हम छह संवेदनाओं में एक के रूप में चिंतन की पहचान नहीं करते, अत्यंत महत्वपूर्ण है । हम चिंतन में ऐसे लिप्त हैं कि सोच-विचार को संवेदना के रूप में व्याख्यायित करना मछली को जल के बारे में बताने की तरह हैं । जल, कैसा जल? उपनिषदों में कहा गया है, वह नहीं जिसे नेत्र देख सकता है, बल्कि वह जिसके माध्यम से नेत्र देखता है। उसे शाश्वत ब्रह्म के रूप में जानें, न कि वह जिसकी लोग यहाँ आराधना करते हैं । उसे नहीं जिसे कान सुन सकते हैं बल्कि वह, जिससे कान सुनते हैं । उसे शाश्वत ब्रह्म जानें न कि वह जिसकी लोग यहाँ आराधना करते हैं । वह नहीं जिसे बोलना स्पष्ट कर सकता है बल्कि वह, जिसके द्वारा बोल उजागर होते हैं । उसे शाश्वत ब्रह्म जानें न कि वह जिसकी लोग यहाँ आराधना करते हैं । वह नहीं जो मस्तिष्क सोच सकता है, बल्कि वह, जिससे मस्तिष्क सोचता है । उसे शाश्वत ब्रह्म जानें न कि वह जिसकी लोग यहाँ आराधना करते हैं । गत दशक में, मस्तिष्क के अनुसंधान ने बड़ी प्रगति की है । वैज्ञानिकों ने न्यूरो प्लास्टिीसिटी की खोज की; एक ऐसा शब्द जो यह विचार व्यक्त करता है कि मस्तिष्क के भौतिक तार, इसके माध्यम से संचरित होने वाले विचारों के अनुसार परिवर्तित हो जाते हैं । कनाडाई मनोवैज्ञानिक डोनाल्ड हेब्ब ने जैसा इसे स्पष्ट किया "तंत्रिका-कोशिकाएँ, जो एक साथ सक्रिय होती है, एक साथ जुड़ती है "। तंत्रिका-कोशिका एक साथ जुड़ने का अभिप्राय है जब कोई व्यक्ति सतत ध्यान की मनोदशा में होता है । इसका अर्थ हुआ कि आपके द्वारा वास्तविकता के अपने आत्मनिष्ठ अनुभव को निर्देशित करना संभव है। शाब्दिक रूप में, यदि आपके विचार भय, चिंता, उद्विग्नता तथा नकारात्मकता से परिपूर्ण हैं, तो आप इन विचारों को अधिकाधिक पनपने के लिए संयोजन बढ़ाते हैं । यदि आप अपने विचारों को प्रेम, दया, कृतज्ञता तथा प्रसन्नता के लिए निर्देशित करते हैं, तो आप उन अनुभवों की पुनरावृत्ति के लिए तार सृजित करते हैं । लेकिन तब क्या करें यदि हम हिंसा तथा पीड़ा से घिरे हों ? क्या यह भ्रांति या महात्वाकांक्षी विचार जैसा नहीं ? न्यूरोप्लास्टिसिटी उस आधुनिक धारणा के समान नहीं है जैसे आप सकारात्मक सोच से अपनी वास्तविकता का सृजन कर सकते हैं । यह वास्तव में वही है जिसे बुद्ध ने 2500 वर्ष पूर्व सिखाया था । विपासना-ध्यान या अंतर्दर्शी-ध्यान को आत्मनिर्देशित न्यूरोप्लास्टीसिटी के रूप में वर्णित किया जा सकता है । आप अपनी वास्तविकता ठीक उसी रूप में स्वीकारते हैं - जैसा कि वह वास्तव में है । लेकिन आप विचार के पूर्वाग्रह या प्रभाव के बिना कंपायमान या ऊर्जावान स्तर पर संवेदन की गहराई में अनुभव करते हैं । तना के गहन तल पर सतत ध्यान के माध्यम से वास्तविकता की समूची विभिन्न धारणा के लिए तार उत्पन्न हो जाते हैं । अधिकांशतः हम इसके विपरीत सोचते हैं । हम अपने तंत्रिकीय संजाल से बाहरी विश्व आकार पर सतत विचार करते रहते हैं लेकिन हमारे आंतरिक समत्व को बाहरी घटनाओं पर आश्रित रहने की आवश्यकता नहीं है। परिस्थितियों का कोई महत्व नहीं। केवल मेरी चेतना का महत्व है। संस्कृत में ध्यान का अर्थ है परिमापन से मुक्ति । सभी तुलनाओं से मुक्त । सभी अच्छाइयों (आने वाली स्थितियों) से मुक्त । आप कुछ और बनने का प्रयास नहीं कर रहे हो । आप जो हैं उसी में संतुष्ट हैं । भौतिक यथार्थ की पीड़ाओं से ऊपर उठने का मार्ग इसे पूर्ण रूप से स्वीकारने में ही है । यह मानना कि हां यह है । इसलिए यह आपके भीतर घटित हो जाता है, न कि आप इसके भीतर होते हो । कोई व्यक्ति इस प्रकार कैसे रह सकता है कि चेतना अपनी अंतर्वस्तु से अधिक देर तक न टकराए? कैसे कोई व्यक्ति ह्रदय से छोटी-छोटी महत्वाकांक्षाओं को हटा सकता है । चेतना में संपूर्ण क्रांति होनी चाहिए । बाहरी संसार से आंतरिक संसार की ओर अभिविन्यास में मूलभूत रूपांतरण । यह इच्छा या केवल प्रयास द्वारा लाई गई क्रांति नहीं है । बल्कि यह समर्पण से संभव है । वास्तविकता की यथावत् स्वीकृति । ("केवल ह्रदय से ही आप आकाश छू सकते हैं"- रूमी) ईसा के खुले ह्रदय की छवि इस विचार को गहनता से संप्रेषित करती है कि व्यक्ति को सभी प्रकार के कष्टों के लिए तैयार रहना चाहिए, यदि व्यक्ति को विकासात्मक स्रोत के लिए अपने को खुला रखना है, तो उसे यह सब स्वीकारना चाहिए। इसका अर्थ यह नहीं कि आप पर-पीड़ित बन जाओ, आप दुख की ओर न देखो, लेकिन जब वह आए, जो अनिवार्यतः होता है, तो आप इसकी वास्तविकता को स्वीकारें न कि किसी अन्य वास्तविकता की अभिलाषा करें। हवाईवासियों का पुराना विश्वास है कि केवल हृदय के माध्यम से ही हम सत्य पा सकते हैं । हृदय की अपनी बुद्धिमत्ता मस्तिष्क से विशिष्ट होती है । मिस्रवासियों का विश्वास है कि हृदय मस्तिष्क नहीं, मानव बुद्धिमत्ता का स्रोत है । हृदय को ही आत्मा तथा व्यक्तित्व का केन्द्र माना गया। यह हृदय के माध्यम से ही संभव हुआ है कि दिव्यात्मा ने प्राचीन मिस्रवासियों को उनके सच्चे मार्ग का ज्ञान दिया । इस कथन में हृदय के सारतत्व को वर्णित किया गया है । " इसे अच्छा समझा गया है कि सरल हृदय से जीवन के पार जाएँ । इसका तात्पर्य है कि आपने ठीक से जिया । एक वैश्विक या आदर्श स्थिति यह है कि हृदय केन्द्र के जागृत होने पर अपनी ऊर्जा की प्रक्रिया में लोगों को ब्रह्माण्ड की ऊर्जा का अनुभव हो जाता है । जब आप स्वयं को इस प्रेम की अनुभूति करने देते हैं, प्रेम अनुभव करने लगते हैं, जब आप अपने आंतरिक संसार को बाहरी संसार से संबद्ध करते हैं, तो सब एकाकार हो जाता है । कोई तारों के संगीत का अनुभव कैसे करता है? हृदय कैसे खुलता है ? श्री रमण महर्षि ने कहा है "ईश्वर आपके भीतर है, आपकी तरह है, और ईश्वर अनुभूति या आत्मानुभूति के लिए आपको कुछ नहीं करना है। यह पहले ही आपकी वास्तविक और प्राकृतिक स्थिति है । सभी प्रकार की अभिलाषाओं - याचनाओं को त्याग दें, अपना ध्यान भीतर मोड़ें और अपना मन 'स्व' को समर्पित कर दें, अपने ह्रदय में उतर जाएं । इसे अपने वर्तमान का जीवंत अनुभव बनाने के लिए आत्मान्वेषण एक प्रत्यक्ष तथा तात्कालिक मार्ग है ।" जब आप ध्यानमग्न होते हैं और अपने भीतर, अपनी आंतरिक जीवंत संवेदनाएं देखते हैं, तो वास्तव में आप अपना परिवर्तन देखते हैं । परिवर्तन की यह शक्ति, ऊर्जा परिवर्तन के आकार में उद्भूत होती है और आगे बढ़ती जाती है । वह मात्रा, जिसमें व्यक्ति विकसित या जागृत हुआ है, वह दशा है जिसमें व्यक्ति ने प्रत्येक क्षण को अंगीकार करने के लिए क्षमता अर्जित की है या परिस्थितियों, पीड़ा और आनंद के सतत परिवर्तित मानवीय प्रवाह को परमानंद में रूपांतरित कर दिया है ।
ciò che voglio fare in questo video e nel prossimo è d'iniziare a darvi un senso della scala della terra e del sistema solare e si capisce quando iniziamo a parlare della galassia e l'universo che diventa quasi impossibile da concepire ma ci proveremo lo stesso! noi che stiamo guardando questo video sappiamo bene che questa quì è la terra questa è la terra
इस वीडियो और अगले वीडियो में मेरा लक्ष्य है पृथ्वी के पैमाने का मायना देना और सौर प्रणाली और हम आकाशगंगा और ब्रह्मांड में शुरू हो जाते है, यह सिर्फ लगभग असंभव कल्पना हो जाता है और हम आकाशगंगा और ब्रह्मांड में शुरू हो जाते है यह सिर्फ लगभग असंभव कल्पना हो जाता है लेकिन हम कम से कम हमारी सबसे अच्छी कोशिश करेंगे. हम सभी जानते हैं कि ठीक यहा धरती है. कि ठीक यहा धरती है. और पैमाने की भावना लाने के लिए यहाँ मुझे लगता है, शायद, सबसे बड़ा दूरी है जो हम किसी भी तरह से संबंधित कर सकते लगभग एक सौ मील की दूरी पर है तुम एक कार में के बारे में एक घंटा, घंटे और एक आधे के लिए जा सकते हो और एक सौ मील की दूरी पर चल सकते हो. और पृथ्वी पर, यह यहा तक किया जाएगा. यह एक कलंक कि तरह लगेगा. यह एक सौ मील की दूरी पर है! और भी हमारे पैमाने पर आने के लिए, चलो एक गति के बारे में सोचते हैं कि कम से कम हम कर सकते है समझने कि. और हो सकता है कि ए के गति होगी .. चलो ए की गति के बारे में सोच .. गोली. एक गोली की गति. शायद हम इसे समझ नहीं सकते. लेकिन मुझे कहना होगा कि यह सबसे तेज चीज़ है जो हम समझ सकते हैं.